Friday, July 29, 2016

राजस्थान का प्रेस नोट दिनांक 28/7/16


प्रेस नोट

स्वदेशी जागरण मंच चीन द्वारा भारत की एन.एस.जी. में सदस्यता के विरोध को लेकर क्षोभ प्रकट करता है।  वैसे भी, चाहे अजहर  मसूद  हो या लखवी जैसे आतंकी, अन्तर्राष्ट्रीय मंचो पर चीन  उनके के समर्थन में खड़ा रह कर भारत के प्रति अपनी शत्रुता हमेशा प्रकट करता रहता है। दूसरी तरफ भारत का अधिकांश व्यापार घाटा चीन से वस्तु आयात के कारण ही है। ऐसे में भारतीय सरकार का व हमारे लोगों का चीन की बनी वस्तुओं का आयात करना एक शत्रु राष्ट्र का आर्थिक पोषण करना है। इसलिए स्वदेशी जागारण मंच राष्ट्र व्यापी अभियान चला कर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का अभियान चलाएगा।

पिछले दिनों जिस प्रकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दरवाजे भारत सरकार ने खोले हैं, ये भी अत्यन्त कष्टदायक विषय है। स्वदेशी जागरण मंच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सदा से विरोध करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। एफडीआई से रोजगार बढने की सम्भावना तलाशना महज मृगमारिचिका है। पूरी दुनिया में इस समय रोजगार विहीन विकास का दौर चल रहा है । और जब से भारत ने अपने यहां विदेशी निवेश को बढ़ाया है तभी से बेरोजगारी में और वृद्धि हुई है। गत 12 वर्षाे में मात्र 1.6 करोड़ रोजगार सृजित हुए है जबकि 14.5 करोड़ लोगों को इसकी तलाश थी। यदि यू.एन.ओं की संस्था अंकटाड की माने तो दुनियाभर में 41 प्रतिशत एफ.डी.आई ब्राउन फील्ड में आयी है । अर्थात पुराने लगे उद्योंगों को ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने  हथियाया है, कोई नया उद्योग शुरू नहीं किया। ऐसे में नये रोजगार  सृजन की सम्भावना हो ही नहीं सकती। दूसरी ओर, बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों का जोर केवल स्वचालित या रोबोट प्रणाली द्वारा निर्माण व उत्पादन करने का रहता है। जिसके चलते बची खुची रोजगार की सम्भावनाएं भी समाप्त हो रही है। इसलिए विदेशी विकास के मॉडल में रोज़गार कम होंगे , हरगिज बढ़ेंगे नहीं।
इसी प्रकार से विदेशी पूँजी  जितनी आती है उससे दुगुनी से भी अधिक पूंजी रायॅल्टी व लांभाश आदि द्वारा विकसित देश, इन गरीब देशों से निकाल लेते है। आज तक न ही कोई उच्च तकनीक  किसी विकासशील देश को इन कम्पनीयों द्वारा दी गयी है। भारत द्वारा सुपर कंप्यूटर से लेकर चंद्रयान और नाविक जैसी उच्च तकनीक स्वदेशी प्रयासों द्वारा अर्जित हुई है। उसी रास्ते को आगे बढ़ाना है। कोका-पेप्सी का भारत में काला इतिहास बताता है की ये कंपनियां एकाधिकार करती है और स्वस्थ प्रतियोगिता की संभावनाएं भी ख़त्म कर देती है। हअमर दवा उद्योग दुनिया की जेनेरिक व सस्ती दवाईयों का कारखाना है। आज दुनिया भर के 35 प्रतिशत मरीज भारत की सस्ती दवाईयों  पर आश्रित है। ऐसे में यदि 74 प्रतिशत ब्राउन फील्ड निवेश ओटोमेंटिक रूट से, एवं 100 प्रतिशत सरकारी अनुमति के कारण से,  भारत के इस दवा उद्योग पर हमला करना अत्यंत ही खतरनाक है। यह  हमारे फार्मा सेक्टर को अपूरणीय क्षति पहुचायेंगा। बल्कि साथ ही साथ दुनिया की गरीब जनता का एक मात्र सस्ता व वहनीय विकल्प भी छिन जायेगा।
वैसे भी भारत दुनियां के सर्वाधिक परम्परागत देशों में से एक है। इसे सर्वाधिक उन्मुक्त अर्थव्यवस्था बनाने से इसकी सुगठित परिवार व्यवस्था और संस्कार व्यवस्था पर क्या  असर पड़ेगा, इसका भी पूर्व आंकलन, एफडीआई के द्वार खोलने से पहले करना आवश्यक है।
स्वदेशी जागरण मंच का स्पष्ट मानना है कि नयी एफ.डी.आई नीति का कोई लाभ भारत को नहीं होगा बल्कि नुकसान  एक से बढकर एक अवश्य होगे। इस लिए हम 9 अगस्त क्रांति दिवस पर  “एफ.डी.आई वापस जाओं” के उदघोष के साथ पूरे देश में प्रत्येक जिला स्तर पर  एफ.डी.आई नीति का व बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विरोध विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा करेंगे। सरकार  भी निवेदन करेंगे कि एफडीआई में बढ़ोतरी का आदेश वापिस ले। आगामी 3 व 4 सितम्बर 2016 को  दिल्ली मंच के सभी पदाधिकारी एकत्र होकर आगे की रणनीति तय करेगें।

हम केंद्र सरकार की प्रशंसा करते है कि बीज क्षेत्र में काम करने वाली कुख्यात  बहुराष्ट्रीय कंपनी मोंसैंटो का शिकंजा कसा है। इसने बीज रॉयल्टी के नाम पर अवैद्य ढंग से किसानों का 6000 करोड़ रुपया लौटाने और लाइसेंस इस में 70% कटौती करने का नोटिस दिया है। पूरे देश में मोंसैंटो की लूट के खिलाफ जनजागरण मंच करेगा।
यह विचार स्वदेशी जागारण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरीलाल द्वारा जोधपुर प्रवास के दौरान गुरूवार को प्रत्रकारों से रूबरू होते हुए दिये गयें। मंच के प्रदेश संयोजक धर्मेन्द्र दूबे ने जानकारी दी कि मंच के प्रदेश कार्यकर्ताओं का सम्मेलन 20 व 21 अगस्त 2016 को अलवर में आयोजित होगा जिसमें मंच की प्रदेश टोली इन मुद्दो पर व्यापक आदोंलन की रणनिति तय करेगी।

मिथिलेश झा
मिडिया प्रभरी जोधपुर

Dharmendra Dubey
Sanyojk Rajasthan Prant
Swadeshi jagren manch.
09414964653

Monday, July 18, 2016

FS solar

DFs solar energy
1. Importance
1.1 Friedman the world is flat. Limited sources of energy and unlimited demand. Whosoever has energy will rule the world.
1.2 Two dianasour of energy oil and coal produce pollution. Third is hydro, tinkering with the natural flow of rivers plays havoc with natures flora and foina. Fifth source is aṭomic and also a nation's posterity has to pay for keeping the used atomic rods cool. Example of Japan after seismic upheaval. Solar and other renewable sources of energy like wind, solar etc are beneficial, safe, and environmental friendly and without any limit.
1.3 india is the most blessed for solar energy. Sun light, abundant, silica the basic for pv cells is sufficient. 
1.4 India has been made the leader of solar energy producing countries HQ of new International Solar Alliance in gurgaon on (ISA) nov. 30 ahead of CoP-21 countries situated between the Tropics of Cancer and Capricorn. Just like association of oil producing countries why not of countries having sunlight more than 300 days a year. France president committing initial financial assistance of $325 million/ Rs. 22 million. The target is to generate 1000 giga watts in the next ten years)
1.5 the total cost of diesel oil is 3.5 to 5 crore rupees, is a big cost. ( petro-dollar politics and terrorism)
2. India's position and targets

2.1 distribution: of 100 giga watts . 40 gw roof top but only 8.5%, 40 big solar parks f% achieved and 20% for utility ports 12%achieved. So roof top is essential but only very less achieved. 
2.2  states: Gujarat, madhya pradesh, rajasthan, AP, TN, Karnaṭak, kerala and punjab

2.3  India's installed capacity 302.833 GW as on 30 April 16.  Non renewables sources 72 and renewables 28% .

2.4 Recent revision of targets for raising the solar power capacity in the country to 100 Gigawatt by 2021-22, in place of 22 GW set earliermay UPAII , would place India ahead of rest of the world, with 9% share of solar power in the total power generation, from a current level of 0.5%. Currently, the Germany has highest capacity of 42 GW of solar power and Italy has the highest share of 7.2% in total generation. A 33 fold rise in solar power capacity in India from the current 3.3 GW to 100 GW in 7 years would set another world record. 

2.5 Such a huge addition of solar power capacity can provide an opportunity for the country to kickstart stagnating investments and pace of growth in the economy with infusion of more than Rs. 6.5-7 lac crores into the sector, ultimately capable to add manifold more output in GDP and investments by ancilliarisation and development of vast supply line for components down the supply chain, along with development of a state- of- the- art- technology.

2.6  Each of the top 10 solar power generating countries of the world have preferred to develop their indigenous solar power industry to meet the domestic demand. In our case as well, if the domestic firms are provided an initial breather by imposing anti-dumping duties on imported hardware and/ or are subsidized to give them a level playing, we can build a booming solar power sector to cater growing indigenous as well as global demand. A forbearance of 2-4 paisa of extra cost per KWHr, arising from imposing of anti-dumping duty on imported hardware or from providing a subsidy to the indigenous industry would pay rich dividends in developing the domestic capacity and resultant employment, income and growth. 

3.Strategic Approach:

Various strategic measures necessary to build indigenous capacity may be:

(3.i) Development of industry consortium/consortia and securing with active government supportand funding.

(ii) Creation of a Technology Development Fund.

(iii) Coordinated networking of all the departments and institutes carrying on research in the area.

(iv) Acquisition of companies abroad for procuring latest technology.

(vProviding technical and financial support by the government to the firms operating in the field of solar powerincluding equity participation. 

(viTechnology development support to public sector units like BHEL and private player etc. who are already in the course of installing capacities with indigenous technologies.

(vii"Facilitating Technology Development Corporative Associations" and "Technology Development Corporative Agreements".

(viii) Extending support to other developing countries and financing via ventures in the neighboring countries.

India may even think of back-loading its agenda of raising solar capacity to 100 giga watts, in view of rapid decline in the rates being offered for solar power by the foreign bidders even to the extent of two third of the threshold of viability tariffs of Rs. 7.04 per kilo watt /hour as decidedby the Central Electricity Regulatory Commission. Moreover, if required India may back-load installation of solar power capacity by rapidly adding coal-gasification which is equally green and affordable. Moreover, India has fourth largest proven reserves of coal, wherein almost 50% of the reserves are either in- accessible due to being under vast- depth, or are of very poor quality unfit for use in thermal power plants. Such reserves of coal too can be used for gasification. So,in every case India should ensure participation of indigenous players at every stage of value chain of solar power to the extent of two third capacity installation. Even the BHEL is putting up a plant with indigenous technology for solar wafers. The BHEL is also developing a hybridpower system, integrating solar wind and biomass based power generation. So, that during the monsoon season power can be supplied when the sun is not visible. 

Therefore, in the endeavor to raise solar power capacity with larger indigenous participation, if a proper blend of fiscal support,  purchase priority, integrated policy support and R&D support is extended to indigenous manufacturers for building the domestic capacity in solar power hardware manufacturing, India can do the miracle, become world leader in solar power and usher in a new era of growth and development. Already, the cost of power per unit has come down to Rs. 5 from 20 in last few years. The solar is therefore only hope for global energy woes. And India can ride this global wave. If India can send Mars orbiter at one sixth of the global cost, then, in solar power as well, we may emerge as world leader by pursuing a techno-nationalistic approach as has been done by China in telecom, power, shipbuilding etc. But, if we would add solar power capacity through foreign supplies and FDI we would miss another escalator for a quantum leap for next more than a decade.

India: The most blessed place for Solar Power:

With about 300 clear, sunny days in a year. India's theoretical solar power reception, on its land area alone, is about 5,000 trillion kilowatt-hour (kWh) per year (or 5 Ewh/yr) which exceeds over all of the fossil fuel energy reserves available in India. for example, assuming the efficiency of PV modules were as low as 15%, this would still be more than thousand times greater than the domestic electricity demand for 2015.

 sector of entire value chainkk

Objectives:

4. Anti dumping duty case.

4.1 The UPA government had launched the anti-dumping probe in January 2013 after domestic manufacturers of PV (photo-voltaic) panels claimed they were losing Rs 1,000 crore worth of business annually and suffering job losses due to cheap imports. Subsequently the Directorate General of Anti-Dumping and Allied Duties (DGAD) had recommended slapping the restrictive duty. 

4.2 The US recently dragged India to WTO after the UPA-2 government said solar projects must use at least 15% locally manufactured equipment. India has correctly taken the stand that its solar mission, aiming to install 20,000 mw solar capacity by 2022, is compliant with WTO norms. 

4.3 US and EU too insist on domestic equipment and recently imposed anti-dumping duty on panels from China. West Asian countries, China and South Africa also require locally manufactured equipment to be used in solar farms. Indian Solar Manufacturers' Association has been demanding 30-35 % anti-dumping duty to discourage imports from these countries "at ridiculously low prices" in violation of international fair trade regulations.
Imposing of anti-dumping duties on solar panels imported from the United States, China, Taiwan and Malaysia to protect domestic solar manufacturers, was and still today, logical.

4.4 India also believes that anti-dumping duties imposed on Chinese solar producers by the European Union and the United States have further driven down the price of Chinese solar products, to the detriment of Indian suppliers.

4.5 It imported solar products worth nearly 60 billion rupees ($1.03 billion) last year, according to an industry estimate. Domestic manufacturers

Conclusion

In this regard the aforesaid forum "Forum for Promoting Solar Power in India" can help the country to ensure maximum indigenous participation, to trigger investments, employment, income, demand generation across the value chain of solar power generation. As the solar power and wind-power is likely to get state funding of above $ 200 billion in next seven years, it would generate a flow of more than seven fold (i.e. 1.7 trillion or Rs. 120 lac crores) by multiplier impact of money transactions across components