16.10.20 को ज्याणी प्राकृतिक फार्म में रामगोपाल जी के साथ गया था। ऐसा 130 एकड़ का फाजिल्का, पंजाब के निकट फार्म पहली बार ही कोई देख होगा। निम्न पांच काम वहां हो रहे हैं। यह फार्म उनके दादा जी के समय आर्गेनिक हो चुका था, और किश्तों में नहीं बल्कि एक ही दिन, एक ही निर्णय से हुआ। वे भी पहले खूब केमिकल स्प्रे आदि करते थे, और जिन जहाजों से अरिअल स्प्रे होता था, उनके पायलट इन्हीं के यहां विश्राम करते थे। जैविक कृषि का प्रचारक गांव में आए थे, उनसे प्रेरित हो कर उन्होंने निर्णय उसी दिन कर दिया कि आज के बाद एक भी ग्राम यूरिया आदि नहीं डालेंगे। बस तब से आजतक जैविक ही है। लेकिन यह महज एक खेत नहीं बल्कि अन्य गतिविधियां भी यहां होती हैं।
1. जैविक खेती, बीज भी अपने तैयार करते हैं। कुछ बीज शुरू-शुरू में खरीदते भी होंगे।
2. फ़ूड प्रोसेसिंग, साथ-साथ बिक्री भी यहां होती है तथा ऑनलाइन सप्लाई भी कर देते हैं। जैविक दालें, मसाले, गुड़, शहद, देसी घी आदि सब कुछ यहां उपलब्ध है।
3. डेयरी फार्म: देसी गाय 50, घी लस्सी, देसी गाय के साथ देसी खाद, जीवामृत, गाए पालन का देसी तरीका सब कुछ एक भारतीय दर्शन के आधार पर है।
4. होलिस्टिक फार्मिंग, Lifestyle सिखाने के ढंग। कुछ तो कोरोना ने हमें सीखा दिया है, शेष यहां समझ आ जाता है। विदेशी लोग भारतीयों की परिवार रचना भी देखना चाहते हैं, उसके लिए उनका आपना परिवार यहीं रहता है।
5. इको टूरिज्म एंड ट्रेनिंग देने का भी काम। स्कूलों के बच्चों के लिए यहां बैलगाड़ी भी, घुड़सवारी भी है, लंबा-चौड़ा स्विमिंग पूल है, खेल के साधन भी हैं। तथा बीच-बीच में वे प्रशिक्षण भी इन चीजों का देते रहते हैं। सरकार द्वारा इसे टूरिस्ट प्लेस की मान्यता काफी समय पहले मिली है और 10,15 कमरे व जैविक भोजन की व्यवस्था देसी विदेशी सैलानियों के लिए यहां है।
सही रहनसहन के लिए अच्छा है। स्वावलंबी गांव या आत्मनिर्भर soil.
ज्याणी नेचुरल फार्म।
सबसे अच्छी बात है उनका रहन-सहन बहुत साधारण है गौशाला एकदम साधारण है। उन्होंने इसे आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बनाया है। जैसे दूध के लिए निकालने के लिए मशीन बनाई है लेकिन जिस भी गाय का नाम बुलाते हैं उसके आधार पर वह आती है। इसी प्रकार से गुड़ बनाने की मशीन भी आधुनिक बनाई है ताकि ज्यादा व्यक्ति लगाने की आवश्यकता ना पड़े। 130 एकड़ के खेत में लगभग 10-15 व्यक्ति ही काम पर लगाए होंगे जो होटल भी देखते हैं, भोजन भी बनाते हैं, बाकी भी काम करते हैं। और सहजता के कारण उनकी रूचि भी हैं। ज्यादा चमक दमक वाला ज्यादा पढ़ा-लिखा तो कर्मचारियों में से नहीं दिखाई दिया। आने वालों से शुल्क आदि भी लेते हैं, और हर चीज में किफायत भी है। ऐसा ही मॉडल बिना सरकारी मदद के लंबा चल पाता है
मैं तो यहां पहली बार ही आया हूँ, लगभग 5 घण्टे रहा, काफी कुछ सीखा, और लगा कि जैविक खेती की, जहरमुक्त खेती की बात भी होती है, परन्तु प्रत्यक्ष में सफल चलने वाला, रोजगार व आय देने वाला ये मॉडल देखकर बहुत अच्छा लगा।
(नीचे का चित्र फार्म के द्वार का है जिसमे सबसे लंबा युवा विश्वदीप ज्याणी है, और मेरे साथ उनके माता-पिता है। विश्वदीप ज्याणी अच्छा पढ़ा लिखा व देश विदेश में प्रशिक्षित युवा है, और जैविक कृषि की बहुत अच्छी समझ है। उसीने मुख्यतः हमें घुमाया और जहां वह व्यस्त हो जाता उसके पिता जी या माताजी आगे का समझाते - एक से बढ़कर एक।)