Tuesday, June 7, 2011

स्वदेशी संगठन विस्तार के कुछ आयाम - मध्यभारत द्वारा तेयार


स्वदेशी संगठन विस्तास्वदेशी जागरण मंचसंगठन विस्तार
 स्वदेशी आन्दोलन  ऐतिहासिक ऽ स्वतंत्राता का दूसरा अध्याय आर्थिक संघर्ष

ऽ विकासशील देशों का तथा विकसित देशों की जनता का नेतृत्व शोषणकारी आथिकतंत्र से जूझने में।
 वैचारिक ऽ साम्यवादी व्यवस्था का अपूर्णता के कारण पतन

ऽ पूंजीवादी व्यवस्था द्वारा विश्व जमाज की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व्यवस्था रचना की ठेकेदारी इस परिस्थिति में सामाजिक एकता, समरसता, स्थाई विकास, विविधता का पोषक स्वदेशी आधारित स्वावलम्बी आर्थिक व्यवस्था का निर्माण, विश्व की व्यापक हितों के पोषक के लिए राजनैतिक व्यवस्था का संचालन
 स्वदेशी ऽ मूलतः जन-आन्दोलन परिणति होना है।
आयाम
वैचारिक ऽ स्वदेशी दर्शन - युगानुकूल होना चाहिए। व्यवस्थाओं की बारीकियों का विकास
रचनात्मक ऽ प्रकल्प स्वदेशी समाज रचना विकसित करने के लिए अनुकूल प्रकल्प उसके माध्यम से अभ्यास तथा ऐसे प्रकल्प भिन्न भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग विषयों पर प्रकल्प चलाने वालों से समन्वय
जागरणात्मक - ऽ स्वदेशी व्यवस्थओं पर आक्रमण के संदर्भ में,
ऽ स्वदेशी विचार के कार्यक्रम
संघर्षात्मक ऽ आक्रमण के विरोध में सक्रिय विरोध

कार्यकर्ता ऽ सूक्ष्म बुद्धि (बौद्धिक क्षमता में निरंतर विकास)
ऽ स्वदेशी दृष्टि (ैूंकमेीप टपेपवद)
ऽ राष्ट्र-प्रेम
ऽ जन समीकरण - जनान्दोलन की रणनीति-कला
कार्यकर्ता निष्ठाएं ऽ दैनन्दिन जीवन में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग (टूथपेस्ट, साबून, तैल, इत्यादी)
ऽ भोजन में स्वदेशी (तेल, नमक इत्यादि)
ऽ कपड़े (स्वदेशी कंपनी से निर्मित)
ऽ धार्मिक कार्यक्रमों में स्वदेशी (पूजा-अर्चना, दान इत्यादी)
ऽ स्वदेशी प्रचार प्रसार (प्रतीक के नाते स्वदेशी पत्रिका का सदस्य बनान का कुछ लक्ष्य)

कार्यकर्ता विकास प्रक्रिया ऽ कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर
ऽ स्वदेशी विचार मण्डल (ैजनकल ब्पतबसम)
ऽ अलग-अलग विषयों पर विशेषा से साप्ताहित/पाक्षिक प्रस्तुति तथा चर्चा
ऽ अभ्यास वर्ग (समय-समय पर)
ऽ समाज में जन एकत्रीकरण के विषय एवं स्थानों के बारे में विशेष अध्ययन करना है।



स्व.जा.मं. समिति - ऽ संयोजक
ऽ सह-संयोजक (आवश्यकता के अनुसार संख्या)
ऽ कार्यालय प्रमुख
ऽ कोष प्रमुख (स्वदेशी हितचिन्तक मण्डली का विकास का दायित्व)
ऽ जनसंपर्क प्रमुख प्रवक्ता
ऽ स्वदेशी पत्रिका प्रमुख
ऽ स्वदेशी विचार मण्डल प्रमुख
ऽ स्वदेशी वस्तु/भण्डार विस्तार/प्रचार प्रमुख
ऽ 2, 3 वरिष्ठ समिति के साधारण सदस्य के रूप में।
ऽ युवा प्रमुख
ऽ संघर्ष वाहिनी प्रमुख
ऽ महिला प्रमुख
ऽ प्रकोष्ठ प्रमुख
प्रांत, जिला, नगर, मण्डल स्तर तक स्व.जा.म. का इकाई का गठन शीर्घ करें।
स्व.जा.मं. संचालन समिति ऽ स्व.जा.मं. मुख्य सदस्य
ऽ सहयोगी जन संगठनों के सदस्य (भा.म.सं., भा.कि.सं., रा.से.सं., वि. भारती, वि.हि.प., अ.भा.वि.प., भा.ज.पा.) जिला स्तर तक शीर्घ गठन हो।
स्व.जा.मं. परिषद् ऽ स्व.जा.मं. के समिति सदस्य
ऽ अन्य सहयोगी संगठन के मनोनीत सदस्य
ऽ स्व.जा.मं. पिछले स्तर के अपेक्षित पदाधिकारी
प्रांत स्तर तक शीर्घ गठन हो तथा सक्रिययता बढ़ाया जाना ।
निर्णय प्रक्रिया ऽ कार्यक्रमों की योजना, क्रियान्वयन आंदोलन की रणनीति के लिए बैठक व्यवस्था नियमित प्रारंभ करें।
बैठक ऽ स्व.जा.म. समिति-नगर इकाई (आदर्श स्थिति साप्ताहिक)
ऽ स्व.जा.म. समिति (संचालन समिति) - प्रांत स्तर पर-दो माह में एक बार
ऽ स्व.जा.म.-प्रांत स्तर पर - वर्ष में दो बार परिषद
वर्ष में केन्द्र से कुछ सुझाव
कार्यक्रम ऽ सित. 25-अक्टू.-02 स्वदेशी सप्ताह
ऽ दिस. 12 - स्वदेशी दिवस(बाबू गेनू बलिदान दिवस)
ऽ स्वदेशी मेला
ऽ करके देखो का आयोजन
ऽ स्वदेशी पत्रिका का अभियान सप्ताह
ऽ विदेशी बहिष्कार कार्यक्रम
ऽ स्वदेशी पुरस्कार समारोह
प्रान्त केन्द्र(विशेष) ऽ प्रान्त कार्यालय (स्वतंन्त्र व्यवस्था/स्थान)
ऽ कोष की शास्त्रीय योजना एवं नियंत्रण
ऽ कार्यालय से नियमित रूप से जिला केन्द्र तक सूचना पूर्वक एवं पत्र व्यवहार
ऽ भिन्न-भिन्न विषय (बौद्धिक संपदा आई.पी.आर., एकाधिकार, पेटेन्ट, उर्जा, बीड़ी रोजगार रक्षा, पशुधन इत्यादि पर)
ऽ सशक्त कार्यदल
ऽ बैठकों का क्रम नियमित हो
ऽ प्रवास की उचित व्यवस्था

र के कुछ आयाम - मध्यभारत द्वारा तेयार

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