Friday, December 2, 2011

दशम् राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 11,12,13 नवंबर 2011 देवघर (झारखंड) की कार्यवाही


दशम् राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 11,12,13 नवंबर 2011 देवघर (झारखंड) की कार्यवाही
by Kashmiri Lal on Friday, 2 December 2011 at 18:57

दिनांकः 1 दिसंबर 2011

विषयः दशम् राष्ट्रीय सम्मेलन दिनांक 11,12,13 नवंबर 2011

देवघर (झारखंड) की कार्यवाही

मान्यवर,



दिनांक 11 नवंबर 2011 को झारखंड के देवघर स्थान पर आरोग्य भवन परिसर के रमणीक वातावरण में खुदीराम बोस सभागार में प्रांतः 10ः30 बजे मंच के 10वें राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन हुआ। मंच पर राष्ट्रीय संयोजक श्री अरूण ओझा, सह संयोजक श्री सरोज मित्र, प्रो. बी.एम. कुमारस्वामी, राष्ट्रीय संगठक श्री कश्मीरी लाल, अ.भा.वि.प. के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री सुनील अम्बेकर, वनवासी कल्याण आश्रम से श्री कृपा प्रसाद सिंह, हिन्दुस्थान समाचार से श्री लक्ष्मीनारायण भाला, मंच के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख श्री लालजी भाई पटेल, केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य डॉ. धनपत अग्रवाल, विद्या भारती से श्री जे.आर. जगदीश, श्री निशिकांत दूबे (सांसद), श्रीमति रीता वर्मा (पूर्व केंद्रीय मंत्री), झारखंड के प्रांत संयोजक श्री सचिन्द्र बरियार उपस्थित थे। राष्ट्रीय परिषद सदस्य श्री राजेश उपाध्याय ने अतिथियों का परिचय एवं स्वागत करवाया। मंच की पृष्ठभूमि में बैद्यनाथ बाबा के मंदिर का चित्र एवं महात्मा गांधी, पं. दीनदयाल उपाध्याय, दत्तोपंत ठेंगड़ी, बाबू गेनू एवं बिरसा मुण्डा के चित्र भव्य दृश्य उत्पन्न कर रहे थे। भारत माता के चित्र पर स्वास्तिवाचन के मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ।

स्वागत समिति के अध्यक्ष एवं स्थानीय सांसद श्री निशिकांत दूबे ने श्री मुरलीधर राव, श्री एस.गुरूमूर्ति एवं श्री के.एन. गोविन्दाचार्य का स्मरण करते हुए कहा कि एन.डी.ए. वास्तव में स्वदेशी जागरण मंच ने बनाया था। श्री सुनील अंबेकर ने स्वदेशी को आज का सबेस प्रासंगिक विचार बताया। श्रीमति रीता वर्मा ने कहा कि वैश्वीकरण के पैरोकारों के सारे दावे गलत सिद्ध हुए है।

केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य डॉ. धनपत अग्रवाल ने कहा कि 24 जुलाई 1991 को नई आर्थिक नीतियों की घोषणा हुई। लोक कल्याणकारी सरकारों की आर्थिक नीतियों का मुख्य उद्देश्य होता है- 1. गरीबी घटाना 2. महंगाई घटाना 3. बेरोजगारी घटाना। इन तीनों मानदंडों पर आर्थिक नीतियां बुरी तरह विफल हुई है। घरेलू उद्योग बंद हुए है। कृषि क्षेत्र कमजोर हुआ है। 1991 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 35 प्रतिशत था जोकि आज घटकर 17 प्रतिशत रह गया है। जबकि कृषि पर निर्भर जनसंख्या लगभग उतनी की उतनी ही है। विदेशी निवेश के नाम पर विदेशी कंपनियां आकर कोर सेक्टरों (सीमेंट, फार्मा आदि) पर कब्जा कर रही है। दूसरी ओर स्टॉक मार्किट में विदेशी पैसा आकर उथल-पुथल मचाता है। जिसके फलस्वरूप भारतीय रूपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है। अतः हमें तेल आदि आयातित माल पर ज्यादा भुगतान करना पड़ता है। 1990 में 16 रूपये का 1 डॉलर था। आज 53 रू. के आस पास है। व्यापार घाटा 1991 में 2 बिलियन डॉलर था आज 150 बिलियन डॉलर हो गया है। यह घाटा सकल घरेलू आय का 10 प्रतिशत है। जो कि खतरे के निशान से काफी ऊपर माना जाता है। इस व्यापार घाटे की भरपाई के लिए सरकार बेसब्री से एफ.डी.आई. चाह रही है। ऐसे में यदि हमने खुदरा व्यापर को एफ.डी.आई. की भेंट चढ़ा दिया तो इसके भयानक परिणाम होंगे।

डॉ. धनपत अग्रवाल ने बताया कि तीन प्रकार के संसाधनों से विकास होता है। 1. प्राकृतिक संसाधन, 2. पूंजीगत संसाधन, 3. मानव संसाधन। हाल ही में विश्व बैंक के एक आकलन के आधार पर दुनिया में 64 प्रतिशत मानव संसाधन, 16 प्रतिशत पूंजीगत संसाधन एवं 20 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधन का अनुमान लगाया है। हम अपने मानव संसाधन के बल पर विश्व में आर्थिक शक्ति बन सकते हैं।

श्री अरूण ओझा ने ठेंगड़ी जी का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने 35 वर्ष पूर्व कहा था कि 20वीं सदी के अंत तक साम्यवाद ढह जायेगा एवं वर्ष 2011 तक पूंजीवाद समाप्त हो जायेगा। प्रसिद्ध विचारक श्री फ्रांसिस फुकुयामा ने अपनी पुस्तक एंड ऑफ़ हिस्टरी एंड लास्ट मन (End of History and Last Man में कहा था कि साम्यवाद का अंत हो गया है तथा केवल पूंजीवाद का ही एकछत्र साम्राज्य होगा। उस समय ठेंगडी जी ने कहा था कि 2011 तक पूंजीवाद समाप्त हो जायेगा। आज उन्हीं श्री फ्रांसिस फुकुयामा ने अपनी नई पुस्तक End of American Inc में कहा कि अमरीकी सहायता Aid तथा सलाह Advice को अब कोई नहीं पूछेगा।

श्री अरूण ओझा ने कहा कि भारतीय तत्व चिंतन के आधार पर विकास का मॉडल ही एक मात्र रास्ता है। इसी बात को स्वदेशी जागरण मंच के सभी नेता पिछले 20 वर्षों से कह रहे है। इसी से प्रभावित होकर मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री स्वामीनाथन गुरूमूर्ति को आई.आई.एम. मुंबई ने अपने यहां अति विशिष्ट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया तथा अपने संस्थान के पाठ्यक्रम में इंडियन इकोनोमी एंड बिज़नस मॉडल Indian Economy and Business Model को सम्मिलित किया है। वैश्वीकरण के कारण भारत की जनता ही नहीं अपितु दुनिया सहित अमरीका की जनता भी परेशान हुई है। वहां की 1 प्रतिशत आबादी का वहां की 42 प्रतिशत सम्पत्तियों पर अधिकार है। 2001 से 2007 की 66 प्रतिशत आय वृद्धि मात्र 2.5 प्रतिशत अमीर हड़प गए तथा ये लोग अमरीका के कर संग्रह में मात्र 9 प्रतिशत योगदान करते है। हाल ही में अमरीका में Occupy Wall Street यानी की वाल स्ट्रीट को कब्जायो आंदोलन में दो नारे प्रमुख रूप से चल रहे हैं। 1. हम 99 प्रतिशत है। 2. हम बिक गए, अमरीकी बैंक अमीर हो गए। भारत में जनता न बिके इसलिए 20 वर्ष पूर्व स्वदेशी जागरण मंच का गठन हुआ। 1993 में मंच के सम्मेलन का उद्घाटन घोर मार्क्सवादी न्यायमूर्ति बी.आर.कृष्ण अय्यर ने तत्कालीन बुद्धिजीवियों, आर्थिक चिंतकों पर अत्यंत कठोर टिप्पणी करते हुए कहा था कि Indian intellectuals have become the CALL GIRLS OF AMERICअ अर्थात भारतीय बुद्दिजीवी अमरीका की वेश्या के नाते बर्ताव कर रहे हैं । उन्होंने आह्वान किया था कि सबको एकजुट होकर स्वदेशी जागरण मंच में आना चाहिए। एक अन्य व्यक्ति श्री निखिल चक्रवती ने अपनी पत्रिका MAIN STREAM में 1992 में लिखा कि मेरा आर.एस.एस. से मतभेद है किंतु हम सबकों स्वदेशी जागरण मंच में एकत्रित होकर आना चाहिए। उसके उपरांत श्री जॉर्ज फर्नांडीस, सुश्री रोजा देशपांडे, श्री चन्द्रशेखर, श्री एस.आर. कुलकर्णी, मंच के कार्यक्रमों में भाग लेने लगे।

श्री ओझा ने आह्वान किया कि पहली आजादी का मंत्र खादी था। आर्थिक आजादी की इस लड़ाई का मंत्र हमें खाद को बनाना होगा।

सम्मेलन के प्रमुख एवं झारखंड प्रांत के संयोजक श्री सचिन्द्र बरियार ने आए हुए अतिथियों के प्रति आभार प्रकट किया। इसी के साथ उद्घाटन सत्र समाप्त हो गया।

विशेष वृत्तः महाराष्ट्र में श्री एस.गुरूमुर्ति के द्वारा संबोधित कार्यक्रम में 123 प्रोफेसर, चार्टड अकाउंटेंट उपस्थित रहे, ऐसी जानकारी श्री अजय पत्की ने दी। राजस्थान में चीन के मुद्दे पर 300 स्थानों पर 1000 कार्यक्रम संपन्न होने की जानकारी देते हुए श्री राजकुमार चर्तुवेदी ने बताया कि 5 लाख पत्रक व 50 हजार पुस्तिकाएं वितरित की गई।

श्री कृष्ण शर्मा ने खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के विरोध में पंजाब में 48 स्थानों पर 12346 दुकानदारों के हस्ताक्षर करवाएं जाने के संबंध में बताया तथा आर्थिक मामलों पर अध्ययन व शोध के लिए Centre for Policy and Research संस्था के गठन की जानकारी प्रस्तुत की। उत्तर क्षेत्र में खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के विरोध में 121 स्थानों पर 37711 दुकानदारों के हस्ताक्षर करवाएं जाने की जानकारी श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ ने प्रस्तुत की।

ए.बी.वी.पी. के द्वारा भ्रष्टाचार के विरोध में गठित यूथ अगेंस्ट करप्शन के द्वारा देशभर में चलाए गए अभियान के बारे में श्री गोपाल शर्मा ने बताया। अवध प्रांत में मंच की गतिविधियों पर श्री भोलानाथ मिश्र ने, उड़ीसा के विषय में श्री रमाकांत पात्र, झारखंड के संबंध में श्री राजेश उपाध्याय व दिल्ली के संबंध में श्री गोविन्द राम अग्रवाल ने प्रकाश डाला। झारखंड में गौरक्षा पर हुए आंदोलन के संबंध में श्री ओमप्रकाश गुप्ता ने जानकारी प्रस्तुत की। विद्या भारती में स्वदेशी विषयों पर हुई गतिविधियों के बारे में श्री जे.आर. जगदीश ने बताया। कर्नाटक के बारे में श्री जगदीश राव, केरल की गतिविधियों की जानकारी श्री जनार्दन जी, काशी में मंच के कार्य की जानकारी डॉ. निरंजन सिंह, बिहार का वृत्त श्री दिलीप निराला, इंदौर महानगर में संपन्न हुई गतिविधियों की जानकारी श्री सुरेश बिजोलिया ने प्रस्तुत की। झारखंड में खुदरा आंदोलन के संबंध में श्री बन्देशंकर सिंह ने बताया। झारखंड के श्री कौशल किशोर ने पर्यावरण पर विशेष जानकारी प्रस्तुत की। बाबा रामदेव पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में हरियाणा में आयोजित पदयात्रा के बारे में श्री रघु यादव ने बताया।

राष्ट्रीय विचार वर्गः देशभर में आयोजित 4 राष्ट्रीय विचार वर्गों की जानकारी निम्नलिखित कार्यकर्ताओं ने प्रस्तुत की-

राष्ट्रीय विचार वर्ग पूर्व - श्री विनोद सिंह, पश्चिम - श्री धर्मेन्द्र भदौरिया

उत्तर - डॉ. चन्द्रमोहन, दक्षिण - राम नम्बीनारायण

पारित प्रस्तावः अ.भा. सम्मेलन में निम्नलिखित प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए -

1. विदेशी निवेश के रूप में आर्थिक आक्रमण - इस प्रस्ताव को श्री राघवेन्द्र चंदेल ने प्रस्तुत किया तथा डॉ. प्रियेश ने इसका समर्थन किया।

2. भारतीय कृषि एवं किसानों की हत्या का सिलसिला बंद करो - इस प्रस्ताव को प्रो. कुमारस्वामी ने प्रस्तुत किया तथा डॉ. निरंजन सिंह ने इसका समर्थन किया।

3. भ्रष्टाचार और काला धन-व्यवस्था परिवर्तन की चुनौती - इस प्रस्ताव को श्री सरोज मित्र ने प्रस्तुत किया तथा डॉ. चन्द्रमोहन ने इसका समर्थन किया।

4. वॉलस्ट्रीट कब्जाओ आंदोलन - इस प्रस्ताव को श्री अजय पत्की ने प्रस्तुत किया तथा श्री राम नम्बीनारायण ने इसका समर्थन किया।

समानान्तर सत्रः सम्मेलन में निम्नलिखित विषयों पर समानान्तर सत्र आयोजित किए गए -

1. एफ.डी.आई - प्रो. बी.एम. कुमारस्वामी, श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’, श्री बंदे शंकर सिंह ने इस सत्र को संबोधित किया।

2. देशी चिकित्सा- श्री लालजी भाई पटेल, श्री सतीश महाजन ने इस सत्र को संबोधित किया।

3. महिला - श्री सरोज मित्र, श्रीमति रेणु पुराणिक ने इस सत्र को संबोधित किया।

4. शिक्षा - श्री लक्ष्मीनारायण भाला, श्री जे.आर. जगदीश ने इस सत्र को संबोधित किया।

5. भूमंडलीकरण के वैश्विक संदर्भ - डॉ. अश्वनी महाजन, श्री विक्रमजीत बेनर्जी ने इस सत्र को संबोधित किया।

6. कृषि - श्री नरसिम्हन नायडू ने इस सत्र को संबोधित किया।

सत्र अध्यक्षता - तीन दिन तक चले सम्मेलन में विभिन्न सत्रों में अध्यक्ष तथा विशिष्ठ अतिथि के रूप में निम्नलिखित महानुभाव उपस्थित रहें-

श्री सरोज मित्र, श्री सत्यानंद झा (कृषि मंत्री झारखंड), श्री स्वांत रंजन (क्षेत्रीय प्रचारक), प्रो. बी.एम. कुमारस्वामी, श्री लक्ष्मीनारायण भाला, श्री लालजी भाई पटेल, श्री कृष्ण शर्मा, श्री राज महेन्द्र रेड्डी।

विशेष व्याख्यानः

चीन - अ.भा. संगठक श्री कश्मीरी लाल ने भारत पर 1961 के चीनी आक्रमण का उल्लेख करते हुए याद दिलाया कि भारत सरकार ने उस समय कहा था कि चीन ने हमारे साथ धोखा किया है। सरकार का यह कथन गलत है क्योंकि गुरू गोलवलकर जी व सरदार पटेल ने सरकार को काफी समय पहले से ही बार-बार आगाह कर रहे थे। आज चीन की स्थिति भले ही अच्छी दिख रही हो किंतु वास्तव में चिन्ताजनक है। चीन के कुछ शहर ही चमक रहे है। ग्रामीण चीनों को इन शहरों में कुछ दिन आने के लिए भी परमिट लेना पड़ता है। थ्यानमन चौक पर चीनी छात्रों के भीषण नरसंहार को याद करवाते हुए उन्होंने कहा कि आज भी ग्रामीण चीन में असंतोष के हालात वैसे ही बने रहे है। अतः इनसे ध्यान हटाने के लिए वह भारत पर आक्रमण कर सकता है। आजाद तिब्बत हमसे सुरक्षा चाहता था, किंतु नेहरू जी ने तिब्बत की सुरक्षा का दायित्व चीन को सौंप कर यह अवसर गंवा दिया। इस क्षेत्र की 10 प्रमुख नदियां तिब्बत से ही निकलती है जो दुनिया की आधी आबादी की पानी की जरूरत पूरी करती हैं । आज भारत में लगे हुए चीनी दूरसंचार उपकरण देश में जासूसी का माध्यम बन गये है। चीन हमारे आस-पास के 7 देशों में अपने अड्डे बना चुका है। उनकी नौ सेना हमारे आस-पास के समस्त सागर क्षेत्र में गश्त कर रही है। दिनांक 16 सितंबर 2011 को दैनिक जागरण में प्रकाशित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की 8 पृष्ठ की रिपोर्ट का भी उन्होंने उल्लेख किया।

वैश्विक आर्थिक संदर्भ - मंच के अखिल भारतीय विचार मंडल प्रमुख डॉ. अश्वनी महाजन ने ठेंगड़ी जी का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने 20 वर्ष पूर्व स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना करते समय घोषणा की थी कि आगामी 20 वर्षों में अमरीका और यूरोप की अर्थव्यवस्थाएं धराशायी हो जायेंगी। पिछले 4 वर्षों से हम देख रहे हैं कि ये अर्थव्यवस्थाएं निरंतर रसातल में जा रही है और भयंकर मंदी और बेरोजगारी से गुजर रही हैं।

ग्रीस सम्प्रभुता के संकट में फंसा हुआ है क्यांेकि ग्रीस की सरकार निरंतर ऋण के जाल में फसती जा रही है और अपने ऋणों की अदायगी में असफल होने के कारण यूरोपीय समूदाय के अन्य देशों से सहायता लेने को विवश है। यूरोपीय समुदाय के ताकतवर देश विभिन्न प्रकार की शर्तों को लादकर ग्रीस की अर्थव्यवस्था को बंधक बनाने में जुटे है। ग्रीस जिसका ऋण 3 वर्ष पहले उनकी जी.डी.पी. का 80 प्रतिशत ही था, जो अब बढ़कर 145 प्रतिशत पहुंच गया है। पूर्तगाल, ईटली और अन्य कई यूरोपीय देश भारी संकट से गुजर रहे हैं। अमरीका में जी.डी.पी. से 4 गुना कर्ज वहां की जनता ने ले रखा है। 2008 की मंदी से बैंकों को बचाने की लिए 1.6 ट्रिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज बैंकों को दिए गए। इसके फलस्वरूप अमरीकी सरकार भी भारी कर्ज के बोझ के तले दबी है। वहां उद्योग धंधे खत्म हो रहे हैं तथा वहां की जनता बचत नहीं करती। आज अमरीकी सरकार भी अपने कर्ज को चुका पाने में असमर्थ हो चुकी है और उसे मजबूरन अमरीकी संसद में अपने कर्ज की सीमा को बढ़ाने के लिए प्रस्ताव करना पड़ा।

मंच के गठन से पहले भी ए.बी.वी.पी., भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ इस लडाई को लड़ रहे थे। 1987 में उरूग्वे दौर की वार्ताओं में कंपनियों ने अपने देश की सरकारों पर यह दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया था और इसके चलते अमरीकी सरकार एवं यूरोपीय सरकारों के दबाव में भारत सहित विकासशील देशों को गैट की शर्तों को मानने के लिए बाध्य किया गया। राजीव गांधी को अमरीका के व्हाईट हाउस में रात्रि को बुलाया गया। गैट वार्ताओं के अंतिम चरण की रात्रि में जब सारा देश सो रहा था, तब भारत सरकार ने गैट की शर्तों को मानकर जनविरोधी बाध्यकारी समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिए थे। पेटेंट कानूनों में बदलाव, कृषि वस्तुओं का व्यापार वार्ताओं में शामिल होना, विदेशी कंपनियों को निवेश की अनुमति मिलना और सेवा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों का देश में प्रवेश इत्यादि इन्हीं समझौतों के कारण हुआ। इसके दुष्परिणाम आज हमें सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रहे हैं।

भारतीय दवा उद्योग - केरल के श्री के.वी. बीजू ने भारतीय दवा उद्योग के विदेशियों के हाथों में चले जाने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत दवा के क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है किन्तु सस्ते मूल्यों के मामले में वह दुनिया में 14वें स्थान पर आता है। उन्होंने बताया कि एक सोची समझी राणनीति के तहत विदेशी कंपनियां भारत की दवा कंपनियों का अधिग्रहण करती जा रही है, ताकि देश के दवा उद्योग पर उनका एकाधिकार स्थापित हो जाये। उन्होंने पिछले 5 वर्षों में विदेशी कंपनियों के हाथों बिकी हुई भारतीय कंपनियों का आंकड़ा प्रस्तुत किया। मत्रिक्स Lab को अमरीका की My lan Inc ने अगस्त 2006 में 736 मिलियन डॉलर, Dabur Farma को सिंगापुर की Fresenius Kabi ने अप्रैल 2008 में 219 मिलियन डॉलर, Ranbaxi Laboratory को जापान की Daiichi Sanyo ने जून 2008 में 4.6 बिलियन डॉलर, Shanta Biotec को फ्रांस की Sanofi Aventis ने जुलाई 2009 में 783 मिलियन डॉलर, Orchid Chemicals को अमरीका की Hospira ने दिसंबर 2009 में 400 मिलियन डॉलर, Piramal Healthcare को अमरीका कीAbott Laboratories ने मई 2010 में 3.72 बिलियन डॉलर में खरीद लिया है। अमरीका के दबाव के कारण देश में लागू किए गए नये पेटेंट कानून तथा विदेशी कंपनियों के द्वारा भारतीय कंपनियों की खरीद को परस्पर जोड़कर देखा जाना चाहिए। इसके फलस्वरूप आने वाले समय में इलाज के भारी खर्च आम आदमी की कमर तोड़ देंगे।

जी.एम. फूड़ - इंडियन कॉन्सिल फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR ), पूसा नई दिल्ली के पूर्व निदेशक (यह पद उपकुलपति के समकक्ष होता है) श्री गोपाल त्रिवेदी, जो कि देश के जाने माने कृषि वैज्ञानिक भी है, ने कहा कि अपने देश में जैविक खेती से धान की जितनी उपज होती थी वह आज तमाम रसायनिक खादों एवं कीटनाशकों के बावजूद नहीं हो पाती। विज्ञान का उपयोग सर्वसमावेशी विकास के किया जाना चाहिए। जी.एम. के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पौधों में अलग-अलग विशेष गुण/सैल होते है। उनमें जीन होते है, जोकि सब कुछ नियंत्रण करते है। इन जीन्स में डी.एन.ए. होता है। डी.एन.ए. को एक दूसरे पौधे में डाला जा सकता है। पहले यह काम एक ही प्रजाति के पौधों में किया जाता था किंतु अब जी.एम. तकनीक के द्वारा विभिन्न नस्लों/प्रजातियों के खाद्यान्नों में इसकों डाला जा रहा है। जैसे कि आलू जो कि कार्बोहाईड्रेट का मुख्य स्रोत है उसमें प्रोटीन के लिए दाल का जीन डाला जा रहा है। इस कारण आलू का कार्बोहाईड्रेट डिस्टर्ब होता है, यह खतरनाक है। पशुओं के जीन शाकाहारी खाद्यान्नों में डाले जा रहे है। एक शाकाहारी महिला को पता ही नहीं चलेगा कि वह कब मांसाहारी हो गई। बीटी कॉटन से बना कपड़ा मानव देह के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है। जी.एम. तकनीक पर्यावरण के लिए भी बड़ा खतरा है। इसके पौधे/परागण अपने चारों ओर की फसलों एवं मिट्टी को भी नष्ट करते हैं। अपने देश में साधारण चीजों के लिए ही REGULATORY MECHANISM नही है तो विदेशी कंपनियों की ऐसी जटिल एवं कुटिल तकनीकी चालों को हम नियंत्रित कैसे कर पायेंगे?

उन्होंने एक वैज्ञानिक के नाते यह घोषणा की कि जी.एम. फूड ना तो भारत की जरूरत है तथा ना ही यह कृषि के लिए सुरक्षित है।

सन्देश यात्रा एवं सार्वजनिक सभा - दिनांक 12 नवंबर 2011 को दोपहर 3.00 बजे देवघर स्टेडियम में देशभर से आए हुए सभी प्रतिनिधि अपने-अपने प्रांत के झंडे बैनर उठाए एकत्रित हो गए। श्री अरूण ओझा सहित मंच के वरिष्ठ पदाधिकारी शोभायात्रा में आगे-आगे चल रहे थे। मार्ग में अनेक स्थानों पर नागरिकों ने जलपान एवं स्वागत की व्यवस्था आयोजित की। क्षेत्रीय सांसद श्री निशिकांत दूबे प्रतिनिधियों का स्वागत कर रहे थे। झारखंड के संथाल आदिवासियों एवं आंध्र से आए हुए लोक कलाकारों के द्वारा पारम्परिक नृत्य प्रस्तुत किया जा रहा था।

यह शोभा यात्रा देवघर के मुख्य बाजारों से होते हुए आर.मित्रा हाईस्कूल के विशाल मैदान में जनसभा के रूप में परिवर्तित हो गए। मंच पर श्री अरूण ओझा, श्री के.एन. गोविन्दाचार्य, श्री अपाला प्रसाद, श्री अन्नदा पाणीग्रही, श्री दिनेश मंडल, श्री सचेन्द्र बरियार, श्री बंदेशंकर सिंह एवं श्री राजेश उपाध्याय उपस्थित थे। श्री दिनेश मंडल ने मंच संचालन करते हुए अतिथियों का स्वागत करवाया। श्री विनोद कुमार ने स्वदेशी गीत ‘‘मद मस्त स्वदेशी भारी है - अब एक ही धुन जय जय भारत।’’ प्रस्तुत किया। श्री अरूण ओझा ने आंध्र प्रदेश से आए हुए लोक कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

श्री अन्नदा पाणीग्रही ने सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए उड़ीसा में वेदान्त कंपनी के द्वारा कृषि भूमि को कोडियों के भाव लूटने के विरोध में मंच के आंदोलन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार खाद्य सुरक्षा बिल लाती है तो साथ ही साथ दूसरी ओर कृषि भूमि अधिग्रहण भी करती है। ये दोनों चीजें साथ-साथ नहीं चल सकती। उन्होने वेदान्त कंपनी दुआर भूमि सरकारी मिलीभगत के साथ भू-अधिग्रहण और उसके खिलाफ सफल जनांदोलन की उप्लाभ्धि का जिक्र किया .उन्होंने सरकार और कारपोरेट कंपनियों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार के द्वारा लाया जा रहा Food Security Bill वास्तव में Corporate Security Bill है।

श्री अपाला प्रसाद ने सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आंध्र प्रदेश से आया हूं तथा यह मेरा पहला हिन्दी भाषण है। उन्होंने कहा कि हमनें आजादी के 65 वर्षों में से 45 वर्ष तक रूस की नकल करी और अब पिछले 20 वर्षों से अमरीका की नकल कर रहे हैं। जिसके फलस्वरूप आज स्थिति ऐसी है कि गरीब जनता को दिन में एक समय की रोटी भी नहीं मिल पा रही है। उन्होंने आंध्र के दुबाका, मेडक, कप्पलदोड्डी, कृष्णा आदि जिलों में बुनकरों की दयनीय हालत का मार्मिक चित्रण करते हुए बताया कि उन्हें ना तो कच्चा माल मिलता है, ना ही वे माल बेच पाते है तथा सरकार भी उनको ऋण नहीं देती। 2003 से लेकर 2011 तक 10 गांवों में 125 बुनकर आत्महत्या कर चुके हैं। उनका दाह संस्कार भी चन्दा एकत्रित करके किया गया। मंच ने उनके समर्थन में आंदोलन चलया, जिसमें हमें उनकी स्थिति को सुधारने में सफलता मिली तथा सरकार ने 1 हजार परिवारों को 35 किलों चावल प्रति माह देना प्रारंभ किया। मंच ने भी इस संबंध में एक सोसायटी का गठन किया है, जिसमें अनेक बुनकर कार्यरत है। श्री अपाला प्रसाद ने आंध्र में हल्दी किसानों के शोषण के विरोध में डेढ़ वर्ष तक चलाए गए आंदोलन के बारे में बताते हुए कहा कि मंच के 20 हजार कार्यकर्ताओं ने नेशनल हाईवे 7 (हैदराबाद-नागपुर हाईवे) पर धरना देकर हाईवे को जाम कर दिया। 7 दिन की पदयात्रा निकाली गई। 7 दिन का अनशन किया गया। दिल्ली में 2 बार किसानों को ले जाकर धरना दिया। तब जाकर इस लड़ाई में सफलता मिली। किसान की जो हल्दी 2003 से लेकर 2007 तक 2100 रू. कुंतल बिकती थी वह 2008-2010 में 14000 रू. कुंतल के मूल्य पर बिकी। सरकार ने भी इस संबंध में न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा सरकारी खरीद के बारे में विचार करने का आश्वासन दिया है।

श्री अरूण ओझा ने बैद्यनाथ धाम की भूमि के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि इस पवित्र भूमि पर दान का कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। अतः मैं अपने भाषण का समय मुख्य वक्ता श्री के.एन. गोविन्दाचार्य को दान में देता हूं।

स्वदेशी के प्रख्यात चिंतक एवं विचारक श्री के.एन. गोविन्दाचार्य ने अपना विस्तृत भाषण भारत की पवित्र भूमि पर मनुष्य जन्म के महत्व से प्रारंभ किया। उन्होंने कहा कि पिछले 200 वर्षों में दुनिया को जिस तरफ ले जाने की कोशिश की गई उसके परिणामस्वरूप आज दुनिया फिर एक चौराहे पर खड़ी है और पूछ रही है कि कहां जाएं? अमरीका में 4 करोड़ लोग सरकारी फूड कूपन पर जीवन बिता रहे हैं। 18 राज्यों में आक्यूपाई वालस्ट्रीट आंदोलन फैल चुका है। ईटली, ग्रीस, जर्मनी, पूर्तगाल, स्पेन का क्या होगा?

कालेधन पर उन्होंने कहा कि दुनिया में 70 देशों में काला धन रखा जा सकता है। इनमें से 28 देश इंग्लैंड के उपनिवेश है। इन 70 देशों में भारत के भ्रष्ट राजनेताओं, भ्रष्ट अफसरों एवं भ्रष्ट कारपोरेट का पैसा जमा हैं। जिसके कारण से देश की जनता में असंतोष है। जनता के असंतोष से ध्यान हटाने के लिए सरकार 6 कानून बनाने की कोशिश कर रही है-

1. भूमि अधिग्रहण कानून, 2. खाद्य सुरक्षा कानून, 3. बीज कानून, 4. खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश 5. बैंकों में विदेशी निवेश, 6. रियल एस्टेट में विदेशी निवेश।

ये सभी कानून बड़ी-बड़ी कंपनियों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं। इससे जल, जमीन, जानवर, जंगल और जनता सब गहरे संकट में फसते चले जा रहे हैं। उन्होंने देश में दुधारू पशुओं की गिरती हुए संख्या का उदाहरण देते हुए बताया कि जहां देश में एक व्यक्ति पर 6 मवेशियों का अनुपात था वहीं आज देश में केवल 7 करोड़ दुधारू पशु रह गए हैं तथा इनका प्रति पशु दुध का औसत 2 लीटर है। ऐसे में देश के बच्चों को दुध कहां से मिलेगा। जंगल का फैलाव जो कि 33 प्रतिशत होना चाहिए वह आज मात्र 7 प्रतिशत रह गया है, ऐसे में वर्षा कैसे होगी?, पर्यावरण कैसे संभलेगा? देश की 77 प्रतिशत जनता 20 रू. से कम में गुजारा करने को मजबूर है। यह कैसा विकास है?- यह किसका विकास है?- यह किस लिए विकास है? विकास का यह मॉडल नहीं चलेगा। हमें विकास का नया अर्थशास्त्र, नया पैमाना एवं नयी अवधारणा बनानी होगी।

स्वदेशी जुटान - श्री सरोज मित्र ने स्वदेशी जुटान के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि देश की जनता में इतना आक्रोश व्याप्त हो गया है कि वे विकल्प एवं नेतृत्व के लिए बेस्रबी से तलाश कर रहे है। दिल्ली में संपन्न हुआ जुटान उसका जीता जागता प्रमाण है। मंच को नेतृत्व लेते हुए इस मुद्दे पर देश भर की सज्जनशक्ति को एकत्रित करना होगा।

आगामी कार्यक्रम - श्री कश्मीरी लाल ने प्रतिनिधियों का आवाह्न करते हुए आगामी वर्ष के लिए निम्नलिखित कार्यक्रमों की घोषण की-

1. चीन पर कार्यक्रम- दिनांक 14 मार्च 2012 से 30 मार्च 2012 तक चीन से देश को आर्थिक, सामरिक, जासूसी आदि संबंधी खतरों के प्रति आगाह करते हुए यह कार्यक्रम सभी जिलों में आयोजित करने है। इस संबंध में श्री कश्मीरी लाल से साहित्य प्राप्त किया जा सकता है।

2. स्वदेशी जुटान- दिल्ली में संपन्न हुए स्वदेशी जुटान के आधार पर सभी प्रांतों ने अपने यहां भ्रष्टाचार एवं व्यवस्था परिवर्तन के मुद्दे पर स्वदेशी जुटान आयोजित करने हैं। इन जुटानों में प्रांत के सभी जिलों/तहसील से प्रमुख लोगों की भागीदारी रहे, इसके लिए जुटान समिति का गठन करके स्थान-स्थान पर यह कार्यक्रम करने है।

3. बायोडाईवर्सिटी रेग्यूलेटरी अथोरिटी ऑफ इंडिया (BRAI)- देशी बीजों एवं देशी कृषि को नष्ट करने वाले इस प्रस्तावित कानून के विरोध में कृषि कॉलेजों, कृषि वैज्ञानिकों एवं किसानों को जोड़ते हुए सभी प्रांतों ने कार्यक्रम करने है। इस संबंध में श्री का लेख Monsanto: It’s true colour K.P. Prabhakaran Nair था अन्य साहित्य श्री कश्मीरी लाल से प्राप्त किया जा सकता है।

4. खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश- इस मुद्दे पर सभी प्रांतों ने अपने यहां प्रभावी कार्यक्रम आयोजित करने है।

5. भूमि अधिग्रहण- देश भर से भूमि अधिग्रहण कानून के संबंध में सामग्री एकत्रित करके डॉ. अश्वनी महाजन इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे।

6. क्षेत्र/प्रांत संयोजकों-सहसंयोजकों एवं प्रांत संगठकों की बैठक- दिनांक 18, 19 फरवरी 2012 को नयी दिल्ली स्थित मंच के केंद्रीय कार्यालय में सभी प्रांत/क्षेत्र संयोजक/सहसंयोजकों की बैठक आयोजित की जायेगी।

7. राष्ट्रीय परिषद बैठक- दिनांक 19, 20 मई 2012 को आगरा (उ.प्र.) में राष्ट्रीय परिषद की बैठक आयोजित की जायेगी।



नयी नियुक्तियां- मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री अरूण ओझा ने निम्नलिखित कार्यकर्ताओं को दायित्व प्रदान किया।

1. श्री दिनकर पराशर (पंजाब) - राष्ट्रीय परिषद सदस्य

2. श्री पवन सरदाना (पंजाब) - राष्ट्रीय परिषद सदस्य

3. श्री जनार्दन सिंह - संयोजक, अवध प्रांत

4. श्री भोलानाथ मिश्र - सहसंयोजक, अवध प्रांत

5. श्री विनोद सिंह - क्षेत्रीय संयोजक (बिहार, झारखंड)

6. श्री अखिलेश कुमार - सह प्रांत संयोजक, बिहार

7. श्री दिलीप कुमार सिंह - सह प्रांत कोष प्रमुख, बिहार

8. श्री संजीव कुमार सिंह - सह प्रांत कार्यालय प्रमुख, बिहार

9. श्री मोहन पंवार - प्रांत संयोजक, छत्तीसगढ़

10. श्री दिनेश शर्मा - सह प्रांत संयोजक, छत्तीसगढ़

11. श्री सुब्रत मंडल - प्रांत संगठक, बंगाल

12. श्री नरेन्द्र ठाकुर - सह प्रांत संयोजक, छत्तीसगढ़

13. श्री नरेन्द्रपाल सिंह (ग्वालियर) - राष्ट्रीय परिषद सदस्य

14. श्री अशोक शर्मा (उज्जैन) - राष्ट्रीय परिषद सदस्य

15. श्री रमाकांत मिश्र (रायपुर) - राष्ट्रीय परिषद सदस्य

16. श्री विष्णु सिंह (झारखंड) - राष्ट्रीय परिषद सदस्य

17. श्री सुरेश बिजौलिया (इंदौर) - राष्ट्रीय परिषद सदस्य

समारोप सत्र - बंगाल के श्री पार्थसारथी बैनर्जी ने बंग्ला गीत प्रस्तुत किया। सम्मेलन की आयोजन समिति के प्रमुख एवं झारखंड प्रांत संयोजक श्री सचिन्द्र बरियार ने व्यवस्था में लगे हुए सभी कार्यकर्ताओं का परिचय करवाया।

श्री अरूण ओझा ने कहा कि 1947 ई. में जब देश आजाद हुआ तब हम दुनिया के कर्जदार नहीं थे। 1951 में पहली बार हम 32 करोड़ रूपये के कर्जदार बने। देश को विकास के जिस रास्ते पर सरकारों के द्वारा ले जाया गया उसके परिणामस्वरूप आज हम अपने कुल रक्षा खर्च से 3 गुणा ज्यादा केवल विदेशों से लिए हुए कर्ज का ब्याज के रूप में दे रहे है। आज देश नये रास्ते की तलाश में है। यह रास्ता बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय का ही हो सकता है। हमें नए युग का सूत्रपात करना होगा। ईश्वर इसके लिए हम सबकों शक्ति प्रदान करें।

श्री कृष्ण शर्मा (पंजाब) ने सम्मेलन में आए हुए प्रतिनिधियों का धन्यवाद किया तथा अवध प्रांत की श्रीमति नीरा सिन्हा ने अपनी सुमधुर वाणी में वंदेमातरम का गान किया। इसी के साथ मंच का 10वां राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हो गया।

No comments:

Post a Comment