गणपति बाप्पा मौरया का मतलब जानते हैं क्या आप? मौरया एक 14vi शताब्दी का संत था जिसने गणेश जी की सालों पूजा अर्चना की और गनेस्श जी ने प्रगट होकर आशीर्वाद मांगने को कहा? उसने कहा न तो मेरा कोई बीटा बेटी है और न ही कोई सगा सम्बन्धी. तो धन दौलत किसके लिए मंगू. बस प्रभु साल में एक बार आपके साथ मेरा भी कोई बाम लेले तो लोगो का भागती करने में आस्था बढ़ेगी. तथास्तु कहा गणपति जी ने की एक्ब्दीन नहीं दस दिन तक मेर्साथ तुम्हारा भी नाम हर कोई रटेगा. लेकिन गणेश विसर्जन पहले तो भी होता था पर लोग अकेले अकेले करते थे. जब से श्री बल गंगाधर तिलक ने सोचा की गुलामी में काल में लोगो को कैसे इकाठाथा किया जाये तो उन्होंने दो उस्तव सामूहिक कर सारे समाज में अंग्रेजो का भय ख़त्म किया था. एक उत्सव था शिवाजी जयंती और दूसरा था गणेश चतुर्थी. आज लाखो लोग सामूहिक रूप से गणेश विसर्जन को जातेहैं. सो गणपति की जय मैय्ने भारत मत की जय ही है.
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