स्वदेशी का कार्यकर्ता, व्यवहार एवं कार्यपद्धति
कार्यकर्ता के चार गुण
1. समझ, समझा सके, समय दे सकता हे, समर्पण
2. व्यवहार:
जोड़ने वाला, सकारात्मक, योजनापूर्वक, या व्यवस्थित, सादगीपूर्ण।
कार्यपद्धति:
मंचीय व्यवस्था, या गुरिल्ला युद्ध प्रणाली
,टीम वर्किंग,
रेस्पॉन्सिव कोऑपरेशन विथ गवर्नमेंट, तथा राजनीती से समानांतर,
ये कार्यपद्धति भी हमारी धीरे धीरे इवॉल्व हुई है, यानी विकसित हुई है।
कुछ बातें तो 22 नवम्बर 91 को ही दो दिवसीय बैठक में ही तय हुई है
1. मंच है संस्था नहीं। विधिवत सेना एवं छापेमार टुकड़ी की तुलना।
2. सरकार कोई भी हो उससे व्यवहार कैसा, यानी रेस्पॉन्सिव कोऑपरेशन। मतलब अगर सुन रही है, रिस्पांस दे रही है तो हमारा भी सकारात्मक प्रतिक्रिया और आहार सुन ही नहीं रही है तो हमारे भी धरने आंदोलन में बढ़ोतरी करना।मायने मुरासोली मारन ने सुनी तो दोहा में हमारा भी रवैया सहयोगात्मक। लेकिन बार बार बात करने पर भी कोई जन सुनवाई नहीं तो रामलीला मैदान पर एफडीआई के मामले में भाजपा सरकार के खिलाफ धरना दिया। कभी wto में अच्छी प्रस्तुति पर सन्मान किया, जरूरत पड़ी तो भूमिअधिग्रहण के खिलाफ जंतर मंतर पर विशाल प्रदर्शन भी किया।
तीन कामों : रचनात्मक, अन्वेषणात्मक, एवं प्रचारात्मक में से रचनात्मक तो ओने लाइफ न मिशन का काम, के एवायं चक्कर में न पड़ना बल्कि प्रचारात्मक में ज्यादा रखना ।
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