गाँधी जी कहते हैं
1. Gandhi Speaks - 5 Civil disobedience becomes a sacred duty when the state becomes lawless or corrupt. जब राज्य कानून विहीन या भ्रष्ट हो जाता है तब असहकार पवित्र फ़र्ज़ बन जाता है।
2.Gandhi Speaks - The moment the slave resolves that he will no longer be a slave, his fetters fall. Freedom and slavery are mental states. जिस क्षण कोई गुलाम यह तय करे कि अब वह गुलाम नहीं रहेगा, उसी क्षण उस की जंजीरें टूट जाती है। स्वतंत्रता और गुलामी एक मानसिक स्थिति होती है।
3. I understand democracy as something that gives the weak the same chance as the strong. मैं लोकतंत्र को ऐसी कुछ बात समझ रहा हूं कि इस में दुर्बल व्यक्ति को भी सबल व्यक्ति जितने ही अवसर प्राप्त हों। 4. स्वदेशी: Much of the deep poverty of the masses is due to the ruinous departure from Swadeshi in the economic and industrial life. If not an article of commerce had been brought from outside India, she would be today a land flowing with milk and honey! लोगों की भारी गरीबी मोटे तौर पर आर्थिक एवं औद्योगिक जीवन में से स्वदेशी की विनाशक बिदाई है। भारत के बाहर से किसी भी व्यापारी चीज़ अगर नहीं लाई जाती तो आज इसमें दूध और मध की नदियां वाली भूमि होती।
Speaks -4, In democracy, individual's opinion and actions are carefully protected. Therefore, I believe that minority has full rights to behave differently from that of majority. लोकतंत्र में व्यक्ति के मत और कार्य की स्वतंत्रता की सावधानी से रक्षा की जाती है। इस लिए मेरी मान्यता है कि अल्प मत को बहुमत से भिन्न आचरण करने का पूरा अधिकार है। लोकतंत्र कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि जिसमें लोग भेड़ों की तरह बर्ताव करें। अंतरात्मा की आवाज़: The only tyrant I accept in this world is the still voice within. इस जगत में मैं सिर्फ एक ही त्रासवादी का स्वीकार करता हूं और वह है मेरे अंदर से आ रही मजबूत आवाज :
5. Gandhi Speaks - In matters of conscience, the law of majority has no place. अंतरात्मा के मामले में बहुमत के कानून का कोई स्थान नहीं है।
6.Speaks : The spirit of democracy cannot be superimposed from the outside. It must come from within. Freedom is like birth. Till we are fully free, we are slaves. बाहर से लोकतंत्र की भावना थोपी नहीं। जा सकती। वह तो अंदर से आनी चाहिए। स्वतंत्रता तो जन्म जैसी है। हम सम्पूर्ण स्वतंत्र हों वहां तक हम गुलाम ही होते हैं।
7. A 'No' uttered from the deepest conviction is better than a 'Yes' merely uttered to please, or worse, to avoid trouble. पूर्ण निष्ठा के साथ कही गई 'ना', यह सिर्फ किसी को खुश करने हेतु या, इस से भी बदतर, मुसीबत टालने हेतु कही गई 'हां' से ज्यादा अच्छी है।
8. No government on Earth can make men, who have realized freedom in their hearts, salute against their will. पृथ्वी पर की कोई भी सरकार ऐसे मनुष्यों को उन की इच्छा के ख़िलाफ़ सलामी देने वाले नहीं कर सकती जिन्होंने अपने हृदय में स्वतंत्रता सिद्ध कर ली है।
10. असली अर्थशास्त्र: The economics which preaches worship of wealth and allows the powerfuls to amass wealth at the cost of the weak, is wrong economics, and it is fatal. जो अर्थशास्त्र धनपूजा का उपदेश दिया करता हो और जो अशक्त लोगों की कीमत पर शक्तिमान लोगों को धन संचय करने देता हो, वह गलत शास्त्र है, और वह घातक है।
11. Nothing is more shameful in the whole history for the human intelligence than the acceptance of the remedies offered by present economics as a science
. वर्तमान अर्थशास्त्र के उपायों को विज्ञान के रूप में स्वीकार करना उस से ज्यादा शर्मनाक चीज़ मनुष्य बुद्धि में समूचे इतिहास में दूसरी कोई नहीं है। Speaks
12. If we establish power of ethics instead of wealth in our homes, in our palaces and in our temples, we will be able to fight any kind of a group of enemies without suffering from the burden of a gaint military. Only this is real economics.
अगर अपने घरों में, अपने महलों में, अपने मंदिरों में हम धन की सत्ता के बजाय नीति की सत्ता को प्रस्थापित करेंगे तो, बड़ी सैना का भार बर्दाश्त किए बिना हम किसी भी प्रकार के शत्रु समूह के सामने लड़ सकेंगे। यही सच्चा अर्थशास्त्र है।
13. The economics which ignores ethics and emotions is like a wax statue, life can't enter into it.
जो अर्थशास्त्र नीति एवम् भावनाओं का अनादर करता हो वह मोम के पुतले जैसा है, उसमें जीवन का प्रवेश नहीं हो सकता।
14. Every human being has a right to life and therefore, he as a right to acquire means for his own nutrition and own clothings and house wherever needed. But, we don't need any help of economists or their theories for this very simple function.
हरेक मनुष्य को जीवन जीने का हक है और इसी लिए उसे अपने पोषण करनेके साधन एवम् जहां ज़रूरत हो वहां वस्त्र और घर प्राप्त करने का हक है। लेकिन, इस अति आसान कार्य के लिए हमें अर्थशास्त्रीओंकी और उन के सिद्धांतों की सहायता की कोई आवश्यकता नहीं।
15. The economics which damages the moral well-being of an individual or a nation is unethical and therefore sinful. जो अर्थशास्त्र व्यक्ति या देश की नैतिक कुशलक्षेम को हानि पहुंचाता है वह अनैतिक है और लिए पापी है।
16. The economics which allows hunting of one country by another country is immoral. जो अर्थशास्त्र एक देश को दूसरे देश का शिकार करने की अनुमति देता है वह अनैतिक है। Source: Young India, 13-10-1921.
17. A poor and illiterate person is a very big person than the clever trader, lawyer or doctor who earns money through improper means. अयोग्य साधनों से पैसे कमाने वाले चतुर व्यापारी, वकील या डॉक्टर से तो गरीब और निरक्षर व्यक्ति बहुत बड़ा आदमी होता है। Speaks - 41 [11/28, 22:46]
: ऋतस्य श्लोको बधिरा ततर्द । - (ऋग्वेद, 4.23.8) सत्य की प्रशंसा बहरों के भी कानों को खोल देती है। [11/29, 06:03]
18. Speaks - 59 Economic equality is the prime key of perfect non-violent swaraj. आर्थिक समानता अहिंसक पूर्ण स्वराज की प्रमुख चाबी है।1 29-11-2018. [11/30, 06:01]
19. Speaks - 60 Working for economic equality means ending of a permanent quarrel between capital and labour.
आर्थिक समानता के लिए काम करने का अर्थ है पूंजी और मजदूरी के बीच की स्थायी लड़ाई को मिटाना। . [12/1, 06:01]
20.Speaks - 61 My ideal is equal distribution but it is not possible to achieve till I see, therefore, I work for the just distribution. मेरा आदर्श समान वितरण का है पर मैं देख सकूं वहां तक इसकी सिद्धि संभवित नहीं है इस लिए मैं न्यायी वितरण के लिए कार्य करता हूं। . [12/2, 06:21]
21. Gandhi Speaks - Swaraj of my dream is the Swaraj of the poor. All the needs of life used by the king and the rich class should also be easily available to the poor. मेरे सपने का स्वराज गरीबों का स्वराज है। राजा और अमीर लोग जीवन की जिन ज़रूरतों का इस्तेमाल करते हैं वे उनको भी सुलभ होनी च
22. Speaks - Coal made of burnt woods may have become cheaper after the fire, bricks of fallen house may have become cheaper after the earthquake, but nobody would dare to say that fire and earthquake were beneficial to the people. आग लगने के बाद लकड़े जलके बने कोयले सस्ते हो सकते हैं, भूकंप आने के बाद गिरे हुए घरकी इंटें सस्ती हो सकती हैं, लेकिन इस से आग और भूकंप प्रजा के लाभ के लिए हुए ऐसा कहने की हिम्मत कोई नहीं करेगा। (चीन व ऐमज़ॉन के बारे में ठेड़क है)
23. Speaks - It is useless talking about India's freedom by those people who are not glad in their hearts by seeing goods produced by our poor artisans and who do not wish to renounce something for them. हमारे गरीब कारीगर स्त्री- पुरुषों द्वारा बनाई चीजों को देख कर जिन का हृदय प्रसन्न नहीं होता, जिन्हें उनके लिए थोड़ा त्याग करने का मन नहीं होता, वे भारत की स्वतंत्रता की बात करे यह बेकार की बात है
24. Gandhi Speaks -
Only those companies can be called Swadeshi where control, management and administration by a managing director or a managing agent are in the hands of Indians.
जिन कंपनीओं में नियंत्रण, प्रबंधन एवम् मेनेजिंग डायरेक्टर या मेनेजिंग एजेंट द्वारा चलनेवाला प्रशासन भारतीयों के हाथ में हो उसे ही स्वदेशी कहा जा सकता है। :
25.Gandhi Speaks - I cannot expect to establish economic equality of my imagination. If it is to be established, I will have to drag myself to the situation in which the most poor person lives.
मैं अपनी कल्पना की आर्थिक समानता की स्थापना करने की आशा नहीं रख सकता। अगर इस की स्थापना करनी हो तो मुझे अपने आप को गरीबों में भी जो गरीब है, उस की स्थिति में ले जाना चाहिए।
26.speaks - I cannot expect to establish economic equality of my imagination. If it is to be established, I will have to drag myself to the situation in which the most poor person lives. मैं अपनी कल्पना की आर्थिक समानता की स्थापना करने की आशा नहीं रख सकता। अगर इस की स्थापना करनी हो तो मुझे अपने आप को गरीबों में भी जो गरीब है, उस की स्थिति में ले जाना चाहिए।
27. We all should do that kind of labour for one hour which is being done by the poor and in that way we will achieve solidarity with them and through them with the whole humankind. I can not imagine a more noble or national work than that labour.
हम सब एक घंटे के लिए गरीबों को जो मजदूरी करनी पड़ती है वह करें और इस तरीके से हम उन के साथ और इन के द्वारा समूची मानवजात के साथ एकता सिद्ध करें। इस से ज्यादा अच्छा या राष्ट्रीय कुछ और भी हो सकता है,ऐसी कल्पना मैं नहीं कर सकता।
28. Speaks - Each and every individual should do physical labour for bread, the body should be bent, that is the Divine Rule.
रोटी के लिए प्रत्येक मनुष्य को मजदूरी करनी चाहिए, शरीर को मोड़ना चाहिए, यह ईश्वरीय नियम है। The state is a necessary evil. We need it to protect our rights...the state has to tax us to protect us, and the violence it thus commits is necessary to protect us from greater violence.
29. राज्य एक अनिवार्य अनिष्ट है। अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हमें इस की आवश्यकता है.... राज्य को हमारी रक्षा हेतु हम से कर वसूली करनी पड़ती है, और इस तरीक़े से वह जो हिंसा करता है वह ज्यादा हिंसा से हमारी रक्षा करने के लिए आवश्यक है। By Amit Varma (Indian writer, 1945 - ):
30. Speaks - In cities and palaces, crores of people can never live with each other in peace. There, they can not escape from taking resort to violence and untruth. शहरों और महलों में करोड़ों लोग एकदूसरे के साथ कभी भी शांति से जी नहीं सकते। वहां हिंसा एवम् असत्य का आसरा लिए बिना उन के पास कोई चारा नहीं है। Source: 'The Last Phase - 2', p: 544. By Pyarelal. . Source: 'Harijan', 12-11-1938.
31.Speaks - As long as democracy is sustained by violence, it can't protect or maintain the weak people.
जहां तक लोकतंत्र को हिंसा द्वारा टिकाए रखते हो वहां तक वह न तो दुर्बल लोगों की रक्षा कर सकेगा या न तो उनका निर्वाह कर पाएगा।
32. Speaks - Purchasing or using goods produced by exploited labour is a sin. शोषित श्रम से पैदा हुई चीजों को खरीदना या इन का उपयोग करना पाप है। Ahmedabad.15-12-2018.
33. Gandhi Speaks - Today the machines help few people to ride over the back of the lakhs of people. The inspiration behind them is not the instinct of philonthrophy for labour saving but it is greed. With all my powers I am fighting against this kind of social composition. आज तो यंत्र बहुत थोडेसे लोगों को लाखों लोगों की पीठ पर सवार होने में सहायता करते हैं। इसके पीछे की प्रेरणा श्रम बचाने की परोपकारी वृत्ति नहीं है बल्कि लोभ है। मैं अपनी पूरी ताकत के साथ समाज की ऐसी रचना के ख़िलाफ़ लड़ रहा हूँ। Source: All Men Are Brothers, Navjeevan, p: 162.
34. Gandhi Speaks - The ideal of continuously creating necessities in unlimited terms and satisfying them is an illusion and a conspiracy.
अमर्यादित मात्रा में ज़रूरतें पैदा करते ही जाने का और इन की परिपूर्ति करने का आदर्श एक भ्रम है, और यह एक साज़िश है। Source: The Selected Works of Mahatma Gandhi, Vol.6, p:326.