$1 ट्रिलियन आतंकवाद के कारण बर्बाद
जबसे श्री नरेंद्रमोदी जी ने ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद की कीमत दुनिया को कितनी चुकानी पड़ती है, यह खुलासा किया, इस विषय पर नए सिरे से बहस शुरू हो गयी है। हथियार, नकली करेंसी, ड्रग्स, हवाला, और क्या क्या है, इस युद्ध में, यह सब चर्चा का विषय बन गया है।
आतंकवाद केवल भारत नहीं, अलग-अलग पैमानों पर दुनिया के कई देशों की समूची राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। पिछले कुछ सालों के दौरान यह साफ हो चुका है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों के सहज संचालन और अलग-अलग देशों के विकास में आतंकवाद ने कैसी बाधाएं खड़ी की हैं। इसलिए आर्थिक सहयोग के लिए होने वाले तमाम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अगर आतंकवाद का सामना करने या उस पर काबू पाने को लेकर भी बातचीत केंद्र में होती है तो यह स्वाभाविक ही है। ब्राजील के ब्रासीलिया में गुरुवार को ग्यारहवें ब्रिक्स सम्मेलन में इस संगठन में शामिल देशों के बीच आपस में आर्थिक सहयोग के समांतर आतंकवाद भी चर्चा का विषय का बना है, तो इसकी वजह यही है। गौरतलब है कि ब्रिक्स सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद से दुनिया की अर्थव्यवस्था को अब तक एक हजार अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है। यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास, शांति और समृद्धि के लिहाज से इतनी भारी रकम का क्या और कैसे इस्तेमाल हो सकता था, लेकिन आतंकी गतिविधियों की वजह से भारी नुकसान या फिर उसका सामना करने में खर्च की वजह से इतनी बड़ी राशि बर्बाद हो गई। आतंकवाद केवल भारत नहीं, अलग-अलग पैमानों पर दुनिया के कई देशों की समूची राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। सच यह है कि विकास और शांति के लिए आतंकवाद आज सबसे बड़े खतरे के रूप में सामने है। इसके जगजाहिर होने के बावजूद दुनिया के कुछ देश न केवल इस समस्या की अनदेखी करते हैं, बल्कि परोक्ष रूप से आतंकी संगठनों के अपनी सीमा के भीतर से गतिविधियां संचालित करने को लेकर आंखें मूंदे भी रहते हैं। हालांकि भारत इस मसले पर अक्सर दुनिया को ध्यान दिलाता रहा है कि अगर इस प्रवृत्ति पर रोक नहीं लगाई गई तो आतंकी समूह वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचाएंगे
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