Wednesday, February 1, 2012

आम आदमी क़ि सालाना आमदनी बढ़ोतरी कुछ लोगो क़ि वृद्धि हे.

आज अखबार पढ़ कर मन खुश हो गया क़ि भारत के आम आदमी की सालाना आमदनी लगभग 16 प्रतिशत बढ़ कर पचास हज़ार रुपये का आंकड़ा पार कर गयी है. वाह क्या बात हे! साथ में लिखा था क़ि ये आंकड़ा कुछ महीने पहले और भी अच्छी था , यानी कुल मिलाकर अब ये रुपये 53,331 हे जो 4611760 से बढ़ कर हुई हे. मई में ये आंकड़ा बल्कि 54,835 रुपये था. खैर. इससे अच्छी बात क्या हो सकती हे क़ि हमारे आम आदमी क़ि आमदनी बढ़ जाये. लेकिन इसमें कुछ पेच है.

प्रसिद्ध फोर्ब्स पत्रिका में लिखा हे क़ि 2011 भारत में सत्तावन डालर बिलनैर थे, और ये भी क़ि यदि भारत के 100 बड़े अमीरों क़ि कुल आमदनी देखे तो ये भारत क़ि कुल जी डी पी का 16 फीसदी हे. अभी जनसत्ता के सम्पादकीय में लिखा था क़ि अमीर और अमीरहोते जा रहे हे और गरीब और गरीब. साथ में ये भी लिखा था क़ि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जब यूपीए की सरकार बनी थी तो देश में नौ खरबपति थे। चार साल बाद अब इनकी संख्या छप्पन हो गई है। बारह साल पहले भारत के सकल घरेलू उत्पाद में खरबपतियों का हिस्सा दो फीसद था। अब बढ़ कर बाईस फीसद हो गया है। लेकिन जिस खेती से देश की पैंसठ फीसद से ज्यादा आबादी जुड़ी हुई है, उसका सकल घरेलू उत्पाद में कुल हिस्सा घट कर साढ़े सत्रह फीसद रह गया है।
2. इसका मतलब है कि देश के चंद खरबपतियों की आमदनी खेती से जुड़ी देश की पैंसठ फीसद आबादी की आमदनी से साढे चार फीसद ज्यादा है। 3. देश के सबसे अमीर और गरीब के बीच नब्बे लाख गुना का फर्क हो गया है। एशियाई विकास बैंक के नए पैमाने पर देश की लगभग दो तिहाई आबादी यानी बहत्तर करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर कर रहे हैं। नए पैमाने के तहत 1.35 डॉलर रोजाना कमाई करने वालों को गरीबी रेखा के नीचे रखने की बात कही गई है। इस लिए ये बढ़ोतरी आम आदमी क़ि बढ़ोतरी कुछ लोगो क़ि वृद्धि हे. अदम ने ठीक ही कहा था:



तुम्हारी फायलो में गाँव का मौसम गुलाबी हे मगर ये आंकड़े झूठे हे, ये दावे किताबी हे.

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