क्षमताएं ........जिन के दम पर भारत महाशक्ति बनेगा
हरेक व्यक्ति , समाज और राष्ट्र की अपनी कुछ आंतरिक क्षमताएं होती है जिनके दम पर वह उन्नति के शिखर तक पहुँचता है | कभी वह प्रकट रूप में होती है तो कभी लुप्त भी रहती हैं | विकास करने की सम्भावना इसी बात पर निर्भर करती है की हम अपनी क्ष्म्तायो का कैसे उपयोग करते हैं | भारत के पास भी ऐसी कई क्षमताएं है जो या तो अभी प्रकट नहीं है या जिनका हम ठीक से उपयोग नहीं कर पा रहा हैं | अगर भारत को आगे बदना है तो हमें अपनी क्ष्म्तायो को पहचानना होगा तथा उन्हें और विकसित करना होगा | भारत की ऐसी ही कुछ प्रमुख क्ष्म्तायो का हम यहाँ विश्लेषण करेंगे |
संभावनाएं :
1.भारत की बढती युवा शक्ति :
आज भले ही भारत में बढती आबादी को सबसे बड़ी समस्या माना जा रहा है , परन्तु भारत की यही बढती जनसँख्या भारत की सबसे बड़ी शक्ति भी बन सकती है | भारत इस समय दुनिया की दूसरी सब से बड़ी जनसँख्या वाला देश है और 2050 तक यह दुनिया में नंबर एक बन जायेगा | अगर हम भारत की जनसँख्या के आंकड़ो का विशलेष करें करें तो ध्यान में आता है की भारत में युवायो की संख्या का प्रतिशत बढता जा रहा है |
Population Projections (millions)
Year 2000 2005 2010 2015 2020
Total 1010 1093 1175 1256 1331
Under 15 361 368 370 372 373
15-64 604 673 747 819 882
65+ 45 51 58 65 76
अगर हम चीन और अमरीका से भारत की तुलना करें तो ध्यान में आता है की भारत में इस समय लगभग 50 % जनसँख्या 25 साल से नीचे है जबकि अमरीका में यह 30 % तथा चीन में 40 % है | इतना ही नही तो भारत की औसत आयु इस समय 25.9 साल है जबकि चीन की 35.2 % तथा अमरीका की 36.8 % है | भारत इस समय दुनिया का सबसे युवा देश है और यह प्रतिशत और भी बढने वाला है क्यूंकि भारत में ३०.१ % लोग १४ साल से कम आयु के है जो चीन ( १८.९ % ) तथा अमरीका ( २०.१ % ) के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं , इसका अर्थ है की आने वाले समय में जब यह बचे बड़े होंगे तो भारत की युवा शक्ति का प्रतिशत दुनिया के बाकी देशो के मुकाबले कहीं ज्यादा होगा |
Population: India, China and U.S.A comparison
INDIA CHINA US
Population 1.180 bil 1.337 bil 310 mil
Rank 2 1 3
growth rate 1.38% 0.49% 0.97%
Age structure
0-14 years 30.1% 18.9% 20.1%
15-64 years 64.6% 73.4% 66.9%
65+ years 5.3% 8.6% 13.0%
Median age 25.9 35.2 36.8
Urbanization 29.0% 43.0% 82.0%
rate of urbanization 2.4% 2.7% 1.3%
आज भारत में Working Age Population की प्रतिशत लगातार बढती जा रही है | जहाँ एक और जापान, रशिया की प्रतिशत काम होती जा रही है , ब्राज़ील और चीन बहुत काम रफ़्तार से बढ रहा है , वहीँ भारत का प्रतिशत लगातार बढता जा रहा है |
आने वाले २० सालो में जब दुनिया में वृद लोग बढ रहेंगे , भारत और युवा होता जा रहा होगा |भारत की यही युवा शक्ति भारत को महाशक्ति बना सकती है अगर इस का ठीक से प्रयोग किया जाये |
2. भारत की परिवार व्यवस्था
भारत की परिवार व्यवस्था भारत की मजबूत अर्थ व्यवस्था का आधार है | भले ही परिवार को अर्थव्यस्था से जोड़ने की बात अटपटी लगती हो परन्तु गहरायी से अध्यन करने से ध्यान में आता है की कैसे भारत के परिवार भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं | अमरीका , इंग्लैंड ,ऑस्ट्रेलिया जैसे देश व्यक्ति केन्द्रित आर्थिक मॉडल के आधार पर आगे बढ रहे हैं जिस का परिणाम है कम घरेलू बचत दर , ज्यादा घरेलू ऋण , शेयर बाज़ार में ज्यादा निवेश | पारिवारिक व्यवस्था के विघटन के कारण से आज उन सरकारों का बहुत बड़ा बजट बच्चो , बेरोजागरो तथा बूड़े लोगो पर खर्च हो रहा है | इस भारी सामाजिक सुरक्षा खर्च ने उन देशो की अर्थ व्यवस्था के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया है | भारत में आज भी सामाजिक सुरक्षा का काम परिवार करता है | जिस कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा बोझ नही पड़ता | परिवार केन्द्रित समाज की अर्थव्यवस्था होने के कारण से भारत की घरेलू बचत दर दुनिया में सब से ज्यादा ३६ % है ( जोकि अमरीका के ६ % और जापान के २ % के मुकाबले कहीं ज्यादा है ) ,जिस कारण भारत विदेशी पूँजी निवेश पर निर्भर नहीं है , जो भारत की सबसे बड़ी शक्ति है | इतना ही नहीं तो भारत की बचत का सिर्फ २ % हिस्सा ही शयेर बाज़ार में जाता है ( जबकि अमरीका का लगभग ५० % ), बाकी सुरक्षित निवेश होता है |
3. भारत की मेधा और अथाह ज्ञान
भारत अपने ज्ञान और बुद्वि के कारण ही हजारो वर्षो तक समृद्ध और शक्तिशाली देश बना रहा है | भारत की यही मेधा आने वाले समय नें भी भारत को महाशक्ति बनाएगी | आज भी भारत की सब भी बड़ी ताकत उसके लोगो की प्रखर बुद्वि और ज्ञान है | अगर हम दुनिया के अमीर देशो की अर्थ व्यवस्था का अध्यन करें तो ध्यान में आता है की उनकी मजबूत अर्थव्यवस्था के पीछे धन की शक्ति नहीं बल्कि ज्ञान की शक्ति है | नोबेल पुरस्कार प्राप्त अर्थशाष्त्री रोबोर्ट सोरो ने एक अध्ययन में बताया है की अमरीका की 1900 से 1950 तक की वृद्वि का 7/8 भाग ज्ञान के विकास और प्रसार से ही आया जबकि पूँजी की वृद्वि में हिस्सेदारी 1/8 ही थी | एक अन्य अर्थशास्त्री डेनिसन ने अपने शोध में यह निष्कर्ष निकला है की 1929 से 1982 तक के अमरीका के विकास का 94 % हिस्स ज्ञान , शोध और उसके प्रसार से आया है जबकि 6 % भागीदारी पूँजी की रही है | आज भी अमरीका की कमाई का 60 % हिस्सा सिर्फ उनके द्वारा किये गये शोध के पटेंट से ही आता है | इसी से अंदाजा लगया जा सकता है की किस प्रकार से ज्ञान किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बन सकता है |
भारत के पास आज विश्व का सबसे बड़ा skilled man power है | भारत हर साल लगभग २ लाख वैज्ञानिक , इन्जिनिअर्स तथा तकनीकि विशेषज्ञ पैदा कर रहा है | भारत के IIT तथा IIM जैसे संसथान विश्व स्तर के संसथान बन चुके है हालाकि भारत अभी भी अपनी क्षमता के अनुरूप मानव संसाधन का विकास नही कर पा रहा है तो भी आज पूरे विश्व में भारतीय मेधा की गूँज सुनाई दे रही है | सूचना प्रोधोगिकी में भारत आज बड़ी शक्ति बन के उभरा है | National Association of Software and Service Companies ( NASSCOM ) के अनुसार भारत ki I .T Indusrty का विस्तार 1994-95 के 1.73 बिलियन डालर से बढ कर 2003-04 में 19.9 बिलियन डालर तक जा पहुंचा गया | Department of Information की हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार भारत की I.T- B.P.O क्षत्र से 2009-10 की आय 73.1 बिलियन डालर रही जो 2008-09 के 69.4 बिलियन डालर से ज्यादा है , इस समय भारत का यह क्षेत्र लगभग 5 % की दर से वृद्वि कर रहा है | इस रिपोर्ट में यह भी विश्वास व्यक्त किया गया है की 2020 तक इस कषेत्र से बहरत की आय 225 बिलियन डालर तक पहुँच जाएगी |Department of Information की ही एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का सोफ्टवेयर और सेवायो का निर्यात इस वर्ष 49 बिलियन डालर तक जा पहुंचा है और इस में पिछले वर्ष से 5.5 % की वृद्वि हुई है |सूचना प्रोधोग्की के साथ साथ भारत दवाईओं , अन्तरिक्ष तकनीकि में भी बड़ी ताकत बन कर उभरा है |
भारत का पारम्परिक ज्ञान भारत की बहुत बड़ी शक्ति है जो अभी पूरी तरह से उपयोग नही की जा रही है | पहले तो हमने उसको नजरअंदाज ही कर रखा था परन्तु अमरीका द्वारा हल्दी और नीम के पटेंट करवा लेने से हमें इस ज्ञान का आर्थिक पक्ष ध्यान में आया है | जीवन के हर एक विषय चाहे वोह स्वस्थ्य हो , कृषि विज्ञानं हो , या लघु उद्योग हो हमारे पास पारम्परिक ज्ञान का अथाह भण्डार है जिसे अगर हम आज के युग के अनुसार ढाल कर उपयोग करें तो भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई ऊर्जा मिलेगी |
4. home driven economy
भारत की लगतार बढती जा रही अर्थव्यवस्था भारत के घरेलू बाजार पर ही केन्द्रित है | बढती जनसँख्या के कारण बढता मध्यं वर्ग , बढती प्रति व्यक्ति आय तथा तेजी से हो रहे ढांचागत विकास ने बाज़ार में मांग को बड़ा दिया है जिस कारण भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्वि दर बढती जा रही है | भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 55 -60 % तक घरेलू उपभोग में ही जा रहा है | भारतीय अर्थव्यवस्था की यह वृद्वि चीन से अलग है क्यूंकि उसकी वृद्वि निर्यात पर आधारित है जबकि भारत की घरेलू मांग पर आधारित है | Global Enterpreneur Monitor Study के अनुसार भारत की 18-64 साल की जनसँख्या का 18 % उद्यमी है जबकि अमरीका के ११% और चीन के 12 % लोग ही उद्यमी है | भारत के इन घरेलू उद्यमियों की सफलता ही भारत की अर्थ व्यवस्था की शक्ति है |
भारत का नियंत्रित बैंकिंग क्षेत्र भी एक बड़ी ताकत है , जिस कारण भारत पर वैश्विक आर्थिक मंदी का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है हालाकि लगातार दबाब पड़ रहा है की भारत अपने बैंकिंग सेक्टर का उदारीकरण करे | भारत की अर्थव्यवस्था भारत की बचत पर ज्यादा निर्भर है न की विदेशी पूँजी निवेश पर , यह भी हमारी एक बड़ी ताकत है जो हमें आने वाले दिनों में महाशक्ति बनाएगी |
क्या करना होगा ???
खाद्य सुरक्षा : कोई भी देश विकसित नहीं कहला सकता अगर उसके नागरिक भूख और कुपोषण के शिकार हैं | इस लिए अगर भारत को आर्थिक महाशक्ति बनना है तो भारत के हर नागरिक को पर्याप्त भोजन उपलब्ध करवाना होगा | भारत की बढती जनसँख्या के लिए खाद्य सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है | आज जबकि एक तरफ दुनिया के सबसे ज्यादा भूखे लोग भारत में है , हर दिन लगभग ५००० बच्चे कुपोषण से देश में मर रहे हैं , देश के अनाज भण्डारो में अनाज सड़ रहा है | देश में बहस चल रही है की क्या सब को भर पेट भोजन उपलभध करवाना संभव है या नहीं ? अभी हाल ही में सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा बिल भी लाया गया है जिसका उद्देश्य खाद्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है | भारत के विख्यात खाद्य विशेषज्ञ देवेंदर शर्मा के अनुसार हमें अपने जन वितरण प्रणाली को पुनर्गठित करना होगा | इस समय भारत को भूख मुक्त करने के लिए एक अनुमान के अनुसार लगभग ६० मिलियन टन अनाज की जरुरत है ( 35 किलोग्राम प्रति परिवार ) जिस पर 1.10 लाख करोड़ रूपये खर्च होंगे | अगर इस वर्ष के भारत सरकार के बजट पर नजर डाले तो 5 लाख करोड़ रूपये की टैक्स छूट दी गयी है | देवेंदर शर्मा के अनुसार इस टैक्स छूट का एक हिस्सा अगर वापिस ले लिया जाये तो न सिर्फ देश के सभ लोगो को भोजन दिया जा सकता है बल्कि पीने का साफ़ पानी भी उपलभध करवाया जा सकता है | भारत के ६,००,००० लाख गाँवो को भूख मुक्त करने के लिए अनाज बैंक योजना लागू करनी होगी और प्रयास करना होगा की हर एक गाँव की जरुरत १०० किलोमीटर के घेरे में ही हो | हमें भी ब्राज़ील की तरह Zero Hunger Programme शुरू करना होगा तथा उसके लिए हमें अपने देश के सबसे ज्यादा भूखे और कुपोषित लोगो की संख्या निश्चित करने के लिए एक भूख रेखा परिभाषित करनी पड़ेगी | इन लोगो के लिए तुरंत खाद्य पदार्थ उपलभ्द करवाने होगे | इसके साथ ही गरीबी रेखा को भी पुनर परिभाषित करना होगा |
भारत की बढती जनसँख्या के साथ ही खाद्य पदार्थो की मांग भी तेजी से बढेगी | भारत के योजना आयोग के एक अनुमान के अनुसार २०२० तक भारत को ११९ मिलियन टन चावल , ९२ मिलियन टन गेहू , १५.६ मिलियन टन कोर्स सीर्ल्स , १९.५ मिलियन टन डाले तथा १६६ मिलियन टन दूध चाहिए होगा | इस बढती मांग को अगर पूरा करना है तो भारत की खेती को फिर से अपनी योजनायो में प्राथमिकता देनी होगी | २०२० तक खेती की वृद्वि दर ४-५ % तक होगी तो ही भारत खाद्यान में आत्मनिर्भर रह सकता है| इसके लिए कृषि में एक नई क्रांति की जरुरत होगी परन्तु ध्यान रखना होगा की यह क्रांति हरित क्रांति जैसी बाहर से नक़ल की हुई नहीं हो | भारत दुनिया का सबसे पुराना खेती करने वाला देश है , अपने उसी हजारो वर्षो के परम्परिक खेती के ज्ञान के आधार पर हमें अपनी नई क्रांति का खाका तयार करना होगा | आज भारत की उत्पादकता दुनिया के बाकी देशो के मुकाबले में काफी काम है | आज मेक्सिको में कपास का प्रति एकड उत्पादन हमसे ४ गुना तथा अमरीका में ३ गुना है | हमें अपनी उत्पादकता बदानी होगी और इसके लिए हमें अपनी ज़मीन , पानी के स्रोतों और बीज की उत्पादन क्षमता बदने की जरुरत है | इसके लिए हमें शोध पर विशेष ध्यान देना होगा | भारत बीज , जैविक खाद , जैविक कीटनाशक पर शोध करके हम न सिर्फ अपनी उत्पादन क्षमता बड़ा सकते है बल्कि लागत और पर्यावरण के खतरे को भी कम कर सकते है | अभी हाल ही में देवेंदर शर्मा ने अपने एक लेख में खुलासा किया की उन्हें ब्राज़ील में जा कर पता चला की कैसे ब्राज़ील ने भारत की देसी गाय की किस्मो का आयात किया और फिर उनपर शोध करके उन्हें दुनिया की सबसे ज्यादा दूध देने वाली किस्मो में तब्दील कर दिया | यह हमारे नीति निर्धारको के लिए एक सबक है जो बिना सोचे समझे हमेशा विदेशी माडल को भारत पर लागू करने की फ़िराक में रहते है |
भारत में खेती को उन्नत करने के लिए हमें किसान को तकनीकी रूप से मजबूत बनाना होगा , ज़मीन की विशेषता को देखते हुए अलग अलग क्षेत्रो के लिए फसल का निर्धारण करना होगा , किसानो के लिए सुव्यवस्थित बाज़ार उपलब्ध करवाना होगा , फसल की कीमत को उसकी लागत से जोड़ना होगा , भूमि सुधारो को पूरी तरह से लागू करना होगा , गाँवों में ढांचागत विकास को मज्बूओत बनाना होगा , बेहतर भण्डारण की व्यवस्था करनी होगी , खेती आधारित उद्योग को प्रोत्साहित करना होगा |
खेती में आज भारत को महाशक्ति बनाने की अपार संभावनाएं है | दुनिया में सबसे ज्यादा खेती योग्य भूमि , जैविक विविद्ता , सस्ती श्रम शक्ति तथा agroclimatic variety के दम पर भारत न सिर्फ अपने लोगो का पेट भार सकता है बल्कि विश्व को खाद्यान निर्यात करने की भी समर्थ रखता है | विश्व के खाद्यान बाज़ार पर कब्ज़ा ज़माने का भारत के पास पर्याप्त अवसर है परन्तु इसके लिए हमें भारत के किसानो और भारत की खेती को विदेशी कंपनियों की शिकंजे से बचाना होगा | खेती के निगमी करण और कुदरती स्रोतों के निजीकरण के सुझावों को नजरअंदाज करक
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