Sunday, June 15, 2014

आम जीवन में स्वदेशी - कुछ बिंदु

1, COOL समझकर आप जिसे पीते हैं रोज, वो एक साल में ही ले चुका है 95 हजार से ज्यादा जानें!

अमेरिकी संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज, डायजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के अुनसार दुनिया में 1.80 लाख लोग सालाना सॉफ्ट ड्रिंक के ज्यादा सेवन की वजह से दम तोड़ रहे हैं।

ऐसी ही एक रिपोर्ट हमारे देश के बारे में मार्च में आई। अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्था 'इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन' की ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडीज-2010 में कहा गया है भारत में 2010 में 95,427 लोगों की मौत की एक बड़ी वजह इन अति मीठे सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन है।

इन मौतों की दर में 1990 की तुलना में 161 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
2. A year Without made in China - one family's life adventure in global economy... by Sara Bongiorni . famous jounalist.
3. आज भी 45% बीस्कुट , 65% साबुन और 90% शीतल पेय विदेशी बिक रहे हे
4, huffington Post एक बड़ी लीटर बोतल में 80 ग्राम चीनी उबालने पर बच जाएगी।
5. भारतीय कंपनियों ने ग्लीवेक नामक दवाई बनाई तो 1 लाख 80 हज़ार की डोज़ मात्र 6600 में बनी। विदेशी कंपनी जो केस हारी उसका नाम नेक्सावार है।
6. स्वदेशी के लिए प्रथम शहीद बाबू गेनु का बलिदान दिवस 12 दिसंबर 1930
7. सुपर कंप्यूटर, क्रायोगेनिक इंजन व पोखरण विस्फोट सब चीजे भारतीय वैज्ञानिको ने तब विकसित की जब दुनिया ने ये प्रद्योगिकी हमें देने से मना किया। हमने माँगा कंप्यूटर चिप्स तो दुनिया ने दिया अंकल चिप्स


Thursday, June 5, 2014

चीन से रुके कारोबार, सामान पर लिखा हो बनाने का खर्चः स्वदेशी जागरण मंच

चीन से रुके कारोबार, सामान पर लिखा हो बनाने का खर्चः स्वदेशी जागरण मंच

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इकनॉमिक टाइम्स | Jun 4, 2014, 09.16AM IST
भावना विज अरोड़ा, नई दिल्ली
संघ परिवार की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच के पास नरेंद्र मोदी सरकार के लिए पूरा अजेंडा है। इसमें एफडीआई पर श्वेत पत्र लाना, जीएम फसलों का फील्ड ट्रायल रोकना, चीन के साथ बिजनस घटाना और शिक्षा के क्षेत्र में नई शुरुआत जैसे कदम शामिल हैं। इसके अलावा मंच ने महंगाई घटाने के लिए भी कुछ सुझाव दिए हैं।

स्वदेशी जागरण मंच ने कीमतों और महंगाई को घटाने के लिए अनोखा आइडिया पेश किया है। स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक अरुण ओझा ने कहा, 'किसी भी सामान पर एमआरपी लिखना पर्याप्त नहीं है। किसी भी सामान पर मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट भी लिखी जानी चाहिए, ताकि कंज्यूमर को यह पता चल सके कि मैन्युफैक्चरर कितना मुनाफा बना रहा है। सरकार को दखल देकर रीटेलर और मैन्युफैक्चरर का मुनाफा तय करना होगा। प्रॉफिट की सीमा होनी चाहिए। इससे न सिर्फ कंज्यूमर्स के लिए कीमतें कम होंगी, बल्कि लोगों की तामझाम वाली लाइफस्टाइल पर लगाम लग सकेगी, जिसकी मुख्य वजह जरूरत से ज्यादा प्रॉफिट के कारण होने वाली कमाई है।'

मंच का कहना है कि सरकार को टेलिकॉम और पावर जैसे स्ट्रैटेजिक सेक्टरों में चीन से बिजनस पर तत्काल रोक लगानी चाहिए। भारत को बाकी सेक्टरों में भी चीन के साथ बिजनस खत्म कर दिया जाना चाहिए। सस्ते चीनी सामानों से देश की स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रीज को जबरदस्त चोट पहुंच रही है। स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक ने कहा, 'इससे न सिर्फ लोकल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे।'
[ जारी है ]

पढ़ें: बॉलिवुड के जरिए चीन से ट्रेड बढ़ाने की तैयारी

मंच का मानना है कि जीएम फसलों से आर्थिक साम्राज्यवाद का खतरा है। ओझा का कहना है कि उन्हें बीजेपी सरकार से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने बताया, 'पिछले एक दशक में देश में विदेशों का असर बढ़ा है। यह असर सभी सेक्टरों में देखा जा सकता है। कृषि, व्यापार, अर्थव्यवस्था या फिर समाज में भी। सरकार को इस देश को विदेशी असर से मुक्त करने की जरूरत है।'

ओझा बिहार के एक बैंक में काम करते हैं और उन्हें उम्मीद है कि एफडीआई प्रस्तावों पर आगे बढ़ने में सरकार पूरी सावधानी बरतेगी और किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करेगी। स्वदेशी जागरण मंच ने सरकार को इस मसले पर श्वेत पत्र लाने को कहा था। ओझा का कहना था कि सरकार को रक्षा और ढांचागत क्षेत्रों में निवेश की मांग करने में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए।

पढ़ें: डिफेंस में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे सकती है सरकार

ओझा ने बताया, 'सरकार को पहले विस्तार से तमाम चीजों का आकलन कर यह देखना चाहिए कि किन सेक्टरों को निवेश की जरूरत है। इसके बाद प्राथमिकता घरेलू निवेश लाने की होनी चाहिए। इसके बाद ही इस बात का फैसला होना चाहिए कि कितने एफडीआई की जरूरत है।' उनके मुताबिक, इन चीजों को तय करने के दो ही पैमाने होने चाहिए- जनहित और राष्ट्रहित।

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Tuesday, June 3, 2014

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक 31 मई - 1 जून 2014, पानीपत (हरियाणा)

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक
31 मई - 1 जून 2014, पानीपत (हरियाणा)

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिनांक 31 मई और 1 जून 2014 को पानीपत, हरियाणा में सम्पन्न हुई। बैठक में स्वदेशी जागरण मंच के सांगठनिक विषयों के अतिरिक्त चीन के विरूद्ध अभियान की प्रगति का आकलन लिया गया। 22 प्रांतों से मंच के संयोजक, सह-संयोजक और अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बैठक में मंच के संयोजक श्री अरूण ओझा, सह-संयोजक प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, डाॅ. अश्विनी महाजन, श्री सरोज मित्र एवं डाॅ. धनपत अग्रवाल, अखिल भारतीय संगठक श्री कश्मीरी लाल सहित मंच के केन्द्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति और यूपीए सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था पर संकट के संदर्भ में व्यापक चर्चा हुई। बैठक में भारत में विदेशी निवेश, आर्थिक चुनौतियां और समाधान और जीएम फसलों के खुले परिक्षण से संभावित खतरों पर प्रस्ताव पारित किए गए। विदेशी निवेश पर पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि अमरीका और यूरोप के आर्थिक तंत्र का खोखलापन उजागर हो चुका है। प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्ष 2012-13 में, जबकि देश को मात्र 26 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, विदेशी निवेशक राॅयल्टी, ब्याज, डिविडेंट और वेतन के नाम पर 31.7 अरब डालर देश से बाहर लेकर चले गए। लगातार ऊंची बनी हुई देश की बचत दर के चलते देश को वास्तव में विदेशी निवेश पर निर्भरता की बजाय अपने संसाधनों का ठीक प्रकार से समायोजन करना चाहिए। प्रस्ताव में यह भी मांग की गई है कि भारत सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रोजगार, प्रौद्योगिकी उन्नयन और गरीबी निवारण पर प्रभावों के मद्देनजर अध्ययन कराए और इन सभी विषयों को जोड़ते हुए एक श्वेत पत्र जारी करें। हमारी नीति निर्माण का निकश रोजगार सृजन होना चाहिए, ऐसा प्रस्ताव में कहा गया है।
एक अन्य प्रस्ताव में स्वदेशी जागरण मंच ने पिछली सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी, भुखमरी, रूपए की बदहाली, महंगाई और भ्रष्टाचार एवं देश पर कसते विदेशी शिकंजे के बारे में आगाह करते हुए कृषि पर अधिक ध्यान देने, कोमोडिटी एक्सचेंजों में कृषि उत्पादों को बाहर कर उनकी कीमतों को बढ़ने से रोकने का सुझाव दिया है। महंगाई को रोकने के लिए रूपए के मूल्य में सुधार हेतु विभिन्न प्रकार के सुझाव भी प्रस्ताव में दिए गए हैं। पिछली सरकार के शासन के 10 सालों में बेरोजगारों की संख्या में 10 करोड़ की वृद्धि हुई है। ऐसे में रोजगार परक आर्थिक नीति की जरूरत को रेखांकित करते हुए एनडीए शासन के दौरान बनी एस.पी. गुप्ता कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी प्रस्ताव में की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर देश में मैन्युफैक्चरिंग में सुधार लाना है तो उसके लिए आयातों और खासतौर पर चीन से आयातों पर लगाम कसने की जरूरत है। अन्य बातों के अलावा प्रस्ताव में ब्याज दरों को घटाने, कृषि को शून्य ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने की मांग भी प्रस्ताव में की गई है।
एक अन्य प्रस्ताव में स्वदेशी जागरण मंच ने जीएम फसलों के खुले में परीक्षण से संभावित खतरों के बारे में आगाह करते हुए, यह मांग की है कि जिन जी.एम. फसलों के परीक्षण की अनुमति पूर्व पर्यावरण मंत्री ने दी दी है, उनके खुले में परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। किसी भी हालत में जी.एम. पीरक्षण कभी भी बन्द ग्रीन हाउस के बाहर नहीं किए जाएं। इसके साथ ही आयातित जी.एम. द्रव्य युक्त खाद्य पदार्थों पर जी.एम. लेबल की अनिवार्य बाध्यता को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। आयातित कृषि उत्पादों व कृषि जैव द्रव्य के संबंध में कठोर संगरोध प्रक्रिया अपनायी जाए।
दिनांक 31 मई को एस.डी. सीनियर काॅलेज के विशाल सभागार में एक जनसभा को आयोजन भी इस दौरान किया गया। जनसभा को मंच के अखिल भारतीय संगठक श्री कश्मीरी लाल एवं सहसंयोजक डाॅ. धनपत अग्रवाल ने संबोधित किया। जनसभा की अध्यक्षता पानीपत के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री सुखमाल जैन ने की। इस अवसर पर पानीपत के नर्वनिर्वाचित सांसद एवं पंजाब केसरी के संपादक श्री अश्वनी चोपड़ा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहें।
मंच के संगठक श्री कश्मीरी लाल ने वर्तमान परिस्थितियों में मंच की भूमिका को विस्तार से बताते हुए कहा कि हालांकि देश में नई सरकार का गठन हो चुका है और देश को इस सरकार से अपार अपेक्षाएं हैं, हमें दुनिया और देश में बदलती हुई आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर जागरूक रहने की जरूरत है। दक्षिणी अफ्रीका में सत्ता परिवर्तन के बावजूद आमजन की हालत में कोई अंतर नहीं आया क्योंकि पुरानी नीतियां ही चलती रही। आज देश में सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ पूर्व सरकार की नीतियों को भी पलटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पानीपत के उद्योग न केवल भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का अर्जन कर रहे हैं, इस क्षेत्र में रोजगार के भारी सृजन में भी इनका विशेष योगदान है। उन्होंने पानीपत के उद्योगों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग प्राप्त कर रहे संगठनों द्वारा झूठे प्रचार के बारे में भी आगाह किया।
मंच के सहसंयोजक डाॅ. धनपत अग्रवाल ने देश में आर्थिक संकटों के मद्देनजर विशेष प्रयास करने पर बल दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अश्वनी चोपड़ा ने विचार व्यक्त किया कि देश में प्रौद्योगिकी विकास की विशेष आवश्यकता है और कठिन परिस्थितियों में अपने देश की प्रौद्योगिकी ही समाधान दे सकती है।


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Suraj Bhardwaj
9899225926