Tuesday, June 3, 2014

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक 31 मई - 1 जून 2014, पानीपत (हरियाणा)

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक
31 मई - 1 जून 2014, पानीपत (हरियाणा)

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद की बैठक दिनांक 31 मई और 1 जून 2014 को पानीपत, हरियाणा में सम्पन्न हुई। बैठक में स्वदेशी जागरण मंच के सांगठनिक विषयों के अतिरिक्त चीन के विरूद्ध अभियान की प्रगति का आकलन लिया गया। 22 प्रांतों से मंच के संयोजक, सह-संयोजक और अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। बैठक में मंच के संयोजक श्री अरूण ओझा, सह-संयोजक प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, डाॅ. अश्विनी महाजन, श्री सरोज मित्र एवं डाॅ. धनपत अग्रवाल, अखिल भारतीय संगठक श्री कश्मीरी लाल सहित मंच के केन्द्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति और यूपीए सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था पर संकट के संदर्भ में व्यापक चर्चा हुई। बैठक में भारत में विदेशी निवेश, आर्थिक चुनौतियां और समाधान और जीएम फसलों के खुले परिक्षण से संभावित खतरों पर प्रस्ताव पारित किए गए। विदेशी निवेश पर पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि अमरीका और यूरोप के आर्थिक तंत्र का खोखलापन उजागर हो चुका है। प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्ष 2012-13 में, जबकि देश को मात्र 26 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, विदेशी निवेशक राॅयल्टी, ब्याज, डिविडेंट और वेतन के नाम पर 31.7 अरब डालर देश से बाहर लेकर चले गए। लगातार ऊंची बनी हुई देश की बचत दर के चलते देश को वास्तव में विदेशी निवेश पर निर्भरता की बजाय अपने संसाधनों का ठीक प्रकार से समायोजन करना चाहिए। प्रस्ताव में यह भी मांग की गई है कि भारत सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रोजगार, प्रौद्योगिकी उन्नयन और गरीबी निवारण पर प्रभावों के मद्देनजर अध्ययन कराए और इन सभी विषयों को जोड़ते हुए एक श्वेत पत्र जारी करें। हमारी नीति निर्माण का निकश रोजगार सृजन होना चाहिए, ऐसा प्रस्ताव में कहा गया है।
एक अन्य प्रस्ताव में स्वदेशी जागरण मंच ने पिछली सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण बेरोजगारी, भुखमरी, रूपए की बदहाली, महंगाई और भ्रष्टाचार एवं देश पर कसते विदेशी शिकंजे के बारे में आगाह करते हुए कृषि पर अधिक ध्यान देने, कोमोडिटी एक्सचेंजों में कृषि उत्पादों को बाहर कर उनकी कीमतों को बढ़ने से रोकने का सुझाव दिया है। महंगाई को रोकने के लिए रूपए के मूल्य में सुधार हेतु विभिन्न प्रकार के सुझाव भी प्रस्ताव में दिए गए हैं। पिछली सरकार के शासन के 10 सालों में बेरोजगारों की संख्या में 10 करोड़ की वृद्धि हुई है। ऐसे में रोजगार परक आर्थिक नीति की जरूरत को रेखांकित करते हुए एनडीए शासन के दौरान बनी एस.पी. गुप्ता कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी प्रस्ताव में की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर देश में मैन्युफैक्चरिंग में सुधार लाना है तो उसके लिए आयातों और खासतौर पर चीन से आयातों पर लगाम कसने की जरूरत है। अन्य बातों के अलावा प्रस्ताव में ब्याज दरों को घटाने, कृषि को शून्य ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने की मांग भी प्रस्ताव में की गई है।
एक अन्य प्रस्ताव में स्वदेशी जागरण मंच ने जीएम फसलों के खुले में परीक्षण से संभावित खतरों के बारे में आगाह करते हुए, यह मांग की है कि जिन जी.एम. फसलों के परीक्षण की अनुमति पूर्व पर्यावरण मंत्री ने दी दी है, उनके खुले में परीक्षण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। किसी भी हालत में जी.एम. पीरक्षण कभी भी बन्द ग्रीन हाउस के बाहर नहीं किए जाएं। इसके साथ ही आयातित जी.एम. द्रव्य युक्त खाद्य पदार्थों पर जी.एम. लेबल की अनिवार्य बाध्यता को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। आयातित कृषि उत्पादों व कृषि जैव द्रव्य के संबंध में कठोर संगरोध प्रक्रिया अपनायी जाए।
दिनांक 31 मई को एस.डी. सीनियर काॅलेज के विशाल सभागार में एक जनसभा को आयोजन भी इस दौरान किया गया। जनसभा को मंच के अखिल भारतीय संगठक श्री कश्मीरी लाल एवं सहसंयोजक डाॅ. धनपत अग्रवाल ने संबोधित किया। जनसभा की अध्यक्षता पानीपत के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री सुखमाल जैन ने की। इस अवसर पर पानीपत के नर्वनिर्वाचित सांसद एवं पंजाब केसरी के संपादक श्री अश्वनी चोपड़ा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहें।
मंच के संगठक श्री कश्मीरी लाल ने वर्तमान परिस्थितियों में मंच की भूमिका को विस्तार से बताते हुए कहा कि हालांकि देश में नई सरकार का गठन हो चुका है और देश को इस सरकार से अपार अपेक्षाएं हैं, हमें दुनिया और देश में बदलती हुई आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर जागरूक रहने की जरूरत है। दक्षिणी अफ्रीका में सत्ता परिवर्तन के बावजूद आमजन की हालत में कोई अंतर नहीं आया क्योंकि पुरानी नीतियां ही चलती रही। आज देश में सत्ता परिवर्तन के साथ-साथ पूर्व सरकार की नीतियों को भी पलटने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पानीपत के उद्योग न केवल भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा का अर्जन कर रहे हैं, इस क्षेत्र में रोजगार के भारी सृजन में भी इनका विशेष योगदान है। उन्होंने पानीपत के उद्योगों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग प्राप्त कर रहे संगठनों द्वारा झूठे प्रचार के बारे में भी आगाह किया।
मंच के सहसंयोजक डाॅ. धनपत अग्रवाल ने देश में आर्थिक संकटों के मद्देनजर विशेष प्रयास करने पर बल दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अश्वनी चोपड़ा ने विचार व्यक्त किया कि देश में प्रौद्योगिकी विकास की विशेष आवश्यकता है और कठिन परिस्थितियों में अपने देश की प्रौद्योगिकी ही समाधान दे सकती है।


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Suraj Bhardwaj
9899225926







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