चीन से चुनौती
1.1 इस दीपावली पर सारे देष की भावना प्रकट हुई, चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के रूप में।
1.2 टाईम्स ऑफ इंडिया, न्यू इंडियन एक्सप्रेस, भास्कर, जागरण ने और CAIT आदिके अनुसार 20 प्रतिषत से लेकर 70 प्रतिषत तक की कमी आई।
ऽ उड़ी हमले, सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उफान उठा, किन्तु कोई उफान अचानक नहीं उठता, उसके आर्थिक, सामाजिक, सुरक्षा के अनेक कारण, उड़ी हमला आखिरी चोट, देश के मन में 5-6 वर्ष से चल रहा था।
ये कारण तीन प्रकार के है: सीमा पर चीन द्वारा 1962 के बड्स अतिक्रमण के प्रयास, पाकिस्तान जैसे हमारे दुश्मन देशों का सहयोग करना और आर्थिक रूप से हमारा नुक्सान।
सबसे बड़ा आर्थिक संकट- देखें कि सन 2000 में 2.8 बिलियन डालर का कुल ट्रेड , 2013-14 मेंए 75.8 बिलियन डालर तक पहुंचा, अभी यह 71.6 बिलियन डालर है।
ऽ इसमें हमारा निर्यात 9 बिलियन डालर का आयात 61.6 बिलियन डालर, इससे व्यापार घाटा 52.68 बिलियन डालर का।
ऽ भारत का कुल व्यापार घाटा है 118.5 बिलियन डालर का। अकेले चीन से है 52.6 बिलियन डालर (3541.71 अरब रूपये)। कुल घाटे का 44 प्रतिषत। कुल व्यापार 4815.1 अरब रूपये का।
ऽ भारत का 118.5 बिलियन डालर का घाटा गत 5 वर्षों में न्यूनतम है। इसमें ऑयल आयात है 26.2 प्रतिषत। यदि यह बाहर रखें तो चीन से 70 प्रतिषत।
ऽ हमारा कुल ट्रेड है - निर्यात 261.1, आयात 379.1, कुल 640 बिलियन डालर का ट्रेड इै। 118.5 का घाटा है।
ऽ चीन का कुल निर्यात है 2282 बिलियन डालर, हमारा 261, यानि हमसे लगभग 9 गुणा है। चीन के कुल निर्यात का 3.2 प्रतिषत भारत से है।
ऽ चीन के आयात में 26.3 प्रतिषत इलेक्ट्रोनिक्स, 16.1 प्रतिषत मषीन एवं इंजिन पम्पस, 4.3 प्रतिषत फर्निचर, लाईटिंग।
ऽ लेकिन भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर चीन हो गया है। दूसरे पर अमरीका, जबकि जापान 15वें नंबर पर है।
ऽ चीन 11 ट्रिलियन, यूएसए 17 ट्रिलियन, जापान 6 ट्रिलियन, भारत सातवें पर 2.3 ट्रिलियन
सुरक्षा के मुद्दे पर
ऽ किसी भी देष के साथ अमरीका, यूरोप जापान से घाटा केवल रूपये डालर का घाट है पर चीन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा भी जुड़ी है।
ऽ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से चीन से खतरा है।
ऽ 1962 में 37,500 वर्ग किमी अक्साइचिन की भूमि युद्ध में हडप ली, बाद में 5180 वर्ग किमी भूमि पाकिस्तान ने चीन को दे दी। कुल भूमि 42,680 वर्ग किमी.।
ऽ 20 अक्टूबर 1962, 1383 शहीद $ 1696 लापता, कुल-3079, चीन के 722 मरे, 1697 घायल।
ऽ वह अरूणाचल सहित 90,000 वर्ग किमी. की लद्दाख तक की भूमि को विवादस्पद बता, हमेषा संकट किये रहता है।
ऽ वर्ष भर में 400 से 450 बार तक अतिक्रमण करता है अपनी तरफ से सीमा के जीरो पॉइंट तक सड़क बनाई है। बल्कि भारत के प्रत्येक बड़े शहर तक परमाणु मिसाईल लगा रखी है।
ऽ 2013 में दौलतबेग ओल्ड़ी में 19 किमी. पीछे आना पड़ा। अपनी अग्रिम चौकिया स्वयं तोड़नी पड़ी।
ऽ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होते हुए अरूणाचल का कार्यक्रम बनाया। रात्रि 2 बजे हमारी राजदूत को बुलाकर विरोध दर्ज किया। मनमोहन सिंह ने यात्रा स्थगित कर दी।
ऽ इधर नेपाल, बंग्लादेष, श्रीलंका, सिंगापुर के साथ पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह में परमाणुयुक्त पनडुब्बी, नौसैनिक अड्डे बनाए हैं।
ऽ जैष-ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर पर यूएन की सिक्यूरिटी परिषद के 15 में से 14 तैयार, केवल चीन अडंगा लगाता है।
ऽ एनएसजी - न्यूक्लियर सप्लायर ग्रूप में 47 देष है, चीन, पाकिस्तान को कोई नुकसान नहीं, 40 देष तैयार है। 6 देष तटस्थ है। चीन विरोध है। उससे आणविक सामग्री के व्यापार का रास्ता खुलेगा।
ऽ पाकिस्तान के साथ 46 बिलियन डालर का चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कोरिडोर स्थापित कर रहा है। पीओके से निकलता है, भारत ने विरोध किया है।
ऽ बंग्लादेष को 24 बिलियन डालर की करेडिट लाईन, भारत ने 2 बिलियन की दी थी।
चीन का वैष्विक दृष्टिकोण खतरनाक
ऽ चीन का वैष्विक दृष्टिकोण दुनिया भर में खौफ डालने वाला है। चीन को भी पता है इसलिए उसने चीन सरकार का घोषित उद्देष्य त्पेम वि से बदलकर क्मअमसवचउमदज वि ब्ीपदं किया है 1962 में।
ऽ वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग मजबूत नेता है। शाकियां केंद्रित भी है।
ऽ चीन का दुनिया के हरेक देष के साथ अविष्वासनीय या शत्रु जैसा संबंध है। दो ही देष विष्वसनीय - एक नॉर्थ कोरिया, दूसरा पाकिस्तान।
ऽ अपने चारों तरफ के पड़ौसियों जापान, वियतनाम, द. कोरिया, मलेषिया, इण्डोनेषिया, म्यांमार सबसे नदमेंल तमसंजपवदे
ऽ वियतनाम से 2003 में युद्ध किया, जापान से 1200 किमी. दूर ैमदांन पेसंदक 1250 चीन से 7 ाउेण् म्ेंज.बीपदं ेमंण्
ऽ ैवनजी ब्ीपदं ेमं पर वह अंतर्राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल के फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं।
चीन की कमजोरियां
ऽ 4000 मौत प्रतिदिन 17 प्रतिषत। कुल मौतों का चीन में पर्यावरण से हो रहा है। वह दुनिया में 24 प्रतिषत प्रदूषण फैलाने वाला है।
ऽ 135 करोड़ की आबादी अब बूढ़ी हो रही है। व्दम ब्ीपसक च्वसपबल
ऽ पहले वह 2005-2011 तक 10.5 प्रतिषत की जीडीपी से बड़ा दुनिया का सबसे िंज मबवदवउल अब स्मे जींद 6 प्रतिषत है। जबकि भारत 7.5 प्रतिषत जीडीपी के साथ दुनिया का िंजमेज है।
ऽ युआन पिछले 6 वर्षों के सबसे निचले स्तर पर है।
ऽ सेंसक्स को गत 1 साल में ही 5 बार इतमां करना पड़ा है।
ऽ ब्वततनचजपवद बहुत बढ़ गयी है।
ऽ स्टील व कोयला उपदपदह ेमबजवत में 5 लाख संल.विे हुए है। 3.5 लाख है अभी।
ऽ हड़ताल प्रदर्षन है किंतु ेजंजम बवदजतवससमक उमकपं है।
चीन की आइटम सस्ती क्यों?
ऽ चीन में कमउवबतंबल नही है। शाम को केबिनेट में पास, अगले दिन पार्लियमेंट में पास, अगले दिन लागू। भारत में लेंड बिल 4 महीने पब्लिक डिबेट के बाद ूमपजीकतूं
ऽ सस्ते लोन, 4 प्रतिषत पर दे देते हैं, बिजली सब्सिडी देते है। यह इकोनोमिक्स के इेंपबे के अनुख्य नहीं है। किन्तु चीन अपनी एक टांग टूटे भले पड़ौसी की तोड़ो, पूरे विष्व मार्किट पर कब्जा। आज उंदनिंबजनतपदह में 23 प्रतिषत चीन है।
ऽ सस्ती लेबर - अब महंगी होती जा रही है।
ऽ फिर कोई मजीपबे नहीं , दुनिया भर की कंपनियां बुला ली फिर सख्त शर्तें लाद दी, पेटेंट की परवाह नहीं।
ऽ प्द इनसा पैदा किया, किंतु अब सीमा आ गई है।
आशाएं
ऽ भारत में एक जन-ज्वार उठ गया है, दुनिया में भी उठेगा। इस बार ही कमी नहीं आई, आगे भी रहेगी। 20-70 प्रतिषत की कमी।
ऽ पनीपत की मिंक कम्बल फैक्टरी 60-70 प्रतिषत तमअपदम कर गई है।
ऽ षिवा काषी की पटाखा कंपनी तपअपदम कर गई है।
ऽ मण्डी गोविन्दगढ़ के 2000 यूनिट में 40-50 प्रतिषत तपअंइंस हो गया है।
ऽ कोल्हापुर में लडिया बनना शुरू हो गई है।
ऽ नदकमत इपससपदह पर रोक प्रभावी हो रहे है।
ऽ च्वतजे पर 4 महीने तक की कमसंल की गई है। ेपचउंजे की दमू प्दकपंद मगचतमे की तमचवतज है।
ऽ दक्षिण-चीन समुद्र में जापान के साथ घोषणा पत्र पर जारी करने का है।
ऽ त्वांग में दलाई लामा की यात्रा होने वाली है।
ऽ ब्रिक्स की गोवा व बाद की ठप्डैज्म्ब् में जैसे आतंक के खिलाफ आवाज उठाई है। उसेस चीन अब त्मजीपां को मजबूर होगा।
ऽ दीपावली पर कुल 4 बयान आए, इग्नॉर, भौंकने, कुछ नहीं रिलेषन बिगडने की धमकी - चीन में चिंता हो गई है।
ऽ भारत ने नेपाल, श्रीलंका, भूटान, वियतनाम, बंग्लादेष, सिंगापुर से रिष्ते बहुत बेहतर कर लिए है। चीन की चिंता में इजाफा।
ऽ स्ववा म्ेंज से ।बज मेंज पर भारत आ गया है। ये सब भातर की घनिष्ठता बढ़ रही है।
ऽ अफ्रीका, जापान, यूरोपियन यूनियन, अमेरिका सब तरफ भारत के बडा चसंलमत करके उभर रहा है।
हमारा कर्तत्व
ऽ जिस भावना से दीपावली पर किया है - उसी से वर्ष भर करें।
ऽ चीन की आइटम का पूर्ण बहिष्कार।
ऽ थोडा महंगा होने से क्या होगा? कोई कुम्हार कोई लघु उद्यमी, कोई भारतीय ट्रेडर ही तो होगा। स्वदेषी बपतबनसंजपवद अपने देष में होगा।
ऽ भारत में मोबाइल व अन्य बवदेनउमत पजमउे पर 25-30 प्रतिषत चीन आ गया है।
ऽ लोग कहते थे सस्ती है। कौन महंगी खरीदे। सरकार क्यों नहीं रोक लगाती। किंतु लोगों ने बहिष्कार किया ले - सफल
ऽ चीन तक संदेष जाना शुरू हो गया है, वह पुनर्विचार को बाध्य होगा ही।
ऽ हमारे सरकारी अधिकारी, नेता ही नहीं उंदनिंबजनतमतए जतंकमत सब पुनर्विचार करेंगे। जनांदोलन की उपेक्षा कोई नहीं कर सकता।
ऽ आजाद भारत का रामजन्मभूमि, आपातकाल के बाद यह तीसरा बड़ा जनांदोलन बनेगा।
दो बड़े प्रष्न
ऽ सरकार रोक क्यों नहीं लगाती?
ऽ चीनी आइटम इतनी सस्ती कैसे? हमारी महंगी क्यां?
ऽ 1. सरकार का व्यापार 170 देषों से है। विभिनन संधिया है। डब्ल्यूटीओ है, ब्रिक्स है, ठप्डैज्म्ब् है, अफ्रीकन समझौते है, एफटीए है, तोड नही सकते। रूस, ब्राजील से व्यपार हम तोड़ना नहीं चाहते। वर्तमान सरकार मन से चाहती है वह हो तो रास्ते निकलते है- निकल रहे हैं।
ऽ अरूणाचल में सीमा से 26 किमी इधर अपना ग्लोबमास्टर सी-17 विमान (युद्ध सामग्री-टैंक सहित वहां उतरा है।) दलाईलामा को भेजना, साउथ चीन समुद्र पर जापान से घोषणा पत्र, सिंगापुर से वार्ता, वियतनाम में तेल के कुएं दुबाई खुदाई करना, षिपमेटस को देर कराना, नदकमत इपससपदह पर नकेल कसना, स्टील पर 18 प्रतिषत ंदजप कनउचपदह कनजल पटाखों पर मदअपतवदउमदज रोक, ंदजल कनउचपदह भी।
ऽ कुल 146 एंटी डंपिंग केस किए है। डब्ल्यूटीओ व जतपइनदंसे अकेले 70 चीन के खिलाफ है।
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