दुनिया में बढ़ती आर्थिक असमानता बनाम सुधार
एक चोंकाने वाली खबर प्रमुख अखबारो में छप तो रही है, शायद आपका ध्यान गया या नहीं। खबर ये कीवैश्वीकरण की प्रक्रिया से दुनिया में बढ़ रही असमानता के बीच स्विट्जरलैंड के दावोस में इस 15 जनवरी मंगलवार से वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक शुरू हुई। इसमें दुनिया के अमीर से अमीर देशों ने हिस्सा लिया। पर ये हर साल होने वाली बैठक है, नई बात आगे है।
एक रिपोर्ट पर चर्चा हुई जिसका सारांश है कि दुनिया के आठ धनी लोगों के पास निचली आधी आबादी के बराबर संपत्ति है। स्मरण करवाना जरूरी है कि गत वर्ष की इसी ऑक्सफॉम रिपोर्ट में इस श्रेणी में 62 अमीर थे जो अब घट कर 8 रह गए है। यानि की 3 करोड़ 60 लाख गरीबों की कुल संपत्ति 8 बड़े अमीरों के बराबर!
आइये जरा इन धनकुबेरों के नाम भी जान लेवें। पहले है बिल गेट्स ($75 bns). दुसरे है स्पेन के अमान्सिओ आर्तव गाऊन ($67bn), जो फैशन जगत की विख्यात हस्ती है, ज़ारा ब्रांड है और इंडिटेक्स उनकी कंपनी। तीसरे जानेमाने अमीर वारेन बुफे है और संपत्ति $60.8 बिलियन । चौथे कार्लोस स्लिम हेलू ($50 bn) और मेक्सिको के टेलेकम्युनिकेशन के बेताज बादशाह। पांचवे जेफ बेजोस ($45.2 bn) और इन्हें अधिकाँश भारतीय जानते होंगे, इनकी अमेजॉन कंपनी के कारण। छटे अमीर मार्क ज़ुकरबर्ग ($44.6 bn) जिन्हें फेसबुक के कारण अधिकांश लोग जानते है। ओरेकल के मालिक लॉरेंस जे एलिसन की सम्पति $43.6 बिलियन के कारण सातवे पायदान पर हैं। ब्लूमबर्ग के मालिक माइकल ब्लूमबर्ग ($40 bn) के साथ आठवे स्थान पर।
इस रिपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय संस्था आक्सफैम का कहना है कि बीते 30 साल में दुनिया की निचले स्तर की 50 फीसदी आबादी की आय कमोबेश सुस्त ही रही है जबकि शीर्ष पर बैठे एक फीसदी लोगों की आय 300 फीसदी तक बढ़ी है। अब सोचना ये है कि यह बढ़ोतरी किसी असाधारण कारोबारी प्रतिभा की देन है या उनके द्वारा गढ़ी गई आर्थिक डिजाइन का नतीजा है जिससे उनके पास बेशुमार संपत्ति इकट्ठा हो गई।
भारत में इस असमानता पर गौर करें तो वह चौकाने वाला है। केवल 57 परिवारों के पास 70 फीसदी आबादी के बराबर संपत्ति है। यानि आठ करोड़ 75 लाख लोगों के पास जितना धन उतना धन सिर्फ 57 लोगों के पास है। वैश्विक स्तर पर एक फीसदी आबादी के पास 99 फीसदी लोगों के बराबर संपत्ति है। भारत में शीर्ष एक फीसदी धनाढ्य लोगों के पास 58 फीसदी लोगों से ज्यादा संपत्ति है।
हमारा मानना यही है कि ये ऐसे नियमो के कारण है जो की अमीरो के हित के लिए अमीर राष्ट्रों ने गढ़े है। कभी ये वर्ल्ड बैंक और इंटरनेशनल मॉनेटरी फण्ड के माध्यम से हुआ और कभी गेट समझोता था , कभी डंकल प्रस्ताव के नाते था और अब विश्व व्यापार संगठन WTO के नाते आया है।
इस गोरखधंधे को सुलझाने स्वदेशी जागरण मंच का 25 वर्ष पूर्व जन्म हुआ।
No comments:
Post a Comment