स्वदेशी आंदोलन को समर्पित एक गीत
ना डाला एक बूँद पानी,
आँख से एक बूँद पानी,
नयन से एक बूँद पानी।
बाबू गेनू अति निर्धन था,
देशभक्ति का दावानल था,
स्वदेशी का भरता दम था,
ट्रक के नीचे कुचले गए पर हटा न बलिदानी,,,,
अमृता देवी , याद करे हम,
वृक्ष बचे चाहे कट जाय ये तन
चले कुल्हाड़े दे दनादन,
पौने तीन सो शहीद हो गए, हार नहीं मानी,।।।।
बात नहीं ये बहुत पुरानी,
चिपको आंदोलन लासानी,
उत्तराखंडी मां की जुबानी,
पर्यावरण बचाना देकर, प्राण की कुर्बानी,
न डाला .....
आंदोलन अब भी होते है,
जल-जंगल-जमीन खोते है,
पशुधन,जन शोषित होते है,
इनकी रक्षा हित योद्धा, बनते जीवनदानी।
न डाला एक बूँद पानी.......
very good poem but needs one or two more couplets
ReplyDeleteanku2019verma@ gmail.com
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर। लिखते रहें।
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