पिछले दिनों जनवरी 2018 में मुम्बई में स्वदेशी के विचार विभाग की एक कार्यशाला हुई जनवरी 2018 में। वहाँ डॉ कौशल किशोर जी जमशेदपुर वालों ने पर्यावरण पर बोलते हुए पक्षी जगत की बात की। वे पक्षियों पर ही डॉक्टरेट किये हुए है और उनकी रूचि भी इस विषय में बहुत है । सामान्यतः कहा जाता है कि कुल दुनियाँ में 10135 प्रजातियां पक्षियों की है जिनमे से 12 प्रतिशत से अधिक अर्थात 1266 भारत मे पाई जाती हैं। मजे की बात है कि 61 तो सिर्फ भारत मे ही पाई जाती हैं और 134 near endemic यानी लगभग अधिकांश भारत मे पाई जाती है और थोड़ी अधिक आस पास के देशों में।1947 के बाद मात्र 4 प्रजातियां ही नई खोजी गयी हैं। zoothra salimaliii नया संगीतमय आवाज़ वाला पक्षी अरुणाचल में सबसे नवीनतम खोज है।
2016 में अमेरिका में नई खोज के मुताबिक 18000 प्रजातीय हैं क्योंकि कई एक जैसी प्रजातियों को एक नहीं दो मां है।
गीध तो स्माप्त प्रायः जैसी ही है। वजह भी पशुओं में declophenac का प्रयोग मन जाता है। राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण (ग्रेट indian bustard) जो सामान्यतः 15 किलो वजन और एक मीटर ऊंचाई का होता है, बहुत कम रह गया है। पर्यावरण और पक्षियों का गहरा सम्बन्ध है।
अतः मैं सोचने लगा कि मैं कितने पक्षियों के नाम जानता हूँ। गिनने बैठा तो निराशा सी हुई कि हम तो मात्र एक या दो प्रतिशत को ही जानते है।
1.एक पक्षी जिसे हम चिड़िया ही कहते है, उसका ठीक नाम ही नहीं पता। बाद में भीलवाड़ा के महेश नवहाल जी के भेजे चार्ट से जाना कि उसका नाम घरेलू गोरैया (common sparrow) है।
2. हम अभी तक बैया baya weawer को ही गोरैया कहते थे।
3,4. कबूतर और कौआ तो बिल्कुल जान पहचान के है।
5.एक अन्य पक्षी जिसे हम लाहली कहते थे और स्टेशनों पर रात को वही सबसे ज्यादा शोर मचाते है, अब पता चला कि वही मैना या common Myna है।
6. फाख्ता या जिसे हम घुघ्घी कहते है, भोली भाली कबूतर जैसी और अक्सर कार आदि से टकराने के भोलापन वही करती है।
7. कभी कभी नीलकंठ भी कहीं दिखाई दे जाता है, और शुभ भी माना जाता है। 8,9,10. चील, मुर्गा, मोर भी देखे भाले है।
11.कभी कभी तीतर भी पाले जाते है, इस कारण दिख जाते हैं।
12.गीध तो पहले बढ के वृक्ष पर काफी दिख जाते थे, अब एकदम विलुप्त से जीव हैं।
14.पहले कठफोवड़ा तो जैसे विलुप्त ही हो गया है, जो अपनी तेज चोंच से लकड़ी फोड़ते नज़र आते थे। आज पढ़ा तो उसका नाम हुदहुद लिखा था।
15.
अरे, तोता तो भूल ही गये।
16.बतख भी पालतू जीव है और लोग उसके मुर्गी के अंडों की तरह खाते सुना है।
17.इस प्रकार बगुला भी जोड़ लें तो ये संख्या पंद्रह बनती है। यानी हमारी पक्षियों से मित्रता की लिस्ट बनाये तो ये 17. ही मुश्किल से बैठे गई।
18.अब देखे तो लंबी टांगो वाला सारस भी देखा ही होगा।
19.सर्दियों में तालाबो में तैरती हुई बीच-बीच मे मुर्गाबी teal भी थोड़ी जानी पहचानी है।
22.कभी कभी टटीहरि भी जरूर देखी थी।
23. आम पर बैठी कोयल भी कूकती हुई देखी है।
24.और उल्लू को तो भूल ही गए, आने वालेदिनों में शायद उल्लू को तो शहर के बच्चे नहीं देखे होंगे, उल्लू के पठ्ठे की गाली जरूर जानते रहेंगे।
25. एक पक्षियों का जोड़ा इधर दिल्ली में जरूर कई बार देखा, और हमेशा उसे जोड़े में देखा है। लंबा और स्लेटी रंग का, अब पता चला उसका नाम धनेश है। इसकी चोंच बड़ी व मजबूत हैऔर इसे अंग्रेजी में hornbill के नाम से जानते है। दुनिया में 55 और भारत में 9 प्रजातियां इस पक्षी की है और भारत में 2 फीट लंबे आकार के पाए जाते हैं । इसकी मादा वृक्ष की कोटर में बच्चे देती है और 2 से 6 अंडे देती है और बाहरी जगत से थोड़ा सा सुराख से सम्पर्क रहता है। नर गनेश की जिम्मेवारी चोंच से खाना देने की होती है, और बच्चे बड़े होने पर मादा दीवार तोड़ बाहर आती है। सुना है आजकल इनकी संख्या कम होती जा रही है क्योंकि लोग इसका शिकार खूब करते है।
27.पपीहे को भी गानों में सुना है, परंतु पहचान में नही है। और नाच मेरी
28. बुलबुल, भी खूब सुनी, पर कम ही कभी देखी है। आज छत पे गया तो पीछे अम्बवा पर नए आये बूर पर एक बुलबुल का जोड़ा फुदकते देखा। अतः ये सूची 9 की हो गयी। अर्थात कम हो या ज्यादा दोस्ती हो, परंतु कुल मिलाकर 28 पक्षी ही जान पहचान के है। दिल्ली के पक्षियों की सूची देखी तो, और देश की सूची तो और भी ज्यादा, और दुनियां में तो कुल पक्षियों की प्रजातियां है।
29. Roufus treepie रूफस ट्रिपि 9 नवंबर 20 को इस्से वास्ता पड़ा पहली बार रनथम्बोर शेर सैंक्चुअरी में। मैना जैसी लेकिन पूंछ लंबी घनेश जैसी, मनुष्यों से घुलने मिलने वाली। लगभग भारत में पाई जाती है। कंधे पर बैठकर बिस्कुट आदि उठा ले जाती है। इसे टका चोर भी कहते हैं, क्योंकि इसे चमकीली वस्तुओं को उठा ले जाने का शौक है। अन्य हिंदी नाम भी होंगे।
इनका ग्रुप: श्री सतीश आचार्य की बड़ी बेटी ऋषिता आचार्य ने बहुत से फ़ोटो पक्षियों के घोंसलों के बनाये हैं। ऐसे ही प्रोफ कौशल और एक प्रोफ़ेसर रामकुमार चौधरी जी के कॉलेज का भी खूब जानकारियां रखते हैं।
अगला अंक पक्षियों पर (दुनिया के आंगन में पक्षी)
ReplyDeleteप्रकृति दर्शन राष्ट्रीय ई पत्रिका का अगला अंक ‘पक्षियों’ पर केंद्रित है। इस विषय पर आलेख आमंत्रित हैं। पक्षियों के जीवन, हालात, भविष्य, वर्तमान, भूतकाल, पक्षियों की पर्यावरण में भूमिका, पक्षियों की खूबसूरती, पक्षियों का अस्तित्व, पक्षियों के साथ ये दुनिया, पक्षियों के बिना ये दुनिया जैसे अनेक विषय हो सकते हैं जिन पर लिखा जा सकता है, आलेख के साथ यदि आपके पास संबंधित पक्षी के फोटोग्राफ हों तो वो भी भेजे जा सकते हैं।
पक्षियों पर कहानी और कविताएं भी भेजी जा सकती हैं...।
पक्षियों पर यदि फोटोग्राफी कर रहे हैं तो आप फोटोग्राफ भी भेज सकते हैं, साथ में संबंधित पक्षी की जानकारी भी भेजिएगा।
आलेख 15 जनवरी तक मेल किए जा सकते हैं, साथ में लेखक का फोटोग्राफ, संक्षिप्त परिचय होना चाहिए।
- संबंधित अंक को लेकर आप यदि विस्तार से कुछ चर्चा करना चाहते हैं तो आप नीचे दिए मोबाइल पर या व्हाटसअप पर जानकारी हासिल कर सकते हैं।
संदीप कुमार शर्मा
संपादक, प्रकृति दर्शन, राष्ट्रीय ई पत्रिका
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ईमेल- editorpd17@gmail.com
संभव हो तो आप इस अंक में आलेख भेजिए, हमारी पत्रिका एक प्रयास है प्रकृति की दिशा में मिलकर बेहतर करने का।
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