स्वदेशी जागरण मंच
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.तो राजनेता भी बाहर से मंगवा लें! MOST RECENT Sunday, July 28, 2013 - चीन भारत के लिए बड़ा खतरा बना - जैन कन्या महाविद्यालय में संगोष्ठी आयोजित श्रीगंगानगर। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज देश गर्त में जा रहा है। स्वदेशी चीजों को त्यागकर विदेशी वस्तुओं का खुलेआम आयात किया जा रहा है। सरकार का कहना है कि जो वस्तुएं हमारे यहां काम की नहीं हैं उन्हें बाहर से मंगवाया जाता है। हमारे यहां तो राजनेता भी काम के नहीं हैं तो क्या उन्हें भी बाहर से मंगवा लें। यह बात आत्मवल्लभ जैन कन्या महाविद्यालय में आयोजित 'स्वदेशी की अवधारणा एवं चीन की चुनौतीÓ विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री कश्मीरीलाल ने कही। उन्होंने कहा कि आज वित्तमंत्री से लेकर योजना आयोग के अध्यक्ष केवल विदेशों की नकल करके काम कर रहे हैं। जबकि देश को चाहिए कि वह अपनी जरूरत के मुताबिक स्वयं आविष्कार करे और उसका प्रयोग करे तभी वह स्वदेशी कहलाएगा। उन्होंने कहा कि फिल्मों में दिखाए गए आविष्कार अभिनेता या फिल्म निदेशक नहीं करता, ये किसी ऐसे गरीब व अनपढ़ व्यक्ति की करामात होती है जो अपने अनुभव व बुद्धि के बल का प्रयोग करता है। वे स्वदेशी और ग्रामीण हैं। इसी तरह के अनुसंधान व खोज कर यदि देश का उत्थान किया जाए तो वह स्वदेशी है। देश के फायदे के लिए व्यापार किया जाना चाहिए। देश में कोई चीज नहीं है, और उसकी अधिक जरूरत है तो बाहर से खरीदी जा सकती है लेकिन देश में वे वस्तुएं हैं फिर भी अन्य देशों से खरीदा जा रहा है यह गलत है। उन्होंने कहा कि विज्ञापनों ने विदेशी वस्तुओं का इस तरह प्रचार-प्रसार किया है कि लोग भ्रमित हो रहे हैं। सरकार की गलत नीतियों से आज देश का भ_ा बैठ रहा है। हमने चीन के सामान मोबाइल सेल, टॉर्च और छोटी से छोटी चीज सस्ते के लालच में खरीदकर उसे स्वयं पर हावी कर लिया है। उन्होंने छात्राओं को स्वदेशी वस्तुएं अपनाने व विदेशी का बहिष्कार करने की सलाह दी। उन्होंने चीन द्वारा गत दिनों की गई घुसपैठ के संदर्भ में बोलते हुए कहा कि तिब्बत, हांगकांग, ताईवान जैसे देशों को पूरी तरह निगलने व पाकिस्तान के साथ परमाणु गुप्त सन्धि एवं नये सहयोगी के रूप में उभर कर सामने आया चीन अब पूर्ण रूप से भारत के लिए खतरा बनकर खड़ा है। 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर 38000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया। इसके बाद 1963 में हमारे शत्रु पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर की 5183 वर्ग किमी भूमि चीन को और दे दी। चीन आज अरूणाचल प्रदेश सहित देश की 90000 वर्ग किमी भूमि पर अपना दावा जताकर सीमा चौकियां आगे बढ़ाते हुए घुसपैठ करके हमारे निर्माण कार्यों में बाधा डाल रहा है। चीन ने दैनिक उपयोग की लगभग प्रत्येक घटिया वस्तु को भारत के बाजारों में सस्ते मूल्य में पहुंचाकर स्थानीय उद्योगों को बंद होने की स्थित में पहुंचा दिया है। (चीन से भारत को आयात लगभग तीन लाख करोड़ रूपये वार्षिक है) चीन का रक्षा बजट 150 अरब डॉलर है जबकि भारत का रक्षा बजट मात्र 36 अरब डॉलर है। केंद्र सरकार की सीमाओं पर अनदेखी एवं ढुलमुल नीति के कारण अरूणाचल एवं उद्दाख के सीमान्त प्रदेश संकट में हैं। भारत के सभी पड़ौसी देशों में चीनी सैन्य उपस्थिति के कारण हमारा संपूर्ण देश संकट में है। उन्होंने कहा कि हम चीन की चुनौतियों का सामना करने के लिए समाज को जाग्रत करके केंद्र सरकार पर दबाव डालकर देश की सीमाओं की रक्षा सुदृढ़ करने का विवश कर सकते हैं। सक्रिय एवं जागरूक नागरिक होने के नाते हम चीनी उत्पाद का तत्काल उपयोग बंद करने का दृढ संकल्प लें तथा अधिकाधिक समाज बंधुओं को इस हेतु प्रेरित कर सकते हैं। हम संवदेनशील क्षेत्रों में दिए जा रहे ठेकों पर रोक लगाने की मांग करना, विभिन्न संगठनों द्वारा इस संदर्भ में सरकार पर दबाव डालने के लिए आयोजित धरनों, प्रदर्शनों, गोष्ठियों में सक्रियता से भाग लेना आदि कार्य कर सकते हैं। कार्यक्रम को स्वदेशी के राजस्थान संयोजक भागीरथ चौधरी एवं सह संयोजक धमेन्द्र दूबे ने भी सम्बोधित किया। अध्यक्षता कुन्दनलाल बोरड़ ने की। सचिव नरेश जैन, कोषाध्यक्ष शामलाल जैन एवं अन्य ने भी स्वदेशी पर विचार व्यक्त किये। बड़ी संख्या में छात्राएं, स्टाफ तथा गण्यमान्य नागरिक उपस्थित थे।
Monday, July 29, 2013
तो राजनेता भी बाहर से मंगवा लें!
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