Thursday, July 25, 2013

A pamphlet material (Hindi ) against Chinese products and Policies

सावधान ! विस्तारवादी ड्रेगन चीन से भारत को खतरा ।

क्या हम जानते है ?
- 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर 38000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर
जबरदस्ती कब्जा कर लिया। इसके बाद 1963 में हमारे शत्रु पाकिस्तान ने पाक
अधिकृत कश्मीर की 5183 वर्ग किलोमीटर भूमि चीन को और दे दी।
- चीन आज अरूणाचल प्रदेश सहित देश की 90,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अपना
दावा जताकर सीमा चैकियां आगे बढ़ाते हुए घुसपैठ करके हमारे निर्माण
कार्यों में बाधा डाल रहा है।
- चीन द्वारा जम्मू-कश्मीर को अपने नक्शों में भारत का अंग नहीं दिखाया
जाता है। अरूणाचल प्रदेश को चीन का अंग दिखाकर वहां के नागरिकों को बिना
पासपोर्ट वीजा के चीन आने का आमंत्रण दिया जाता है।
- हमारे प्रधानमंत्री जी द्वारा अरूणाचल को ‘‘हमारा सूरज का प्रदेश’’
करने पर चीन द्वारा हमारी महिला राजदूत को रात्रि 2 बजे उठाकर कड़ा विरोध
व्यक्त करते हुए चेतावनी दी जाती है।
- चीन ने हमें आहत करने हेतु लश्कर-ए-तोयबा के आतंकवादी व जैश-ए-मोहम्मद
के संस्थापक मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए
संयुक्त राष्ट संघ में प्रस्तुत भारत का प्रस्ताव का विरोध किया।
- चीन ने भारतीय सीमा पर परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी है, जिनके मारक
क्षेत्र में सम्पूर्ण भारत आता है।
- भारत की चारों ओर से घेराबंदी की दृष्टि से चीन ने पाकिस्तान (ग्वादर
बंदरगाह), बांग्लादेश (चटगांव बंदरगाह), नेपाल एवं श्रीलंका में सैन्य
गतिविधियां तेज कर दी है।
- हमारे देश के अतिसंवेदनशील स्थानों पर विविध परियोजनाओं में निर्माण के
ठेके अत्यन्त कम दरों पर भरकर देश के अन्दर चीन अपनी उपस्थिति एवं
गतिविधियां बढ़ा रहा है।
- चीन ने दैनिक उपयोग की लगभग प्रत्येक घटिया वस्तु को भारत के बाजारों
में सस्ते मूल्य में पहंुचाकर स्थानीय उद्योगों को बन्द कराने की स्थिति
में पहुंचा दिया है। (चीन से भारत को आयात लगभग तीन लाख करोड़ रूपये
वार्षिक है।),
- चीन का रक्षा बजट 150 अरब डाॅलर है जबकि भारत का रक्षा बजट मात्र 36
अरब डाॅलर है।
परिणाम क्या हो सकते हैं ?
- केन्द्र सरकार की सीमाओं पर अनदेखी एवं दुलगुल नीति के कारण अरूणाचल
एवं लद्दाख के सीमान्त प्रदेश गहन संकट में हैं।
- भारत के सभी पड़ोसी देशों में चीनी सैन्य उपस्थिति के कारण हमारा
संपूर्ण देश संकट में हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय विरोध के बावजूद चीन द्वारा अपने क्षेत्र में
बह्मपुत्र नदी पर बड़े बांधों के निर्माण के फलस्वरूप असम सहित
पूर्वाेत्तर राज्यों में सूखे की आशंका।
- सस्ते व घटिया चीनी उत्पादों के भारी आयात से हमारे यहां के लघु व
मध्यम उद्योग जल्दी ही बंद होने के कगार पर है। जिससे लाखों लोगों के
बेरोजगार होने का खतरा मंडरा रहा है।
हम क्या कर सकते हैं ?
- समाज को जाग्रत करके केन्द्र सरकार पर दबाव डालकर देश की सीमाओं की
रक्षा सुदृढ़ करना।
- सक्रिय एवं जागरूक नागरिक होने के नाते हम चीनी उत्पादों का तत्काल
उपयोग बंद करने का दृढ़ संकल्प लें तथा अधिकाधिक समाज बन्धुओं को इस हेतु
प्रेरित करें।
- केन्द्र सरकार पर दबाव बनाकर भारत में टयूरिस्ट वीजा पर रह रहे चीनी
कर्मचारियों को देश से बाहर निकालना।
- संवेदनशील क्षेत्रों में दिए जा रहे ठेकों पर रोक लगाने की मांग करना।
- विभिन्न संगठनों द्वारा इस संदर्भ में सरकार पर दबाव डालने के लिए
आयोजित धरनों, प्रदर्शनों, गोष्ठियों में सक्रियता से भाग लें।
हम पुनः सावधान हों - चीन आज तिब्बत, हांगकांग, ताईवान जैसे देशों को
पूरी तरह निगल चुका है और यदि हम नहीं जागे तो यह दिन हमें भी देखने पड़
सकते हैं।
हम स्वयं जगे - समाज को जगाएं - देश को बचाएं।
स्वदेशी अपनाएं - देश बचाएं।









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