Thursday, January 19, 2023

स्वामी विवेकानंद

श्री कश्मीरी लाल जी -* (1340 शब्द)
                                            *कश्मीरी लाल जी स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संगठक हैं और कार्यक्रम में द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता थे*   स्वामी जी की 6 बातें सीखने लायक: (1)स्वास्थ्य पर ध्यान, (2) एकाग्रता व ध्यान का महत्व, (3)साहस व आत्मविश्वास, (4)सेवा का महत्व, (5)हिंदुत्व का अभिमान व (6)संगठन कौशल्य। 
............
उन्होंने मंच पर आते ही कहा की प्यारे विद्यार्थियों मैं एक प्रश्न आपसे पूछता हू, अब एक प्रश्न का उत्तर आपको देना है और भाई सोच करके देना है क्योंकि आपने काफी देर से सुना है स्वामी विवेकानंद जी के बारे में।  अपनी पढ़ाई के दौरान आपने पढ़ा है  कि किस प्रकार का भाषण उन्होंने दिया  आपने सुना है कि वह व्यक्ति जिसे कोई वहां जानता नहीं था| उस विद्यार्थी के लिए उस 30 साल के युवा के लिए जो वहां भाषण देने आता है उसके 5 शब्दों  के बोलने पर 2 मिनट लगातार तालियां बजती है|  11 सितम्बर 1893 की प्रथम पार्लियामेंट ऑफ रिलीजन शिकागो में, आप सब जानते हैं कि वह दो शब्द क्या थे, जिस पर तालियां बजी -*

*मेरे प्यारे बहनों और भाइयों,*
*यही वे पांच शब्द थे|*
*बिल्कुल यही शब्द थे 
*2. और दूसरा प्रश्न मैं आपसे करना चाहूंगा  और वह आपको हिला देगा  कि जब अमेरिका के सारे अखबार स्वामी विवेकानंद जी की प्रशंसा में भरे हुए थे, सभी समाचार पत्रों ने कहा कि कल जब 7000 या 4000 ऑडियंस थी, कल जब सैकड़ों की तादाद में  वक्ता थे उनमें सबसे बढ़िया भाषण हुआ वह स्वामी विवेकानंद का हुआ| जब यह सब समाचार पत्रों में छपा होगा तब आप सोचिए कि भारत में उनके साथ रहने वाले उनके  साथी थे जो कठिन तपस्या करते थे,  जो गुरु के एक ही स्थान पर रहते थे तो वह कितनी खुशी मना रहे होंगे, कहां खुशी मना रहे होंगे ऐसा आप सोच सकते हो क्या ?*
*आपको लगेगा कि उस दिन बहुत सारा जश्न मनाया जा रहा होगा, उनके साथी तालियां पीट रहे होंगे*
*ऐसा है कि नहीं है कि उनका एक साथी अचानक दुनिया में बहुत प्रसिद्ध हो गया, उनके बाकी लोग कितने प्रसन्न हुए होंगे यहआप सोच सकते हो लेकिन उत्तर आपको निराश करेगा कि कोई प्रसन्नता नहीं थी, कोई बधाई नहीं दे रहा था  कोई एक दूसरे को कह ही नहीं रहा था कि कमाल हो गया,*
*कारण य़ह था कि  15 दिन तक उनके साथियों को यह ही नहीं पता चला कि  जिस व्यक्ति का भाषण हो रहा है विवेकानंद, यह वही हमारा दोस्त है जिनको हम नरेंद्रदत्त के नाम से जानते हैं, यह विवेकानंद वही हमारा मित्र है यह कोई और नहीं जानता था।*
*अब आप सोच सकते हैं कि जो घटनाएं दुनियाँ में होती हैं वह सोच समझकर नहीं होती है, अचानक भी कभी-कभी होती हैं  और अपने जीवन के अंदर भी ऐसी कोई घटना आए  उसके लिए भी हमें तैयार रहना चाहिए|*
3. *स्वामी विवेकानंद जी ने उससे पहले कभी इतनी ज्यादा संख्या के सामने भाषण नहीं दिया था, और वहां अंग्रेजी में भाषण दिया जाना था जो की श्रेष्ठ अंग्रेजी थी और उसका उच्चारण बिल्कुल यूरोपवासियों जैसा था। मात्र 473 शब्दों की थी* ऐसी बात इंग्लैंड के सभी प्रसिद्ध अखबारों में छपी थी।  *उनके विद्यालयों में अंग्रेजी में कभी उच्च अंक नहीं आए , ना ही संस्कृत में अच्छी अंक आये थे। इसलिए अगर आप कहीं पढ़ाई में कमजोर हों या अंकत्तालिकाओं ने श्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाएं तो ये मत सोचना की आप अंग्रेजी नहीं बोल सकते , आप जीवन में उच्चता के शिखर पे नहीं जा सकते या आप देश समाज को प्रभावित नहीं कर सकते। विवेकानंद जी का जीवन इसी निराशा में से आशा की और बढ़ने का संदेश देता हे।* 
4. *स्वामी विवेकानंद जी सबसे ज्यादा स्वास्थ्य और खेलो की महत्व देते थे। उन्होंने कहा की आज गीता पढ़ने से अधिक शारीरिक रूप से मजबूत ओर स्वस्थ होना अधिक आवश्यक है।* *वो कहते थे की जो युवा लोहे जेसी मजबूत भुजाओं वाला नही होगा वो न तो भगवान श्री कृष्ण की गीता को पढ़ पाएगा, ना समझ पाएगा और न उस ज्ञान की रक्षा ही कर पाएगा। आपने देखा होगा की उनका शरीर कितना बलवान और सुंदर था , वो कितने बलिष्ट थे। जब वो। अमेरिका धर्म संसद में भाग लेने गए तब वहां कोई परिचित नहीं होने के कारण सड़क के पास खुले में सोए, तब उन्होंने कहा था कि अगर मेरा शरीर मजबूत नहीं होता तो में वही मर चुका होता। उन्होंने मोटे अनाज की रोटी पानी में भिगो कर खाई तथा इसी परिस्थितियों में भी अपना समय व्यतीत किया।* इस लिये युवाओं को अपने स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। 
5. एकाग्रता व ध्यान:  
*स्वामी जी से सीखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात जो हे वो हे, एकाग्रता। ये गुण उन्होंने बचपन से ही प्राप्त कर लिया था। एक बार बचपन में खेल खेल में ध्यान लगाया। तब उनके साथी थोड़ी देर में उठ गए , और बालक नरेंद्र को ध्यान से हटाए की कोशिश करने लगे। इतनी देर में वह सांप आ गया, बालक चिल्लाने लगे ! सांप आ गया , सांप आ गया। लेकिन नरेंद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जब वो ध्यान से बाहर आए तब उनके साथियों ने बताया की यहां थोड़ी देर पहले सांप आ गया था। तब उन्होंने कहा की में तो ध्यान लगा रहा था , और बिना कारण से कोई जीव कभी किसी को हानि नहीं पहुंचाता है ये हमे ध्यान रखना चाहिए।* 
*स्वामी विवेकानंद जी के बचपन की याद करने की क्षमता और तेज बुद्धिमता के कईं उदाहरण हैं।* *एक बार वो अमेरिका में किसी पुस्तकालय में गए और वह से  2,3 पुस्तकें पढ़ने के लिए ली, अगले दिन उन्होंने वो वापस कर दी।* *तब पुस्तकालय प्रभारी ने पूछा की क्या तुम्हे पुस्तकें पसंद नहीं आयी, तब उन्होंने कहा की पुस्तक तो अच्छी थी।* *फिर उन्होंने पूछा की क्या तुम्हे पुस्तक पढ़ने का समय नहीं मिला और कहीं जा रहे हो इसलिए वापस कर रहे हो, तो उन्होंने कहा की मुझे पढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिला।* *तो क्या तुम पढ़ नहीं पाए , तो स्वामी जी ने कहा की मेने सब पढ़ ली। तो पुस्तकालय प्रभारी ने कहा की मेने अपने जीवन काल में आजतक किसी को इतनी बड़ी पुस्तक इतने कम समय में पूरी पढ़ के वापस करते हुए नहीं देखा।* *तब उन्होंने कहा की आप किसी भी पृष्ठ से कोई वाक्य पूछ लीजिए तब आपको विश्वास हो जायेगा। तब उन्होंने अलग अलग पृष्ठों से कुछ बातें पूछी जो स्वामी जी ने यथावत बता दी।* *इस घटना से सभी आश्चर्यचकित हो गए और जब उनसे पूछा गया की क्या इतने कम समय में इतनी बड़ी पुस्तक पढ़ना संभव हे। तब स्वामी जी ने कहा की ये संभव हे, उच्च एकाग्रता व अभ्यास से।*  *इसी तरह मेने एकाग्रता और ध्यान से मेरी बुद्धि , मन और मस्तिष्क को इस प्रकार साध लिया है की मैं एक बार देखते ही उस पुस्तक या लेख को याद कर लेता हूं।* *हमे भी हमारे मन को एकाग्र और मन को संयमित करने की तथा स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा प्राप्त करने की आवश्यकता हे। इस कार्यक्रम से जाने के बाद उनकी जीवनी या किसी न किसी पुस्तक को अवश्य अध्ययन करें*
*3. आत्मविश्वास: साहस: 
*स्वामी विवेकानंद जी ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण बात कही थी की , नास्तिक वो नहीं हे जो कहता हो की में ईश्वर पर  विश्वास नहीं करता , जबकि नास्तिक वो हे जो खुद पर विश्वास नहीं करता।* *आत्मविश्वास सबसे बड़ी पूंजी है।*
*आज हमे जो मनुष्य जीवन और जो शरीर मिला हे ये अमूल्य है। अगर इसका वैज्ञानिक या चिकित्सकीय आंकलन किया जाए तो एक जीते जागते मानव शरीर का मूल्य इतना अधिक हे की इसे कृतिम रुप से बनाया जाना संभव नहीं है। अपोलो अस्पताल के प्रमुख डॉ प्रताप रेड्डी ने ने इसे 60 ट्रिलियन डॉलर का नोशनली बताया। यह अमूल्य है।इसलिए इस शरीर को स्वस्थ रखें और इसका उपयोग मानव जाति के कल्याण के लिए करें।* *स्वामी विवेकानंद जी जब देश में भुखमरी, अशिक्षा, अनाथ और स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों को देखते थे तो बहुत दुखी होते थे। हमे इन सबको ध्यान में रखकर अपने जीवन को अपने अपने कार्यक्षेत्र में पुरुषार्थ करते हुए भारत माता की ओर मानवता सेवा मे लग जाएं।*
* *सबसे अधिक आवश्यकता है की भारत का युवा स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बने और देश के युवाओं को नई दिशा , नया रोजगार प्रदान करें और आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर भारत बनाने में सहयोग करें और स्वामी विवेकानंद जी के स्वप्न को साकार करें।*

*स्वामी विवेकानंद जी का जीवन इतना प्रासंगिक और इतना आदर्शपूर्ण रहा हे की उनके किसी भी एक प्रसंग , एक घटना या एक वाक्य को ध्येय बना कर आप और भारत का हर युवा विवेकानंद जी के मार्ग पर चल कर इस देश और अपने व्यक्तित्व को महानता के शिखर पर ले जा सकते हैं।*

No comments:

Post a Comment