स्वदेशी जागरण मंचाराश्त्रीय परिषद (चैन्नई), 9-10 अप्रैल, 2011प्रस्ताव क्रमांक - 1जी.एम. फसलों, जीवों और उनसे बने खादी पदाथो± को प्रतिबन्धित किया जाएजी.एम. (आनुवंशिक रूप से परिष्कृत) फसलों, जीवों और उनसे बने खाद्य पदाथो± के कारण जन स्वास्थ्य एवं देश की जैविक सम्पदा के लिए गम्भीर खतरा उत्पन्न हो गया है। बिना किसी प्रभावी जैव सुरक्षा उपायों के इन फसलों एवं जीवों पर अनुसन्धान एवं परीक्षण की अनुमति और इनसे बने खाद्य पदाथो± के लिए नियमन एवं नियन्त्रण का पूर्ण अभाव गहरी चिन्ता का विषय है।ऐसी जी.एम. फसलों एवं जीवों में परिवर्तन एवं उनसे सटेे, इन फसलों की टर्मिनेटर प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्ट्रेलाईजेशन से निकले पराग के सन्दर्भ में अन्य देशों में आवश्यक रक्षा उपाय, अनिवार्य शर्त है। लेकिन भारत में समान रूप से घातक टर्मिनेटर प्रौद्योगिकी को लागू किए जाने से किसानों को उनकी बीज सम्पदा से वंचित किया जा रहा है। वास्तव में यह समझ के परे है कि भारत सरकार द्वारा `स्टारलिंक मक्की´ के एलर्जी प्रभावों एवं चूहों के गुदो± एवं लीवर पर `जी.एम. टमाटरों´ के उपभोग के प्रभावों का सञ्ज्ञान क्यों नहीं लिया गया। यह भी समझ के परे हैं कि सरकार को कौन सी मजबूरी जी.एम. उत्पादों पर लेबलिंग करने एवं जिन देशों में वे उत्पाद प्रतिबन्धित हैं, के नामों को उस लेबल पर लिखने से रोक रही है। क्यों बी.टी. कपास के जहरीले पराग के प्रसार को रोकने और उसके ए.ए.डी. जीन के साथ जुड़कर सुपर कीट के प्रादुर्भाव को रोकने की किसी रणनीति के बिना बी.टी. कपास को अनुमति दे दी गईर्षोर्षो क्यों सरकार बी.टी. बैंगन के असफल परीक्षण के बावजूद उसे अनुमति देने में जल्दबाजी दिखा रही हैर्षोर्षो इन सभी सवालों से यह साबित हो जाता है कि यह सरकार जन स्वास्थ्य और हमारे प्रारम्परिक जैव सम्पदा के साथ खिलवाड़ कर रही है। इससे भी अधिक दुख का विषय यह है कि प्रस्तावित बायोटेक नियामक कानून में सरकार द्वारा यह प्रस्ताव किया गया कि जो व्यक्ति जी.एम. फसलों का विरोध करेंगे उन्हें दण्डित किया जायेगा। सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि जैव प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अमरीकी सरकार ने तो कृषि जैव आतंकवाद के खिलाफ 300 करोड़ डॉलर के बजट के साथ एक रक्षा कक्ष भी स्थापित किया है। इन तथ्यों के आलोक में आनुवंशिक रूप से संशोधित (जी.एम.) किस्मों के खतरों के मद्देनज़र स्वदेशी जागरण मंच सरकार से मांग करता है कि भारत में जी.एम. बीजों के उपयोग पर तुरन्त प्रभावी प्रतिबन्ध लगाए।------------------------------------------------------------------------
स्वदेशी जागरण मंचराष्ट्रीय परिषद (चैन्नई), 9-10 अप्रैल, 2011प्रस्ताव क्रमांक - 2परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की समीक्षा कर उसे प्रतिबन्धित किया जाएजापान में 11 मई 2011 को आयी भीषण सूनामी के कारण फूकूशीमा परमाणु संयन्त्र की आपदा को आज जापान और विश्व में भारी संकट के रूप में देखा जा रहा है। फूकूशीमा संयन्त्र में 6 परमाणु रिएक्टर हैं और वे सभी `बी.डब्ल्यू.आर´ प्रकार के हैं। 11 मार्च को आयी सूनामी ने इन परमाणु रिएक्टरों के शीतलन प्रणाली को पूरी तरह से ध्वस्त ही कर दिया है। इसके कारण रिएक्टर कोर में गर्मी बढ़ने के कारण विस्फोट हो रहे हैं, इन्धन छड़ों के क्षतिग्रस्त होने के कारण आसपास के क्षेत्र में रेडियोधर्मी पदार्थ फैल रहे हैं। तुरन्त आणविकी आपातकाल भी घोषित कर दिया गया। इस प्रतिबन्धित क्षेत्र में उत्पादित दूध और अन्य खाद्य पदाथो± का सेवन न करने की चेतावनी दी गई है।फुकुशीमा के आसपास का समुद्री पानी भी रेडियोधर्मिता से दूषित हो चुका है और समुद्री जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। सूनामी के एक महीने के बाद भी अधिकारी रिएक्टरों से रेडियोन्धर्मी पदाथो± के विकरण को रोकने में असफल हो रहे हैं। जापान अनुशासनयुक्त लोगों के साथ अत्यधिक विकसित देश है, इसके बावजूद आणविकी आपदा का सामना करने में वे असमर्थ हो रहे हैं। फुकुशीमा आणविकी विध्वंस ने दुनिया को परमाणु संयन्त्रों के सुरक्षा मानकों और आपदा प्रबन्धन के सम्बन्ध में पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में भारत इससे अछूता नहीं रह सकता।आज भारत में 19 परमाणु रिएक्टर कार्य कर रहे हैं। तारापुर के 2 रिएक्टरों को छोड़कर शेष सभी `कण्डू´ प्रकार के पी.एच.डब्ल्यू.आर. रिएक्टर हैं। जिनकी क्षमता 4000 मेगावाट की है, जो हमारी कुल क्षमता का मात्र 4 प्रतिशत ही है।प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. सरकार ने देश में आणविक ऊर्जा का अत्यन्त महत्वकांक्षी कार्यक्रम बनाया है।• विवादास्पद भारत-अमरीकी आणविक समझौता किया गया है जिसकी आई.ए.ई.ए. एवं आणविकी पूर्तिकर्ता समूह से मान्यता भी प्राप्त कर ली गई है। संसद में तमाम विरोधों के बावजूद न्यूनतम देनदारी बिल भी पारित करवा लिया गया है।• भारत द्वारा वर्तमान में 4000 मेगावाट की आणविकी ऊर्जा क्षमता को 2030 तक बढ़ाकर 60000 मेगावाट तक बढ़ाने का महत्वकांक्षी लक्ष्य घोषित किया गया है। यानि मात्र 20 वषो± में 15 गुणा।• यह सब आयातित रिएक्टरों, आयातित यूरेनियम इन्धन और आयातित प्रौद्योगिकी के द्वारा प्राप्त किया जायेगा। • सरकार की महाराष्ट्र, पिश्चमी बंगाल, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडू प्रत्येक राज्य में 10000 मेगावाट क्षमता वाले 5 आणविक ऊर्जा पार्क स्थापित करने की योजना है। • आणविक रिएक्टरों से होने वाले खतरे केवल भुकम्प एवं सूनामी से ही नहीं बल्कि आतंकवाद से भी हैं। हमारे वर्तमान एवं भविष्य के रिएक्टरों की आतंकवाद से सुरक्षा हेतु हम कितने तैयार हैर्षोर्षो• आणविक ऊर्जा मूल रूप से असुरक्षित है और उसमें सुरक्षा हेतु प्रयास होते हैं और यही सुरक्षा के उपाय जो बाहरी तौर पर लगाए जाते है आपदाओं का कारण बनते हैं। आणविक आपदा रेडियोधर्मिता का प्रसार करती है जो मानव जीवन के लिए कई पीढ़ियों तक हानिकारक रहती है। जल, भूमि और वायु सभी में इसका जहर फैल जाता है।• एक परमाणु रिएक्टर 40 वषो± की अधिकतम अवधि के लिए काम करता है। इसके बाद आने वाली पीढ़ियों पर इन मृत रिएक्टरों की रक्षा और उन्हें ठण्डा रखने की जिम्मेदारी रहती है। क्या हम अपने बच्चों पर यह असहनीय बोझ नहीं डाल रहे हैंर्षोर्षो • हम देख चुके है कि किस प्रकार हमारी सरकारों ने भोपाल गैस त्रासदी के समय व्यवहार किया। उसके बाद वास्तविक अपराधियों को सरकारी गाड़ियों और वायुयान में पुलिस की सुरक्षा के तहत भागने में मदद की गई और हजारों असहाय लोगों और बच्चों को न्याय के बिना उसके परिणामों से भुगतने के लिए बिना आसरे छोड़ दिया गया। स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद यह मांग करती है कि1. परमाणु ऊर्जा के विस्तार कार्यक्रम को न्यूनतम 3 वर्ष के लिए स्थगित कर दिया जाए। 2. 3 वर्ष के इस कालखण्ड को परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की समीक्षा हेतु मानचित्र बनाने के लिए इस प्रकार से उपयोग किया जाए कि आणविक ऊर्जा में निहित विध्वंसकारी नतीजों के मद्देनज़र हम परमाणु ऊर्जा पर प्रतिबन्ध लगाने में सफल हो जाएं। 3. आणविक ऊर्जा के लिए आवण्टित धनराशि को पवन, सौर, ज्वारीय एवं जैव इन्धनों जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतो के विकास हेतु अनुसन्धान करने के लिए उपयोग किया जाए। यह ऊर्जा स्थाई, विकेन्द्रीकृत एवं पर्यावरण के अनुकूल होगी। हमें याद रखना होगा कि परमाणु ऊर्जा में भोपाल गैस त्रासदी जैसे विध्वंस को देश सहन नहीं कर पायेगा। .........................................................
स्वदेशी जागरण मंचराष्ट्रीय परिषद (चैन्नई), 9-10 अप्रैल, 2011प्रस्ताव क्रमांक - 3काले धन का राष्ट्रीयकरण होदेश में भ्रष्टाचार को लेकर जनता के बीच असन्तोष चरम पर है। आम जन हर हाल में भ्रष्टाचार से छुटकारा चाहता है। इसके लिए वह हर उस संगठन, व्यक्ति और विचार को अपना समर्थन देने के लिए तैयार है जो देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की मुहिम प्रारम्भ करने के लिए आगे आ रहा हैं। जनता भ्रष्टाचार और घोटालों से इतनी त्रस्त हो गई है कि वह इस मामले पर सीधी लड़ाई के लिए भी तैयार है। जरूरत है इस जन आक्रोश को दिशा देने की। स्वदेशी जागरण मंच इस विषय पर लगातार अपने कार्यक्रमों और आन्दोलनों के माध्यम से वातावरण तैयार करने में अपनी भूमिका निभाता रहा है। मंच के कार्यकर्ता स्थान-स्थान पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। मंच न सिर्फ सरकारी विभागों और प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करवाने के लिए कृत संकल्प है, बल्कि विदेशी बैंकों में जमा देश की अघोषित सम्पत्ति को भारत लाने पर सरकार को विवश करने के लिए विभिन्न स्तरों पर चल रहे अभियानों को अपना समर्थन दे रहा है। चाहे वह जन जागरण का अभियान हो या फिर उपयुक्त कानून बनाने में सलाहकार की भूमिका हो, मंच हर हाल में काले धन को देश में लाने और उसका उपयोग देश की अर्थव्यवस्था के विकास कायो± में लगवाने के लिए सरकार को बाध्य करने हेतु आन्दोलन चला रहा है और उसे तेज करने की योजना बना रहा है। विभिन्न स्रोतों से यह तथ्य सामने आ रहे हैं कि कर मुक्त देशों में भारतीयों द्वारा कम से कम 80 लाख करोड़ रूपये जमा हैं, जो भ्रष्टाचार या अन्य गैर कानूनी स्रोतों से प्राप्त धन हो सकते हैं। यह राशि लगभग हमारे एक वर्ष के सकल घरेलू उत्पादन से भी अधिक है। बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण सरकारी राजस्व को होने वाली भारी हानि के कारण न केवल सरकार को भारी ऋण लेना पड़ता है, अतिरिक्त मुद्रा का प्रसार भी होता है। जिसके कारण जनता भारी मुद्रा स्फीति एवं महंगाई के बोझ तले लगातार दबती जा रही है।सरकार को हो रही राजस्व की हानि के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सामाजिक सेवाओं पर सरकारी खर्च नहीं हो पाता। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में आज हमारे देश में एक हजार में से 66 बच्चे अपना पांचवां जन्मदिन भी नहीं मना पाते। निरक्षता हमारे देश के आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। देश में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामलों, 2जी स्पेक्ट्रम (1.76 करोड़), राष्ट्र मण्डल खेल (50 हजार करोड़), तेलगी घोटाला (40 हजार करोड़) इत्यादि ने देश को अत्यन्त भ्रष्ट देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है और आज देश का पारदर्शिता सूचकांक गिरकर 3.3 तक पहुंच गया है और देश भ्रष्टाचार की सीढ़ी पर 89वें स्थान पर पहुंच चुका है।देश की जनता की मेहनत से कमाया हुआ धन या तो विदेशों को लाभ पहुंचा रहा है, अथवा अनैतिक तरीके से देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। मंच का यह मानना है कि यदि यह धन देश में आ जाता है तो देश में किसी भी परियोजना के लिए अगले दस वर्ष तक सरकारों को किसी कर्ज की जरूरत नहीं होगी।मंच सरकार के हर उस तर्क को खारिज करता है जिसमें यह कहा जा रहा है कि विभिन्न देशों के बीच हुए समझौते के कारण भारत स्विस बैंक या अन्य कर स्वर्ग देशों के बैंकों में जमा धन की जानकारी हमें नहीं मिल सकती या उन लोगों के नाम सामने नहीं आ सकते जिन्होंने इन देशों में भारत की सम्पत्ति को छुपा रखा है। मंच सरकार को यह चेतावनी देता है कि काले धन को देश में वापिस लाने के प्रयासों के साथ की साथ इसमें शामिल लोगों के नाम सार्वजनिक करे।स्वदेशी जागरण मंच की यह राष्ट्रीय परिषद यह प्रस्ताव करती है कि सरकार शीघ्र ही देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए ऐसा कानून बनाए जिसमें यह प्रावधान हो कि भ्रष्टाचार के आरोपियों को बिना किसी देरी के सख्त सजा मिले। भ्रष्टाचार के आरोपियों को चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगाया जाए। आरोप सिद्ध होने पर भ्रष्टाचारियों की सम्पत्ति जब्त कर ली जाए।राष्ट्रीय परिषद यह भी प्रस्ताव करती है कि विदेशों में जमा काले धन को सिर्फ कर चोरी के दृष्टिकोण से न देख कर देश के खिलाफ मामला माना जाए और काला धन जमा करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए। इस प्रकार से विदेशों में गैर कानूनी रूप से जमा काले धन के मामलों और भ्रष्टाचार के मामलों में तीव्र न्याय मिलने के लिए समयबद्ध न्याय की प्रक्रिया अपनाए जाने सम्बन्धित कानून बनें। स्रोत न बताने वालों के धन को जब्त कर लिया जाए और उसका राष्ट्रीयकरण कर दिया Swadeshi Jagaran Manch
Rashtriya Prishad, Chennai (9-10 April, 2011)
ALL THE THREE RESOLUTIONS ARE HERE GIVEN IN ENGLISH
Resolution No.1
Ban Genetically Modified Crops, Organisms and Foods made from them
Genetically modified Crops and Organisms and the food material made from them have been posing serious threat to the public health and biological wealth of the country. Approval of such organisms and permitting research and trial of them without effective bio-safety measures and lack of regulation of food items made from them, are all matters of serious concern.
In order to safeguard against the mutation in such genetically modified crops and organisms and to protect the adjacent germ-plasm from pollen exit sterlisation of such crops by terminator technology is made mandatory in other countries. But, in India induction of terminator technology is equally fatal as the farmers would by rendered devoid of their seed wealth.
Indeed, it is very serious that why the government is not taking cognizance of the allergic “star link corn” and the damage caused to the kidneys and livers of mices etc., fed on genetically modified tomatoes? What compulsion is there upon the government for not bringing the legislation to label the genetically modified food as GM food and stating the names of the countries on the label where it is banned?
Why BT cotton was permitted without any effective strategy to arrest the pollen exit leading to the spread of the poison synthesizing “AAD” gene and to prevent the evolution of the ball worm into super pest? Why the government shown undue haste, through unsuccessfully to introduce BT Brinjal?
All these questions are evident enough to prove beyond doubt that the government is playing with the public health and safety of our germ plasm. It is also deplorable that the government had proposed to incorporate a provision in the Bio Tech Regulators Law to penalize the persons, who would oppose the genetically modified crops. The government should also keep it in view that the genetic engineering can be used as a weapon by the terrorists. the US government has already established a defence cell with a budget of $300 million, against the agri-bio terrorism.
In view of the dangers of the genetically modified varieties, the Swadeshi Jagran Manch demands that the government should ban the usage of GM seeds crops and GM food in the country. REVIEW AND BAN THE NUCLEAR ENERGY PROGRAMME
The Earth Quake in Japan on 11th of March and the killer Tsunami which struck immediately afterwards are paling into insignificance before the disaster of Fukushima Nuclear Plant. There are 6 nuclear reactors at Fukushima Plant and all are B W R type. The Killer Tsunami on 11th March totally destroyed the cooling system of the reactors (LOCA). As a result there was a heat surge in reactor core, leading to explosions, partial damage of the fuel rods and escaping of radio active materials into the surrounding atmosphere. A Nuclear Emergency was immediately declared. All the people were evacuated in 20 k.m. exclusion zone around the plant.The people were warned not to consume milk and other food products of the exclusion zone. The sea water around Fukushima also have become highly radio active seriously affecting the marine life. Even after nearly one month, the authorities are unable to contain the spread of radiation from the reactors. Japanese are highly technically advanced and extremely disciplined people. Such people are facing the nuclear disaster.
The Fukushima Nuclear Disaster has made several countries of the world to sit up and review the safety standard and emergency preparedness of their nuclear reactors. India also has to do it.
India today has 19 working nuclear rectors. Except 2 at Tarapur, all others are CANDU type PHWR reactors. The total installed capacity is 4000 M W accounting for 4% of our total installed capacity.
The UPA government under P M Manmohan Singh has a highly ambitious programme for developing nuclear energy in the country.
· It has concluded the highly controversial Indo US Civilian Nuclear Agreement which gets its recognition from IAEA and the Nuclear Supply Group. It has also passed Nuclear Liability Bill.
· India wants to take its nuclear power capacity from 4000 M W E as on 2011 to 60000 M W E by 2030. 150 times expansion in just 20 years.
· All these would be achieved with imported reactors, imported uranium fuel and imported technology.
· The Govt plans to establish 5 nuclear power parks each with 10000 M W capacity at Jaitapur in Maharsatra, West Bengal , Gujarat, Andhra and Tamilnadu.
· The greatest danger to our nuclear reactors comes not so much from earth quake or Tsunamis but from Terrorism . How prepared are we to safeguard our present as well as future reactors from Terrorism?.
· Nuclear energy is basically unsafe but safety is engineered into it. It is these externally engineered devises that create disasters. A nuclear disaster spreads radio activity which are extremely dangerous to Human beings for several generations. The water, soil and air all become poisonous.
· A nuclear reactor works for a maximum period of 40 years . Afterwards the dead reactors have to be safeguarded and continuously cooled for several centuries. Who takes this responsibility?. Are we not imposing an unbearable burden on our children?
· How badly and how messily our governments handled the Bhopal Gas tragedy. Real culprits were helped to escape by state cars and plane under police safeguard , whereas thousands of helpless men, women and children were left free to suffer the consequences without any justice in sight.
· SJM at its Rashtriya Parishath held at Chennai on 9th and 10th April 2011 demands the Govt.of India :
DEMANDS
1.To impose a moratorium of three years on the expansion programme of nuclear energy
2. To use this period for preparing a Road Map to review our nuclear energy programme in such a way that in the shortest possible time, we will be able to impose the complete ban on nuclear energy in view of its inherent hazardous nature
· Funds allocated for nuclear industry be diverted for boosting research and development of renewable energy sources such as Wind, Solar, Tidal Power, Bio-fuels and so on. These are safe, sustainable, decentralized and eco-friendly.
The Country cannot afford to face a repetition of Bhopal Gas Tragedy in the Nuclear form.
Resolution No.3
Nationalise all the Black Money
People’s anger is at the verge of explosion, on the issue of corruption. Common man is desperate to get rid of this menace at any cost. For this people are ready to support all such organizations, individuals and ideologies who are coming forward to start campaign against corruption. People are so very irritated that they are even ready for direct fight against corruption. At this juncture we need to give direction to people resentment. Swadeshi Jagaran Manch has been performing an important role in this direction with the help of its programmes and campaigns. Activists of the Manch are preparing a road map for fight against corruption at all levels.
Swadeshi Jagaran Manch is not only committed to stop corruption prevalent in government department and administration, it is lending its active support to the campaigns at different levels to bring back nation’s wealth deposited in foreign banks illegally. Swadeshi Jagaran Manch has been fighting for bringing Indian wealth back to India at any cost in the role of consultant to make law for this purpose, and by way of movement to compel the government to stop defending the law breakers, with the ultimate aim to bring nation’s money back and channelize the same for the development of the economy. From different sources it is becoming evident that at least 80 lakh crores of rupees are deposited with banks in ‘tax heaven’ countries. This amount is more than even India’s GDP. Government is not only forced to borrow heavily due to heavy lose of revenue due to corruption, more currency is being printed to somehow bridge the gap between revenue and expenditure of the government. As a result of this common man is forced to reel under hyper inflation.
Because of the loss of revenue to the government, expenditure on essential social services like health and education is badly hit. Because of lack of health facilities, today 66 out of 1000 children are not able to celebrate even their 5th birthday. Illiteracy is a major road block to our economic development. Today our nation is considered to be one of the most corrupt nation of the world and our transparency index has fallen to 3.3, due to ultra big scams such as, 2G Spectrum Scam (Rs.1.76 lack crores), Common Wealth Games Scam (Rs.50 thousands crores), Telagi Scam (Rs.40 thousands crores) etc.
Wealth generated by hard work of the Indian people is benefiting either the foreign countries is helping and financing the terrorism in the country. Manch is of the considered opinion that if this money is somehow brought to the country, governments would need not borrow any money for any project for the next 10 years. Swadeshi Jagaran Manch rejects every argument of the government which states that because of the international agreements with different nations, government cannot seek information on money deposited in the banks of tax heaven countries or even after the getting the names of such people who have deposited black wealth in foreign banks, it cannot make them public. Manch warns the government that along with efforts to brings Indian money back, it should also, make public the names of people having such accounts.
This Rashtriya Prishad of Swadeshi Jagaran Manch demands that the government enact a law such that corrupt people are booked for their crimes without any delay and they should be convicted under a fast judicial process. People with corruption charges are not allowed to fight elections. Once charges are proved their wealth be forfeited.
Rashtriya Prishad demands that money deposited in foreign banks should not be looked at from the point of view of tax evasion. This is a cut case of treason and therefore such criminal should be booked under treason. In such cases of corruption and illegal foreign deposits, a law should be enacted for a time bound judicial process for faster justice. Those who are unable to the reveal the source of their wealth, it should be forfeited and nationalized
स्वदेशी जागरण मंचराष्ट्रीय परिषद (चैन्नई), 9-10 अप्रैल, 2011प्रस्ताव क्रमांक - 2परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की समीक्षा कर उसे प्रतिबन्धित किया जाएजापान में 11 मई 2011 को आयी भीषण सूनामी के कारण फूकूशीमा परमाणु संयन्त्र की आपदा को आज जापान और विश्व में भारी संकट के रूप में देखा जा रहा है। फूकूशीमा संयन्त्र में 6 परमाणु रिएक्टर हैं और वे सभी `बी.डब्ल्यू.आर´ प्रकार के हैं। 11 मार्च को आयी सूनामी ने इन परमाणु रिएक्टरों के शीतलन प्रणाली को पूरी तरह से ध्वस्त ही कर दिया है। इसके कारण रिएक्टर कोर में गर्मी बढ़ने के कारण विस्फोट हो रहे हैं, इन्धन छड़ों के क्षतिग्रस्त होने के कारण आसपास के क्षेत्र में रेडियोधर्मी पदार्थ फैल रहे हैं। तुरन्त आणविकी आपातकाल भी घोषित कर दिया गया। इस प्रतिबन्धित क्षेत्र में उत्पादित दूध और अन्य खाद्य पदाथो± का सेवन न करने की चेतावनी दी गई है।फुकुशीमा के आसपास का समुद्री पानी भी रेडियोधर्मिता से दूषित हो चुका है और समुद्री जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। सूनामी के एक महीने के बाद भी अधिकारी रिएक्टरों से रेडियोन्धर्मी पदाथो± के विकरण को रोकने में असफल हो रहे हैं। जापान अनुशासनयुक्त लोगों के साथ अत्यधिक विकसित देश है, इसके बावजूद आणविकी आपदा का सामना करने में वे असमर्थ हो रहे हैं। फुकुशीमा आणविकी विध्वंस ने दुनिया को परमाणु संयन्त्रों के सुरक्षा मानकों और आपदा प्रबन्धन के सम्बन्ध में पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसी परिस्थिति में भारत इससे अछूता नहीं रह सकता।आज भारत में 19 परमाणु रिएक्टर कार्य कर रहे हैं। तारापुर के 2 रिएक्टरों को छोड़कर शेष सभी `कण्डू´ प्रकार के पी.एच.डब्ल्यू.आर. रिएक्टर हैं। जिनकी क्षमता 4000 मेगावाट की है, जो हमारी कुल क्षमता का मात्र 4 प्रतिशत ही है।प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यू.पी.ए. सरकार ने देश में आणविक ऊर्जा का अत्यन्त महत्वकांक्षी कार्यक्रम बनाया है।• विवादास्पद भारत-अमरीकी आणविक समझौता किया गया है जिसकी आई.ए.ई.ए. एवं आणविकी पूर्तिकर्ता समूह से मान्यता भी प्राप्त कर ली गई है। संसद में तमाम विरोधों के बावजूद न्यूनतम देनदारी बिल भी पारित करवा लिया गया है।• भारत द्वारा वर्तमान में 4000 मेगावाट की आणविकी ऊर्जा क्षमता को 2030 तक बढ़ाकर 60000 मेगावाट तक बढ़ाने का महत्वकांक्षी लक्ष्य घोषित किया गया है। यानि मात्र 20 वषो± में 15 गुणा।• यह सब आयातित रिएक्टरों, आयातित यूरेनियम इन्धन और आयातित प्रौद्योगिकी के द्वारा प्राप्त किया जायेगा। • सरकार की महाराष्ट्र, पिश्चमी बंगाल, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडू प्रत्येक राज्य में 10000 मेगावाट क्षमता वाले 5 आणविक ऊर्जा पार्क स्थापित करने की योजना है। • आणविक रिएक्टरों से होने वाले खतरे केवल भुकम्प एवं सूनामी से ही नहीं बल्कि आतंकवाद से भी हैं। हमारे वर्तमान एवं भविष्य के रिएक्टरों की आतंकवाद से सुरक्षा हेतु हम कितने तैयार हैर्षोर्षो• आणविक ऊर्जा मूल रूप से असुरक्षित है और उसमें सुरक्षा हेतु प्रयास होते हैं और यही सुरक्षा के उपाय जो बाहरी तौर पर लगाए जाते है आपदाओं का कारण बनते हैं। आणविक आपदा रेडियोधर्मिता का प्रसार करती है जो मानव जीवन के लिए कई पीढ़ियों तक हानिकारक रहती है। जल, भूमि और वायु सभी में इसका जहर फैल जाता है।• एक परमाणु रिएक्टर 40 वषो± की अधिकतम अवधि के लिए काम करता है। इसके बाद आने वाली पीढ़ियों पर इन मृत रिएक्टरों की रक्षा और उन्हें ठण्डा रखने की जिम्मेदारी रहती है। क्या हम अपने बच्चों पर यह असहनीय बोझ नहीं डाल रहे हैंर्षोर्षो • हम देख चुके है कि किस प्रकार हमारी सरकारों ने भोपाल गैस त्रासदी के समय व्यवहार किया। उसके बाद वास्तविक अपराधियों को सरकारी गाड़ियों और वायुयान में पुलिस की सुरक्षा के तहत भागने में मदद की गई और हजारों असहाय लोगों और बच्चों को न्याय के बिना उसके परिणामों से भुगतने के लिए बिना आसरे छोड़ दिया गया। स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद यह मांग करती है कि1. परमाणु ऊर्जा के विस्तार कार्यक्रम को न्यूनतम 3 वर्ष के लिए स्थगित कर दिया जाए। 2. 3 वर्ष के इस कालखण्ड को परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की समीक्षा हेतु मानचित्र बनाने के लिए इस प्रकार से उपयोग किया जाए कि आणविक ऊर्जा में निहित विध्वंसकारी नतीजों के मद्देनज़र हम परमाणु ऊर्जा पर प्रतिबन्ध लगाने में सफल हो जाएं। 3. आणविक ऊर्जा के लिए आवण्टित धनराशि को पवन, सौर, ज्वारीय एवं जैव इन्धनों जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतो के विकास हेतु अनुसन्धान करने के लिए उपयोग किया जाए। यह ऊर्जा स्थाई, विकेन्द्रीकृत एवं पर्यावरण के अनुकूल होगी। हमें याद रखना होगा कि परमाणु ऊर्जा में भोपाल गैस त्रासदी जैसे विध्वंस को देश सहन नहीं कर पायेगा। .........................................................
स्वदेशी जागरण मंचराष्ट्रीय परिषद (चैन्नई), 9-10 अप्रैल, 2011प्रस्ताव क्रमांक - 3काले धन का राष्ट्रीयकरण होदेश में भ्रष्टाचार को लेकर जनता के बीच असन्तोष चरम पर है। आम जन हर हाल में भ्रष्टाचार से छुटकारा चाहता है। इसके लिए वह हर उस संगठन, व्यक्ति और विचार को अपना समर्थन देने के लिए तैयार है जो देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की मुहिम प्रारम्भ करने के लिए आगे आ रहा हैं। जनता भ्रष्टाचार और घोटालों से इतनी त्रस्त हो गई है कि वह इस मामले पर सीधी लड़ाई के लिए भी तैयार है। जरूरत है इस जन आक्रोश को दिशा देने की। स्वदेशी जागरण मंच इस विषय पर लगातार अपने कार्यक्रमों और आन्दोलनों के माध्यम से वातावरण तैयार करने में अपनी भूमिका निभाता रहा है। मंच के कार्यकर्ता स्थान-स्थान पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। मंच न सिर्फ सरकारी विभागों और प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करवाने के लिए कृत संकल्प है, बल्कि विदेशी बैंकों में जमा देश की अघोषित सम्पत्ति को भारत लाने पर सरकार को विवश करने के लिए विभिन्न स्तरों पर चल रहे अभियानों को अपना समर्थन दे रहा है। चाहे वह जन जागरण का अभियान हो या फिर उपयुक्त कानून बनाने में सलाहकार की भूमिका हो, मंच हर हाल में काले धन को देश में लाने और उसका उपयोग देश की अर्थव्यवस्था के विकास कायो± में लगवाने के लिए सरकार को बाध्य करने हेतु आन्दोलन चला रहा है और उसे तेज करने की योजना बना रहा है। विभिन्न स्रोतों से यह तथ्य सामने आ रहे हैं कि कर मुक्त देशों में भारतीयों द्वारा कम से कम 80 लाख करोड़ रूपये जमा हैं, जो भ्रष्टाचार या अन्य गैर कानूनी स्रोतों से प्राप्त धन हो सकते हैं। यह राशि लगभग हमारे एक वर्ष के सकल घरेलू उत्पादन से भी अधिक है। बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण सरकारी राजस्व को होने वाली भारी हानि के कारण न केवल सरकार को भारी ऋण लेना पड़ता है, अतिरिक्त मुद्रा का प्रसार भी होता है। जिसके कारण जनता भारी मुद्रा स्फीति एवं महंगाई के बोझ तले लगातार दबती जा रही है।सरकार को हो रही राजस्व की हानि के कारण शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सामाजिक सेवाओं पर सरकारी खर्च नहीं हो पाता। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में आज हमारे देश में एक हजार में से 66 बच्चे अपना पांचवां जन्मदिन भी नहीं मना पाते। निरक्षता हमारे देश के आर्थिक विकास में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। देश में बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामलों, 2जी स्पेक्ट्रम (1.76 करोड़), राष्ट्र मण्डल खेल (50 हजार करोड़), तेलगी घोटाला (40 हजार करोड़) इत्यादि ने देश को अत्यन्त भ्रष्ट देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है और आज देश का पारदर्शिता सूचकांक गिरकर 3.3 तक पहुंच गया है और देश भ्रष्टाचार की सीढ़ी पर 89वें स्थान पर पहुंच चुका है।देश की जनता की मेहनत से कमाया हुआ धन या तो विदेशों को लाभ पहुंचा रहा है, अथवा अनैतिक तरीके से देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। मंच का यह मानना है कि यदि यह धन देश में आ जाता है तो देश में किसी भी परियोजना के लिए अगले दस वर्ष तक सरकारों को किसी कर्ज की जरूरत नहीं होगी।मंच सरकार के हर उस तर्क को खारिज करता है जिसमें यह कहा जा रहा है कि विभिन्न देशों के बीच हुए समझौते के कारण भारत स्विस बैंक या अन्य कर स्वर्ग देशों के बैंकों में जमा धन की जानकारी हमें नहीं मिल सकती या उन लोगों के नाम सामने नहीं आ सकते जिन्होंने इन देशों में भारत की सम्पत्ति को छुपा रखा है। मंच सरकार को यह चेतावनी देता है कि काले धन को देश में वापिस लाने के प्रयासों के साथ की साथ इसमें शामिल लोगों के नाम सार्वजनिक करे।स्वदेशी जागरण मंच की यह राष्ट्रीय परिषद यह प्रस्ताव करती है कि सरकार शीघ्र ही देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए ऐसा कानून बनाए जिसमें यह प्रावधान हो कि भ्रष्टाचार के आरोपियों को बिना किसी देरी के सख्त सजा मिले। भ्रष्टाचार के आरोपियों को चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगाया जाए। आरोप सिद्ध होने पर भ्रष्टाचारियों की सम्पत्ति जब्त कर ली जाए।राष्ट्रीय परिषद यह भी प्रस्ताव करती है कि विदेशों में जमा काले धन को सिर्फ कर चोरी के दृष्टिकोण से न देख कर देश के खिलाफ मामला माना जाए और काला धन जमा करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए। इस प्रकार से विदेशों में गैर कानूनी रूप से जमा काले धन के मामलों और भ्रष्टाचार के मामलों में तीव्र न्याय मिलने के लिए समयबद्ध न्याय की प्रक्रिया अपनाए जाने सम्बन्धित कानून बनें। स्रोत न बताने वालों के धन को जब्त कर लिया जाए और उसका राष्ट्रीयकरण कर दिया Swadeshi Jagaran Manch
Rashtriya Prishad, Chennai (9-10 April, 2011)
ALL THE THREE RESOLUTIONS ARE HERE GIVEN IN ENGLISH
Resolution No.1
Ban Genetically Modified Crops, Organisms and Foods made from them
Genetically modified Crops and Organisms and the food material made from them have been posing serious threat to the public health and biological wealth of the country. Approval of such organisms and permitting research and trial of them without effective bio-safety measures and lack of regulation of food items made from them, are all matters of serious concern.
In order to safeguard against the mutation in such genetically modified crops and organisms and to protect the adjacent germ-plasm from pollen exit sterlisation of such crops by terminator technology is made mandatory in other countries. But, in India induction of terminator technology is equally fatal as the farmers would by rendered devoid of their seed wealth.
Indeed, it is very serious that why the government is not taking cognizance of the allergic “star link corn” and the damage caused to the kidneys and livers of mices etc., fed on genetically modified tomatoes? What compulsion is there upon the government for not bringing the legislation to label the genetically modified food as GM food and stating the names of the countries on the label where it is banned?
Why BT cotton was permitted without any effective strategy to arrest the pollen exit leading to the spread of the poison synthesizing “AAD” gene and to prevent the evolution of the ball worm into super pest? Why the government shown undue haste, through unsuccessfully to introduce BT Brinjal?
All these questions are evident enough to prove beyond doubt that the government is playing with the public health and safety of our germ plasm. It is also deplorable that the government had proposed to incorporate a provision in the Bio Tech Regulators Law to penalize the persons, who would oppose the genetically modified crops. The government should also keep it in view that the genetic engineering can be used as a weapon by the terrorists. the US government has already established a defence cell with a budget of $300 million, against the agri-bio terrorism.
In view of the dangers of the genetically modified varieties, the Swadeshi Jagran Manch demands that the government should ban the usage of GM seeds crops and GM food in the country. REVIEW AND BAN THE NUCLEAR ENERGY PROGRAMME
The Earth Quake in Japan on 11th of March and the killer Tsunami which struck immediately afterwards are paling into insignificance before the disaster of Fukushima Nuclear Plant. There are 6 nuclear reactors at Fukushima Plant and all are B W R type. The Killer Tsunami on 11th March totally destroyed the cooling system of the reactors (LOCA). As a result there was a heat surge in reactor core, leading to explosions, partial damage of the fuel rods and escaping of radio active materials into the surrounding atmosphere. A Nuclear Emergency was immediately declared. All the people were evacuated in 20 k.m. exclusion zone around the plant.The people were warned not to consume milk and other food products of the exclusion zone. The sea water around Fukushima also have become highly radio active seriously affecting the marine life. Even after nearly one month, the authorities are unable to contain the spread of radiation from the reactors. Japanese are highly technically advanced and extremely disciplined people. Such people are facing the nuclear disaster.
The Fukushima Nuclear Disaster has made several countries of the world to sit up and review the safety standard and emergency preparedness of their nuclear reactors. India also has to do it.
India today has 19 working nuclear rectors. Except 2 at Tarapur, all others are CANDU type PHWR reactors. The total installed capacity is 4000 M W accounting for 4% of our total installed capacity.
The UPA government under P M Manmohan Singh has a highly ambitious programme for developing nuclear energy in the country.
· It has concluded the highly controversial Indo US Civilian Nuclear Agreement which gets its recognition from IAEA and the Nuclear Supply Group. It has also passed Nuclear Liability Bill.
· India wants to take its nuclear power capacity from 4000 M W E as on 2011 to 60000 M W E by 2030. 150 times expansion in just 20 years.
· All these would be achieved with imported reactors, imported uranium fuel and imported technology.
· The Govt plans to establish 5 nuclear power parks each with 10000 M W capacity at Jaitapur in Maharsatra, West Bengal , Gujarat, Andhra and Tamilnadu.
· The greatest danger to our nuclear reactors comes not so much from earth quake or Tsunamis but from Terrorism . How prepared are we to safeguard our present as well as future reactors from Terrorism?.
· Nuclear energy is basically unsafe but safety is engineered into it. It is these externally engineered devises that create disasters. A nuclear disaster spreads radio activity which are extremely dangerous to Human beings for several generations. The water, soil and air all become poisonous.
· A nuclear reactor works for a maximum period of 40 years . Afterwards the dead reactors have to be safeguarded and continuously cooled for several centuries. Who takes this responsibility?. Are we not imposing an unbearable burden on our children?
· How badly and how messily our governments handled the Bhopal Gas tragedy. Real culprits were helped to escape by state cars and plane under police safeguard , whereas thousands of helpless men, women and children were left free to suffer the consequences without any justice in sight.
· SJM at its Rashtriya Parishath held at Chennai on 9th and 10th April 2011 demands the Govt.of India :
DEMANDS
1.To impose a moratorium of three years on the expansion programme of nuclear energy
2. To use this period for preparing a Road Map to review our nuclear energy programme in such a way that in the shortest possible time, we will be able to impose the complete ban on nuclear energy in view of its inherent hazardous nature
· Funds allocated for nuclear industry be diverted for boosting research and development of renewable energy sources such as Wind, Solar, Tidal Power, Bio-fuels and so on. These are safe, sustainable, decentralized and eco-friendly.
The Country cannot afford to face a repetition of Bhopal Gas Tragedy in the Nuclear form.
Resolution No.3
Nationalise all the Black Money
People’s anger is at the verge of explosion, on the issue of corruption. Common man is desperate to get rid of this menace at any cost. For this people are ready to support all such organizations, individuals and ideologies who are coming forward to start campaign against corruption. People are so very irritated that they are even ready for direct fight against corruption. At this juncture we need to give direction to people resentment. Swadeshi Jagaran Manch has been performing an important role in this direction with the help of its programmes and campaigns. Activists of the Manch are preparing a road map for fight against corruption at all levels.
Swadeshi Jagaran Manch is not only committed to stop corruption prevalent in government department and administration, it is lending its active support to the campaigns at different levels to bring back nation’s wealth deposited in foreign banks illegally. Swadeshi Jagaran Manch has been fighting for bringing Indian wealth back to India at any cost in the role of consultant to make law for this purpose, and by way of movement to compel the government to stop defending the law breakers, with the ultimate aim to bring nation’s money back and channelize the same for the development of the economy. From different sources it is becoming evident that at least 80 lakh crores of rupees are deposited with banks in ‘tax heaven’ countries. This amount is more than even India’s GDP. Government is not only forced to borrow heavily due to heavy lose of revenue due to corruption, more currency is being printed to somehow bridge the gap between revenue and expenditure of the government. As a result of this common man is forced to reel under hyper inflation.
Because of the loss of revenue to the government, expenditure on essential social services like health and education is badly hit. Because of lack of health facilities, today 66 out of 1000 children are not able to celebrate even their 5th birthday. Illiteracy is a major road block to our economic development. Today our nation is considered to be one of the most corrupt nation of the world and our transparency index has fallen to 3.3, due to ultra big scams such as, 2G Spectrum Scam (Rs.1.76 lack crores), Common Wealth Games Scam (Rs.50 thousands crores), Telagi Scam (Rs.40 thousands crores) etc.
Wealth generated by hard work of the Indian people is benefiting either the foreign countries is helping and financing the terrorism in the country. Manch is of the considered opinion that if this money is somehow brought to the country, governments would need not borrow any money for any project for the next 10 years. Swadeshi Jagaran Manch rejects every argument of the government which states that because of the international agreements with different nations, government cannot seek information on money deposited in the banks of tax heaven countries or even after the getting the names of such people who have deposited black wealth in foreign banks, it cannot make them public. Manch warns the government that along with efforts to brings Indian money back, it should also, make public the names of people having such accounts.
This Rashtriya Prishad of Swadeshi Jagaran Manch demands that the government enact a law such that corrupt people are booked for their crimes without any delay and they should be convicted under a fast judicial process. People with corruption charges are not allowed to fight elections. Once charges are proved their wealth be forfeited.
Rashtriya Prishad demands that money deposited in foreign banks should not be looked at from the point of view of tax evasion. This is a cut case of treason and therefore such criminal should be booked under treason. In such cases of corruption and illegal foreign deposits, a law should be enacted for a time bound judicial process for faster justice. Those who are unable to the reveal the source of their wealth, it should be forfeited and nationalized
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