गुरुमूर्ति जी का काले धन और सोनिया के बारे में नया लेख पढ़ा है क्या? जरूर पढ़े। (is indi lekh के अंत में angreji का mool lekh है.
३० अप्रैल को न्यू इंडियन एक्सप्रेस में गुरुमूर्ति जी का सनसनी खेज लेख पढ़ा। विषय तो नया नहीं, लेकिन तथ्य कुछ नए है, और कुल ६ तथ्य आपकी सेवा में लिख रहा हूँ। थोडा इस विषय पर लिखते हुए गुदगुदी जरूर होती है, क्योंकि जिस बात को अडवाणी जी ने दबी जुबान कहा, तो जोरदार ढंग से वापिस ले लिया, जिसे माननीय सुदर्शन जी ने जोरदार ढंग से लिया, लेकिन संघ ने चुपचाप वापिस जैसा ले लिया, उस विषय पर श्री गुरुमूर्ति जिस ढंग से लेखन कर रहे है, थोडा रोमांच होना स्वाभाविक ही है।
१ पहली बात जो गुरु कहते है, यानि वो उद्धरण देते है "सारे देश में लोग कह रहे है, की अब बहुत हो गया है, हद पार हो चुकी है, और जल्दी ही जिसे कभी सोचा नहीं था, वो घटने वाला है। वो लोग जो जिन पर थूकना, चाँद पर थूकना था, जिनेह छुआ नहीं जा सकता था, वे भी कानून के शिकंजे में जकरे जाने वालें है। और इस बार का ऊंचे दर्जे की शखसिअत , जो की सबसे मोटी मछली है, कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गाँधी, जो की आजकल फोर्ब्स सूची में , दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोगों की लिस्ट में, नोवें नंबर पर है।" - लेकिन ये बात कौन कह रहा है, सुब्रमण्यम स्वामी, या स्वयं गुरुमूर्ति, बिलकुल नहीं, ये शब्द है क्लेओ पास्कल के, जिसने इस आशय का एक लिखा है और दुनिया भर में चर्चित है। इस के बाद गुरुमूर्ति सो-दो सो शब्दों में बताते हैं की ये लेखिका है कौन, और दुनिया भर की ३० देशों की संस्थायों के नाम गिनाते है, जिन्होंने उसके लेखन को सन्मानित किया है, और उसकी सलाह लेते हैं, यानी लेखिका दुनिया मेन जानी-मानी है।
दूसरी बात है की वैसे उसकी बात का सारांश है क्या: वैसे तो वो स्वीकार करती है की सोनिया की छवि 'एक कर्त्तव्य पालक, सोम्य और अब एक विधवा महिला की बनी हुई है' परतु धीरे धीरे देश में, पास्कल का अध्ययन है, की ' लगातार बुदबुदाहट होने लगी है उसकी प्रश्नवाचक व्यापारिक धंधों के बारे में, उसकी सम्पति में एकदमआये उछाल के कारन से, और उसके परिवार की सम्पतियों के बारे में ।' पास्कल इस समय याद करती है उस जमीन हिला देने वाले लेख को जो की १९९५ मेन डॉ। नाल्पत ने दी टाईम्स ऑफ़ इंडिया मेन लिखा था, और उसके स्पष्ट लिखा था ' सोनिया की सार्वजनिक विनम्रता एक चतुराई है,' और की 'उसकी ताकत पाने के पीछे परोपकार की भावना जैसा कुछ नहीं है' और उसकी 'गंभीर राजनैतिक महत्वाकांक्षा है' और पास्कल कहती है की इस बात का अनुमोदन बाद मेन कांग्रेस पार्टी में उसके रोले से ही लग गया था। पास्कल आगे फिर डॉ। नालापट को उधृत करते हुए कहती है की " ताकत पाने के पीछे उसकी भावना परोपकार की बिलकुल नहीं है, और उसकी ही सम्पति नहीं, बल्कि उसके इटली के रिश्तेदारों की संपतियां कई गुना बढ़ गयी जब राजीव गाँधी १९८४ में प्रधान मंत्री बने थे।"
पास्कल एक और जोरदार बात कहती है, की जैसे की डॉ। नालापट ने भविष्यवाणी की थी की सोनिया कांग्रेस की अध्यक्षा बने गी, उसके इस पद पर आते ही डॉ। नालापट को अपने सब ठीक तर्कों के बावजूद लेखन के काम से १९९८ किनारा करना पढ़ा। (खैर,मेरे लिए ये बिलकुल नयी बात थी की ऐसा हुआ है, और ऐसा लिखा है।)
तीसरा बिंदु स्टें लिंदेर्स्त्रोम। स्वीडन वासी का इस विषय पर लेखन: इसके बाद पास्कल स्वीडन के एक लेखक का उद्धरण देना शुरू करती है जो की बोफोर्स कांड मेन स्वीडन का विशेष प्रोसेकुतर था, उसने भी क्वात्रोची के गाँधी परिवार से रिश्तों का पर्दाफाश किया था और उसका स्पष्ट कहना था की जो भी हिस्सा क्वात्रोची को जाता था उसका एक हिस्सा लाजमी तौर पर गाँधी परिवार को भी जाता था। इन सब सवालों का कभी भी सोनिया ने जवाब नहीं दिया और साथ ही इससे भी सवाल खरे हुए है की सब कुछ करने के बावजूद क्वात्रोची कैसे भारत से साफ़ बच निकला। इतना ही नहीं तो विदेशों में उसके खातों को जब फ्रीज किया था तो क्वात्रोची कैसे उन्हें दी फ्रीज करवाने मेन कामयाब हुआ। बहुत ही अहम् सवाल है।
चोथा सवाल पास्कल का की सुब्रमनियम स्वामी का केस रंग लायेगा: पास्कल कहती है की अगला सबसे बार खतरा तो प्रधानमंत्री की मेज पर रखा है। इसका क्या मतलब है,,ये है जो सुब्रमण्यम स्वामी का २०० पेज की वो बेहतरी ढंग लिखी गयी महीनehkakk जिस्मी उसने प्रधान मंद्त्री से सोनिया गाँधी के खिलाफ कसे लार्हने की अनुमति मांगी है। पास्कल ने इस २०० पेज की अर्जी को बहुत अछि तरह से स्वयम पढ़ा है, और उसका कहना है, इसमें टीम महीन में ही इसका फैंसला हो जाये गा,की अगर तो तो अनुमति देते है तो ठीक वर्ना वे सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। पास्कल का आगे भी कहना है की सुप्रीम कोर्ट का आजकल जो रवैया भ्रष्टाचार के खिलाफ जज कपर्हिया के नेतृत्व में चल रहा है, कोई बरी बात नहीं की इस केस को स्वीकार कर लिया जाये। " अब इस केस में केवल भारत की ही नहीं तो दुनिया की रूचि है, तो दुनिया में इसकी चर्चा होगी।
आखरी बिंदु गुरुमूर्ति का है: पास्कल ने जो कुछ भी सोनिया के बारे उसके भ्रस्ताचार के बारे में लिखा है, भारत के मुख्या मीडिया ने तो उसे बिलकुल ब्लाक किया है। मुख मीडिया अभी भी सोनिया के भ्रस्ताचार के खिलाफ 'शुन्य सहनशीलता' के गीत गा रहा है। यदि अन्ना हजारे को सोनिया भ्रस्ताचार के खिलाफ मिलकर जुटने की बात कहती है, तो अन्ना भी गदगद है, मीडिया का तो कहना ही क्या। इस पे भी तुर्रा है की सोनिया गाँधी जब विलाप करती है "भारतीय अत्यंत लालची हो गए है," और यहाँ तक की "नैतिक मूल्य गिर गए है' तो मुख्या मीडिया वह-वह के मूड में रहता है। कपिल, दिग्विजि और तिवारी जब अन्ना के साथियों पर कीचर फेंकते है तो मिडिया सोनिया से इतना पूछने की जुर्रत नहीं करता की आपके बन्दे आपके खिलाफ बोलने की कैसे जुर्रत कर रहें है। अंत में गुरुमूर्ति धन्यवाद करते है, की सुब्रमण्यम स्वामी की अत्यंत ढंग से लिखी २०० पेज की अर्जी को ब्लाक सा कर दिया गया है मुख्या मीडिया में तो पास्कल ने इसका ठीक ढंग से उल्लेख करके बहुत ही धन्यवाद वाला काम किया है। हम कह सकते है, अब तेरा क्या होगा सोनिया।
By S Gurumurthy 30 Apr 2011 11:08:00 PM IST
Corruption suspect Sonia morphs into a crusader
“All across India, people are saying enough is enough. And suddenly the unthinkable is starting to happen. People considered above reproach, or at least untouchable, are coming under the judicial crosshairs. And the latest high-profile target is one of the biggest fish of all, Congress Party President Sonia Gandhi, currently No. 9 on the Forbes list of the World’s Most Powerful People.” Who says so? Dr Subramanian Swamy? Me? No. It is Cleo Paskal writing in the online news website Huffington Post on the corruption charges against Sonia Gandhi. Paskal’s article titled “World’s No. 9 Most Powerful Person Now Accused of Corruption—Will She Fall?” appeared in Huffington Post on April 25, 2011.An award-winning journalist, Paskal writes for Sunday Times, Telegraph and the Economist. Her books have won multiple awards. An Associate Fellow at the Royal Institute of International Affairs, London, the US Department of State, those consulting her include US Department of Energy, US Army War College, UK Ministry of Defence, UK Foreign and Commonwealth Office, UK Defence Academy, EU, NATO, Organization for Security and Cooperation in Europe, the heads of many major corporations, and intelligence professionals from over 30 countries. Associated with Manipal University and School of Communication and Management Kochi, she is familiar with India. She blogs in Huffington Post, the world’s third most popular news website that commands over 38 million visitors viewing half-a-billion pages every month. Founded in 2005, it became instant success. In February this year, AOL acquired it for $315 million (`1,450 crore). In 2008, the Observer, London, rated Huffington Post, the winner of several awards, as the worlds’ best blog. Now back to Paskal on Sonia. Acknowledging that Sonia’s “image is of a dutiful, submissive Indian wife, now widow”, Paskal notices the “growing, persistent murmurs about questionable business deals and inexplicable exponential jumps in the personal wealth of her and her family”. Paskal recalls “the ground-breaking articles” that M D Nalapat, a senior journalist, had written about Sonia in 1995 in “the Times of India”. Paskal says that Nalapat’s comment that her “public docility was just a ploy” and “she had serious political ambitions”, was “later confirmed by her role in the Congress”. Paskal also emphasises Nalapat’s view that “her desire for power wasn’t simply altruistic and that the wealth not only of her, but of her Italian relatives, rose stratospherically after Rajiv Gandhi became prime minister in 1984”. Paskal points out that while his articles were undisputed; Nalapat was forced out of journalism in 1998 when, as he had predicted, Sonia took over the Congress.Then Paskal cites the “public questions from another highly reputed source, Sten Lindstrom, Sweden’s special prosecutor”, who investigated the Bofors pay-off scam. Paskal points out Lindstrom’s interview in 1998 in which he had said that “the Gandhis, particularly now Sonia, should explain how Quattrocchi-owned companies got such fat sums as payoffs from the Bofors deal. After all, what is the connection of Sonia and the Gandhi family to Quattrocchi? Who introduced Quattrocchi and his AE Services to Bofors? At least one thing is certainly known now. A part of the payoffs definitely went to Quattrocchi. (...); the papers all pointed to the Gandhi family.” Paskal points out, “Not only have the questions not been answered by Sonia, but in spite of substantial evidence against him, Quattrocchi has managed to evade prosecution in India, and has even had his kickback funds unfrozen from overseas accounts.”“But the most serious threat to Sonia,” warns Paskal, “is now lying on the desk of the Prime Minister of India.” That is Dr Subramanian Swamy’s written request to Prime Minister Manmohan Singh for sanction to prosecute Sonia for corruption. Paskal says: “In a meticulously researched 200-plus page submission, Dr Swamy alleges Sonia Gandhi has been involved in corruption in India since 1972 and personally benefited from the Bofors scam (1986), has held billions in non-Indian bank accounts since at least 1991, illegally profited from the Iraqi oil-for-food deals (2002), and even accessed KGB payoffs during the Cold War.” Obviously Paskal has read the complaint thoroughly. Adding that the Prime Minister has three months’ time to grant or reject the request, she says, “If he doesn’t, Dr Swamy can take the case directly to the Supreme Court, which, under Chief Justice Kapadia, is showing a definite proclivity towards facilitating corruption cases.” “Given the growing importance of India in our heavily globalised world,” Paskal concludes, the permission sought to prosecute Sonia “is not just an Indian story; this is one all should be following very closely indeed.” In Paskal’s view, the bribery charges against Sonia will have global reach.Now shift to the Indian scene. With most mainline media blacking out the truth, the people are unaware of much of what Paskal says about Sonia’s suspected corruption. On the contrary, they see a saint in her. Result: Sonia, who Paskal suspects as corrupt, nonchalantly proclaims ‘Zero Tolerance’ to corruption. And the mainstream media, sidestepping questions over her integrity, celebrates her resolve more. Sonia laments that Indians have “become greedy”, their “moral universe has shrunk”, and the media eulogises her candidness. Further. Declaring support to Anna Hazare, who staked his life for anti-corruption law, she earns Anna’s gratitude and media glory. But she forthwith lets the Sibals, Digvijays and Tiwaris to set upon Bhushans, Anna’s men, and also shockingly disapproves of them. Yet the media does not ask her how her minions could defy her. Finally, the mainstream media has blacked out Dr Swamy’s “meticulous” complaint against Sonia. A reader’s gratitude to Paskal for “shedding light on an issue that is taboo in Indian mainstream media” tells the true story. QED: Sonia, a suspect, is now morphed into a crusader.
As renowned writer has said several times in her articles published in Indian Express, Democratic feudalism is prevailing in India. I also fully endorse her views so there will be a few takers of these harsh facts disclosed by eminent person. but bravo to Sh. Gurumurthy, keep it up.
ReplyDeleteHari Krishan