खुदरा एफ.डी.आई. विरोधी जुटान (नई दिल्ली) कार्यक्रम का सारांश
इस सात मई को दिल्ली में एक बहुत अच्छा कार्यक्रम हुआ . विषय था खुदरा बहु ब्रांड में प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश. बहुत दिनों से खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश को लेकर कई कार्यक्रम राजधानी में एवं अन्य प्रमुख स्थानों पर हुए। परंतु एक बात रह-रहकर महसूस होती थी कि आगे जाकर जिनके भरोसे यह लड़ाई लंबे समय तक लड़नी है, उनको एक मंच पर इक्कठा किया जाए। 7 मई 2013 का यह कार्यक्रम इसी सोच का क्रिया रूप है, और हर मायने में सफल क्रियान्विति है। लगे हाथ यह भी बता दें कि इस कार्यक्रम में 5000 के लगभग रेहडी-खोमचा नेता, किसान, व्यापारी, लघु-उद्यमी, मजदूर एवं ट्रांसपोर्टर नेता यानि सभी स्टेक हाॅलटर्स को सूचिबद्व करके निमंत्रण दिया गया। बहुत प्रसन्नता की बात है कि 150 के लगभग संस्थाओं का और 750 के लगभग प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन कराया और 150-200 लोगों ने इसके अतिरिक्त भागीदारी कह सकते है, ऐसा हमारे प्रमुख कार्यकर्तायों का मानना हे. इस लिए उनका ये भी मानना हे कि 1000 के लगभग प्रतिभागी सीधे-सीधे इस कार्यक्रम में जुटे। यहां यह बताना भी जरूरी है कि शादी-विवाहों का जोरदार मौसम था और रेलवे के टिकट लेने में एक ही उत्तर मिलता था - नो रूम, कोई सीट खाली नहीं। तो भी लोग आये और अच्छी संख्या में आये. कई बड़े लोगों को 2 दिन का सफर सामान्य डिब्बे में करते हुए यहां आना पड़ा। परन्तु चेहरे पर कोई शिकन नहीं।
जहां एक तरफ राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री अरूण जेटली ने ना केवल सविस्तार अपना विषय प्रतिपादन किया बल्कि बार-बार स्वदेशी जागरण मंच को इस वैचारिक और देश हित की राजनैतिक लडाई को जारी रखने के लिए बधाई दी. इसी प्रकार बीजू जनता दल के 6 बार सांसद रहे डाॅ. प्रसन्न पतसानी ने हर तरह से इस लड़ाई में सहयोग का आश्वासन दिया। इसके अतिरिक्त भी विभिन्न राजनेता पूरी तरह कार्यक्रम में भागीदार हुए, यथा सर्वश्री मुरलीधर राव, धर्मेन्द प्रधान, भूपेन्द्र यादव, ओमप्रकाश धनकड़ एवं अनेकों सांसद। यहां यह बताना भी जरूरी है कि संसद में रेलवे मंत्री श्री पवन बंसल और अश्वनी कुमार के इस्तीफे को लेकर रस्साकशी पूरे चरम पर थी और राजनैतिक दलों ने सावधानी रखते हुए सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने हेतु ‘व्हिप’ का डंडा भी चला रखा था। इसलिए राजनैतिक दलों की जैसी भागीदारी लग रही थी वैसी नहीं हो पाई। खैर फिर भी राजनेता व सांसद आए, टिके व दिल खोलकर बोले।
देश के सभी बड़े व्यापरिक संगठनो ने भी सरगर्मी से इस जुटान में हिस्सा लिया. भारतीय उद्योग व्यापार संघ के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी मिश्रा, महामंत्री श्री विजय जैन व तमिलनाडू के अध्यक्ष श्री वेलियन अपनी पूरी टीम के साथ लगभग पूरा समय कार्यक्रम में सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराते रहे। वयोवृद्ध नेता श्री श्याम बिहारी मिश्रा गरजती आवाज में बोल रहे थे
जहाजो से जो टकराए, उसे तूफ़ान कहते हैं,
जो तूफानों को भी दबाये उसे व्यापारी और किसान कहते हे. उन्होंने कहा की अब इस मुद्दे को और वालमार्ट को दबाना हे और मिलकर दबाना हे . दूसरे व्यापारी संगठन कंफैडेªशन आॅफ आॅल इंडि़या ट्रेडर्स के संगठन महामंत्री श्री सतीश गर्ग भी मुद्दे को मिल-जुलकर लड़ने की मंशा जताते नजर आए। इसके अतिरिक्त भी अनेकों छोटे बड़े व्यापार संगठनों की उपस्थिति बड़ी शिद्दत के साथ थी। वैसे हम जानते ही है कि हर 100 घरों के पीछे 11 दुकानें देश में आज है। यदि यह सब सुरक्षा चैकियां मजबूती से काम करने लगे तो आगे स्वदेशी की लड़ाई बहुत मजबूत हो जायेगी।
इस लड़ाई का एक मजबूत मोर्चा है - हाॅकर्स। दो बड़े नेता जो रेहड़ी-खोमचा वालों का नेतृत्व करते है-श्री सौदान सिंह व श्री आर.वी. राजपूत - दोनों अपने प्रमुख नेताओं के साथ हर तरह से जुटे हुए थे। एक तीसरा मोर्चा भी इस क्षेत्र में जुटा हुए है - एफ.डी.आई. वाॅच और उसके नेता हैं - श्री धर्मेन्द्र शर्मा। उनके साथ जो प्रतिनिधि आए थे वे तो माथे पर काली पट्टी बांधे विदेशी निवेश का विरोध भी दर्शा रहे थे। श्री शर्मा कुछ अंतर्राष्ट्रीय योद्वाओं को भी इस कार्यक्रम में लाए थे और उनमें से यू.एन.आई. ग्लोबल यूनियन के प्रमुख श्री मिलिन्द नागकरणी अपने टीम के साथ वाॅलमार्ट का कच्चा चिट्ठा प्रस्तुत करते नजर आए। ध्यान रहे कि यह संस्था लगातार वाॅलमार्ट के कदाचारों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोर्चा खोले हुए है।
इस बार दो वर्ग और जोर-शोर के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए - लघु उद्योग व महाविद्यालायीन छात्र नेता। लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्री जितेन्द्र गुप्ता, भोपाल अपनी प्रांत-प्रांत की टीम के साथ उपस्थित थे। इसी तरह बहुत समय से जरूरत महसूस हो रही थी कि विद्यार्थी जगत में भी वाॅलमार्ट जैसे बड़े मगरमच्छों को नंगा किया जाए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उपाध्यक्ष श्री उमेश शर्मा व बिहार के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री गोपाल शर्मा अपनी युवा टीम के साथ कार्यक्रम को भी यौवनयुक्त बना रहे थे। लगता है कि विद्यार्थी जगत यदि इस लड़ाई का झंडा थामेगा तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुख्य आधार ही छीन जायेगा।
सरकार ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के अनुसार किसानों को वाॅलमार्ट के पक्ष में खड़ा करने के बहुत असफल प्रयास लगातार किए हैं लेकिन उनकी एक नहीं चली। अधिकांश किसान नेता तालठोककर अब खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के खिलाफ आ खड़े हुए है। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के महामंत्री श्री युद्ववीर सिंह ने दुनिया भर के देशों का हवाला देकर बड़ी कंपनियों के खुदरा व्यापार में आने पर किसानों का बंटाधार होते हुए प्रदर्शित किया। किसान नेता श्री नरेश सिरोही बार-बार यह घोष लगा रहे थे ‘एफ.डी.आई. का फंदा-ना बचेगा किसान, ना रहेगा धंधा’। टी.वी. चैनलों पर अक्सर छाए रहने वाले डाॅ. कृष्णवीर चैधरी अपने तर्कों से एफ.डी.आई. की धार भोथरी कर रहे थे। उत्तर प्रदेश से प्रो. सुधीर पंवार एवं ठाकुर वीरेन्द्र सिंह और हरियाणा से श्री सेवासिंह आर्य वाॅलमार्ट पर गहरी चोट कर रहे थे। बहुत अच्छी संख्या में किसान नेताओं की हाजरी भ्रम में डाल रही थी कि आज कहीं किसान जुटान तो नहीं है।
एक अन्य वर्ग जो बड़ी सजगता से कार्यक्रम को निहार भी रहा था और दिशा भी दे रहा था, और वह वर्ग था बुद्विजीवी वर्ग। श्री एस.गुरूमूति भले ही अंग्रेजी में बोल रहे थे परंतु लोगों के सहमति में हिलते सिर बता रहे थे कि यह लड़ाई आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक है। इस लड़ाई में बौद्विक मसाला लगातार देने का काम जिस व्यक्ति ने किया है और हर भाषा में किया है, वह है - श्री शेखर स्वामी। वे कार्यक्रम में भले ही अंग्रेजी में थोड़ी देर बोले परंतु आगे की रणनीति बनाने में प्रमुख नेताओं के साथ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दर्ज करा रहे थे तथा आग्रह कर रहे थे कि उनके द्वारा तैयार कराया गया एफ.डी.आई. विरोधी लड़ाई का युद्व गीत सबको सुनाया जाए। ‘जागो देश जागो, अपने वतन को बचाओ, रिटेल एफ.डी.आई को भगाओ’। सचमुच ही सभी भागीदार गीत के साथ झूम उठे। सलीम सुलेमान द्वारा इसे स्वर दिया गया हे और यु-ट्यूब का लिंक निम्न हे : http://www.youtube.com/watch?v=XJw8_9Y5HSI&feature=youtube_gdata_player. कृषि विशेषज्ञ श्री देवेन्द्र शर्मा अपने अकाट्य तर्कों के साथ देश-विदेश के एफ.डी.आई. विरोधी अनुभव सुना रहे थे। भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री पवन शर्मा ने मजदूर नेताओं की बड़ी टीम के साथ कार्यक्रम के हिस्सेदारी की।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री अरूण ओझा ने तो इस कार्यक्रम को ‘वार रूम’ की संज्ञा दे डाली और सह-संयोजक डाॅ. भगवती प्रकाश शर्मा ने चीन की चुनौती और एफ.डी.आई. का खतरा कैसे इक्कठा मंडरा रहा है, इसका चित्र खींच रहे थे। डाॅ. अश्वनी महाजन ने कार्यक्रम के अंत में सांझा घोषणा पत्र पढ़ा तो स्वीकारोक्ति रूप 2000 हाथ मुट्ठी बांधे खड़े हो गए। श्री दीपक शर्मा ‘प्रदीप’ ने प्रारंभ में कार्यक्रम का मंतव्य सबके सामने रखा तो एक-एक शब्द जीवन्त हो रहा था। उनके द्वारा बीच-बीच में लगभग 200 विशेष महानुभवों का परिचय एवं उनके संगठन की गतिविधियों का वर्णन भी कार्यक्रम में विशेष आकर्षण का विषय रहा। इसके अतिरिक्त श्री कृष्ण शर्मा (पंजाब), श्री भगीरथ चैधरी (राजस्थान), श्री बंदेशंकर सिंह (झारखंड) और किसान नेता श्री नरेश सिरोही का मंच संचालन अपने-आप में विषय प्रतिपादन भी था। हर कार्यक्रम की शुरूआत पटना के श्री मुकुल रंजन के ओजस्वी गीतों से उत्साह भरती थी। इसी प्रकार दिल्ली प्रांत संयोजक श्री गोविन्द राम अग्रवाल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन अपने आप में सभी मुख्य प्रबंधकों का परिचय कराने का कार्यक्रम भी था।
मोटा अंदाजा है कि लगभग 50 वक्ताओं ने अपने सारगर्भित विचार रखे और इतने की वक्ता इस प्रकार के दिखाई दे रहे थे कि जिनको ‘‘बस इस बार नहीं अगले कार्यक्रम में ....’’ अपने विचार प्रस्तुत करने का आश्वासन साथ-साथ दिया जा रहा था। ऐसे वक्ताओं की चुप्पी भी बहुत मुखर थी। सायं 5.15 बजे राष्ट्रीय गीत के साथ कार्यक्रम की समाप्ति हुई..... नहीं नहीं, लंबे युद्व की हुंकार भरी गई।
संलग्न घोषणा पत्र
Declaration of FDI Virodhi Jutaan (7 May 2013)खुदरा FDI विरोधी जुटान
Declaration of FDI Virodhi Jutaan (7 May 2013)
खुदरा FDI विरोधी जुटान
कांस्टीटयूशन क्लब, नई दिल्ली
7 मई 2013
घोषणा पत्र
स्वदेशी जागरण मंच के तत्वावधान में व्यापारी, लघु और कुटीर उद्योग, कारीगर, ट्रांसपोर्टर, किसान, हाॅकर, मजदूर, छात्र एवं विभिन्न वर्गों के 150 से अधिक संगठन और 1000 से अधिक प्रतिनिधि दिल्ली के कांस्टीटयूशन क्लब में आयोजित इस जुटान में शामिल हुए। देश भर से आए हुए प्रतिनिधियों का यह जुटान यूपीए सरकार द्वारा खुदरा में एफ.डी.आई. की नीति के खिलाफ देश भर में आंदोलन की घोषणा करता है। इस जुटान का यह स्पष्ट मानना है कि इस यूपीए सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए खोलकर भारत के एक वृह्त खुदरा बाजार को विदेशी कंपनियों को सौपने का काम किया है। खुदरा में एफ.डी.आई. 1 करोड़ 20 लाख छोटी-बड़ी दुकानों में लगे 4 करोड़ लोगों के लिए ही घातक नहीं है बल्कि इस देश के करोड़ों मजदूरों, किसानों, ट्रांसपोर्टरों, लघु उद्यमियों और हाॅकरों के लिए भी मौत का पैगाम है।
इस जुटान का स्पष्ट मानना है कि खुदरा क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियां आने के बाद हिंसक कीमत नीति के माध्यम से छोटे व्यापारियों और हाॅकरों को प्रतिस्पद्र्धा से बाहर कर देगी। सारा सामान चीन और अन्य देशों से आयातित होगा और इस प्रकार करोड़ों मजदूरों और लघु उद्यमियों की रोजी-रोटी समाप्त हो जायेगी। किसानों का भी विविध प्रकार से शोषण होगा तथा नए रोजगार के अवसर समाप्त होने से देश का युवा वर्ग हताशा की ओर बढ़ेगा। देश का ट्रांसपोर्ट क्षेत्र भी बर्बाद हो जायेगा।
किसानों, मजदूरों, हाॅकरों, छोटे और थोक व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों का यह जुटान घोषणा करता है कि इस लड़ाई को राज्य और जिलास्तर पर जाकर लड़ा जायेगा। देश भर में राज्य और जिलास्तर पर इस प्रकार के जुटान आयोजित होंगे। खुदरा में एफ.डी.आई. के खिलाफ देश भर में रैलियां, पद-यात्राएं, धरने-प्रदर्शन, नुकड़ सभाएं आयोजित होंगे। हर गांव से, हर जिला से किसानों, मजदूरों, हाॅकरों, ट्रांसपोर्टरों, व्यापारियों, विद्यार्थियों के संगठनों के साथ मिलकर आगामी लोक सभा चुनावों में उन दलों को परास्त करने की रणनीति बनाई जायेगी जिन्होंने खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को संसद के अंदर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारत में घुसने का रास्ता दिया।
यह जुटान संकल्प लेता है कि अगली लोकसभा के गठन के बाद, कानून बदलकर खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को भारत भूमि से भगाने तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
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