Friday, March 20, 2015

Odisha Resolution 4 (H) खेती में विदेषी प्रभाव समाप्त करो

disha Resolution 4 (H)
खेती में विदेषी प्रभाव समाप्त करो
पंूजी के अभाव, तकनीक विकास का अभाव, परंपरागत, रोजगार की समाप्ति, प्राकृतिक जैविक खेती
की समाप्ति ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग के खात्मे तथा पलायन की मार झेल रही भारतीय खेती एवं ग्रामीण
अर्थव्यवस्था की कमर पिछले दस सालों की आर्थिक नीतिओं ने और भी तोड़ दी है।

आज खेती, पषुपालन, मत्स्यपालन, वनोत्पाद संकट के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ माॅन्सेन्टो
जैसी कंपनियेां की नजर भारत के प्राकृतिक क्षेत्र की जैवविविधता पर है और खेती का व्यवसायीकरण बढ़
रहा है तो दूसरी तरफ आधुनिक खेती के कारण भूमि के बंजरीकरण का उसरीकरण का संकट और ज्यादा
बढ़ गया है। विकास के नाम पर बड़ी परियोजनाओं ने पर्यावरण संकट के साथ बड़े पैमाने पर उपजाऊ भूमि
में जल-जमाव और दलदल का संकट पैदा किया है। जल, जमीन और जंगल के सवाल गहरे अंतरविरोध
को रेखांकित कर रहे हैं। स्वदेषी जागरण मंच की यह राष्ट्रीय सभा अपील करती है कि जमीन, जल और
जंगल के प्रबंधन एवं उपयोग का स्वदेषी माॅडल विकसित किया जाय। खेती के लिए स्वदेषी, उन्नत बीजों
को विकसित किया जाय। वर्तमान भूमि अधिग्रहण कानून द्वारा छोटे-छोटे गरीब किसानों से भूमि अधिग्रहण
किया जाता है। रियल स्टेट एवं विषेष आर्थिक क्षेत्रों के नाम पर किये जा रहे भूमि अधिग्रहण से खेती को
भयानक नुकसान हो रहा है। स्वदेषी जागरण मंच का विष्वास है कि किसान, मजदूर, कारीगर और उनसे
जुड़े सहायक क्रियाकलाप, स्वदेषी, स्वावलंबी, स्वाभिमानी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण
भूमिका अदा करने के अलावा बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर प्रदान करते हैं।

स्वदेषी जागरण मंच का दृढ़ विष्वास है कि भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव किया जाये और भूमि
अधिग्रहण कानून की वर्तमान संरचना के वर्तमान कानून तत्काल बदले जाएं। भूमि अधिग्रहण के समय
अपवादों को छोड़कर किसी भी परिस्थिति में कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाय। जमीन की
मालकीयत का हस्तांतरण नहीं किया जाय और जमीन 30 साल के पट्टे पर दिया जाय और किसानों को
कारखाने में हिस्सेदार भी बनाया जाय ताकि किसान हिस्सा एवं पट्टे से प्राप्त राषि से खेती लायक बन
सकें।

अब समय आ गया है कि सरकार खेती एवं अन्य गतिविधियों के व्यवसायीकरण पर रोक लगाये।
पट्टे पर खेती को बढ़ावा न दे। कारखाना, परियोजनाओं आदि के लिए बंजर, उसर और अनुपयोगी जमीन
का ही उपयोग हो। आधुनिक खेती पद्धति में परिवर्तन लाया जाय। जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
दिया जाये। ग्रामीण क्षेत्रों कृषि आधारित उद्योग, ग्रामीण, कुटीर उद्योग तथा खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा
देकर किसानों के लिए सम्मानजनक मूल्य तथा रोजगार का अवसर पैदा किये जायें।
जैव सवंर्द्धित खाद्यानों (जी.एम.) के बीजों के प्रयोग और परीक्षण पर तत्काल रोक लगे। इस प्रकार
के प्रयोग एवं परीक्षण समग्र मानवता, पषुधन, पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं। यह सामान्य
खेती को प्रभावित करते हंै जिस पर नियंत्रण संभव नहीं है।
कृषि मूल्य नीति को लागत और मुनाफा आधारित बनाना चाहिए। वर्तमान सत्ताधारी दल ने अपने
चुनावी घोषाणा पत्र में स्पष्ट कहा था कि कृषि समर्थन मूल्य लागत मूल्य पर 50 प्रतिषत अतिरिक्त जोड़कर
दिया जायेगा। यह बात स्वामीनाथन कमीषन की रिपोर्ट में भी कही गई है। उत्पादन मूल्य को समय-समय
पर सार्वजनिक किया जाना चाहिए और समय-समय पर तैयार करना चाहिए। मंच की राष्ट्रीय सभा सरकार
से अपील एवं मांग करती है कि चुनावी घोषणा को तत्काल लागू करे।

बड़े पैमाने पर रख-रखाव एवं यातायात की असुविधा के कारण तैयार फसलों की बर्बादी होती है।
जिससे किसानों को घाटा होता है। एफ.डी.आई. को खुदरा व्यापार में लाने के पीछे यह कारण भी बताया
गया था। किसानों को एफ.डी.आई. की आवष्यकता नहीं है, परंतु उपयुक्त यातायात सुविधा एवं भंडारण की
आवष्यकता है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उपयुक्त शीतगृह एवं गोदामों की व्यवस्था की जाये। राष्ट्रीय
हित में स्थानीय स्तर पर यातायात एवं भंडारण का तंत्र विकसित होना चाहिए।

राष्ट्रीय सभा की मांग है कि कारखाना उत्पादों का लागत मूल्य, बाजार मूल्य के साथ अंकित करने
का प्रावधान करे ताकि किसान एवं खाद्य प्रसंस्करण के उद्योगों के बीच संतुलन कायम हो। इसी प्रकार
खेती की जरूरत के उत्पादनों पर यह नियम लागू करना चाहिए।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीतिओं में विरोधाभास का षिकार है। उदाहरण के रूप में चीनी उद्योग को
लिया जा सकता है। एक तरफ उत्पादन लागत बढ़ने के कारण गन्ने का उचित मूल्य बढ़ाना जरूरी है,
लेकिन दूसरी सरकार एथेनाॅल और चीनी का दाम संगतपूर्ण बनाने के लिये तैयार नहीं, जिसके कारण चीनी
उद्योग समेत अन्य कृषि आधारित उद्योग संकटग्रस्त है। स्वदेषी जागरण मंच सरकार से मांग करती है कि
सरकार तत्काल इस भ्रम को दूर करे और सलाह देती है कि लागत जोड़ नीति को स्वीकार कर उचित एवं
सम्मानजनक मूल्य नीति बनाये, जो आम आदमी को राहत दे।

स्वदेषी जागरण मंच यह मांग करता है कि खेती, खेती आधारित उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग,
कुटीर उद्योग, घरेलू उद्योग एवं गा्रमीण उद्योग, खादी को मनरेगा के साथ संबद्ध कर उत्पादन व रोजगार को
बढ़ावा दे। यह सरकार को एक सबल, स्वावलंबी, स्वाभिमानी, स्वदेषी तथा विकासषील भारत के निर्माण में
मदद करेगी तथा एक प्रकार से सामाजिक, आर्थिक क्रांति को जन्म देगा।

इस देष की अजीब विडम्बना है कि जहां एक ओर 55 प्रतिषत से ज्यादा लोग खेती में लगे हैं, वहां
कोई कृषि नीति ही नहीं है। सरकार भारतीय कृषि नीति अविलंब घोषित करे।

Odisha Resolution 2 (H) स्वदेशी माॅडल से ही बचेगी धरती

Odisha Resolution 2 (H)
स्वदेशी माॅडल से ही बचेगी धरती
एकमात्र जीवनपोषी ग्रह पृथ्वी तेजी से विनाश की ओर बढ़ रही है। अगले पचास वर्षों या उससे कम में ही इसका
पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो सकता है। जलवायु परिवर्तन पर बनी अंतर्राष्ट्रीय सचेतक संस्था (आई.पी.सी.सी.) ने 27
सितंबर, 2014 को अपनी 50वीं आकलन रिपोर्ट में इस संबंध में अंतिम चेतावनी दे दी है। इस रिपोर्ट के कुछ अंश
निम्नवत है -

1) आज वातावरण में पिछले 800,000 वर्षों से अधिक कार्बनडाइआॅक्साड, मीथेन, नाइट्रस आॅक्साइड जैसी हरित
प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसें हैं।

2) इन हरित प्रभाव वाली गैसों के सतत् उत्सर्जन से वर्ष 2040 तक 2 डिग्री सेल्सियस वैष्विक ताप वृद्धि क्रांतिक
अवरोध (2 डिग्री से. वैरियस) पार हो जायेगा।

3) वर्ष 2050 तक अंटार्कटिका पूर्णतः हिम (बर्फ) रहित हो जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सचेतक संस्था
के पांचवीं आकलन आधारित आख्या जो 20-11-14 को प्रकाषित हुई में कहा गया है किः-
क) वर्ष 2070 तक अतिरिक्त कार्बनडाईआॅक्साइड उत्सर्जन शून्य करना अनिवार्य है।
ख) वर्ष 2100 तक सभी हरित प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों का अतिरिक्त उत्सर्जन शून्य होना चाहिए।

जलवाुय परिवर्तन के अउत्क्रमणीय (अपरिवर्तनीय), व्यापक एवं गंभीर प्रभावों से बचने के लिए ऐसा
परम् आवष्यक है।

संयुक्त राज्य (यू.के.) के राज समिति (राॅयल सोसायटी) द्वारा हाल में प्रकाषित एक शोध पत्र में चेतावनी दी
गई है कि भारतीय वैष्विक गर्मी (ग्लोबल वार्मिंग) के परिणामतः 10गुना अन्यों से अधिक ताप तरंग भुगतेंगे। इन अत्यंत
घातक चेतावनियों की हम सर्वनाष के मूल्य पर ही उपेक्षा कर सकते हैं। भक्षण के लिए भेडि़या आपका द्वार
खटखटा रहा है। भारत आज प्रत्येक दिन 370 लाख बैरल पेट्रोलियम उत्पाद जला रहा है। विष्व में पेट्रोलियम
उत्पादों के खपत वाला भारत चैथा देष है। प्रदूषण उत्पन्न करने में भी इसका यही स्थान है।

इस पृष्ठभूमि में अगले 25 से 30 वर्ष इस धरा के अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और जैसा है चलने दो
कि नीति इस संकट को और आगे बढ़ाने का काम करेगी। ऐसे में स्वदेषी जागरण मंच की 12वीं राष्ट्रीय सभा प्रस्ताव
करती है कि:-
1. दिसंबर माह में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन जो कि पेरू-लीमा में संपन्न हुए, में भारत सरकार के पक्ष की सराहना
और अनुमोदन करते हैं। इस सम्मेलन में भारत सरकार ने कहा कि औद्योगीकरण का लाभ पाष्चात्य देषों ने
उठाया है। दो शताब्दियों तक प्राकृतिक संसाधनों का उन्होंने दोहन किया तथा अपना ही नहीं हमारा भी
पर्यावरण प्रदूषित किया। अब समय है कि भारत जैसे विकासषील देषों को पाष्चात्य देष थोड़ा अवकाष दें
तथा ‘‘पाल्यूटर पेज्’’ (प्रदूषक भुगते) सिद्धांत पर विकास हेतु हरित तकनीक उपलब्ध करायें। स्वदेषी जागरण
मंच सरकार से यह आग्रह करती है कि वो संयुक्त राष्ट्र के आगामी सम्मेलन जो वर्ष 2015 में पेरिस में
आयोजित है, में अपने वर्तमान कथन पर दृढ़ रहे।

2. साथ ही भारत सरकार भी अपने विकास नीति में प्रावधान करे कि न्यूनतम प्रदूषणकारी तकनीकों को बढ़ावा
मिले तथा जनसाधारण को सौर ऊर्जा जैसे पर्यावरण हितैषी विकल्पों को वरण करने के लिए प्रोत्साहित करे।
व्यक्तिगत यातायात साधनों के स्थान पर जन यातायात साधन जैसे विकल्प पर्यावरण संरक्षण में निष्चित मदद
करेंगे।

3. स्वदेषी जागरण मंच देष की राष्ट्रभक्त जनता से भी अपील करती है कि पर्यावरणीय संकट की गंभीरता को
समझते हुए सरकार के पर्यावरण को बचाने में प्रयासों में न केवल सहयोग करें, बल्कि पर्यावरणीय पोषक
जीवन पद्धति जैसे निजी एवं सार्वजनिक स्वच्छता, जल, बिजली, भोजन इत्यादि की न्यूनतम बर्बादी इत्यादि।
यदि हम पर्यावरण को बचा पाते हैं तो पर्यावरण हमें बचायेगा। यदि हम इसे नष्ट करते हैं तो ये निष्चित हमें
नष्ट कर देगा। हमें चुनाव करना है।

Thursday, March 5, 2015

Tuesday, March 3, 2015

मुलैठी के लाभ BENEFITS OF MULAITHI -LICORICE


लाभकारी मुलैठी 
कुछदिन पूर्व में डा विकास भरद्वाज के घर रुका जो स्वयं आयुर्वेदिक चिकित्सक , शिक्षक तो है ही परंतु अपनी दवा फैक्टरी भी चलाते है। परंतु उनकी श्रीमती भी आयुर्वेदिक शिक्षिका है और उन्होंने आयुर्वेद में जिस विषय पर शोध किया वो छोटी सी साधारण दिखने वाली जड़ी बूटी है यानि मुलैठी! ये पी एच डी उन्होंने हमारे जयपुर के स्वदेशी कार्यकर्ता डॉ बलदेव जी से की है, इस कारण हमारी जिज्ञासा मुलैठी के बारे में और बढ़ी। आओ जरा देखे क्याकाकहते है तज्ञ लोग इस मुलैठी के बारे में -

प्राचीनकाल से लेकर अब तक मुलैठी को उन तमाम महत्वपूर्ण औषधियों में से एक गिना जाता है, जिसका उपयोग प्रायः मनुष्य के विभिन्न प्रकार के रोगों निदान हेतु अति आवश्यक समझा गया है। शायद यही एकमात्र वजह है कि स्वाद में मीठी जड़ों वाला मुलैठी रूपी अद्भुत औषधीय पौधा आज की तारीख में हरेक घर में अपनी एक खास पहचान बना चुका है।

बात भारतीय चिकित्सा पध्दतियों की आती है तो इसका उल्लेख अथर्ववेद से लेकर चरक संहिता तथा अर्थशास्त्र ग्रंथों तक बखूबी दिखाई देता है। इतना ही नहीं, विदेशी चीनी चिकित्सा प्रणाली ने तो मुलैठी को अपनी चिकित्सा पध्दति में एक विशेष स्थान दिया है। बहरहाल, वर्तमान समय में अधिकांश घरेलू चिकित्सा कार्यों में नित अमल में आने वाली मुलैठी की जड़ों के कुछ मुख्य औषधीय गुण निम्न प्रकार से हैं।
1. मांसपेशियों एवं जोड़ों के दर्द से राहत : देखने में आता है कि बड़े-बुजुर्गों को लेकर शरीर के जोड़ों में भयंकर दर्द की शिकायत रहती है। यदि आप चाहते हैं कि उनको इस दर्द से छुटकारा मिल जाये तो मुलैठी की जड़ों को पूरी रात पानी में भिगोकर रखने के उपरान्त उसके पानी का सेवन करने। यकीनन पुराने से पुराने जोड़ों एवं मांसपेशियों के दर्द से काफी हद तक राहत पायी जा सकती है।
2. कब्ज की छुट्टी : यूं तो आये दिन किसी न किसी को पेट में कब्ज की शिकायत से दो-चार होनी ही पड़ता है।, लेकिन यदि आप मुलैठी के पाउडर को गुड़ और पानी के साथ लेते हैं तो निस्संदेह कब्ज रूपी इस गंभीर समस्या से छुट्टी मिल सकती है।
3. घावों को जल्दी भरें : चिकित्सकों का मानना है कि मुलैठी के बारीक चूर्ण को मक्खन, घी अथवा शहद के संग मिलाकर घावों पर लेप लगाने से ये अतिशीघ्र ठीक हो जाते हैं और शरीर पर कोई काला निशान भी शेष नहीं रह जाता।
4. मुंह के छाले मिटाएं : आयुर्वेद के मुताबिक मुलैठी का जड़ों की स्वच्छ जल में कुछ समय तक डुबोकर रखने के पश्चात् उस पानी से गरारे करने से मुंह में मौजूद छालों का नाश हो जाता है।
5. बालों को झड़ने एवं टूटने से बचायें : महिलाओं और पुरुषों को सदैव अपने लम्बे-लम्बे केशों के झड़ने एवं टूटने की चिंता रहती है, लेकिन सही मायने में देखा जाये तो इस स्थिति में मुलैठी बालों के लिए बहुत प्रभावकारी होती है। सो, बालों को झड़ने एवं टूटने से रोकने के लिए मुलैठी की जड़ों को दूध में मिश्रित करके पीसकर थोड़ी मात्रा में केसर का समावेश कर पेस्ट तैयार लेने के बाद रात को सोने से पूर्व बालों की जड़ों में लगायें। निस्संदेह बालों के झड़ने एवं टूटने का समस्या से छुटकारा मिल जायेगा और बाल घने एवं मुलायम बन जायेंगे। 
6. इसके इलावा पेट के अलसर और अन्य व्याधियों में भी लाभदायक है बेशक आम आदमी इसको गले के कष्ट यांनी खांसी जुकाम में ही प्रयोग करते है। Licorice is a plant. You are probably most familiar with it as a flavoring in foods, beverages, and tobacco. The root is used to make medicine.

Licorice is used for various digestive system complaints including stomach ulcers, heartburn, colic, and ongoing inflammation of the lining of the stomach (chronic gastritis).

Some people use licorice for sore throat, bronchitis, cough, and infections caused by bacteria or viruses.

Licorice is also used for osteoarthritis, systemic lupus erythematosus (SLE), liver disorders, malaria, tuberculosis, food poisoning, and chronic fatigue syndrome (CFS).

Licorice is sometimes used along with the herbs Panax ginseng and Bupleurum falcatum to improve the function of the adrenal glands, especially in people who have taken steroid drugs long-term. Steroids tend to suppress the activity of the adrenal glands. The adrenal glands produce important hormones that regulate the body’s response to stress.

Licorice is also used in an herbal form called Shakuyaku-kanzo-to to increase fertility in women with a hormonal disorder called polycystic ovary syndrome. In combination with other herbs, licorice is also used to treat prostate cancer and the skin disorder known as eczema.

Some people use licorice as a shampoo to reduce oiliness in their hair.

Many “licorice” products manufactured in the U.S. actually don't contain any licorice. Instead, they contain anise oil, which has the characteristic smell and taste of “black licorice.”

Licorice interacts with many prescription medicines. Talk to your healthcare provider if you plan to start using licorice.

How does it work?
The chemicals contained in licorice are thought to decrease swelling, thin mucus secretions, decrease cough, and increase the chemicals in our body that heal ulcers.

मुलैठी के लाभ BENEFITS OF MULAIYHI -LICORICE

Licorice is a plant. You are probably most familiar with it as a flavoring in foods, beverages, and tobacco. The root is used to make medicine.

Licorice is used for various digestive system complaints including stomach ulcers, heartburn, colic, and ongoing inflammation of the lining of the stomach (chronic gastritis).

Some people use licorice for sore throat, bronchitis, cough, and infections caused by bacteria or viruses.

Licorice is also used for osteoarthritis, systemic lupus erythematosus (SLE), liver disorders, malaria, tuberculosis, food poisoning, and chronic fatigue syndrome (CFS).

Licorice is sometimes used along with the herbs Panax ginseng and Bupleurum falcatum to improve the function of the adrenal glands, especially in people who have taken steroid drugs long-term. Steroids tend to suppress the activity of the adrenal glands. The adrenal glands produce important hormones that regulate the body’s response to stress.

Licorice is also used in an herbal form called Shakuyaku-kanzo-to to increase fertility in women with a hormonal disorder called polycystic ovary syndrome. In combination with other herbs, licorice is also used to treat prostate cancer and the skin disorder known as eczema.

Some people use licorice as a shampoo to reduce oiliness in their hair.

Many “licorice” products manufactured in the U.S. actually don't contain any licorice. Instead, they contain anise oil, which has the characteristic smell and taste of “black licorice.”

Licorice interacts with many prescription medicines. Talk to your healthcare provider if you plan to start using licorice.

How does it work?
The chemicals contained in licorice are thought to decrease swelling, thin mucus secretions, decrease cough, and increase the chemicals in our body that heal ulcers.

Sunday, March 1, 2015

मानव शरीर कि कीमत

येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर EJ Mओरोविट्ज़ ने अध्य्यन कर बताया कि अगर मानवशरीर बनाने की लागत कमसे कम 6000 लाख करोड़ डॉलर लगेंगे जिसको  दुनिया कि कुल जीडीपी का 77 गुना अधिक है। ये प्रताप रेड्डी अपोलो के चेयरमैन लिखा।