Tuesday, April 27, 2021

मुन्नाभाई MBBS से प्रेरणा।

मुन्ना भाई एमबीबीएस यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल भी रहे और प्रेरणादाई भी है। घर से से भागा हुआ गांव का एक लड़का मुंबई में गलत संगति में फंस कर बड़ा गुंडा बन जाता है । उसके मन में डॉक्टर बनने की लालसा होती है और वह धोखाधड़ी से दाखिला भी दे देता है । मेडिकल साइंस केवल दवाइयों के आधार पर नहीं है परंतु संबंध बनाने के आधार पर चलिए के आधार पर सफल होती है ऐसा इसका सारांश है। एक डॉक्टर के पिता को वह कैरम बोर्ड खिलाकर दुबारा ठीक कर लेता है। उसी प्रकार एक आत्महत्या के लिए तीन बार प्रयास करने वाले युवक को वह सभी संबंधों के आधार पर ठीक करता है वह उसके मुंह पर मुस्कुराहट भी खेलता है। इसी प्रकार एक चिड़चिड़ा सफाई कर्मचारी के साथ संबंध बनाकर के वह उसमें उत्साह भरता है। जादू की झप्पी यह किसी दवा से कबरई बल्कि ज्यादा कारगर है। वह एक जूनियर डॉक्टर को जिसकी आंतों में कैंसर है स्नेह से ठीक करने का प्रयास करता है और उस डॉक्टर का मानना होता है कि दुनिया में अगर मेरे को कोई बचा सकता है तो मुन्ना भाई ही बचा सकता है । और सबसे बड़ा चमत्कार का काम रहे 12 साल से कोमा में पढ़े हुए व्यक्ति के साथ घनिष्ट संबंध बना करके उसको ठीक करने का है। देखा जाए तो यह बात असंभव सी लगती है परंतु सारा मनोविज्ञान इसी बात पर आधारित है। शरीर को स्वस्थ करने की बजाय मन को स्वस्थ किया जाए तो शरीर स्वयं स्वस्थ हो जाता है। पहले ही दिन डॉक्टर अस्थाना विद्यार्थियों के दिमाग में भरता है की मरीज सिर्फ गरीब है उससे कोई शब्द नहीं जोड़ना चाहिए। इससे तार्किक बनाने के लिए वह उदाहरण देता है कि मैंने सैकड़ों मरीजों के ऑपरेशन किए हैं परंतु मेरा हाथ जरा भी काँपा नहीं है। परंतु अगर मैं अपनी प्यारी बेटी का ऑपरेशन करने की सोचूं तो मैं वह काम नहीं कर पाऊंगा। इसलिए वह इस थ्योरी पर काम करता है के पेशेंट केवल पेशेंट ही है, इसको ठीक करना हैं, भावना नहीं आड़े आनी चाहिए। इसलिए डीन स्वयं की टेंशन कम करने के लिए लाफ्टर क्लब जॉइन करता है, इतने विभत्स ढंग से हंसता है कि बाकी लोगों की टेंशन बढ़ जाती है। मुन्नाभाई का पेट डायलाग है, भाई, टेंशन नी लेने का... मुरली प्रसाद शर्मा अर्थात मुन्ना भाई के पिता देवदत्त शर्मा को जब यह मुन्ना भाई सिर झुका के बोलते हैं माफ करना मैं डॉक्टर नहीं बन सका तो उसके पिता बोलते हैं कोई बात नहीं तू एमबीबीएस तो नहीं कर सका परंतु तुमने अपने व्यवहार से लोगों को ठीक किया है जो कि अपने आप में एक मिसाल है मुझे तुम पर गर्व है।
एक कहानी और भी आज पढ़ी है। एक मरीज का ऑपरेशन होना था उस से 2 घंटे पहले एक नर्स आकर के उसके फूलदान को सजाती है और पूछती है कि आज आप का ऑपरेशन कौन करेगा। मरीज  एक डॉक्टर गिब्सन  का नाम लेता है तो नर्स बोलती है असंभव क्योंकि वह डॉक्टर बहुत नामी-गिरामी डॉक्टर है और रोज पेशेंट की लाइन इवनिंग उससे ऑपरेशन करवाने के लिए लालायित रहती है और सिफारिशें भी लग जाते हैं । अतः वह व्यक्ति आपको कभी कमिट  नहीं करेगा। पेशेंट बड़े विश्वास से कहते हैं कि उन्होंने मुझको हां भरी है। लेकिन फिर नर्स बताती है कि उसके द्वारा किया हुआ ऑपरेशन आज तक कभी असफल नहीं हुआ है, 100% सफल। इसलिए उस डॉक्टर की बहुत ज्यादा मांग है। अतः आप का बहुत ही अहोभाग्य होगा कि अगर वह डॉक्टर आप का ऑपरेशन करता है। सच में वही डॉक्टर ऑपरेशन करते हैं और मरीज ठीक हो जाता है। बरसों बाद उसको पता लगता है कि वह डॉक्टर आज सामान्य डॉक्टर नहीं था परंतु वह नर्स नर्स नहीं थी बल्कि वहां के मनोवैज्ञानिक विभाग की प्रमुख डॉक्टर थी जो उसका डॉक्टर के प्रति आस्था भाव पैदा करना चाहती थी। आजकल डॉक्टर के प्रति इसी आस्था की कमी हो रही है और एक बहुत बड़ा वर्ग यह नाश्ता फैलाने का काम कर रहा है।
राष्ट्रीय श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जी उस पश्चिम के विद्वान का उल्लेख अपनी पुस्तक विकास की अवधारणा में  कहते हैं कि डॉक्टर और यह मेडिकल साइंस मरीज को ठीक नहीं खराब करते हैं और अधिकांश बीमारियां अस्पतालों से ही पैदा होती हैं। वे इवान इलिच का नाम लेते हैं जो एक डिफ्रॉक्ड यानी निष्काषित बड़ा पादरी था। उसने बताया कि  आज की संस्थाएं और तथाकथित एक्सपट्र्स दुनिया में कितना नुकसान कर रहे हैं । वह समय दुनिया में इंडस्ट्रियल रेवोलुशन का था। उनकी पुस्तक मेडिकल नेमेसिस में वे लिखते हैं की दवा देने वाला और दवाई, यानी cure तथा healer दोनों ने मिलकर दुनिया को बहुत बीमार बनाया  है। एक शब्द है मेडिकल पावर्टी जिसने फार्मा इंडस्ट्री ने दुनिया को लूटने के फ्रॉड किये है। ग्रीक में iatrog हीलर को कहते हैं और अधिकांश डॉक्टर व दवाई जाने, अनजाने लोगों को लूटे, इसके लिए उसने शब्द नया ईजाद किया iatrogenesis, ओह।आधुनिक मनोवैज्ञानिक भी ड्रग्स, यानी नशा देकर केटेम्पररी ट्रीटमेंट कर रहे है और परमानेंट बीमार कर रहे है।  और कुल मिलाकर के मैं मुन्ना भाई एमबीबीएस की वकालत नहीं कर रहा और ना ही मैं पोंगा पंथी बनने की सिफारिश कर रहा हूं। मेरा कहना है कि मेडिकल साइंस में अपनापन का स्थान भी होना चाहिए और अपनापन मेडिसिन से भी आगे है दवा से जुआ कई बार ज्यादा असर करती है।
 ivan Illich

(1926-2002)

"His thought leads out of the prison of routinized, sterile, preconceived notions"

Ivan Illich, defrocked Catholic itinerant priest who spent a lifetime unmasking the pernicious hold of institutions and professionals on our lives, passed away in Bremen, Germany, on December 2, 2002. He was 76.

in Medical Nemesis, he famously declared that "the medical establishment has become a major threat to health." He argued that expert systems like modern health obscure the political conditions that render society unhealthy; and that they tend to expropriate the power of individuals to heal themselves and to shape their environment. He coined the word "iatrogenesis" to describe the condition wherethe cure and the healer (read medicine and hospitals) themselves become sources of sickness.
The term iatrogenesis means brought forth by a healer, from the Greek ἰατρός (iatros, "healer") and γένεσις (genesis, "origin"); as such, in its earlier forms, it could refer to good or bad effects.

Tuesday, April 20, 2021

क्षमाशील अध्यापक

"प्रणाम सर! मुझे पहचाना?"

"कौन?"

"सर, मैं आपका विद्यार्थी। 40 साल पहले का आपका विद्यार्थी।"

"ओह! अच्छा। आजकल ठीक से दिखता नही बेटा और याददाश्त भी कमज़ोर हो गयी है। इसलिए नही पहचान पाया। खैर। आओ, बैठो। क्या करते हो आजकल?" उन्होंने उसे प्यार से बैठाया और पीठ पर हाथ फेरते हुए पूछा।

"सर, मैं भी आपकी ही तरह आपके ही कारण शिक्षक बन गया हूँ।"

"वाह! यह तो अच्छी बात है लेकिन मेरे कारण कैसे...?"
में कुछ समझ नही पाया।

"सर। जब मैं कक्षा सातवीं में था तब हमारी कक्षा में एक घटना घटी थी। उसमें से आपने मुझे बचाया था। मैंने तभी शिक्षक बनने का निर्णय ले लिया था। वो घटना मैं आपको याद दिलाता हूँ। आपको मैं भी याद आ जाऊँगा।"

"अच्छा! क्या हुआ था तब बेटा, मुझे ठीक से कुछ याद नहीं.....?"

"सर, सातवीं में हमारी कक्षा में एक बहुत अमीर लड़का पढ़ता था। जबकि हम बाकी सब बहुत गरीब थे। एक दिन वह बहुत महंगी घड़ी पहनकर आया था और उसकी घड़ी चोरी हो गयी थी। कुछ याद आया सर?"

"सातवीं कक्षा?"

"हाँ सर। उस दिन मेरा मन उस घड़ी पर आ गया था और खेल के पीरियड में जब उसने वह घड़ी अपने पेंसिल बॉक्स में रखी तो मैंने मौका देखकर वह घड़ी चुरा ली थी।  
उसके ठीक बाद आपका पीरियड था। उस लड़के ने आपके पास घड़ी चोरी होने की शिकायत की औऱ बहुत जोर जोर से रोने लगा। आपने कहा कि जिसने भी वह घड़ी चुराई है ,उसे वापस कर दो। मैं उसे सजा नही दूँगा। लेकिन डर के मारे मेरी हिम्मत ही न हुई घड़ी वापस करने की।"

"उसके बाद फिर आपने कमरे का दरवाजा बंद किया और हम सबको एक लाइन से आँखें बंद कर खड़े होने को कहा और यह भी कहा कि आप सबकी जेब औऱ झोला देखेंगे लेकिन जब तक घड़ी मिल नही जाती तब तक कोई भी अपनी आँखें नही खोलेगा वरना उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा औऱ ऊपर से जबरदस्त मार पड़ेगी वो अलग...।"

"हम सब आँखें बन्द कर खड़े हो गए। आप एक-एक कर सबकी जेब देख रहे थे। जब आप मेरे पास आये तो मेरी धड़कन तेज होने लगी। मेरी चोरी पकड़ी जानी थी। अब जिंदगी भर के लिए मेरे ऊपर चोर का ठप्पा लगने वाला था। मैं ग्लानि से भर उठा था। उसी समय जान देने का निश्चय कर लिया था लेकिन...लेकिन मेरी जेब में घड़ी मिलने के बाद भी आप लाइन के अंत तक सबकी जेबें देखते रहे और घड़ी उस लड़के को वापस देते हुए कहा, "अब ऐसी घड़ी पहनकर स्कूल नही आना और जिसने भी यह चोरी की थी वह दोबारा ऐसा काम न करे। इतना कहकर आप फिर हमेशा की तरह पढाने लगे थे "ये कहते कहते उसकी आँख भर आई।"

वह रुंधे गले से बोला, "आपने उस समय मुझे सबके सामने शर्मिंदा होने से बचा लिया था सर। आगे भी कभी किसी पर भी आपने मेरा चोर होना जाहिर न होने दिया। आपने कभी मेरे साथ भेदभाव नही किया। उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि मैं आपके जैसा एक आदर्श शिक्षक ही बनूँगा।"

"हाँ हाँ...मुझे याद आया।" उनकी आँखों मे चमक आ गयी। फिर चकित हो बोले, *"लेकिन बेटा... मैं आजतक नही जानता था कि वह चोरी किसने की थी क्योंकि...जब मैं तुम सबकी जेब देख कर रहा था तब मैंने भी अपनी आँखें बंद कर ली थीं...*

इतना कहकर सरजी ने अपने छात्र को गले से लगा लिया......।"

*गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः !*

*गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम: !!*

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Friday, April 16, 2021

आबादी व भारत

Check the demographics of the developed countries of the world and be startled.

यानी अमरीका सहित दुनिया के 20 प्रमुख उन्नत देशों की जनसंख्या 105 करोड़ है, और बचे हुए 44 में से 25 यूरोपीइन यूनियन के देशों के 6 करोड़ बनती है तो योग बन 111 करोड़ इसमें विश्व के बड़े ब्राज़ील की 21 करोड़ तथा अर्जेंटीना की 4 करोड़ मिलाया जाए तो 136 करोड़ बन जाएगी और यह फिर भी उस देश से एक करोड़ कम रह जाएगी जिसे हम "मेरा प्यारा भारत" कहते हैं। 
The population figures go like this -

USA - 33.1 Crores 
Russia -14.6 Crores 
Germany - 8.5 Crores 
Turkey - 8.4 Crores 
UK - 6.8 Crores
France - 6.5 Crores 
Italy - 6.1 Crores 
Spain - 4.7 Crores 
Poland - 3.8 Crores 
Romania - 1.9 Crores
Netherlands - 1.7 Crores 
Greece - 1.7 Crores 
Belgium -1.2 Crores 
Czech Republic - 1.1 Crores 
Portugal - 1.1 Crores 
Sweden - 1 Crore 
Hungary - 1 Crore
Switzerland - 0.9 Crore
Bulgaria - 0.7 Crore 
Denmark - 0.6 Crore 

*Total* - 105. 3 Crores

The rest of the 25 smaller European countries combined (there are 44 countries in the European continent) - 6 Crores

*Europe - 105.3 + 6 = 111.3 Crores*

Adding the populations of Brazil (21.2 Crores) and Argentina (4.45 Crores) 

111.3 Crores + 25.65 Crores = 136.95 Crores


Thus, finally you have arrived at lndia's population figure of 136 - 138 Crores.

*The implication of managing Covid19 in lndia is as enormous  task as managing it in the entire Europe plus USA, Brazil and Argentina.*

*It's easy to criticise!!*