Tuesday, October 27, 2020

स्वदेशी गीत - कलियां, सुमन, सुगंधों वाला...

"स्वदेशी गीत: कलियां, सुमन, सुगन्धों वाला, यह उद्यान स्वदेशी हो। ,
कलियां, सुमन, सुगन्धों वाला,
यह उद्यान स्वदेशी हो।
हर क्यारी, हर खेत स्वदेशी,
हर खलिहान स्वदेशी हो।।

तन-मन-धन की, जनजीवन की
प्रिय पहचान स्वदेशी हो।
मान स्वदेशी, आन स्वदेशी,
अपनी शान स्वदेशी हो।
वीर शहीदों के सपनों का,
हर अभियान स्वदेशी हो।
एड़ी से चोटी तक सारा,
हिन्दुस्तान स्वदेशी हो।।

भारत माता के मंदिर में, बहुत प्रदूषण बढ़ा दिया।
लोकतंत्र को अनर्थ बनाकर, स्वदेशी को भुला दिया।
समझौतों की बात यहां पर,
होती है हत्यारों से।
भारत की कुछ गलियां गूंजे,
परदेसी जयकारों से।।
बलिदानों की इस धरती पर,
मां का गान स्वदेशी हो।
एड़ी से चोटी तक सारा, हिन्दुस्तान स्वदेशी हो।।

सोने वालों सोना छोड़ो,
जागो सोना, सोना लो।
आज विदेशों के कब्जे से,
वतन का कोना-कोना लो।उन्नतियों के इन गीतों का
हर सोपान स्वदेशी हो।
एड़ी से चोटी तक सारा, हिन्दुस्तान स्वदेशी हो।।

Monday, October 26, 2020

ज्याणी नेचुरल फार्म पर जाना

16.10.20 को ज्याणी प्राकृतिक फार्म में रामगोपाल जी के साथ गया था। ऐसा 130 एकड़ का फाजिल्का, पंजाब के निकट फार्म पहली बार ही कोई देख होगा। निम्न पांच काम वहां हो रहे हैं। यह फार्म उनके दादा जी के समय आर्गेनिक हो चुका था, और किश्तों में नहीं बल्कि एक ही दिन, एक ही निर्णय से हुआ। वे भी पहले खूब केमिकल स्प्रे आदि करते थे, और जिन जहाजों से अरिअल स्प्रे होता था, उनके पायलट इन्हीं के यहां विश्राम करते थे। जैविक कृषि का प्रचारक गांव में आए थे, उनसे प्रेरित हो कर उन्होंने निर्णय उसी दिन कर दिया कि आज के बाद एक भी ग्राम यूरिया आदि नहीं डालेंगे। बस तब से आजतक जैविक ही है। लेकिन यह महज एक खेत नहीं बल्कि अन्य गतिविधियां भी यहां होती हैं।

1. जैविक खेती, बीज भी अपने तैयार करते हैं। कुछ बीज शुरू-शुरू में खरीदते भी होंगे।

2. फ़ूड प्रोसेसिंग, साथ-साथ बिक्री भी यहां होती है तथा ऑनलाइन सप्लाई भी कर देते हैं। जैविक दालें, मसाले, गुड़, शहद, देसी घी आदि सब कुछ यहां उपलब्ध है।

3. डेयरी फार्म: देसी गाय 50, घी लस्सी, देसी गाय के साथ देसी खाद, जीवामृत, गाए पालन का देसी तरीका सब कुछ एक भारतीय दर्शन के आधार पर है।

4. होलिस्टिक फार्मिंग,  Lifestyle सिखाने के ढंग। कुछ तो कोरोना ने हमें सीखा दिया है, शेष यहां समझ आ जाता है। विदेशी लोग  भारतीयों की परिवार रचना भी देखना चाहते हैं, उसके लिए उनका आपना परिवार यहीं रहता है। 

5. इको टूरिज्म एंड ट्रेनिंग देने का भी काम। स्कूलों के बच्चों के लिए यहां बैलगाड़ी भी, घुड़सवारी भी है, लंबा-चौड़ा स्विमिंग पूल है, खेल के साधन भी हैं। तथा बीच-बीच में वे प्रशिक्षण भी इन चीजों का देते रहते हैं। सरकार द्वारा इसे टूरिस्ट प्लेस की मान्यता काफी समय पहले मिली है और 10,15 कमरे व जैविक भोजन की व्यवस्था देसी विदेशी सैलानियों के लिए यहां है। 

सही रहनसहन के लिए अच्छा है। स्वावलंबी गांव या आत्मनिर्भर soil. 

ज्याणी नेचुरल फार्म। 

 सबसे अच्छी बात है उनका रहन-सहन बहुत साधारण है गौशाला एकदम साधारण है। उन्होंने इसे आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बनाया है। जैसे दूध के लिए निकालने के लिए मशीन बनाई है लेकिन जिस भी गाय का नाम बुलाते हैं उसके आधार पर वह आती है।  इसी प्रकार से गुड़ बनाने की मशीन भी आधुनिक बनाई है ताकि ज्यादा व्यक्ति लगाने की आवश्यकता ना पड़े। 130 एकड़ के खेत में लगभग 10-15 व्यक्ति ही काम पर लगाए होंगे जो होटल भी देखते हैं, भोजन भी बनाते हैं, बाकी भी काम करते हैं। और सहजता के कारण उनकी रूचि भी हैं। ज्यादा चमक दमक वाला ज्यादा पढ़ा-लिखा तो कर्मचारियों में से नहीं दिखाई दिया। आने वालों से शुल्क आदि भी लेते हैं, और हर चीज में किफायत भी है। ऐसा ही मॉडल बिना सरकारी मदद के लंबा चल पाता है

 मैं तो यहां पहली बार ही आया हूँ, लगभग 5 घण्टे रहा, काफी कुछ सीखा, और लगा कि जैविक खेती की, जहरमुक्त खेती की बात  भी होती है, परन्तु प्रत्यक्ष में सफल चलने वाला, रोजगार व आय देने वाला ये मॉडल देखकर बहुत अच्छा लगा।

(नीचे का चित्र फार्म के द्वार का है जिसमे सबसे लंबा युवा विश्वदीप ज्याणी है, और मेरे साथ उनके माता-पिता है। विश्वदीप ज्याणी अच्छा पढ़ा लिखा व देश विदेश में प्रशिक्षित युवा है, और जैविक कृषि की बहुत अच्छी समझ है। उसीने मुख्यतः हमें घुमाया और जहां वह व्यस्त हो जाता उसके पिता जी या माताजी  आगे का समझाते - एक से  बढ़कर एक।)

Thursday, October 22, 2020

ज्याणी नेचुरल फार्म में जाना

16.10.20 को एक  युवा  विश्वजीत सिंह ज्याणी के फार्म में रामगोपाल जी के साथ गया था। ऐसा 130 एकड़ का फाजिल्का, पंजाब के निकट फार्म पहली मैंने तो पहली बार ही कोई देखा होगा। निम्न पांच काम वहां हो रहे हैं। यह फार्म उनके दादा जी के समय आर्गेनिक हो चुका था, और किश्तों में नहीं बल्कि एक ही दिन, एक ही निर्णय से हुआ। वे भी पहले खूब केमिकल स्प्रे आदि करते थे, और जिन जहाजों से अरिअल स्प्रे होता था, उनके पायलट इन्हीं के यहां विश्राम करते थे। जैविक कृषि का प्रचारक गांव में आए थे, उनसे प्रेरित हो कर उन्होंने निर्णय उसी दिन कर दिया कि आज के बाद एक भी ग्राम यूरिया आदि नहीं डालेंगे। बस तब से आजतक जैविक ही है। लेकिन यह महज एक खेत नहीं बल्कि अन्य गतिविधियां भी यहां होती हैं।
1. जैविक खेती, बीज भी अपने तैयार करते हैं। कुछ बीज शुरू-शुरू में खरीदते भी होंगे।
2. फ़ूड प्रोसेसिंग, साथ-साथ बिक्री भी यहां होती है तथा ऑनलाइन सप्लाई भी कर देते हैं। जैविक दालें, मसाले, गुड़, शहद, देसी घी आदि सब कुछ यहां उपलब्ध है।
3. डेयरी फार्म: देसी गाय 50, घी लस्सी, देसी गाय के साथ देसी खाद, जीवामृत, गाए पालन का देसी तरीका सब कुछ एक भारतीय दर्शन के आधार पर है।
4. होलिस्टिक फार्मिंग,  Lifestyle सिखाने के ढंग। कुछ तो कोरोना ने हमें सीखा दिया है, शेष यहां समझ आ जाता है। विदेशी लोग  भारतीयों की परिवार रचना भी देखना चाहते हैं, उसके लिए उनका आपना परिवार यहीं रहता है। 
5. इको टूरिज्म एंड ट्रेनिंग देने का भी काम। स्कूलों के बच्चों के लिए यहां बैलगाड़ी भी, घुड़सवारी भी है, लंबा-चौड़ा स्विमिंग पूल है, खेल के साधन भी हैं। तथा बीच-बीच में वे प्रशिक्षण भी इन चीजों का देते रहते हैं। सरकार द्वारा इसे टूरिस्ट प्लेस की मान्यता काफी समय पहले मिली है और 10,15 कमरे व जैविक भोजन की व्यवस्था देसी विदेशी सैलानियों के लिए यहां है। 
सही रहनसहन के लिए अच्छा है। स्वावलंबी गांव या आत्मनिर्भर soil. 
ज्याणी नेचुरल फार्म। 
 सबसे अच्छी बात है उनका रहन-सहन बहुत साधारण है गौशाला एकदम साधारण है। उन्होंने इसे आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बनाया है। जैसे दूध के लिए निकालने के लिए मशीन बनाई है लेकिन जिस भी गाय का नाम बुलाते हैं उसके आधार पर वह आती है।  इसी प्रकार से गुड़ बनाने की मशीन भी आधुनिक बनाई है ताकि ज्यादा व्यक्ति लगाने की आवश्यकता ना पड़े। 130 एकड़ के खेत में लगभग 10-15 व्यक्ति ही काम पर लगाए होंगे जो होटल भी देखते हैं, भोजन भी बनाते हैं, बाकी भी काम करते हैं। और सहजता के कारण उनकी रूचि भी हैं। ज्यादा चमक दमक वाला ज्यादा पढ़ा-लिखा तो कर्मचारियों में से नहीं दिखाई दिया। आने वालों से शुल्क आदि भी लेते हैं, और हर चीज में किफायत भी है। ऐसा ही मॉडल बिना सरकारी मदद के लंबा चल पाता है
 मैं तो यहां पहली बार ही आया हूँ, लगभग 5 घण्टे रहा, काफी कुछ सीखा, और लगा कि जैविक खेती की, जहरमुक्त खेती की बात  भी होती है, परन्तु प्रत्यक्ष में सफल चलने वाला, रोजगार व आय देने वाला ये मॉडल देखकर बहुत अच्छा लगा।
(नीचे का चित्र फार्म के द्वार का है जिसमे सबसे लंबा युवा विश्वदीप ज्याणी है, और मेरे साथ उनके माता-पिता है। विश्वदीप ज्याणी अच्छा पढ़ा लिखा व देश विदेश में प्रशिक्षित युवा है, और जैविक कृषि की बहुत अच्छी समझ है। उसीने मुख्यतः हमें घुमाया और जहां वह व्यस्त हो जाता उसके पिता जी या माताजी  आगे का समझाते - एक से  बढ़कर एक।)

Wednesday, October 21, 2020

मेरा परिचय

किसी कार्यकर्ता ने मेरा परिचय ऐसे करवाया.
कश्मीरी लाल (जन्मदिन तिथि 18.5.1951)
आप स्वदेशी जागरण मंच के गत 16 वर्षों से (2007 से)स्वदेशी जागरण मंच में सक्रिय हैं तथा 2008 से मंच के राष्ट्रीय संगठक हैं। तभी से  दिल्ली में आपका केंद्र है। आप स्वदेशी, स्वालम्बन और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित हैं और पिछले 35 वर्षों से इन्ही में इर्दगिर्द कईं कई जनजागरणों, रचनात्मक क्रियाकलापों व जनआंदोलनों का तानाबाना बुनते रहे हैं। मूलतः हरियाणा में अम्बाला में 1951 में जन्मे और उधर ही अंग्रेजी साहित्य व दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर पढ़ाई की, अल्पकाल के लिए शिक्षण भी किया और फिर संघ के प्रचारक के नाते राष्ट्रकार्य में जुट गए। 1997 से 2000 तक हिमगिरि प्रान्त में सह प्रान्त प्रचारक, एवं 2000 से 2007 तक पंजाब में पहले सह प्रान्त व बाद में प्रान्त प्रचारक के नाते कार्य किया।आजकल हमारे देश का युवा सद्संस्कारों के साथ- साथ 'नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नोकरी देने वाला बने' इस भाव को जनांदोलन बनाने में जुटे हैं। पूरे देश में अनवरत यायावरी करते हुए युवा, समाज व सरकारों को पूरे मंच के साथ सफलतापूर्वक झकझोरने को संकल्पित हैं।

Thursday, October 15, 2020

मेरा परिचय

कश्मीरी लाल (18.5.1951)
आप स्वदेशी जागरण मंच के गत 13 वर्षों से राष्ट्रीय संगठक हैं  और दिल्ली में केंद्र है। स्वदेशी, स्वालम्बन और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित हैं और पिछले 37 वर्षों से इन्ही में इर्दगिर्द कईं कई जनजागरणों, रचनात्मक क्रियाकलापों व जनआंदोलनों का तानाबाना बुनते रहे हैं। मूलतः हरियाणा में अम्बाला में 1951 में जन्मे और उधर ही अंग्रेजी साहित्य व दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर पढ़ाई की, अल्पकाल के लिए शिक्षण भी किया और फिर 1984 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के नाते राष्ट्रकार्य में जुट गए। आजकल हमारे देश का युवा सद्संस्कारों के साथ- साथ 'नोकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नोकरी देने वाला बने'  इस भाव को जनांदोलन बनाने में जुटे हैं। भूमंडलीकरण के नाम पर दुनिया का भू-मंडीकरण,  उदारीकरण के नाम पर उधारी-करण के षड्यंत्र से स्वदेश व विश्व को बचाने की मुहिम को चलाए हुए हैं। कृषि, लघुउद्योग व मजदूर को बचाना व बढ़ना मुख्य मुद्दा है। पूरे देश में अनवरत यायावरी करते हुए युवा, समाज व सरकारों को पूरे मंच के साथ सफलतापूर्वक झकझोरने को संकल्पित हैं।
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