Thursday, December 22, 2022

Lessons of Leadership by BALU SUBRAMANIAN

Chapter 6 
Being a Complete Leader
काफी लोग जीवन के व्यवसायिक क्षेत्र में सफल होते हैं, लेकिन परिवारीमें असफल। लीडर को हर दृष्टि से सफल होना चाहिए।
1. वह एक सरकारी अधिकारी के साथ बातचीत का विवरण देता है जिसमें वह बताता है कि उसने जीवन में दो अधिकारियों के साथ काम किया जो के अपने काम में बहुत ही सफल थे परंतु दोनों ही व्यक्तिगत जीवन के अंदर या  पारिवारिक जीवन के अंदर बहुत ही असफल थे।  और उन्होंने कई बार डायवोर्स वगैरा भी झेले हैं.  हम जानते हैं के ऐसे उदाहरण हम भी दे सकते हैं अपने आसपास के जीवन से। निष्कर्ष यह है यद्यपि हम मानते हैं कि व्यापारिक या व्यवसायिक जीवन में सफल होना लीडर का लक्षण है परंतु यह सफलता पारिवारिक जीवन में भी होनी चाहिए।
2. पूर्ण नेतृत्व की कहानी इस बात से प्रारंभ होती है कि जब हम सोचते हैं कि दिन का कितना समय किस पर लगाना चाहिए और क्या हमारी यह सोच तो नहीं है कि हम अपनी व्यवसायिक उपलब्धियों के लिए अन्य व्यक्तियों की आवश्यकता है भूल जाते हैं। क्या हम अपना कीमती समय अपने मित्रों रिश्तेदारों साथियों में बिताते हैं, जो कि हमारे व्यवसायिक साथी नहीं है और सबसे बड़ी बात वह कहते हैं क्या हम अपने लिए भी समय निकालते हैं।
3.  इसका भी प्राय यह नहीं है कि हमें हर चीज पर समान समय लगाना है परंतु हमें अपने शरीर का मन का बुद्धि का और आत्मा के विकास इन चारों आयामों पर अपना ध्यान देना चाहिए। दिल में व्यायाम ठीक समय पर खाना,  मेडिटेशन और ज्ञान के लिए अपनी भूख जगाना आदि भी आवश्यक है। इन सबके लिए एक संतुलित है दिनचर्या बनाना आवश्यक है जिसमें योग के लिए परिवार के लिए मित्रों के लिए और अपने कामों के लिए समय हो। अगर एक व्यवस्था काम नहीं करती हैं तो हमें दूसरी तरह की कर लेनी चाहिए। 
4. जब हम एक पूर्ण जीवन जीना शुरू करेंगे तो हम समझ पाएंगे कि किस चीज पर इतना समय देने से शक्ति लगाने से और कितनी पूंजी लगाने से कैसा रिजल्ट मिलता है।
5.  बाद में वह निष्कर्ष निकालता है की सफलता का मतलब केवल व्यवसायिक या अपने काम में सफलता से नहीं है बल्कि यह अपने काम में घर में आस-पड़ोस में और विशेष रूप से अपने पर समय लगाने का तरीका है।
(अगर व्यक्तिगत रूप से देखें तो हम भी काम के बोझ में कितने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते हैं आस-पड़ोस की उपेक्षा करते हैं और अब तक के मित्रों की उपेक्षा करते हैं इसलिए समय का विभाजन आवश्यक है। यह पहली बार है कि लेखक ने नकारात्मक उदाहरण दिया है, वरना सकारात्मक हिंदेते हैं। ऐसे उदाहरण ढूंढना भी शायद जरूरी है।I)