Monday, April 21, 2014

स्वदेशी जागरण मंच- उत्तराखण्ड (स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल द्वारा दिया गया वक्तव्य)

स्वदेशी जागरण मंच- उत्तराखण्ड
(स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल द्वारा दिया गया वक्तव्य)

           दिनांक 22 अप्रैल 2014
प्रेस विज्ञप्ति

स्वदेशी जागरण मंच इस 28 फरवरी को जैव रुपान्तरित (जीएम) फसलों के जमीनी परीक्षण की अनुमति देने के केन्द्रीय सरकार के निर्णय का कड़ा विरोध करता है। पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोइली द्वारा अतिरिक्त हड़बड़ी में लिया गया यह निर्णय वनस्पति, जीव व पर्यावरण के लिए अत्यंत घातक है। इसका लम्बे समय से हर ओर से विरोध हो रहा था। अचानक सब विरोधों को दरकिनार कर और इनको सरकार द्वारा केवल ‘अवैज्ञानिक नजरिया’ करार देना किसी के गले नहीं उतर रहा है।
विचित्र बात यह है कि तीन संवैधानिक पक्षों से इसका ठोस कारणों से विरोध किया गया है। पहला, कृषि मंत्रालय की संसदीय समीति ने लम्बी खोज व चर्चा के बाद इसको खतरनाक बताया था। दूसरे, इसी सरकार के दो पूर्व पर्यावरण मंत्रियों - जयराम रमेश व जयन्ती नटराजन - ने इस के खिलाफ आपत्तियां जगजाहिर की थी। तीसरे, सर्वोच्य न्यायालय की ओर से नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समीति ने भी इसे पूर्णतय नकारा था और लम्बे समय के लिए इसके परीक्षणों पर रोक की सिफारिश की थी। अब सरकार द्वारा कानूनी रुप से बचने के लिए इसे ‘नीतिगत फैसला’ करार देकर इसे अनुमति देना देश के साथ छल है और यह जोर-जबरदस्ती से लिया गया कदम है। जनता के स्वास्थ्य व कृषि सम्पदा से खिलवाड़ करने वाला फैसला इतनी जल्दबाजी में विल्कुल नहीं लेना चाहिए था। वैसे भी चुनाव की दहलीज पर खड़ी किसी सरकार को ऐसा दूरगामी प्रभाव डालने वाला निर्णय लेना नैतिक रुप से भी गलत है। मंच का शक है कि मौंसेंटो जैसी बहुराष्ट्रीय कृषि कम्पनियों के दवाब में आकर ऐसा निर्णय लिया गया है और देशहित को पूरी तरह ताक पर रखा गया है।
मंच इसके विरुद्ध जगह-जगह गोष्टियां, जनजागरण व विरोध प्रदर्शन कर रहा है। आगे एक जून को पानीपत (हरियाणा) में एक राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला मंच द्वारा आयोजित की जाएगी। इसमें देश भर से प्रख्यात कानूनविदों, कृषि विशेषज्ञों व सामाजिक संगठनों को निमंत्रित किया जायेगा और आगे की रणनीति तय की जायेगी।
मंच चुनाव की इस वेला में सभी राजनैतिक दलों से अपील करता है कि इस विषय को अपने घोषणापत्रों में स्थान दे। इसके अतिरिक्त भी मूलभूत आर्थिक मुद्दों पर अपना मत स्पष्ट करने का आग्रह करता है यथा खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध, विदेशी बैंक में स्थित काले धन की वापसी, चीन द्वारा भारतीय बाजार पर कब्जे को रोकना आदि-आदि। मंच जनता से भी अपील करता है कि वोट देते समय भी इन मुद्दों को ध्यान में रखें। वैसे भी रुपये के डालर के समक्ष अवमूल्यन को रोकने हेतु दैनंदिन जीवन में ‘स्वदेशी अपनाओं - देश बचाओ’ का उद्घोष आज और भी ज्यादा समसामयिक हो गया है।
मंच देवभूमि उत्तराखण्ड निवासियों से विशेषरुप से अपील करता है कि मत देते समय पिछली दैवीय त्रासदी को न भूलें और सभी राजनैतिक दलों पर प्रकृति-प्रेमी व टिकाऊ विकास की अवधारणा को पुष्ट करने वाली नीतियां बनाने का दबाव बनाएं

1 comment:

  1. Good efforts by sjm on above issue.Hope sjm and others farmer organisations have submited protest to central/state Govts.
    Verbal protest will not besufficient.

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