Monday, October 10, 2016

चिड़िया और दाने की कहानी

चिड़िया और दाने की कहानी
छोटी सी कहानी सुनी तो पहले भी होगी पर अब समझ आई।
चिड़िया के दाने वृक्ष की दराज में गिर गए, और वृक्ष से लौटने को कहा, नहीं माना.  गयी बढ़ई के पास की तूं तन काट दे, फिर गयी राजा के पास, की बढ़ई को सजा दे, नहीं माना। हर छोटी बड़ी बात के लिए ऍफ़.आई.आर ठोको गए तो क्या हाल होगा? गयी रानी के पास की राजा से रूठ जा, फालतू बात। भाग। गयी महावत के पास की राजा-रानी को पीठ से फ़ेंक दे, तेरा दिमाग़ खराब है, तो गयी हाथी के पास की महावत ने नहीं सुनी, तू तो हमारी बिरादरी का, तू महावत पे सूंड चला। सामने छोटी सी चींटी से बोली की तूं हाथी की सूंड में घुस जा। बोली कि मेरे क्या पड़ी कि इतना रिस्क लूँ।चल आगे किसी पे जा, सरकारी बाबू की तरह बोली। बोली की अब तक जितनो के पास गयी, उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती पर तुझे कोई मेरी चोंच से बचा नहीं सकता, पंजे में दबाते हुए बोली। थोड़ी मोहलत देती हूँ। बस वो दौड़ी हाथी के पास, फिर हाथी महावत, रानी, राज, बढई और बढई लेके आरी आया वृक्ष के पास के या तो इसके दाने दे, नहीं तो में चलाता हूँ आरी.  अरे चिड़िया प्यारी, में तो किया था मजाक, तूं भागी गुस्से की मारी। ये ले दाने की पिटारी। तू बिटिया हमारी। राजदुलारी।
देखिय न हम पकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते, न चीन पे तोप चला सकते,  ब्रह्मपुत्र की धारा खुलवा सकते, पर पर चीन के पठाके तो खरीदना बंद कर सकते, लड़िया छोड़ मिट्टी के दिए तो जला सकते, ओप्पो, लेनोवा के मोबाइल की जगह माइक्रोमैक्स, कार्बन, इंटेक्स, जिओ के मोबाइल तो खरीद ही सकते है, चीन से 52 अरब डॉलर का व्यापार घाटा तो कम कर सकते, है। बस आगे तो वो स्वयं ही गिड़गिड़ाये गे।

ये प्रयोग जापान ने किया तो गुलाम होते हुए भी काबिज अमरीका के संतरे नहीं खाये, हिरोशिमा और नागासाकी में एटम बम गिरने के बावजूद स्वदेअहि के बल पर दुनिया की दूसरी आर्थिक शक्ति बना।ये प्रयोग 1905 में लाल बाल पाल ने किया और बंग भंग विरोधी आंदोलन में अंग्रेज सरकार को झुकाया।ये प्रयोग गांधी जी ने किया और विदेशी वस्त्रो की होली जलायी। आयो पांच पांच स्कूलों में जाकर बच्चों से शपथ दिलवाये, संतो से प्रार्थना करें की अपने प्रवचनों में बोले।सरकार से कहे कि एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाये। जो हम कर सकते हे उस पर ध्यान देवें।सफलता मिले गी।

2 comments:

  1. जी लेकिन हम तो करेंगे पर सरकार का क्या वो वो चीन से व्यापार बढ़ाना चाहती है, अब ग्लोबल व्यापार की मजबूरी बताकर इसको डिफ़ेंड मत कीजिएगा।

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