Tuesday, October 22, 2019

क्या बहुमत से ही सच्चाई जानेंगे?

श्री ठेंगड़ी जी कहते हैं की हरियाणा के एक स्कूल में एक शाखा में मैंने बालकों से प्रश्न पूछा की संघ किसने शुरू किया? एक बच्चे ने डॉक्टर हेडगेवार का नाम लिया और दूसरे ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का क्योंकि उसी वर्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की शहादत हुई थी और उनका नाम प्रसिद्ध था। उसके बाद पूरी शाखा में कई बच्चों ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम लिया। संदर्भ ध्यान रहे कि 53 में मुखर्जी का बलिदान हुए थे और 'मुखर्जी अमर रहे', ऐसे उद्घोष उस समय हवा में तैरते थे। तब ठेंगड़ी जी ने मजाक- मजाक में कहा कि कैसे निर्णय होगा कुछ डॉक्टर हेडगेवार बोल रहे हैं कुछ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सही कैसे पता लगेगा? तो एक लड़के ने हाथ हिलाते हुए कहा वोटिंग करा लीजिए । तो पूरी शाखा में वोटिंग हुई 8 ऐसे थे जो डॉक्टर हेडगेवार जी के पक्ष में, उससे दुगने 16 श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पक्ष में, और आठ ऐसे समझदार थे वह चुप रहे किसी और भी नहीं बोले यानी नोटा! तब ठेंगड़ी जी ने कहा अब यह समस्या और गड़बड़ हो गई क्योंकि कुछ इधर बोल रहे हैं कुछ इधर बोल रहे हैं, सच्चाई कैसे पता चलेगी ? फिर उस चतुर लड़के ने कहा कि निर्णय हो तो गया! क्योंकि 16 वोट श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पड़े हैं इसलिए संघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही कहलाएंगे!!!!
ऐसे ही आजकल हम सोचते हैं क्योंकि ज्यादा वोट जिस पार्टी को पड़े हैं उसकी हर बात सच्ची, दूसरों की हर बात गलत, इसको वर्डिक्ट मिला, जनादेश मिला है, और यही सच्चा है, बाकी झूठे हैं या नहीं, इस पर अलग से  जरूर चर्चा होनी चाहिए।

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