Thursday, February 6, 2020

हिम्मताराम भाम्भू 5 लाख पौधे लगाए एवम् शुभेंदु शर्मा

नागौर जिले की सुखवासी गांव में जन्मे हिम्मताराम भाम्भू ( Environment Lover Himmataram Bhambhu )  को पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीवों की रक्षा एवं पशु क्रूरता के खिलाफ लम्बे समय तक किए गए संघर्ष एवं कार्यों को देखते हुए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने उन्हें पदम श्री पुरस्कार ( padamshri awardee ) देने की घोषणा की है।

नागौर.
नागौर जिले की सुखवासी गांव में जन्मे हिम्मताराम भाम्भू ( Environment Lover Himmataram Bhambhu ) को पर्यावरण संरक्षण, वन्य जीवों की रक्षा एवं पशु क्रूरता के खिलाफ लम्बे समय तक किए गए संघर्ष एवं कार्यों को देखते हुए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने उन्हें पदम श्री पुरस्कार ( padamshri awardee ) देने की घोषणा की है। पर्यावरण प्रेमी भाम्भू को गत दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से मुलाकात कर उनके द्वारा किए गए कार्यों एवं आगामी कार्ययोजना को लेकर चर्चा की थी।

पर्यावरण प्रेमी हिम्मताराम भाम्भू प्रदेश-देश में सरकार एवं कई संस्थाओं से सम्मानित हो चुके हैं, जिन्होंने न केवल पिछले 30 वर्षों में 5 लाख से अधिक पौधे लगाए, बल्कि उनके द्वारा लगाए गए साढ़े तीन लाख पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। भाम्भू ने नागौर के निकट हरिमा गांव के पास 25 बीघा जमीन लेकर पर 11 हजार पौधे लगाकर जंगल का रूप दिया है। ताकि लोगों को पर्यावरण का महत्व बता सकें। भाम्भू ने यहां पर्यावरण प्रदर्शनी भी बना रखी है।
वन्य जीवों के लिए खुद लड़ते हैं मुकदमे
भाम्भू पर्यावरण संरक्षण के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भी हर वक्त तैयार रहते हैं। वन विभाग से ज्यादा सक्रिय रहकर शिकारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं और कोर्ट में मुकदमे भी खुद के खर्चे से लड़ते हैं। कई बार वन विभाग कार्रवाई से पीछे हट जाता है, लेकिन भाम्भू डटकर मुकाबला करते हैं।


भाम्भू ने बताया कि उनके द्वारा मूक पशु-पक्षियों की सुरक्षा एवं पर्यावरण के क्षेत्र में जो काम किया, उसका प्रतिफल उन्हें आज मिला है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को सामाजिक सरोकार व पर्यावरण के क्षेत्र में आगे आने का आह्वान किया है।
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48 जंगल उगा चुका है ये शख्स, पर्यावरण बचाने छोड़ी थी लाखों की नौकरी / 48 जंगल उगा चुका है ये शख्स, पर्यावरण बचाने छोड़ी थी लाखों की नौकरी

  • अपने उगाए जंगल में शुभेंदु शर्मा।अपने उगाए जंगल में शुभेंदु शर्मा।
Jun 30, 2016, 12:18 PM IST
एजुकेशन डेस्क। उत्तराखंड के रहने वाले एक इंजीनियर देश में जंगल उगाने के काम कर रहे हैं। सुनने में ये बात अजीब जरूर लगेगी, लेकिन पूरी तरह सच है। दरअसल, शुभेंदु शर्मा टोयोटा के प्लांट में इंजीनियर थे। एक दिन उनके प्लांट में जापान के पर्यावरणविद अकिरा मियावाकी आए। मियावाकी से मिलने के बाद शुभेंदु की लाइफ अलग ट्रैक पर चली गई। ऐसे शुरू किया जंगल उगाने का काम...
 
 
 
मियावाकी टोयोटा के परिसर में जंगल उगाने आए थे। शुभेंदु को अचरज हुआ कि क्या जंगल भी उगाया जा सकता है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से किसी जंगल को साकार होने में कम से कम 100 साल का वक्त लगता है। 86 साल के मियावाकी ने बताया कि कैसे प्रकृति के तौर- तरीकों में दस गुना रफ्तार लाकर 10 साल में जंगल खड़ा हो सकता है। वे दुनियाभर में 4 करोड़ पेड़ लगा चुके थे। बस, शुभेंदु पर भारत में जंगल उगाने की जिद सवार हो गई। उन्होंने मियावाकी के सहायक के रूप में काम करके उनकी विधि का अध्ययन किया। 
 
अपने घर में किया पहला प्रयोग :
 
शुभेंदु ने पहला प्रयोग हुआ उत्तराखंड स्थित घर के पीछे के 93 वर्ग मीटर के बगीचे में। वहां वे एक साल में 42 प्रजातियों के 300 पेड़ लगाने में कामयाब रहे। इसके बाद तो उन पर जंगल उगाने की धुन सवार हो गई, लेकिन इस काम को नौकरी में रहते नहीं किया जा सकता था। अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़ना आसान फैसला नहीं था। हालांकि, हिम्मत करके 2011 में नौकरी छोड़ी और एक साल तक सिर्फ रिसर्च की, क्योंकि भारतीय मिट्टी और पर्यावरण अलग होने के कारण मियावाकी की विधियों को हूबहू इस्तेमाल करने में खतरा था।
 

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