1. भारत का मध्यभाग होना अपने आप में बड़ी बात। जब झारखण्ड साथ था तो क्षेत्रफल में सबसे बड़ा प्रदेश था, खैर अब भी दूसरे स्थान पर। आठ करोड़ से अधिक आबादी के साथ यह भारत में पांचवे स्थान पर है परंतु ईरान, तुर्की और यहां तक कि जर्मनी से भी बड़ा है। दुनिया के दो बड़े समृद्ध व शक्तिशाली देश, या कहें कि अति चर्चित देश अर्थात इस्राएल व स्विट्ज़रलैंड आबादी के हिसाब से एक दर्जन तक सिर्फ मध्यप्रदेश में समा सकते हैं।
कष्ट की बात है कि यह प्रदेश आबादी में दूसरे स्थान पर क्षेत्रफल में पांचवे स्थान पर परन्तु जीडीपी के आधार पर 10वें स्थान पर आता है। यही विचरने का विषय है।
दुनिया की शायद एकमात्र नदी जिसकी लोग परिक्रमा करते हों, (पूजा की बात नहीं करता) चारों तरफ चक्कर लगाते हो वो नर्मदा इसी प्रदेश में है।
दुनियां जिसकी चमक के आगे फीकी पड़ जाते ऐसे डायमंड की सबसे बड़ी खदाने यहीं पाई जाती हैं, और तांबे की भी।
1. कृषि से 45% जीडीपी मिलता है। शरबती अनाज यहीं पैदा होता है। जमीन बहुत है पर सिंचित जमीन कम है। आंकड़ो पर विश्वास करें तो कुल ज़मीन 307.74 लाख हेक्टेयर है, इसमें आधी यानी 150.74 लाख हेक्टेयर पर कृषि होती है परन्तु मात्र 64.1 हेक्टेयर ही सिंचित है। अर्थात कुल भूमि का सिर्फ 21% सिंचित है और उसमें भी नहरों का हिस्सा सिंचन में 17% मात्र।
यही प्रदेश है जहां 62%लोग कृषि से रोजगार पाते हैं, उद्योगों या मैनुफैक्चरिंग से मात्र 5% और बाकी कर 33 फीसद तो सेवा पर अवलम्बित है। अगर सिंचाई की व्यवस्था और बढ़िया हो जाए तो तरक्की बहुत अधिक हो सकती है। पहले ही यहां की गेहूं की मांग भारत भर में है।
2. खदान: जैसा मैंने बताया कि हीरों की सबसे बड़ी खदानें मध्यप्रदेश में हैं। कोयले की खदान भी हैं। इससे 7700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष आमदनी है।
3 .उद्योग: 60 हज़ार करोड़ की आमदनी है। आयुध के चार बड़े कारखाने यहां हैं, छोटे उद्योगों के क्लस्टर भी है।
4. पर्यटन: अजंता जी गुफाएं, उज्जैन जैसे तीर्थ, भीमबेटका आदि भी प्राचीन गुफाएं प्राचीन काल की यहां हैं अतः बहुत सम्भावनाएं पर्यटन की हैं।
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