*गंभीर बीमारी का कारण वायरस नहीं घबराहट है, जानिए ठीक होने के उपाय* *-डॉo विनय सिंह (संछिप्त परिचय नीचे)*
*क्या हमको वायरस मार रहा है? नहीं।*
आपको जान कर आश्चर्य होगा कि कोविड बीमारी के लक्षण शुरू होने के दिन से सात दिन के अंदर सभी कोरोना वायरस मर जातें हैं, केवल उनके मृत टुकड़े हमारे शरीर में इधर उधर पड़े रहतें हैं; जबकि गंभीर बीमारी और मृत्यु दूसरे सप्ताह या उसके बाद, हमारी अपनी ही भ्रमित रोग प्रतिरोधक तंत्र के द्वारा फेफड़ों और खून की नालियों को नुकसान पहुंचाने से होती है। ऐसा समझें कि सांप निकल जाए और हम लकीर पीटने के क्रम में अपना हाथ- पैर या माथा फोड़ लें या हाथी पागल होकर अपने ही मालिक को घायल कर दे या मार दे।
*मन और शरीर का सम्बंध और घबराहट का हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव*
हम सब जानते हैं कि मन और शरीर का, एक दूसरे के साथ, बहुत ही नजदीक का संबंध है और एक के गड़बड़ाने से दूसरा भी गड़बड़ा जाता है। मन में अत्यधिक चिंता और घबराहट होने से शरीर में कई परिवर्तन होतें है, लेकिन उनमें से निम्नलिखित तीन, कोविड बीमारी में जीवन और मौत के बीच का अंतर तय करतीं हैं।
1. रोग प्रतिरोधक तंत्र की क्षमता में भारी कमी - इसका प्रभाव पहले सप्ताह के दौरान वायरस के संहार की अवधि के बढ़ने के रूप सामने आती है।
2. रोग प्रतिरोधक व्यवस्था का भारी मति भ्रम (पगला जाना) जिसके चलते दूसरे सप्ताह में मृत वायरसओं को जिंदा समझ कर उन पर भारी बमबारी, जिसके चलते अपने ही फेफड़ों के कोशिकाओं एवं रक्त नलिकाओं को भारी नुकसान, बीमारी का बढ़ना और कुछ मामलों में मृत्यु होना।
3. अत्यधिक चिंता और घबराहट से शरीर के एक एक कोशिका में आक्सीजन की मांग का बढ़ना जो कि कुछ मामलों में 20% तक चली जाती है।
*घबराहट कम करने के उपाय*
ऊपर की बातों से स्पष्ट है कि अपने अत्यधिक चिंता और घबड़ाहट पर नियंत्रण, अपने जीवन को बचाने का साधन बन सकती है। शरीर के मामलों की तो कई पैथियाँ है और उनमें मतभेद भी है, लेकिन सौभाग्य से, मन को शांत करने की एकमात्र तकनीक योग है, इसे पूरा विश्व मानता है। आइए, हम उन उपायोंको देखें जिनसे हमारी चिंता और घबराहट कम होगी।
1. ईश्वर परिधान - अपने इष्ट की मूर्ति / चित्र को अपने सामने रखना, नियमित प्रार्थना करना और उनपर पूर्ण विश्वास करके, मामले को सौंप देना.
2. भक्तिपूर्ण चलचित्र देखना और संगीत सुनना।
3. परिवार के सभी लोगों के साथ भजन करना।
4. दिन में खाली पेट की अवस्था में 3-4 बार 10-10 मिनट भ्रामरी प्राणायाम एवं मकार पर जोर देते हुए ॐकार करना।
5. अपने सांसों का उपयोग करके अंतर्मुखी होना एवं ध्यान लगाना।
डॉo विनय सिंह, MBBS, MS, MCA, 9663599333, drvinoy@gmail.com, संछिप्त परिचय:
*पश्चिमी मेडिकल ज्ञान और भारतिय योग विद्या के समन्यव से एक समेकित स्वास्थ्य पद्धति का निर्माण कर, उसे विश्व स्तर पर स्थापित करने की दिशा में प्रयासरत।
SVYASA विश्वविद्यालय के योग आधारित समेकित चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर के रूप में 2015 से 2019 तक योगदान।
पटना मेडिकल कॉलेज के जेनरल सर्जरी विभाग में एक फैकल्टी के रूप में 15 वर्ष का योगदान।
सर्जरी के साथ साथ कंप्यूटर ऍप्लिकेशन्स में भी स्नातकोत्तर डिग्री, हेल्थ इंफ़ोरमेटिक्स के क्षेत्र में दुनिया के विभिन्न देशों में योगदान।
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