Tuesday, July 20, 2021

Book review: The Resurrected: writer Saugata Mitra,


The Resurrected: writer Sougata Mitra, Olympia Publishers, London
इस सप्ताह यह 297 पृष्ठ की अंग्रेजी पुस्तक बड़ी रुचि से पढ़ी। यह आम आदमी की कहानियां हैं जिन्होंने अपनी मुसीबतों से कैसे न कैसे पार पा लिया, बिल्कुल अपने अंदाज में, अपने प्रकार से। ये धीरूभाई अंबानी, स्टीवजोबस, गरीबी से बादशाहत तक पहुंचने की कहानियां नहीं है, जैसी आम मोटिवेशनल स्पीकर सुनाते हैं। ये मुंशी प्रेमचंद जैसी शैली में सामान्य आदमी के किस्से हैं, पर ये किस्से भी नहीं हैं, क्योंकि ये सच्ची घटनाएं है, सभी पात्र आज भी जीवित हैं। इसी लिए प्रेरित भी करती हैं कि अगर हमारे पर ऐसी मुसीबत आयी तो ये हमारे रोल मॉडल हो सकते हैं। पुस्तक अंग्रेजी में हैं, और अधिकांश पात्र अंग्रेजी भी नहीं जानते होंगे। 
तो भी, इसे  हमारे वरिष्ठ प्रचारक श्री सरोज मित्र ने मुझे दिया और बताया कि उनके भतीजे सौगत मित्र जो कि आजकल मदर डेरी में ह्यूमन रिसोर्स  मैनेजर पद पर है, ने यह लिखी। शुरू में तो मैंने सिर्फ औपचारिकतावश ही किताब देखी, परन्तु पहली कहानी से इसमें पूरी तरह डूब गया और दो दिन में इसे पूरी तरह पढ़ भी डाला। परसों सायंकाल सरोजदा ने बताया कि उसका भतीजा सौगत  यानी इस पुस्तक का लेखक आया हुआ है तो मैंने विस्तार से इस पुस्तक के बारे में चर्चा की।
इसकी प्रस्तावना  लंदन निवासी मार्शल गोल्डस्मिथ ने लिखी है। उसने लिखा है वह  कैलिफोर्निया में रहता है और भारत में किसी न किसी काम से आते-जाते रहते हैं। वह मोटीवेशनल वक्ता है, लीडरशिप और टीम बिल्डिंग जैसे विषयों पर बोलता  है और साथ ही भारत के प्रमुख कंपनियों के सीईओ में सोच परिवर्तन लाने का काम करते हैं । उसने मुक्तकंठ से पुस्तक की प्रशंसा की।
सारांश: इस पुस्तक में 9 कहानियां है और शुरू में पहला भाग या  चैप्टर इंट्रोडक्शन का है, और अंत में Epilogue, ऐसे 11 चैप्टर इस पुस्तक में है । लेखक की कुशलता इसमें है कि वह अपनी भूमिका भी इसी पुस्तक में से सबीना की भीख मांगने की कथा से शुरू करता है और श्रोता एकदम बंध जाता है । क्योंकि लेखक  स्वयं ह्यूमन रिसोर्स में काम करता है इसलिए लोग किस प्रकार से नीचे से ऊपर उठते हैं, अंधकार से रोशनी की ओर जाते हैं,  और निराशा से आशा की ओर जाते हैं -- इसको बड़े ही  मनोवैज्ञानिक ढंग से जानता है । हर कहानी भी क्लाइमेक्स  से शुरू होती है जो कि उसी कहानी का हिस्सा होता है। कल मेरा किस लेखक से मिलना हुआ और इस विषय पर लम्बी बात हुई। उसका कहना है कि इस पुस्तक को लिखने में लगभग 3 साल का समय लग गया। और कहीं कहीं तो एक सब्जेक्ट के साथ उसको 4-4, 5-5 घंटे कई दिन बैठना पड़ाहै।  मैंने जब लेखक से  पूछा कि सबसे अच्छी घटना आपको कौन सी लगी तो उसने सबसे पहले भोपाल त्रासदी की घटना का उल्लेख किया और दूसरे नंबर पर डॉ रवि बागची जो उसके अनुसार आजकल मैक्स हॉस्पिटल में अच्छे पद पर काम कर रहा है, उसकी कथा की ओर इशारा किया। यानी वह वहां पर लोगों को मनोवैज्ञानिक इलाज करता है।
9. आइए अंतिम भाग से कहानी की शुरुआत करें। अंतिम कथा राहुल की है जो के ड्रग एडिक्ट है और बाद में स्वयं भी ठीक हो जाता है औरों को भी ठीक करता है । वह चंडीगढ़ में रहता है पिता का नाम नरेश चंद है और दुकान का नाम जैन पान भंडार सेक्टर 31 सी में है।  आजकल यह 26 वर्षीय युवा थ्रीव्हीलर चलाता है। उसको बचाने में बहुत बड़ी भूमिका करमजीत सिंह नामक एक्टिविस्ट की है जोकि एक SEHAT नामक संस्था से संबंध रखता है और डायरेक्टर डॉ कालरा हैं। एक शब्द बार-बार आता है IDU जिसका अभिप्राय है इंजेक्शन ड्रग यूजर । इसका काम पंजाब के बॉर्डर पर बलटाना नाम के स्थान पर होता है। 
8. उससे पहले यह कहानी मैंने पूरी तरह से नहीं पड़ी है। वैसे यह एक सुनामी की कथा है जो तमिलनाडु के अंदर 26 दिसंबर 2004 में आई थी और उसमें जो लोग पूरी तरह तबाह हो गए । वह कैसे अपना को दोबारा से जीवित या पुनर्वसन की ओर जाते हैं।
3.  उससे पहले भी यह कथा भी भोपाल गैस इसलिए अतः बहुत ध्यान से नहीं पढ़ा । यह अजीजा नाम की महिला की है जो भोपाल गैस त्रासदी का शिकार होती है और अपने आपको बाद में एडजस्ट कर लेती है। 
4.:इससे पहले की कथा उस युवककी है जिसकी बचपन में एक टांग कट जाती है और अपनी आस्था के आधार पर वह आगे अपने जीवन के अंदर अच्छा एथलीट बन  जाता है। उसका नाम विनोद रावत है जो मूलता गढ़वाल डिस्टिक का है लेकिन 1976 में ही एक मुंबई की बस्ती में रहता है और धीरे-धीरे अपने आप को उसी में एडजस्ट कर लेते हैं इसी के बारे में कहना था लेखक का कि वह बार-बार संपर्क करता है कि इस पर आगे क्या है या नहीं कुछ फिल्म आदि बन सकती है कि नहीं। 
5. कहानी नंबर 5 सोमा बागची की है जो नहीं जानती थी कि वह एलजीबीटी है और दिल्ली के दरियागंज में रहती थी, पिता पूरे शराबी थे और और असमय ही उनकी मृत्यु हो गई । मां हिम्मत वाली थी उसको समझाती रही। बचपन से ही वह थोड़ा सेक्स मॉलेस्टेशन का शिकार होती रही और जैसी जैसी उसको पता लगता है क्या कि वह लड़की नहीं लड़का है तो वह फर्स्ट्रेशन का शिकार होती गई और एक बार तो 20 नींद की गोलियां और पिता की रखी शराब पीकर के आत्महत्या का प्रयास करती है। उसी हालत में एक मित्र को फ़ोन पर लड़खड़ाती आवाज में अलविदा कहती है । और वह उसको बचाने के लिए आता है । बादमे इससे भी शादी होती है और जल्दी ही तलाक़ में बदल जाती है।  बाद में m.a. साइकोलॉजी कर लेती है और धीरे-धीरे एमफिल साइकोथेरेपी में करते हुए मनोवैज्ञानिक बन जाती है। क्योंकि वह मानसिक अवसाद की लंबे समय से शिकार रहे इसलिए आने वाले मरीजों की व्यथा भी बहुत अच्छी तरह से समझ जाती थी। इसी बीच उसके मुलाकात  NACHIREN बुद्धिज़्म के लोगों से होती है जो उसे एक मंत्र देते हैं बार-बार दोहराने के लिए जिसे वह कहती है 'नम म्योहो रेंगे क्यो' । यह अंत तक उसकी बहुत सहायता करता है और भारत सौका गाकाई नामक संस्था लोगों को मानसिक अवसाद से बचाने का प्रयास करते हैं.  तीन बार अलग-अलग समय पर अलग-अलग लोगों से इस मंत्र को बोलने  के बारे में उसको सलाह दी जाती है और आखिरकार वह हिम्मत करके अपने आप को लड़के के नाम से रखना शुरू कर दी है। इस बीच उसकी दो तीन बार लव स्टोरी भी चलती रहती हैं सिरे नहीं हो चढ़ पाती। यह बहुत पुरानी कहानी नहीं है लगभग 2011 में वह नीट एग्जाम देती है विमहंस और बाकी जगह पर भी हो सहायता लेने की कोशिश करती है बाद में वह रवि बागचीके नाम से अपने आप को प्रसिद्ध कर लेती है और अपने आप को लड़का बताते हुए औरों का इलाज करती है। बताया जाता है कि अभी वह मैक्स हॉस्पिटल में डॉ रवि के नाम से  मनोवैज्ञानिक पद पर है और साइकोथेरेपी का काम करती है।
4.  इससे पहले की कथा यानी चार नंबर की कथा एक मुस्लिम लड़की जिसका नाम सबीना है उसकी है। वह इधर उत्तर प्रदेश में छोटे से गांव में रहती है इधर मेरठ हापुड़ के पास। 2005 में उसकी शादी होती है और 2009 में उसका एक बच्चा भी होता है. उसे  शक है की उसके ससुर जिन से उसकी बनती नहीं है सोते समय उस पर तेल छिड़ककर आग लगा दी और 80% जलन  हो गया।  वह डीके जैन हॉस्पिटल मेरठ में भर्ती होती है और दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है उस समय जो उसके पति ने इसकी बहन के घर से उधार लेकर के चुका दिया । और बाद में उसने भी रास्ता बदल लिया। थकी हारी वह मायके दिल्ली में त्रिलोकपुरी में रहती है और लोक नायक जयप्रकाश हॉस्पिटल में उसका आगे का इलाज चलता है। अचानक कोई महिला उसको 2012 में सुझाव देती  है कि तू भीख मांगना शुरू कर दो और वह भीख मांगना शुरू कर देती है।  यह भीख मांगने का सुझाव भी उसको किसी एक महिला ने हमदर्दी के नाते दिया जो स्वयं भी कभी इस प्रकार के संकटों में उबरने के लिए भीख मांगते हैं। यह चार पांच दिन भीख मांगती है पर इसका मन नहीं मानता। इतने में कोई एक महिला और बस में बैठे बैठे इस को सुझाव देती है कि किसी एनजीओ में काम कर लो और वह अंततः जागोरी नाम की संस्था में जाती है और उसको सहायता भी मिलती है और वे लोग उसको सिलाई  का काम सिखाते हैं लेकिन इससे हो नहीं पाता ।अंततः इसको एक छोटी सी दुकान त्रिलोकपुर में 2014 में दिलवा देते हैं और सुनीता ठाकुर नाम की महिला इस संस्था की देखभाल करती है और वही इसको केस करने के लिए कहती है ताकि पति का 250 गज का टुकड़ा जो सुखडा विलेज वह आगे उसके बेटे अजीज के नाम हो जाए। इसी का नाम ट्रायल बाई फायर एंड  सर्वाइवर स्टोरी। 
3. कथा तीसरी राजन नाम के व्यक्ति की है जो अपराध की दुनिया में छोटी उम्र से ही चला जाता है और बाद में पादरी बनता है। वह तिरुचिरापल्ली तमिलनाडु का रहने वाला है और घर से 8 साल की उम्र में ही भाग जाते हैं और सीधा हावड़ा आता है एक शहर से दूसरे दूसरे से तीसरे पूरा देश घूम जाता है और धीरे-धीरे जयपाल सिंह नाम से  चोरी-डकैती करना शुरू कर देता है। इससे पहले वह नक्सलियों में भी घुसपैठ करता है और वही से उसको ट्रेनिंग वगैरह मिलती है दुर्गापुर मैं वह 1972 में कई ऐसी चोरी डकैती यों को अंजाम देता है और जेल में पकड़ा जाने पर वहां पर कई लोग सुधार के लिए आते हैं। वही उसकी मुलाकात एक पादरी से होती है और वह उनकी  बातों से प्रभावित होकर के धीरे-धीरे ईसाई बनता है.  बाद में 8 साल की जेल में वह पक्का ईसाई बन जाता है उसके जीवन में परिवर्तन आता है और वह एक बदला हुआ इंसान बन के बाद का जीवन दिल्ली और आसपास की जेल में रहने वालों के सुधार के लिए करता है। यहां वह हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के बाहर एक अनेजा रेस्टोरेंट में बर्तन धोने का काम भी काम करता है।  लेकिन आजकल वह बहुत सेवा कार्य में लगा हुआ बदला हुआ व्यक्ति है । सप्ताह में एक बार चर्च में जाता है और कई अच्छे काम करता है। 2015 में इसका एक एक्सीडेंट होता है और शरीर का काफी नुकसान होता है लेकिन बच जाता है और अभी भी सेवा में लगा हुआ है। इसके डकैती के दिनों के अनुभव बहुत समझने लायक है कि किस प्रकार सूचना देने वालों को और एकजुट करता है । और वही लोग उसको जानकारियां देते हैं और यह भी इमानदारी से उन सब को कुछ हिस्सा बांट  आता है।  वह रॉबिन हुड की तरह गरीबों की सेवा भी लूट में से करता है।इस कहानी का नाम है अमेजिंग ग्रेस। 

2. दूसरी प्रिया लड़की की कथा एक जानी-मानी घटना है, जो ताज होटल पर आतंकी हमले की हुई है ।  इस होटल में एक प्रिया नाम की लड़की जो कि मूलतः ईसाई है, वहां पर काम करती है । जब हमला हुआ था आतंकियों का तो वह एक मेज के नीचे 36 घंटे रहती है । उसका पूरा नाम उसका प्रिया फ्लोरेंस मार्टिस है। इस दुर्घटना का उस पर बहुत लंबे समय तक प्रभाव रहता है और वह ट्रामा की शिकार होती है। यह लड़की उस होटल में काम करती थी। एक  रोशन नाम का व्यक्ति इससे लगातार लैंडलाइन फोन से संपर्क रखता है जो फोन छुपते समय उसने टेबल से उठाकर के नीचे रख दिया था।  और उसके कमरे में आतंकी आए भी सही,  लेकिन इसको देख नहीं पाए। 
1. पहली कथा चंडीगढ़ की है और पूजा ठाकुर नाम की लड़की की है जो एचआईवी पेशेंट है उसका पति ड्राइवर यह सौगात उसको देता है । उसके तीन बच्चों में से भी दो बच्चों को एड्स नामक बीमारी हो जाती है। गांव में तांत्रिक किस प्रकार से इलाज के नाम पर उससे दुराचार करने का प्रयास करता है यह भी इसमें लिखा है। हिमाचल के सिरमौर जिले में उसके जन्म हुआ और पति के साथ वह चंडीगढ़ आ गई। पूजा आजकल एक संस्था के साथ मिलकर काम करती है।  भगवान शिव पर इसकी पूर्ण आस्था है और एक बहन उसकी सोलन में रहती है। पति की मृत्यु के बाद उसका स्वस्थ बच्चा छुपा लिया जाता है और एड्स पीड़ित बच्चा और इसको घर से शाम के समय निकाल देते हैं और बड़ी हिम्मत के साथ यह रात के समय जंगल पार करते हुए अपने मायके पहुंचती है।  वहां भी गरीबी है। कोई उसको सुझाव देता है की तुम  चंडीगढ़ जाओ।  वहां पर  नाको ने ड्रॉप इन सेंटर बनाया है जहां फ्री इलाज भी और खाना-पीना मिलती है यह वहां पर आ जाती है। वहां पर डॉ लेडी डॉक्टर त्रिखा इसकी सहायता करती है। 15 नवंबर 2005 में इसको छोटी-मोटी नौकरी वहां मिल जाती है और और धीरे-धीरे करते हुए वह अपना सुधार भी करती है तथा दूसरों को भी सहारा देती है। एक संस्था 1997 में मूलतः चेन्नई की है और उन्होंने सेंटर पीएलएचआईवी (people living with HIV) नाम से चंडीगढ़ में खोला वहां यह काम करती । आज वह अपने जीवन का उदाहरण देकर अन्य दुःखी HIV रोगियों को साहस बंधाती है। वह लोगप्रिय मोटिवेशनल स्पीकर बन गयी है और एड्स रोगियों की सहायता के लिए बनी कईं समीतियों में इसको लिया गया है। मैंने गूगल पर सर्च किया तो उसकी कहानी मिल गयी थी। 
 
समारोप: खैर,  इस प्रकार की कहानियां बहुत से लोगों का जीवन बदल सकती है। आम तौर पर कहानियां उन लोगों की छपती हैं जो आज सेलेब्रिटी हैं। लेकिन जो आज भी सामान्य रूप में जी रहे हैं पर कठिन वक्त में टूटे नहीं, उनकी जीवनियां आम लोगों कक ज्यादा प्रेरणा दे सकती हैं। 
इनको पढ़कर हमारे आसपास भी कईं लोग हैं जो इसी प्रकार मानसिक, शारीरिक त्रासदियों से उबर कर काम कर रहें हजन, ये कहानियां उनके बारे में आदरपूर्वक देखने का नजरिया बदल देती हैं।

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