Thursday, December 2, 2021

स्वदेशी की विकास यात्रा - एक प्रश्नोत्तरी



1. स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना कहां, कब और किन परिस्थितियों में हुई?
उ. राष्ट्रऋषि दत्तोपंत ठेंगड़ी जी द्वारा नागपुर में 22 नवंबर 1991 को नये आर्थिक विदेशी हमले के प्रतिकार के लिया स्वदेशी जागरण मंच का गठन  किया गया। सात समविचारी  संगठनो की उपस्थिति में ये कार्य प्रारम्भ हुआ।
प्र.2.  नई आर्थिक नीतियों की वकालत करते हुए डाॅ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में क्या प्रस्ताव रखा था?
उ. श्री नरसिंह राव ने प्रधानमंत्री और डाॅ. मनमोहन सिंह के वित्तमंत्री के नाते भारतीय संसद में एक प्रस्ताव लाया गया और पूर्व की गलत नीतियों का उल्लेख करते हुए नई आर्थिक नीतियों की घोषणा 24 जुलाई  1991 में की गई। इन नीतियों को 1 अगस्त 1991 से लागू किया गया।

प्र.3. 1991 की नई आर्थिक नीतियों का सारांश क्या था?
उ. विदेशी निवेश को खुला निमंत्रण, कस्टम डयूटी घटाई गई, विदेशियों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों को खोला गया, और कुल मिला  कर आर्थिक स्वावलम्बन को खत्म किया गया।

प्र.4.  स्वदेशी जागरण मंच को मंच क्यों कहा गया, संगठन क्यों नहीं?
उ. क्योंकि किसी भी विचारधारा का व्यक्ति जिसे आर्थिक स्वतंत्रता का विषय प्रिय है, वह इसमें भाग ले सकता है। संगठन के खांचे में डालने की अपेक्षा हरेक के लिए इसे खुला रखा गया। 
प्र.5.ठेंगड़ी जी ने स्वजाम को क्या संज्ञा  दी थी?
उ. ठेंगड़ी जी ने इसे ‘ आर्थिक स्वाधीनता का दूसरा युद्ध’ कहा है। अर्थात 1947 में राजनीतिक स्वतंत्रता तो मिली परन्तु आर्थिक निर्णय GAT, IMF, WORLD बैंक आदि करते हैं। उन पर अपना निर्णय रहे, ऐसा भाव है आर्थिक स्वतंत्रता का। वैसे इस शब्द का  प्रयोग उन्होंने 1982 में और भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन (1984) में किया था। 
6. प्र: मंच के दो उद्देश्य प्रारम्भ से कौन से बताए गए है?
पहला स्वदेशी भाव का जागरण तथा दूसरा विदेशी आर्थिक आक्रमण तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के षड्यंत्रों का भंडाफोड़ करना।
प्र.7. कौन-कौन से प्रमुख महानुभाव स्वदेशी के प्रारंभिक काल में ही मंच से जुड़ गये थे?
उ. (क) 2-5 सितंबर 1993 के प्रथम सम्मेलन में जस्टिस वी.आर. कृष्ण अय्यर ने उद्घाटन किया।
(ख) कभी प्रसिद्ध मार्क्स वादी रहे डाॅ. बोकरे मंच के प्रथम संयोजक बनाये गए। जो बाद में ‘हिन्दू इकोनोमिक्स’ गं्रथ लिखा।माधव गोबिंद बोकरे जो नागपुर विश्विद्यालय के कुलपति थे। 
(ग) चन्द्रशेखर जैसे समाजवादी, जाॅर्ज फर्नांडीज, अहसान कुलकर्णी (P&T के अध्यक्ष) आदि ऐसे महानुभाव जुड़े।

प्र.8.  श्री निखिल चक्रवर्ती स्वदेशी जागरण मंच की किस बात से प्रभावित हुए?
उ. श्री निखिल चक्रवर्ती एक बड़े साम्यवादी विचारक थे तथा मेनस्ट्रीम पत्रिका के सम्पादक थे। एक स्थान पर उन्होंने हमारे कार्यकर्ताओं को पत्रक स्वदेशी-विदेशी वस्तुओं के बांटते हुए देखा और पढ़ने लगे। जीप का नाम हमारी स्वदेशी-विदेशी सूचि पत्रक था। उन्होंने स्वदेशी वस्तुओं में जीप बैटरी को इंगित करते हुए पूछा कि इसके निर्माता को जानते हो? हाँ,जीप सेल् व बैटरी को हैदराबाद के अमनभाई नामक मुसलमान उत्पादक बनाते थे। यह उत्तर सुन वे बहुत प्रभावित हुए। उन्हें लगा कि हम सांप्रदायिकता से उपर उठकर राष्ट्रव्यापी विचार करते है। उन्होंने इस पर एक लंबा काॅलम अपनी पत्रिका में लिखा। बाद में कईं स्वदेशी के कार्यक्रमों में भी वक्ता के नाते उपस्थित रहे।

प्र.8.  1992 व 1994 के जन-जगारण अभियानों का सारांश क्या था?
उ. 1992 में देश भर में स्वदेशी-विदेशी वस्तुओं की सूचि बांटी गई। 1994 में जल, जमीन, जंगल और जानवर का बड़ा सर्वेक्षण हुआ। 3 लाख गांवों में कार्यक्रम आदि के लिए गये। श्री चन्द्रशेखर जी ने पांच स्थानों पर इसका उद्घाटन किया और खुलकर  भाषण भी दिया।

प्र.9. पहला बड़ा संघर्ष कौन सा था और उस संघर्ष का सरांश क्या था?
उ. विदेशी एनराॅन बिजली कंपनी के खिलाफ एक प्रपत्र तैयार किया। (सन) महाराष्ट्र में शरद पवार की सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाया गया। ऐसे 7-8 फास्ट ट्रेक परियाजनाओं का विरोध किया। उससे विदेशी निवेश की रफ्तार धीमी हो गई। किसानों ने इस कंपनी को जमीन देने का विरोध किया, लेकिन इस आंदोलन में कुछ कष्टदायक पहलु भी है, अर्थात् जो राजनेता इस आंदोलन में पहले साथ चले, सत्तासीन होने पर वे इस कंपनी के साथ हो गये। 13 दिन की राजग की सरकार ने इस कंपनी के साथ समझौते को पारित किया, लेकिन जीत सच्चाई की ही हुई और कंपनी एनराॅन को भागना पड़ा।

प्र.10. पशुधन संरक्षण आंदोलन की मुख्य बातें क्या थी?
उ. अलकवीर यात्रा - सेवाग्राम से अलकवीर तक 750 किमी. की यात्रा हुई। 15 नवंबर 1995 से 6 दिसंबर तक 1 बड़ी जनसभा और गिरफ्तारियां भी हुई।

प्र.11.  सागर यात्रा क्या है?
उ. 12 जनवरी 1996 से 8 फरवरी 1996 तक  वैश्वीकरण के दौर में विदेशी कंपनियों को ‘मेकेनाइज्ड फिशिंग’ के लाईसंेस दिये गये, लेकिन हमने विरोध किया। सरकारी मुरारी कमेटी ने भी रिपोर्ट हमारे हक में दी। दो हिस्सों में त्रिवेन्द्रम के पास व काकीनाडा के समुद्र में विशाल जनसभा की गई। लड़ाई तो पहले से थाॅमस कोचरी व मजदूर नेता कुलकर्णी लड़ रहे थे हमने इसे उभार दिया। दोनों यात्राओं के कारण देश-विदेश में बहुत जागृति हुई और मछुआरों का व्यवसाय और समुद्री जीव के साथ साथ फ्लोरा एवं फौना भी बच गया।

प्र.13 बीड़ी रोजगार रक्षा आंदोलन क्या है?
उ. जून 1996 में तेंदुपत्ता उद्योग और बीड़ी उद्योग में लगे लोगों का रोजगार समाप्त हो रहा था। छोटी विदेशी सिगरेट को भारत में बनाने की अनुमति दी गयी। अंततः जीत हमारी ही हुई।

प्र.14 मीड़िया को विदेशी हाथों में पड़ने से कैसे बचाया?
उ. 1995 की केबिनेट चर्चा में कहा गया कि सूचना का अधिकार अपने नागरिकों हेतु है। अतः विदेशियों को यहां अखबार चलाने का अधिकार नहीं है। फिर 26 प्रतिशत विदेशी निवेश आया। इसलिए कुल सकल मीडिया में 26 प्रतिशत से ज्यादा विदेशी चैनल नहीं है। हर प्रांत में अपने चैनल है। 

प्र.15 विदेशी हाथों से टेलिकाॅम्यूनिकेशन कैसे बची?
उ. इसके कारण से वोडाफ़ोन छोड़कर शेष भारतीय कंपनियों का प्रभुत्व रहा। यह भी प्रभावी कदम था।

प्र.16 विनिवेश की लड़ाई क्या हुई?
उ. रिलायंस का पेट्रोलियम उत्पादक का एकाधिकार एनडीए सरकार के समय हुआ। सरकारी होटल भी औने-पौने दामों में बेचे गये। सरकारी उपक्रमों को घाटे का उपक्रम या बीमार उपक्रम घोषित करके निजी हाथों में सस्ते भाव से बेचना, विनियोग कहलाता है। श्री अरूण शौरी के मंत्री काल में इनको बेचा गया और मजदूर भी निजीकरण का शिकार हुए। स्वदेशी जागरण मंच ने इसका डटकर इसका विरोध किया। 

प्र.17 आयोडीन नमक का गौरखधंधा क्या है?
उ. आयोडीन युक्त नमक को अनिवार्य किया जा रहा था। इससे गरीबों की एक जरूरी चीज की बड़ी कंपनियों की इच्छा पर मूल्य बढ़ाने की इजाजत मिल जाती। हमारे आंदोलन की बहुत चर्चा बनी। अभी तक वो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। गांधी जी ने दांड़ी नमक आंदोलन छेड़ा था, हमें भी वहीं करना पड़ा। इसपर एक पुस्तक भी लिखी गयी "दूसरा नमक आंदोलन".

प्र.18 बौद्धिक संपदा अधिकार की लड़ाई का क्या इतिहास है?
उ. ठेंगडी जी की प्ररेणा से श्री बी.के. कैला ने ‘वर्किंग ग्रुप ओन पेटेंट’ बनाया। धीरे-धीरे कई सांसदों को इसके साथ जोड़ा गया। Forum of parliamentarian or working group on Public Sectors बना।

प्र.19 खुदरा व्यापार की लड़ाई में स्वदेशी जागरण मंच का क्या योगदान है?
उ. बहुत ही अहम्। मंच और व्यापारिक संगठनो के आह्वान पर देशव्यापी बंध हुआ। यद्यपि बिल तो संसद में पारित हुआ परंतु विदेशी कंपनियां आने से कतरा रही है। इससे दवाइयों के रेट कई गुना कम हो गए।

प्र.20 बीटी कपास का मुद्दा और बीटी बैंगन को कैसे रोका गया?
उ. श्री जयराम रमेश ने बी टी बेंगन के लिए सात जगह जन सुनवाई करवाई वहां हमारी उपस्थिति प्रभावी रही और अभी तक अनुमति रुकी हुई है। यह बात 2010 की है।

प्र.21 प्रदेशों के स्तर पर विभिन्न आंदोलन कौन-कौन से हुए?
उ. 1. वेदांता विश्वविद्यालय विरुद्ध सफलआंदोलन, 2. प्लाचीमाड़ा, 3. आलूचासी बेंगाल 4. हल्दी आंदोलन, तेलंगाना 5. हिमाचल प्रदेश में स्की विलेज, 6. 

प्र.22  स्वदेशी मेलें - सीबीएमडी, लघु ऋण वितरण योजना
उ.  ये सब हमारे रचनात्मक काम है।

प्र.23 ठेंगडी जी उद्धरण में से प्रश्न बनता है कि उन्होंने किन-किन विदेशी अर्थशास्त्रियों ने भूमंडलीकरण की निंदा की है, ऐसा उल्लेख किया है
उ: जोसेफ स्टिग्लिट्ज़, एलबुग् डेविसन, आदि का।
निष्कर्ष: 
1. विकास हुआ है अभिप्राय: सिर्फ जीडीपी वृद्धि नहीं बल्कि रोजगार वृद्धि, पर्यावरण सुरक्षा व अंतिम व्यक्ति का विकास आदि हैं।
2. सरकार के प्रति दृष्टिकोण: responsive cooperation का अर्थ। उदाहरण।
3. तीन आयाम:  अध्ययन व शोध (वाचडॉग), आंदोलन व संघर्ष, तथा रचनात्मक, ( स्वदेशी मेले व माइक्रो फाइनेंस आदि, cbmd, स्वदेशी स्टोर को प्रोत्साहनआदि)
4. सभी केंद्रित कार्य नहीं, प्रान्त अनुसार भी और जिला अनुसार भी।
5. मंच का मर्म समझना: अम्ब्रेला आर्गेनाईजेशन। जिसका मुद्दा, उसकी अगुआई, हमारा संवाद, सहयोग व सहकार।

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