Friday, April 29, 2011

भूमि अधिग्रहण का मामला - कृपया हमारा सहयोग करें



मान्यवर,नमस्कार।जैसाकि आपको विदित ही है कि पिछले कुछ समय से भूमि अधिग्रहण का मुद्दा विकास, खाद्य सुरक्षा और लोगों के कल्याण पर दुरगामी दुष्प्रभावों के मद्देनज़र काफी विवादों में है। हमारे देश में भूमि का एक भावात्मक मूल्य है और यह व्यक्ति और परिवार की पहचान का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए लोग, विशेषतौर पर ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोग भूमि के प्रति अधिक जुड़ाव रखते है। 1991 में नयी आर्थिक नीति के लागू होने के बाद, और विशेष तौर पर सेज अधिनियम 2005 के आस्तित्व में आने से कृषि भूमि का एक बहुत बड़ा हिस्सा राज्य सरकारों द्वारा विकास के नाम पर ले लिया गया और उसे विभिन्न कॉपोरेट घरानों को सौम्प दिया गया। ऐसा माना जाता है कि सेज बनाने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में गांवों में रहने वालों लोगों को विस्थापित करते हुए अभी तक लगभग 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि अभी तक अधिग्रहित की जा चुकी है या वहां अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। कई राज्यों में यह भी देखने को मिलता है कि वहां अभी मुआवजे की भी कोई विस्तृत पद्वति वहां नहीं बनी है और न ही वहां कोई सन्तोषजनक पुनर्वास का कोई तरीका खोजा गया है और इस प्रकार से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों भारतीय, जिनका जीवन कृषि पर आधारित है, को बिना किसी आसरे छोड़ दिया गया है। पिछले कुछ वषो± से हमारे देश में खाद्यान्नों का उत्पादन 210 मिलियन मिट्रिक टन और 230 मिलियन मिट्रिक टन के बीच छुल रहा है, जिसके कारण हमारी प्रति व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता 436 ग्राम प्रति दिन के स्तर पर पहुंच चुकी है, जो देश की खाद्य सुरक्षा के लिए एक खतरे की घण्टी है। हमारी बड़ी जनसंख्या और विशेष तौर पर युवा जनसंख्या की खाद्य आवश्यकताओं के मद्देनज़र हम लगातार विदेशों पर आयात पर निर्भर नहीं हो सकते। इसलिए भूमि खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण परिसम्पत्ति है। भारत एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। इसलिए इसके औद्योगिक विकास की आवश्यकताओं को भी नज़रअन्दाज नहीं किया जा सकता। इसलिए भूमि अधिग्रहण नीति बनाते हुए हमें विकास और जन कल्याण दोनों के बीच में एक सामञ्जस्य बिठाना होगा। इस सन्दर्भ में स्वदेशी जागरण मंच आपके मूल्यवान सुझावों का महत्व समझते हुए आप से भविष्य में सूचनाओं के आदान प्रदान की अपेक्षा तो रखता ही है, साथ ही साथ आप से मिलकर काम करने की अपेक्षा भी रखता है। हम इस सम्बन्ध में भूमि, विधि एवं विधि तन्त्र से सम्बन्धित विषयों को लेते हुए एक योजना के मध्य में हैं। हम भूमि, उससे सम्बन्धित कानून और व्यक्तियों के भूमि से सम्बन्ध के विषय विशेष पर कार्यरत व्यक्तिओं और संगठनों से सम्पर्क साध रहे हैं ताकि उनके विचारों, दृष्टिकोण और अनुभव का लाभ उठा सके।इसलिए हम आपसे निवेदन करते है कि आप इस विषय से सम्बद्व अपने लेखों, विज्ञप्तियों, जानकारियों तथा प्रकाशनों इत्यादि हमसे साझा करे जिससे उपरोक्त विषय पर अधिक से अधिक जानकारियां प्रभावी ढंग से इक्कठा की जा सके।आपके साथ इस विषय के सम्बन्ध में काम करने के आकांक्षा के साथ,धन्यवाद।
आपका शुभाकांक्षी

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