1करिश्माई नेतृत्व से बचे (Beware of Charisma). Thengdi जी का यह भाषण
आजकल नेताओं का इमेज या प्रतिमा बनाने व बढ़ाने की जो बेतहाशा कोशिशें होती हैं, उसके नुकसान देश को क्या क्या होते हैं , उससे संबंधित है। लिंक नीचे दिया है, कृपया यूट्यूब पर जरूर स्वयं सुने:
https://youtu.be/N13IDMHs67Y
वे तीन बातें कहते हैं। पहली, वे स्टीफन कोवे की पुस्तक "सेवन हैबिट्स" उसका उदाहरण देते हुए 200 साल में व्यक्तित्व विकास की अवधारणा 'महान बनो' से 'महान दिखो' तक की यात्रा है. यानी अंदर परिवर्तन की इतनी जरूरत नहीं बताई जाती जितनी कि उसको बाहर दिखाने, इमेज बढ़ाने की बताई जाती है।
2. उसके बाद वह दूसरा लेखक डोनाल्ड फिलिप्स लेते हैं जो "लीडरशिप ऑफ अब्राहम लिंकन" नामक पुस्तक लिखकर महान लीडर्स के असली गुणों का वर्णन करता है ।
3. और बाद में तीसरा प्रसिद्ध मैनेजमेंट गुरु व लेखक पीटर ड्रकर का लेते हैं और उनकी पुस्तक 'बिवेयर ऑफ करिश्मा' का विस्तार से वर्णन करते हैं जिसमें वह तीन व्यक्तियों का नाम लेते हैं, जिनका इमेज हद से ज्यादा बढ़ाया गया। उसके कारण देश का क्या-क्या नुकसान हुआ, ऐसा बताता है और हिटलर और मुसोलिनी व स्टालिनका उदाहरण देते हैं।
3.1 उसके पश्चात वे दो ऐसे लोगों का उदाहरण देते हैं जो दिखने में सामान्य थे परंतु परिश्रम करके जिन्होंने देश को उठाया, खुद भी परिश्रम से अपने की महान बनाया और देश को भी।
पहला है अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रूमैन अमरीका के रूज़वेल्ट के बाद बने ट्रूमन इतने सामान्य आजे गए कि अंग्रेजी कहावत "To err is human" की जगह लोग "To err is Trueman" मजाक में बोलने लगे।
और दूसरे वेस्ट जर्मन के एडेनऑवर। Konrad Adenauer, (1876-1967) यानि एक प्रेसिडेंट जो सेनापति से राष्ट्रपति बनाए गए । दोनों ने अपने देशों का अद्भुत उत्थान किया। अर्थात बिना इमेज वाले महानुभाव ज्यादा लाभदायी देश के लिए होते हैं।
4. अंत में भारतीय मजदूर संघ कैसे इमेज बिल्डिंग से परे हटता है उसके लिए 2 नियम बनाये गए। पहला कि व्यक्तियों के जन्मदिन नहीं मनाए जाएंगे और दूसरा किसी प्रकार से भी व्यक्तियों के जय-जय कार नहीं होगी । तत्पश्चात वे उदयपुर का उदाहरण देते हैं जहां इसकी अवज्ञा हुई क्योंकि लोगों को जानकारी नहीं थी व्यक्ति की जयजयकार न करने को लेकर कोई आदेश BMS में पारित हुआ है।
कुल मिलाकर के जब नेतृत्व इमेज या प्रतिमा निर्माण जरूरत से ज्यादा होता है जो लोग परिश्रम करना बंद करते हैं और हाथ पर हाथ रखकर इसी करिश्मा की इंतजार करते हैं यहीं से व्यक्ति की प्रतिमा ऊपर जाती है और देश नीचे डूबता है।
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