Sunday, June 5, 2011

उज्जैन के विचार वर्ग का सारांश ३-५ जून 2011


स्वदेशी आंदोलन की सार्थकता सम्पूर्ण मानवता के लिए

उज्जैन 5 जून । स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक डॉ भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि स्वदेशी आंदोलन की सार्थकता भारत के लिए ही नही वरन सम्पूर्ण विश्व की मानवता के लिए है। हम हर क्षेत्र में स्वावलम्बी बनेंगें तो सांस्कृतिक मूल्यों, पारंपरिक संस्कारों, मान्यताओं, कुटीर और लघु उद्योगों तथा देश की अस्मिता को बचा पाएंगे।डॉ शर्मा सरस्वती शिशु मंदिर ऋषिनगर , उज्जैन में आयोजित स्वदेशी जागरण मंच के तीन दिवसीय क्षेत्रीय विचार वर्ग के समापन अवसर पर बोल रहे थे ।

डॉ. शर्मा ने कहा कि आज दुनिया की आबादी का छठा भाग भारत में निवास करता है, लेकिन आजादी के बाद जो आर्थिक नीतियां बनीं, उनसे आम आदमी का दूर-दूर तक का कोई वास्ता नही था। देश में आर्थिक माफिया पैदा करने का श्रेय 1947 से 1997 के बीच बनी सरकारों को जाता है । आज सरकार जिस ढंग से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए हुए है, उसके बाद ये सवाल खडा हो गया है कि क्या भारतीय कम्पनियों का सभी क्षेत्रों में वर्चस्व रह पाएगा । उन्होने कहा कि 24 देशों की 67 हजार बहुराष्ट्रीय कम्पनियां हमारी सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था कों कब्जाने के प्रयास में ही नही है बल्कि हमारी संयुक्त परिवार व्यवस्था कों छिन्न भिन्न करने के लिये भी कुचक्र रच रही है ।

विचार वर्ग में अखिल भारतीय संगठक श्री कश्मीरी लाल ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच जो विषय उठाता था तो लोग कहते थे कि आपके विषय लोगों की समझ मे नही आतें हें लेकिन आज वही विषय राष्ट्रीय पटल पर छाए हुए हैं। उन्होने कहा कि खुदरा व्यापार , विदेशी निवेश , बांझ बीज ओर कृषि को लेकर जगह जगह आन्दोलन हो रहे हैं । देश का बहुसंख्यक समाज खेती पर निर्भर है लेकिन भूमिअधिग्रहण के नाम पर किसानों की जमीन लूटी जा रही हे । उन्होने कहा कि हमारी विकेन्द्रीकृत अर्थ व्यवस्था का आधार खेती ओर खुदरा व्यापार हे , लेकिन इन दोनो क्षेत्रों पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की गिद्ध दृष्टि है । अगर खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश आएगा तो रोजगार संकट ओर बढ जाएगा ।

खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश, भूमि अधिग्रहण ओर मुक्त व्यापार विषय पर बोलते हुए अर्थशास्त्री एवं अखिल भारतीय विचार मण्डल प्रमुख डॉ. अश्विनी महाजन ने कहा कि देश की राष्ट्रीय आय ( जीडीपी ) में कृषि का हिस्सा 14 प्रतिशत है। राष्टीय नमूना सर्वेक्षण के ताजा आंकडों के अनुसार जीडीपी में खुदरा व्यापार का हिस्सा भी 14 प्रतिशत है । यानि जीडीपी में कृषि व खुदरा व्यापार का बराबर हिस्सा है। उन्होने कहा कि देश के 5 करोड लोग खुदरा व्यापार से जुड़े हैं तथा 25 करोड आबादी की रोजी रोटी इससे चलती हे। सरकार लगातार खुदरा व्यापार में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को प्रवेश कराने के प्रयास में लगी है। खुदरा व्यापार की तरह ही सरकार कृषि को भी चौपट करने पर तुली है। किसानो से जमीन अधिग्रहित कर बडी बडी कम्पनियों कों गैर कृषि कार्य के लिए दी जा रही है। अगर एक हजार हैक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाती हे तो, 900 किसान प्रभावित होने के साथ ही 768 खेतिहर मजदूर बेरोजगार होतें है।

विचार वर्ग में अर्थशास्त्री डॉ रामप्रताप गुप्ता ने कहा कि विकसित राष्ट्रों द्वारा विकासशील राष्ट्रों की लूट आज भी यथावत जारी है। उन्होने कहा कि पन्द्रहवीं ओर सोलहवीं शताब्दी में भारत एवं चीन की आय अमेरिका व यूरोप के देशों से अधिक थी लेकिन कालान्तर में आर्थिक नीतियों के चलते हम पिछडते गए ।
भ्रष्टाचार व कालाधन विषय पर बोलते हुए राज्य सभा सदस्य श्री रघुनन्दन शर्मा ने कहा कि आज समाज में भ्रष्टाचार बहस का मुद्दा हे ओर इसे दृढ इच्छाशक्ति के बल पर ही रोका जा सकता है। तीन दिन चले विचार वर्ग में मध्यभारत 14, मालवा 22 ,महाकौशल 18, छत्तीसगढ 22़, गुजरात 22 व महाराष्ट्र के 9 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया । इस वर्ग की विशेषता यह रही कि इसमें बड़ी संख्या में मातृशक्ति की भी भागीदारी रही । समापन समारोह के अवसर पर वर्ग का प्रतिवेदन वर्ग संयोजक श्री मनोज द्विवेदी इन्दोर तथा प्रस्तावना वर्ग प्रमुख श्री भरत व्यास ने रखी , व्यवस्था परिचय श्री अशोक शर्मा ने तथा आभार प्रदर्शन श्री जसमत सिंह परमार ने किया ।

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