Tuesday, February 21, 2012

भाग 1. आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर भारत

1. आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर भारत
भारत एक समृद्व , समर्थ और शक्तिशाली राष्ट्र बने , यह देश के हर युवा का सपना है | यही सपना आँखों में लिए हुए हजारो युवा देश की आजादी के लिए फांसी के फंदों पर झूले , अंडमान की काल कोठियो में सारी जवानी गला दी , घर और परिवार के सारे सुख त्याग दिए | यही सपना देखते हुए स्वामी विवेकानंद ने भविष्यवाणी की थी की ,' में देख रहा हूँ की भारत माता फिर से जाग रही है और पहले से भी ज्यादा तेज के साथ विश्व गुरु के सिंहसान पर विराजमान हो रही है " | महान क्रांतिकारी और योगी महारिशी अरविन्द ने भी ऐसा ही विश्वास प्रकट किया था | भारत के युवा वर्ग के प्रेरणास्रोत , पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने भी बहुत विशवास प्रकट करते हुए कई बार कहा है की २०२० तक भारत विश्व की एक बड़ी शक्ति बन जायेगा | देश के करोड़ो लोगो की आँखों में पल रहा यह यह सपना क्या कभी पूरा होगा या सिर्फ सपना ही रहेगा | इस प्रशन का उत्तर तलाशने के लिए अगर हम वर्तमान में भारत की स्थिति को देखते है तो ध्यान में आता है की विश्व के ज्यादातर बड़े नेता और देश भारत को महाशक्ति के रूप में मान्यता देने में लगे है | हाल ही में भारत की यात्रा पर आये अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जब भारत की संसद में कहते है की भारत एक बड़ी शक्ति बनने की और अग्रसर नहीं है बल्कि भारत पहले से ही एक बड़ी महाशक्ति बन चुका है तो शायद बहुत लोगो को लगा होगा की यह सब बातें वह सिर्फ भारत के लोगो का दिल जीतने के लिए कह रहे है | परन्तु जब उनकी यात्रा का विश्लेषण करने पर ध्यान में आने लगा की ओबामा का भारत में आने का मकसद अपने देश के लिए नौकरियों की तलाश है तो लगा की सचमुच जो ओबामा कह रहे है वह सिर्फ कल्पना या शब्दों का जाल नहीं है | विश्व के सब देश भारत से व्यापार बढाने के लिए लालायित लग रहे हैं | अन्तरिक्ष विज्ञान से लेकर सूचना और तकनीकी तक हर क्षेत्र में भारत की गूँज है | विश्व व्यापार संगठन की बैठक हो या फिर पर्यावरण का कोई अंतर्राष्ट्रीय समेलन , हर जगह भारत की सशक्त आवाज़ सुनाई पड़ रही है | तो क्या सच में भारत एक बड़ी शक्ति के रूप में विश्व के पटल पर दस्तक दे रहा है ?
अगर आज दुनिया भारत को इतना महत्त्व दे रही है तो उसका कारण भारत की तेजी से बढती अर्थव्यवस्था है | अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( I.M.F ) की हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद $ ३,५२६,१२४ मिलियन ( 1 मिलियन = १० लाख ) तक पहुँच गया है तथा यह सिर्फ अमरीका ( $ १४,२५६,२७५ मिलियन ), चीन ( $ ९,०४६,९९० मिलियन ) और जापान ( $ ४,१५९,४३२ मिलियन ) से ही कम है | भारत के सकल घरेलू उत्पाद में ५५ % सेवा क्षेत्र , २८ % उद्योग तथा १७ % कृषि का हिस्सा है | भारत की अर्थव्यवस्था जर्मनी , इंग्लैंड जैसे बड़े यूरोपियन देशो को पीछे छोड़ कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है | भारत की अर्थव्यवस्था इस समय ८.८ % की रफ़्तार से बढ रही है तथा I.M.F के आकलन के अनुसार इस साल ( १ अप्रैल २०१० - ३१ मार्च २०११ ) की वृद्वि दर ९.४ % तक रहने की सम्भावना है तथा भारत इस समय चीन ( १०.५ % ) के बाद दूसरी सब से तेजी से बढती अर्थव्यवस्था है | भारत की इस वृद्वि दर में उद्योगिक उत्पाद ( १२ % ) और उत्खनान ( ९ % ) की बहुत महत्वपूरण भूमिका है , हलाकि कृषि ( २.८ % ) में वृद्वि उस तेजी से नहीं हो रही है | इस समय जबकि आर्थिक मंदी से जूझ रहे अमरीका ( २.५ % ), जापान ( ०.९ % ) , इंग्लैण्ड ( ०.८ % ), जर्मनी ( ०.७ % ) तथा रशिया ( २.७ % ) की अर्थव्यवस्थाएं बहुत मामूली दर से बढ रही है , ऐसे में भारत की यह वृद्वि दर निश्चित रूप से भारत की बढती आर्थिक शक्ति को प्रकट करती है | अमरीका से शुरू होने वाली वर्तमान आर्थिक मंदी ने जहाँ सब विकसित देशो की अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया वहीँ भारत इस के गंभीर परिणामो से बचा रहा | यहाँ तक की चीन की विकास दर इस मंदी के कारण १३ % से कम हो कर मात्र ६ % तक रह गयी थी वहीँ भारत में यह गिरावट बहुत कम रही | चीन का शयेर बाज़ार ५० % तक नीचे आ गया था जबकि भारत में २५ % से भी कम गिरावट देखी गयी | इतना ही नहीं तो भारत ने मंदी के इस काल में कुछ समय तक चीन से भी दोगुनी वृद्वि अपनी G . D. P में की जबकि भारत के बैंक चीन से आधे ऋण ही दे रहे हैं | प्रसिद्व अर्थशास्त्री जिम वालकर के अनुसार भारत चीन के मुकाबले ऋण से ज्यादा उत्पादन कर रहा है | भारत की अर्थव्यवस्था की यह वृद्वि दर भले ही एक चमत्कार प्रतीत होती हो परन्तु अगर हम पिछले एक दशक की वृद्वि देखें तो ध्यान में आता है की यह वृद्वि बहुत ही स्वाभाविक रूप से हासिल हो रही है तो १९९७ से भारत के वृद्वि दर लगातार ७ % से अधिक बनी हुई है |


समय अविधि : वृद्वि दर

१९६० - 19८० : ३.५ %
१९८० - 19९० : ५.४ %
१९९० - २००० : ४.४ %
२००० - २००९ : ६.४ %
हलाकि १९५० से लेकर २००० तक भारत की अर्थव्यवस्था काफी धीमे रफ़्तार से बढ रही थी और दुनिया के बाकी देशो के मुकाबले हम काफी काफी पीछे थे | जापान ने १९५५ -८५ के ३० वर्षो में अपना उत्पादन ८ गुना बढाया जबकि कोरिया ने १९७०-२००० के दौरान ९ गुना बढाया | चीन जोकि १९७८ में भारत के समकक्ष था , २००५ आते तक अपनी उत्पदान को १० गुना बढ़ा कर हम से काफी आगे निकल गया | परन्तु पिछले लगभग एक दशक से भारत की तेजी से बढती अर्थव्यवस्था ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है | भारत की इस वृद्वि दर ने भारत की प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्वि की है |

वर्ष : प्रति व्यक्ति आय
२००२ - ०३ : १९०४० रू
२००३ - ०४ : २०९८९ रू
२००४ - ०५ : २३२४१ रू
२००८ -०९ : ३७४९० रू

हलाकि अभी भी भारत की प्रति व्यक्ति आय अमरीका , जापान और चीन के मुकाबले काफी कम है परन्तु बढती वृद्वि दर से इसके तेजी से बड़ने की सम्भावना है | परन्तु एक बहुत महत्व का प्रशन है यह है क़ि क्या भारत की यह विकास दर ऐसे ही बढती रहेगी या इस में गिरावट आ जाएगी ? | अपनी रिपोर्ट " INDIA 's Rising Growth Potential " में Goldman Sach ने २०२० तक भारत की विकास दर 8 % रहने की सम्भावना व्यक्त की है | रिपोर्ट के अनुसार २०३२ तक भारत जापान को तथा २०५० तक अमरीका को पीछे छोड़ कर चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा | रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की २००७-२०२० के १३ सालो में भारत की G. D. P चार गुना बढ जाएगी | उसका मानना है की भारत की बढती युवा जनसँख्या , तेजी से बढती शहरी आबादी , कुशल कारीगर तथा ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के दम पर भारत की वृद्वि लगातार जारी रहेगी| अपनी इस रिपोर्ट में Goldman ने भारत की Trade - GDP RATIO ( जो की १९९० में १३ % थी अब बढ कर ३१ % हो गयी है ) को भी भारत की शक्ति मानते हुए दावा किया है की यह आने वाले समय में और बढेगी जिस कारण भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी |

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