भारत ही नहीं 23 देशों की जमीन पर हक जता रहा चीन, ड्रैगन का 43% हिस्सा अवैध कब्जा
Sudhir Jha | हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्ली, 20 Jun 2020 04:04 PM
चीन ने जिस तरह अक्साई चिन को हड़पा और अब पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी पर अपना कब्जा जमाने की नापाक कोशिश कर रहा है वह उसके लिए नया नहीं है। केवल भारत ही नहीं वह करीब दो दर्जन देशों की जमीनों पर कब्जा करना चाहता है। चीन की सीमा भले ही 14 देशों से लगती हो, लेकिन वह कम से 23 देशों की जमीन या समुद्री सीमाओं पर दावा जताता है। ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी की एशिया सुरक्षा रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है।
चीन अब तक दूसरे देशों की 41 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि कब्जे में ले चुका है यह मौजूदा चीन का 43% हिस्सा है। यानी ड्रैगन ने अपनी विस्तारवादी नीति से पिछले 6-7 दशकों में अपने साइज को लगभग दोगुना कर लिया है और उसका लालच अभी खत्म नहीं हुआ है।
चीन ने 1949 में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना के बाद से जमीन हथियाने की नीति शुरू कर दी थी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 2013 में सत्ता में आने के बाद से चीन भारत से लगी सीमा पर मोर्चेबंदी तेज की। लेकिन उसे पहली बार इतनी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। आइए उसके कुछ अवैध कब्जों पर नजर डालें।
1.ईस्ट तुर्किस्तान
16.55 लाख वर्ग किमी का भूभाग। 1934 में पहले हमले के बाद 1949 तक चीन ने ईस्ट तुर्किस्तान पर कब्जा कर लिया। 45% आबादी वाले उइघुर मुस्लिमों के इस इलाके पर चीन जुल्म ढा रहा है।
2. तिब्बत
12.3 लाख वर्ग किमी वाले इस सुंदर प्राकृतिक देश पर चीन ने 07अक्टूबर 1950 को कब्जा कर लिया। 80% बौद्ध आबादी वाले तिब्बत पर हमला कर उसने अपनी सीमा का विस्तार भारत तक कर लिया। इसके अलावा उसे यहां अपार खनिज, सिंधु, ब्रह्मपुत्र,मीकांग जैसी नदियों का स्रोत मिल गया।
3. इनर मंगोलिया
11.83 लाख वर्ग किमी भूभाग वाले इन मंगोलिया पर चीन ने अक्टूबर 1945 में हमला कर दिया और जमा लिया। 13 फीसदी आबादी वाले मंगोलों की आजादी की मांग को बुरी तरह कुचला डाला। यहां दुनिया का 25 फीसदी कोयला भंडार है। यहां की आबादी 3 करोड़ है।
4. ताइवान
35 हजार वर्ग किमी वाले समुद्रों से चारों ओर से घिरे ताइवान पर लंबे समय से चीन की नजर है। 1949 में कम्युनिस्टों की जीत के बाद राष्ट्रवादियों ने ताइवान में शरण ली। चीन अपना हिस्सा मानता है, लेकिन ताइवान डटकर उसके सामने खड़ा है। ताइवान को अमेरिकी समर्थन प्राप्त है और इसलिए चीन चाहकर भी उस पर हमला नहीं कर पा रहा है।
5. हांगकांग
चीन ने 1997 में हांगकांग पर जबरन कब्जा कर लिया। इन दिनों वह राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर हांगकांग पर शिकंजा कसने की फिराक में है। 50.5 फीसदी चीन का विदेशी निवेश और व्यापार हांगकांग के जरिये ही आता है।
6. मकाउ
450 वर्ष के शासन के बाद 1999 में पुर्तगालियों ने चीन को मकाउ सौंप दिया।
7. भारत
चीन ने भारत के 38 हजार वर्ग किमी पर कब्जा कर रखा है। 14,380 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अक्साई चिन का इसमें शामिल है। 5180 वर्ग किमी इलाका पीओके का पाक ने चीन को दिया।
8. पूर्वी चीन सागर
जापान से जद्दोजहद। 81 हजार वर्ग किमी के आठ द्वीपों पर चीन की नजर है। 2013 में चीन के वायु सीमा जोन बनाने से विवाद बढ़ गया था।
9. रूस से भी सीमा विवाद
रूस से 52 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर चीन का विवाद। 1969 में चीन की हमले की कोशिश, रूस से मुंह की खाई।
10. दक्षिण चीन सागर
इस क्षेत्र में 7 देशों से हड़पने की कोशिशताइवान, ब्रूनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम, सिंगापुर से तनाव है। 35.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले दक्षिणी चीन सागर 90% क्षेत्र पर दावा करता है। चीन ने पारसले, स्पार्टले द्वीपों पर कब्जा जमाकर सैन्य अड्डे बनाए। यहां से 33% यानी 3.37 लाख करोड़ का सालाना वैश्विक कारोबार 77 अरब डॉलर का तेल, 266 लाख करोड़ क्यूबिक फीट गैस भंडार है।
चीन की मुश्किल
चीन ने माना है कि आर्थिक गलियारा संकट में है। 40 फीसदी परियोजनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा है। 20 फीसदी प्रोजेक्ट बंद होने की कगार पर हैं। 3.7 लाख करोड़ के गलियारे से 100 देश जुड़े थे।
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