Thursday, June 18, 2020

सुशांत राजपूत के बहाने कहा चेतन भगत ने

सभी प्रोफेशनल्स को चार बार पढना चाहिए चेतन भगत का यह लेख. मामला सिर्फ बाॅलीवुड का नहीं है, हर इंडस्ट्री के अंदरूनी हालात एक जैसे ही हैं. सारे अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखने की बेहतरीन सलाह.

मगरमच्छों के साथ बॉलीवुड के तालाब में रहने के तरीके
चेतन भगत
एक सफल और युवा फिल्म सितारे सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। सोशल मीडिया, टीवी चैनल, वाट्सएप विभिन्न अनुमानों भरे पड़े हैं। तथ्य यह है कि हम नहीं जानते क्या हुआ। ऐसी स्थिति में किसी पर आरोप लगाना या अनुमान लगाना समझदारी नहीं है। हालांकि, इस घटना से बॉलीवुड की संस्कृति पर और मानसिक सेहत पर इसके असर को लेकर बहस शुरू हो गई है। यह समस्या न सिर्फ बॉलीवुड में, बल्कि किसी भी अति-प्रतिस्पर्धी इंडस्ट्री में आ सकती है। मुझे इस शानदार लेकिन दोषपूर्ष इंडस्ट्री में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। यहां मैं कुछ टिप्स दे रहा हूं कि अति-प्रतिस्पर्धी यानी होड़भरे माहौल का सामना कैसे करें: 
1. बॉलीवुड में कोई सीईओ नहीं है और हर कोई यहां बने रहने के लिए संघर्ष कर रहा है। कई लोगों को लगता है कि कोई बॉलीवुड कंपनी है और इसमें काम करना यूनीलिवर में काम करने जैसा है। ऐसा नहीं है। यहां सिर्फ कुछ शक्तिशाली लोग हैं, जिनका कुछ समय के लिए बोलबाला रहता है। यह पूंजी और हुनर को साथ लाकर फिल्म प्रोजेक्ट तैयार करने की उनकी क्षमता से आता है। पिछली उपल्ब्धियां ये प्रभाव बनाती हैं। लेकिन प्रभाव अस्थिर है। हिट इसे बढ़ा देता और फ्लॉप से यह गायब हो सकता है। बने रहने के लिए जीतते रहना जरूरी है। 
2. यह मूलत: असुरक्षित पेशा है। सितारे खो जाते हैं, निर्देशकों का जादू खत्म हो जाता है, अच्छी सूरत हमेशा नहीं रहती, दर्शकों की पसंद अस्थिर है, बहुत से लोग आपकी जगह लेना चाहते हैं। 
3. असुरक्षा कम करने के लिए लोग गुट या कैंप बनाते हैं। अभिनेता, निर्देशक और निर्माता साथ आकर सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें भविष्य में काम मिलता रहे। तथाकथित ‘पार्टियां’ कैंप के मिलने का बहाना होती हैं। वहां भी असुरक्षा की भावना है। बस वहां थोड़ा सुरक्षित महसूस होता है। यह ऐसा है, जैसे केंचुए गुच्छा बनाकर खुद को मजबूत दिखाते हैं। लोगों ने कैंप में रहकर या बाहर भी अच्छा काम किया है। यह उनकी अपनी मर्जी रही है। 
4. आप सफल हैं (हिट देते हैं), तो इंडस्ट्री इतना प्यार व खुशामद करेगी जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते। असफल (फ्लॉप देते हैं) हैं, तो आप अछूत हो जाएंगे। 
5. सफलता का नशा इतना ज्यादा होता है कि लोग इसकी तुलना ड्रग्स से करते हैं। हालांकि फ्लॉप और अकेलेपन का दर्द भी इतना ही ज्यादा होता है। 
6. सफलता-असफलता के ये उतार-चढ़ाव मानसिक सेहत पर बुरा असर डालते हैं। हुनर (अभिनय/लेखन/निर्देशन) के अलावा आपको बहुत सारी मानसिक ताकत की भी जरूरत है। सिक्स-पैक बॉडी के साथ सिक्स-पैक मन भी हो। अगर आप पहले ही बीमार हैं या कोई मानसिक समस्या रह चुकी है तो यह खतरनाक कॉकटेल बन सकता है।
7. एक व्यक्ति के रूप में यह इसपर निर्भर करता है कि आप खुद को कैसे देखते हैं। अगर खुदपर भरोसा है, तो आपको पार्टी में न्योतों या कुछ लोगों के लगातार कॉल्स की जरूरत नहीं है। यह भी अहसास होना चाहिए कि जीवन अन्यायपूर्ण है, लेकिन यह कभी आपके लिए अन्यायपूर्ण रूप से अच्छा हो सकता है, तो बुरा भी। बॉलीवुड के साथ भी ऐसा ही है। व्यक्ति को खुद में और अपने सफर में ही खुश रहना होता है, फिर वह कितना की शानदार या साधारण हो। 
8. आप मानसिक रूप से कितने ही मजबूत क्यों न हों, अगर बॉलीवुड के तालाब (इसपर आगे बात करूंगा) में पूरी तरह उतरते हैं तो आप जोखिम में हैं। यह काम में डूबे गैर-बॉलीवुड लोगों पर भी लागू होता है, जो अति-प्रतिस्पर्धी इंडस्ट्रीज में काम करते हैं। जीवन में विविधता लाना सीखें। आपको अपना काम पसंद होगा, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि आपके जीवन में सिर्फ काम ही न हो। स्वास्थ्य, परिवार, शौक, पुराने दोस्त, इन सबमें शायद ग्लैमर और बॉलीवुड की खूबसूरती कम हो, हालांकि वे आपको सुकून और जिंदगी में खुशी दे सकते हैं। 
9. बॉलीवुड में कैसे रहा जाए, इसे लेकर मुझे सबसे अच्छी सलाह एआर रहमान से मिली थी, जिनसे मुझे मिलने का सौभाग्य मिला था। मैंने उनसे कहा कि बॉलीवुड मुझे डरा रहा है, तो उन्होंने कहा, ‘बॉलीवुड सुंदर तालाब जैसा है। हालांकि इसमें मगरमच्छ हैं। इसलिए एक कोने में खड़े होकर नहाना ठीक है। इसमें पूरी तरह तैरो मत। हमेशा एक पैर अंदर, एक बाहर रखो।’
मैंने फिल्म इंडस्ट्री में रहने के लिए उस्ताद की सलाह को मंत्र की तरह माना। यह आसान नहीं है। बॉलीवुड की चमक तेज लग सकती है और उसके सामने सबकुछ तुच्छ। मानसिक सेहत के कारणों से ही मैंने तय किया कि मैं सभी अंडे एक ही टोकरी में नहीं रखूंगा, चाहे टोकरी सबसे चमकदार हो। मैं दूसरे काम भी करता हूं (इसलिए आप यह कॉलम पढ़ रहे हैं) और मैं मगरमच्छों का शुक्रगुजार हूं कि वे मुझ तक नहीं पहुंचे। मैं होड़ वाले पेशों में काम कर रहे बाकी सभी को भी प्रोत्साहित करूंगा कि वे इसके कारण होने वाली मानसिक समस्याओं के प्रति जागरूक रहें। उनपर ध्यान दें और अपनी जीवन में विविधता लाएं। कोई भी ग्लैमरस पार्टी या नौकरी में सफलता आपकी अंदरुनी खुशी से बढ़कर नहीं है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

No comments:

Post a Comment