रुचिर शर्मा नामक एक भारत के जानेमाने अर्थशास्त्री की पुस्तक है THE RISE AND FALL OF NATIONS और यह एक रुचिपूर्ण कहानी से शुरू होती है। उसने अफ्रीका के दौरे में कहानी सुनी की एक राजा ने अपने बेटे को गद्दी सौंपने से पहके उसे उसके लिए तैयार करने हेति जँहली में जाने को कहा कि वहां के उत्तर चढ़ाव देखों, खतरों के अंदाज लगाएं और अवसर भी पहचाने का गुण विकसित करों।पहली बार गया तो बताया कि विशाल के हाथी की चिंघाड़ सुनी, शेर की गर्जना सुनी। दुबारा जाओ, अबकी बार उसने देखा कि हाथी तो मात्र घास खाता है, आदमी को नहीं खाता। दूसरा कि छोटे छोटे भेड़िये और जंगली कुत्तों के झुंड देखे जो शेरों से भी खतरनाक देखे, आकर बताया। फिर दुबारा और समझने को कहा ट्यो उसने देखा कि सांप, अजगर की ट्यो कोई आवाज़ नही आती और पांचवी बार तो उसे पता चला कि कुछ हितेषी प्राणी भी हैं आदि आदि। बिना सुनाई देने वाले खतरों को और अवसरों को वी समझ गया तो राजा ने कहा अब वड्डी पर बैठने लायक बन गए हैं।
यह कहानी पढ़ने के बाद मुझे लगा कि यह हमारे यहां भी लागू होती है। पहली दफा हमको भी बड़े खतरे टाटा, बिरला, अम्बानी, अडानी दिखते हैं लेकिन यह हाथी, गजराज जैसे हैं, ज्यादातर घास पत्ते खाते हैं आदमी नहीं, कोई महिंद्रा है जो कार, SUV बना कर देशनकी कार चौपहिया वाहन उद्योग में 23 अरब डॉलर के एसेट्स है यानी 1 लाख 63 हज़ार करोड़ रुपए, 41 हज़ार को रोजगार देती है। लुधियाना के नज़दीक जस्सोवाल से शुरू मुहम्मद एंड महिंद्रा के नाम से शुरू होकर महिंद्रा एंड महिंद्रा बन गयी। कहीं टाटा है, कई क्षेत्रों में रिलायंस आदि हैं। भारत की सर्वाधिक रोजगार देने वाली कंपनी को जानते हैं क्या? बेंगलोर स्थित quess corps अपने पेरोल पर 3.85 लाख लोग रखती है। TCS के भी कम नहीं है 3.61 लाख के साथ परन्तु भारत में एम्प्लोयी 2.5 लाख हैं। अम्बानी यद्यपि कमाई ज्यादा है साढ़े छः लाख करोड रुपए अर्थात 92 अरब डॉलर के साथ 30 हज़ार स्थाई कर्मचारियों के साथ ।
2. जब दुबारा जंगल में भेजा तो उसे लगा के कुछ जानवर दिखने में बड़े छोटे थे, खतरनाक नहीं दिखते थे लेकिन शेर, और चीते का भी शिकार करते थे, छोटी से छोटे हिस्से भी चट कर जाते थे। ये जंगली कुत्तों के झुंड थे, भेड़िये थे, और बड़े बड़े झुंड में रहते हैं। भारत मे बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन्ही जँहली भेड़ियों और वन कूकर। सामान्यतः ऐसी कंपनियां फसलेस, fearless. फिर उसे समझ आया कि ज्यादा बड़े जानवरो से भी खतरनाक तो ये भेड़िये व जंगली कुत्तों के समूह हैं।
3. तीसरी बार जब भेजा तो समझ नहीं आया कि न शेर, न हाथी, न भेड़िये, न कुत्ते भोंके लेकिन चिड़िया, पक्षी, गरीब गुरबा भयभीत दिखाई दे रहे थे, बकरियां भी मिमिया रही थी। अचानक घास में उसे एक बड़ा सांप, फिर अजगर आदि वृक्षों से लिपटे दिखे। ओह, बिना आवाज़, बिना भागे खतरे से दिखाई देने लगे। हमें भी बिना दिखाई दिए सट्टा बाजार, आईपीएल के नाम पर सट्टा, एवं काला बाजार दिखाई देगा जो चुपचाप कई बकरियां, मुर्गियां, जानवर साफ कर जाते हैं। अभी तक हमारे देश के राजनेता इनपर हाथ नहीं डालते, बल्कि दूध पिलाते हैं।
4. अगली बार अजीब हादसा हुआ, राजकुमार वृक्ष से नीचे लुढ़क गया, चक्कर आ गया, बेहोशी छा गयी। जब थोड़ी तन्द्रा खुली तो समझ नहीं आया कि कौन सहला रहा है, कौन दर्दवाली कमर पे पुचकार रहा है, मां जैसा प्यार, दुलार कौन जंगल मे भी कर रहा है। ओह, गौ माता व उसके बछड़े पुचकार रहे थे। भूख में मर जा रहा था, कुछ बुदबुदाया तो अपने आप स्तन से दूध इसके मुंह पर गिरने लगा। उठकर गले लगा लिया। छोटे दुकानदार, रिटेलर्स, पॉप एंड मॉम स्टोर वाले ये व्यापार के जंगल में हैं। भगवान न करे किसी का एक्सीडेंट हो जाय, भूख से प्राण निकल रहे हों, ये छोटे दुकानदार उसकी गोमाता के समान हैं। जिन्हें अमेज़ॉन, फ्लिपकार्ट, वालमार्ट जैसे हिंसक जानवरों से बचाना हमारा काम है। रोजगार का बीमा है, वहां बाजार में मंदिर है तो उसकी चिंता ये लोग करते हैं, किसी पुराने ग्राहक की एक महीने तनख्वाह नही मिली तो ये सहायता भी करते हैं, दुखसुख के साथी है।
5. राजा ने फिर जंगल भेजा। राजकुमार को लग रहा था, अब सब समझ गये हैं, बेकार चक्कर क्यों लगाना। पर अब की बार एक अजीब बात देखी। पक्षी घबराए दिन में ही घोंसलों की तरफ भाग रहे थे, मछलियां कुलबुलाए जा रही थी, ऊपर नीचे परेशान हो रही थी। शेर नहीं, हाथी नहीं शेर, चीते भी नहीं, कुत्ते भी नहीं, सांप भी नहीं, फिर घबराहट क्यों। ओह इन्होंने आने वाले भूकम्प को, तूफान को, झंझावात के निशान इन्होंने पहचान लिए है, अतः सबसे गरीब, दिहाड़ीदार, घरों के नोकर, चाकर जब परेशान दिखे, पैदल मीलों चलकर अपने गांव की ओर revrse माइग्रेशन कर रहें हों, समझिए कुछ अनहोनी घटने वाली है, कोविड लम्बा चलेगा।दुर्भाग्य हम ये संकेत समझने की बजाए उन्ही को सड़कों पर पीटने लगे, उनके साईकल छीनने लगे, सड़कों के किनारे मुर्गा बनाने लगे, राजकुमारों की ट्रेनिंग अधूरी है।
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