Saturday, August 22, 2020

इज़राइल की विशेषताएं

जब से होश सम्हाला है, इज़राइल के बारे में सुना है। आईये, ठीक से जाने। देश की आर्थिक तरक्की केवल मशीनों से नहीं होती, देश के लिए बहने वाले पसीनों से होती है, एफडीआई से नहीं, राष्ट्रभक्त अगुआई से होती है, पंचवर्षीय योजनाओं से नहीं , देशभक्ति की ज्वालाओं से होती है। https://www.facebook.com/139151906731447/posts/550968522216448/

इजरायल के रोचक तथ्य आपको कर देंगे हैरान



 

इज़राइल की हैरानीजनक जनसंख्या

इस्राइल दुनिया का एकमात्र यहूदी देश है जिसकी कुल आबादी है 85 लाख। यानी भारत के बेंगलूरु में जितने लोग रहते हैं उतने पूरे इस्राइल में।  फिलिस्तीन से टूटकर ही इजरायल बना था। 19वीं सदी तक फिलिस्तीन में 87% मुस्लिम, 10% इसाई और 3% यहूदी लोग थे. 1900 में यहूदियों ने अलग राज्य की मांग छेड़ी थी।

फिलिस्तीन विवाद
फिलिस्तीन पर ब्रिटेन शासन के दौरान अंग्रेजों ने फूट करो राज करो नीति के तहत यहूदियों के लिए अलग देश की मांग का समर्थन किया।1948 में फिलिस्तीन के बंटवारे के साथ इजरायल का जन्म हुआ लेकिन इस्राइल और फिलिस्तीन का विवाद आज तक खत्म नहीं हुआ है। 

भारत कनैक्शन
इस्राइल दुनिया का 100वां सबसे छोटा देश है। अमरीका के कैलिफोर्निया में इस्राइल जैसे 19 देश एक साथ समा सकते हैं। इस्राइल में इस समय करीब 74 प्रतिशत आबादी यहूदियों की है। गैर यहूदियों में ज्यादातर अरब मूल के लोग हैं। भारत में यहूदी आबादी करीब 6 हजार है। ज्यादातर यहूदी महाराष्ट्र, बंगाल, उत्तर पूर्व के राज्यों में होते हैं।

नागरिकता का अनोेखा नियम
दुनिया में यही एक ऐसा देश है जहां बच्चे के जन्म लेते ही इस्राइल की नागरिकता मिल जाती है। भले बच्चे का जन्म किसी भी देश में क्यों न हुआ हो।  दूसरी छूट ये है कि यहूदी चाहे जिस भी देश में हों वो जब चाहें इस्राइल में आकर बस सकते हैं। इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी यहूदी बच्चे ने भारत में जन्म लिया हो तो जन्म लेते ही वो इस्राइल का भी नागरिक मान जाता है।

संविधान भी एेसा 
इस्राइल है तो दुनिया का लोकतांत्रिक देश लेकिन वहां ब्रिटेन औऱ न्यूजीलैंड की तरह लिखित संविधान नहीं हैं। परम्परा, सुविधा के हिसाब से नियम बनते और बदलते हैं।

भाषा के अलग नियम
इस्राइल की भाषा हिब्रू है जो बाइबल की भाषा मानी जाती है। कहा जाता है कि हिब्रू ही अकेली भाषा है जिसका पुनर्जन्म हुआ है। हिब्रू और अरबी इजरायल की सरकारी भाषा है। हिब्रू को ऊर्दू की तरह दाहिने से बाएं लिखा जाता है। इस्राइल की बोली में मराठी का भी अंश माना जाता है।

सेना में महिलाएं
दुनिया में इस्राइल को शक्तिशाली सैन्य देश के तौर पर माना जाता है। इस्राइल में महिलाओं के लिए सेना में काम करना अनिवार्य है। 85 लाख आबादी वाले देश में करीब 30 लाख सैनिक हैं। जितने मर्द सेना में काम करते हैं उतनी ही महिलाएं भी। 30 लाख की सेना में करीब 15-15 लाख मर्द और महिला सैनिक हैं।

बच्चों की आर्मी ट्रेनिंग
15 साल की उम्र से इस्राइल में बच्चों की आर्मी ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनिवार्य रूप से मिलिट्री सर्विस जॉइन करनी पड़ती है। लड़कों को 3 साल और लड़कियों को 2 साल सेना में काम करना जरूरी होता है।कहा जाता है कि इस्राइल के घर-घर में घातक हथियार होते हैं।परिवार के हर सदस्य को हथियार चलाना आता है। महिलाएं कैसा भी पहनावा पहने लेकिन हथियार साथ लेकर चलती हैं। 

खतरनाक दुश्मन
अगर किसी ने इस्राइल को दुश्मन बना लिया है तो मान लीजिए कि इस्राइल बिना बदला लिए छोड़ेगा। इस्राइल का मूल मंत्र है अगर किसी ने हमारे देश के एक नागरिक को भी मार दिया तो हम उस देश में घुसकर उसके एक हजार नागरिकों को मार डालेंगे। ऑपरेशन ब्लैक सेप्टेंबर के बाद इजरायल ने ये करके दिखाया।

भारत से सम्बन्ध 100 साल पुराना


 संक्षेप: इजराइल की वीरता के हम मुरीद हैं, परन्तु इसरायली भारत की वीरता के कायल भी हैं, कृतज्ञ भी क्योंकि 100 साल पहले उनके प्रमुख स्थान हाइफा को तुर्की की सेना से मुक्त कराने का काम भारतीय सैनिकों ने बड़ी बहादुरी से किया। आज़ादी के 70 साल बाद उन 900 भारतीयों की समाधि पर पुष्प चढ़ाने, जिनकी देखभाल इजराइल बड़ी शिद्दत से करताहै, कोई भारतीय प्रधान मंत्री पहली बार गया है। उसदिन 23 मई 1918 था, और 1919 से ही 2000 साल के बाद निर्वासित यहूदी अपने शहर लौटने लगे। अपने स्वतंत्र देश की मांग बेशक 30 साल बाद 14 मई 1948 में पूरी हुई।

हमास के राकेट हवा में उड़ा दिये 14,15 मई 2021,

3. यहूदी योद्धा कौम नहीं थी। वह व्यापारी कौम थी। येरुसलम और मदीना के यहूदी व्यापार ही तो करते थे। बल्कि उनकी इसी खासियत की वजह से उन्हें भगोड़ा और डरपोक भी कहा जाता था। 


व्यापारी वैसे भी लड़ाई झगड़े से दूर रहता है। हां, जो सीधे युद्ध तो नहीं करते वो साजिश करते हैं। ये गुण यहूदियों में भी मिलता है। लेकिन आज वो एक निडर योद्धा हैं। आपने कभी सोचा कि एक व्यापारी कौम को योद्धा किसने बना दिया जिसकी बहादुरी की प्रशंसा हो रही है? 


इस्लाम ने। यहूदियों में ये जो बहादुरी और निडरता दिखाई दे रही है ये इस्लाम की प्रतिक्रिया में पैदा हुई है। अपने अनुभव से उन्होंने सीखा कि बिना युद्ध के आप इस्लाम से नहीं जीत सकते। आप कितना भी बचने का प्रयास करें इस्लाम अंतत: आपको युद्धक्षेत्र में खींच ही लेता है। 


इसलिए यहूदियों ने अपने आप को युद्ध में निपुण किया। वो सब तरीके सीखे जिससे वो सम्मान से जिन्दा रह सकते हैं। इस तरह एक व्यापारी कौम एक बहादुर कौम बन गयी।

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