भारत के खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के खिलाफ अपील
क्या आप जानते है :
1. भारत में 1 करोड़ 20 लाख छोटी बड़ी दुकानें हैं।
2. ये दुकानें देश के 120 करोड़ लोगों को एक वर्ष में 23 लाख करोड़ रूपये का माल खरीदती/बेचती हैं।
3. लगभग 3.5 करोड़ लोग इन दुकानों पर मालिक अथवा कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं तथा 1.5 करोड़ लोग इन दुकानों पर माल लाने/ले जाने व अन्य गतिविधियों में लगे हुए हैं।
4. इन 5 करोड़ लोगों के परिवार एवं साप्ताहिक बाजार (सोम बाजार, मंगल बाजार आदि-आदि) में लगे हुए लोगों की संख्या जोड़ ली जाए तो लगभग 26 करोड़ लोगों का जीवन यापन इन्हीं दुकानों पर निर्भर है।
5. भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का लगभग 9 प्रतिशत इसी व्यापार से आता है।
भारत के व्यापार में विदेशी कम्पनियों की दस्तक
1. अमरिका, यूरोप आदि के विकसित देशों ने अपनी जीवन शैली इतनी विलासितापूर्ण एवं खर्चीली बना ली है कि इनका अपने देश में ही कमाई से गुजारा नहीं हो सकता, इसलिए दुनिया के दूसरे देशों के बाजारों पर कब्जा करके भारी कमाई करते हैं। इसी क्रम में इनकी सरकारें भारत सरकार पर दबाव डालकर यहां के बाजार विदेशी कम्पनियों के लिए खुलवा रहे हैं। अमरिका में आई मन्दी के बाद इस गति में तेजी आयी है।
2. वालमार्ट, टेस्को, केरीफोर आदि कम्पनियों ने अनेक देशों के करोड़ों दुकानदारों को व्यापार से बाहर करके उन देशों के 80 प्रतिशत तक व्यापार अपने कब्जे में कर लिया है।
3. भारत का 97 प्रतिशत व्यापार करोड़ों दुकानदारों के द्वारा ही किया जाता है। अभी तक इस व्यापार में विदेशी कम्पनियों को अनुमति नहीं मिली हुई है। किन्तु इन विदेशी कम्पनियों की गिद्ध दृष्टि लगातार हमारे व्यापार पर कब्जा करने के लिए लगी हुई है।
4. केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार देश के कुछ प्रान्तों के हुए विधानसभा चुनावों उपरान्त अब विदेशी कम्पनियों को आने की अनुमति देने जा रही है।
विदेशी कपंनियों के क्या तर्क हैं :
1. विदेशी कम्पनियों के आने से उपभोक्ता को सस्ता एवं अच्छी गुणवत्ता का माल मिलने लगेगा।
2. इन कम्पनियों में नौकरी करके रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
3. बिचौलियों से छूटकारा मिलेगा।
सच्चाई क्या है:
1. इन्हीं तको± के साथ देश के शीतल पेय के बाजार में कुछ वर्ष पूर्व पेप्सी कोला एवं कोका-कोला कम्पनी आई थी। आज स्थिति यह है कि शीतल पेय का 95 प्रतिशत बाजार इन कम्पनियों ने कब्जा करके देश के करोड़ों शीतल पेय निर्माताओं (केम्पा-कोला, स्थानीय ब्राण्ड वाले शीतल पेय, कन्चे वाली बोतल, जूस, गन्ने का रस, शिकञ्जी, सोड़ा, लस्सी, बेल का शरबत आदि-आदि) को बबाZद कर दिया।
2. ये कम्पनियां बिचौलियों को हटाने की बात करती है किन्तु स्वयं फिल्मी सितारों, खिलाड़ियों को सैकड़ों करोड़ रूपये तथा टेलीविजन चैनल को 1 लाख रूपये प्रति सेकण्ड की दर से विज्ञापन के लिए भुगतान करती है। क्या ये लोग बिचौलिए नहीं हैर्षोर्षो
3. अन्य देशों में इन कम्पनियों का इतिहास यह बताता है कि ये पहले तो सस्ता माल बेच कर वहां ही दुकानों को बन्द करवा देते है फिर ग्राहक को भी मनमाना लूटते है।
4. यूरोप में करीब 4 लाख दुकानें इन्हीं कम्पनियों के कारण बन्द हो गई है। अमरिका के किसानों की आय 10 प्रतिशत कम हो गई है। वालमार्ट ने अपना माल चीन से खरीदना शुरू कर दिया जिस कारण अमरिका का व्यापार घाटा बढ़ गया तथा 5 लाख लोग भी बेरोजगार हो गए। जर्मनी और दक्षिण कोरिया ने अपने दुकानदारों को बचाने के लिए वालमार्ट जैसी कम्पनियों को देश से बाहर निकाल दिया। चीन, थाईलैण्ड व मलेशिया की सरकारें इन कम्पनियों से बचने के लिए रास्ते तलाश रही हैं।
5. देश की संसद के द्वारा गठित संसदीय समिति ने दिनांक 8 जून 2009 को इस सम्बन्ध में विदेशी कम्पनियों को भारत में अनुमति दिए जाने का कड़ा विरोध करते हुए अपनी रिपोर्ट लोकसभा के पटल पर रखी थी। किन्तु उस रिपोर्ट को सरकार दरकिनार करके एक निजी एजेंसी की रिपोर्ट को महत्व दे रही है। इक्रियर नाम की इस एजेंसी ने देश भर में मात्र 2018 दुकानों का सर्वे किया है। यह एक संयोग है कि इस एजेंसी को विदेशी कम्पनियों के सबसे बड़े पेरोकार श्री मोण्टेक सिंह अहलूवालिया (योजना आयोग के उपाध्यक्ष) की धर्मपत्नी चलाती हैं।
भारत में खतरा क्या है :
1. देश में ज्यादातर दुकानदार स्वयं के द्वारा ही जुटाई गई बहुत कम पूञ्जी से अपना व्यापार चलाते हैं। दूसरी ओर बड़ी कम्पनियों को बहुत कम ब्याज पर बैंकों से बड़ी-बड़ी राशि मिल जाती है। इस कारण वे बड़ी कम्पनियों के साथ मुकाबले में वे टिक नहीं पाएंगे।
2. करोड़ों की संख्या में ये छोटे दुकानदार बेरोजगार हो जाएंगे। जिसके कारण हत्या, आत्महत्या एवं लूटपाट बढ़ेगी तथा देश में अनेक प्रकार के आर्थिक, सामाजिक एवं सुरक्षा सम्बन्धी संकट खड़े हो जाएंगे।
3. काण्ट्रेक्ट खेती के नाम पर ये कम्पनियां किसानों का भी भारी शोषण करेगी।
4. भारी मुनाफा कमाकर ये कम्पनियां देश का धन बाहर ले जायेगी।
सरकार से हमारी मांग
1. खुदरा व्यापार खोलने से पहले देश भर में इस मुद्दे पर सरकार की ओर से एक बहस चलायी जाए कि आम व्यापारी इस बारे में क्या सोचता है।
2. सिंगल ब्राण्ड रिटेलिंग के क्षेत्र में अभी तक जिन कम्पनियों को पिछले वषो± में अनुमति दी गई है उसके सम्बन्ध में अब तक देश को हुए लाभ हानि का लेखा जोखा (श्वेत पत्र) सरकार शीघ्र जारी करे। (जैसे शीतल पेय में कोका-कोला, पेप्सी-कोला, खाद्यान्न में कारगिल कम्पनी, आदि-आदि)
3. बड़ी कम्पनियों के आने से लगभग 17 करोड़ लोगोें की दुकानदारी एवं रोजगार बिल्कुल खत्म हो जायेगी, उनके पुनर्वास के लिए क्या योजना है।
4. दिनांक 28 जुलाई 2010 को दिल्ली के कंस्टीटयूशन क्लब में योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने स्वीकार किया था कि कृषि से आजीविका चलाने वाले लोगों की संख्या घटानी पडेगी, लघु उद्योगों में ओर अधिक लोगों को रोजगार नहीं दिया जा सकता अपितु लोगों को निकाला जा रहा है। एक तरफ किसान आत्महत्या कर रहे है, दूसरी तरफ छोटे लघु उद्योगों को चीन का माल बबाZद कर रहा है तो ऐसी स्थिति में खुदरा व्यापार में भी विदेशी कम्पनियों को बुला कर करोड़ों लोगों को क्यों बबाZद किया जा रहा :
हमारा संकल्प
``लघु किसान- लघु व्यापार- लघु उद्योग
बचेगा तो - बचेगा देश - बचेगा देश´´
``घर-घर ले जाएंगे - हम यह सन्देश´´
आईये हम सब मिलकर प्रधानमन्त्री के नाम ज्ञापन पर अपने हस्ताक्षर करके स्वदेशी जागरण मंच द्वारा चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान में सम्मिलित होकर करोड़ों लोगों के रोजगार की रक्षा करने में भागीदार बनें।
bilkul sahi kaha aapne,vartman ki congress sarkar aam aadmi ka gala ghotne pe aatur hai, videshi vyapaar ki anumati de kar ye sarkar un 80 crore logo ko jo 20 rs. se cum pe guzara karte hai unko aatmhatya karne pe majboor kar degi..
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