Friday, March 6, 2020

मोदी जी का ग्राम विकास अभियान

मुखपृष्ठराज्यनई दिल्ली
80 फीसदी सांसदों ने अनसुनी की मोदी की अपील, बीजेपी वालों ने भी नहीं मानी पूरी बात
अब तक मात्र 19 फीसदी सांसदों ने ही इस योजना के तहत तीन गांवों को चुना है। 88 फीसदी सांसदों ने एक गांव को गोद लिया है, जबकि 59 फीसदी सांसद दो गांवों को इस योजना के तहत चुन चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 1314 गांवों को चिह्नित किया जा चुका है, जहां पर 42 फीसदी काम पूरा हो चुका है।

देश के लगभग 80 फीसदी सांसदों ने पीएम नरेंद्र मोदी की एक अपील को लगभग नजरअंदाज-सा कर दिया है। पीएम ने सभी सांसदों से मई 2019 तक सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 3 गांव विकसित करने की अपील की थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक मात्र 19 फीसदी सांसदों ने ही इस योजना के तहत तीन गांवों को चुना है। 88 फीसदी सांसदों ने एक गांव को गोद लिया है, जबकि 59 फीसदी सांसद दो गांवों को इस योजना के तहत चुन चुके हैं।  रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 1314 गांवों को चिह्नित किया जा चुका है, जहां पर 42 फीसदी काम पूरा हो चुका है। योजना के कार्यान्वयन में हो रही देरी को देखते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य के मुख्यमंत्रियों और सांसदों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वह जल्द विकास के लिए गांवों को चिह्नित करें और पीएम के टारगेट को हासिल करें। विपक्षी दलों के सांसद का और भी बुरा हाल है।
191 बीजेपी सांसदों ने अब तक इस योजना के तहत तीसरे गांव का चयन नहीं किया है। जबकि 84 सांसदों ने दूसरे गांव का चयन नहीं किया है। इसी तरह राज्यसभा के मात्र 12 बीजेपी सांसदों ने ही इस योजना के तहत तीनों गांवों को विकास के लिए चुना है। जबकि 20 सांसदों ने अब तक दूसरे गांव का चयन नहीं किया है। हालांकि, सभी बीजेपी सांसदों ने कम से कम एक गांव का चयन जरूर कर लिया है। बता दें  कि इस योजना के तहत कोई विशेष फंड सांसदों को नहीं दिया गया है। सांसदों से अपेक्षा की गई है कि वह अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर केंद्र की योजनाओं को इन गांवों में ठीक तरीके से लागू करवाएं।

बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत प्रत्येक सांसद को 2019 तक तीन गांवों में बुनियादी और संस्थागत ढांचा विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। सांसदों को एक आदर्श गांव 2016 तक विकसित करने को कहा था। सांसदों का कहना है कि एक गांव को चुनने से दूसरे गांव के लोगों की नाराज होने की संभावना रहती है। लिहाजा, ऐसा बहुत सावधानी से करना पड़ता है।

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